SPEECH OF HONURABLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF UDYAMITA PROTSAHAN SAMMELAN AT K.M.V. COLLEGE, JALANDHAR, ON 04TH SEPT 2023

  • PRB
  • 2023-09-04 15:30

आज हम ‘‘विश्व उद्यमिता दिवस’’ को समर्पित कार्यक्रम मना रहे हैं। 
उद्यमिता एक ऐसी शक्ति है जो अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
यह एक ऐसा माध्यम भी है जो नौकरी ढूंढने वाले को नौकरी देने वाला बनने का अवसर प्रदान करता है।
उद्यमिता का प्राचीन भारत में भरपूर प्रचलन रहा है। 
भारत में मुग़लकाल से पहले की अर्थव्यवस्था अत्यंत समृद्ध थी (Our GDP was around 38%)। 
मुग़ल साम्राज्य के प्रारंभ से पहले भारत विभिन्न राज्यों और साम्राज्यों में बंटा हुआ था, जिनमें व्यापार, व्यवसाय और शिक्षा की गहरी परंपरा थी। 
भारतीय अर्थव्यवस्था ग्वालियर, गुजरात, बंगाल, कश्मीर, और दक्षिण भारत में समृद्ध व्यापारी समूहों के कारण विख्यात थी।
व्यापारी, किसान, शिक्षक और शिल्पकार उद्यमिता के माध्यम से अपने क्षेत्र में समृद्धि की ओर अग्रसर होते थे। 
वे स्वयं नए विचारों को उत्पन्न करते थे और अपने व्यवसायों को नए स्तर पर ले जाने के लिए स्व-प्रेरित थे। 
उद्यमिता के कारण ही वे विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर व्यापार कर पाए।
बन्धुओं,
भारत सदियों से नवाचार एवं उद्यमिता के लिए एक Incubator रहा है। 
प्राचीन भारतीय ग्रंथ चरक संहिता ने दुनिया को आयुर्वेद सिखाया। 
योग एक अन्य प्राचीन भारतीय नवाचार है। 
आज हम जिस डिजिटल दुनिया में रहते हैं वह बाइनरी पद्धति यानि 1 और 0 पर आधारित पद्धति है। शून्य का आविष्कार भारत में आर्यभट्ट के काम के साथ हुआ जो आज इस बाइनरी पद्धति का आधार है। 
इसी प्रकार, आधुनिक काल की आर्थिक नीति (Economic Policy)] कराधान प्रणाली (Taxation System) और सार्वजनिक वित्त पोषण नीतियों (Public Funding Policies) की कई बारीकियों का उल्लेख हमारे प्राचीन ग्रंथ अर्थशास्त्र में कौटिल्य द्वारा किया गया है।
धातु विज्ञान में प्राचीन भारत की विशेषज्ञता भी जग जाहिर है।
हमारे कई बंदरगाह और लोथल में दुनिया का सबसे पुराना डॉकयार्ड, जीवंत व्यापार संबंधों के प्रमाण हैं।
विदेशी शहरों की यात्रा करने वाले भारतीय समुद्र यात्रियों की कहानियां हमारे पूर्वजों की उद्यमिता के जुनून और उनके उद्यमी चरित्र को दर्शाती हैं।
बन्धुओं,
हमारे छात्र हमारा भविष्य हैं; इन्हें उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित करना हमारा दायित्व है। 
आज के समय में छात्रों को सिर्फ नौकरी ढूंढने के लिए ही नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले बनने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में गत 9 वर्षों में देश में start-ups ने बड़ी छलांग लगाई है, जोकि भारत की एक बड़ी सफलता की कहानी है।
साल 2014 से पहले देश में लगभग 350 start-ups थे, लेकिन माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा 2015 में अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में लाल किले की प्राचीर से आह्वान करने और विशेष start-up योजना शुरू करने के बाद 2016 में start-ups में भारी बढ़ौतरी हुई। 
आज भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा start-up eco-system है।
हमारे लिए गर्व की बात है कि देश में 115 से अधिक unicorn यानि की अरब-डॉलर के उद्यमों के साथ-साथ लगभग 93 हजार start-up चल रहे हैं।  
साल 2017-2021 के बीच tech start-ups ने लगभग 23 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा कीं।
भारत का युवा आज धीरे-धीरे सरकारी नौकरी की मानसिकता से बाहर आ रहा है।
अमृत काल में हमारे युवा विशिष्ट क्षेत्रों में, अपने बलबूते पर नये अवसरों का निर्माण करने के लिए तैयार हैं।
सरकार द्वारा Start-up India के अलावा Stand-up India और PM Svanidhi योजना के माध्यम से युवाओं की handholding की जा रही है और उन्हें अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए ऋण उपलब्ध करवाया जा रहा है।
हमारे start-up लीक से हटकर व्यापक बदलाव ला रहे हैं, इसलिए मेरा मानना है कि start-up नये भारत की रीढ़ बनने जा रहे हैं।
Start-up विभाग ने देश के युवाओं को उद्यमिता के माध्यम से अपने रूपांतरण का मौका दिया है।
मैं आप सभी से यह अनुरोध करना चाहता हूँ कि हमारी युवा शक्ति को उद्यमिता के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें। 
हमें उनकी क्षमता को विकसित करने के लिए उन्हें भरपूर अवसर प्रदान करने होंगे और आवश्यक समर्थन व संरक्षण प्रदान करना होगा।
एक और बात, हम हमारे देश में रहते हैं तो हमारा कर्तव्य होता है कि हम देश को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। यह हम तभी कर सकते हैं जब हम मिलकर स्वदेशी अपनाएं।
जब हम स्वदेशी वस्तुएं खरीदते हैं तो उसका पैसा हमारे देश में ही रहता है जिससे देश तेजी से विकास करता है और देश की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है। जब देश के लोगों को स्वदेशी वस्तु का उपयोग करने की आदत पड़ती है तो यह हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होती है।
इसलिए, हमें चाहिए कि हम इन स्वदेशी कंपनियों का प्रचार-प्रसार करें और स्वदेशी अपनाएं जिससे हमारा भारत देश आर्थिक रूप से मजबूत हो। 
ऐसा करने से उद्यमिता को प्रोत्साहन मिलेगा।
इस उद्यमिता दिवस पर उद्यमिता के महत्व को समझने और प्रोत्साहित करने का संकल्प लें।
धन्यवाद,
जय हिन्द!