SPEECH OF HONURABLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF TEACHERS DAY AT TAGORE THEATRE, SEC 18, CHANDIGARH ON 05TH SEPT 2023 AT 12:30 PM

  • PRB
  • 2023-09-05 14:40

सबसे पहले मैं देश के शिक्षक समुदाय विशेषकर चंडीगढ़ व पंजाब के शिक्षकों को ‘शिक्षक दिवस’ की बधाई देता हूँ।
प्रिय शिक्षक-गण,
शिक्षक दिवस के इस अवसर पर मैं अपने उन शिक्षकों का सादर स्मरण करता हूं जिन्होंने मुझे न सिर्फ पढ़ाया बल्कि प्यार भी दिया और संघर्ष करने की प्रेरणा भी दी। 
अपनी जीवन यात्रा में मैं जहां तक पहुंच सका हूं उसके लिए अपने उन शिक्षकों के प्रति में सदैव कृतज्ञता का अनुभव करता हूं।
हमारी संस्कृति में शिक्षक पूजनीय माने जाते हैं। 
भारत के दूसरे राष्ट्रपति, डॉक्टर राधाकृष्णन के प्रशंसकों ने उनका जन्मदिन मनाने का प्रस्ताव रखा तो उस विश्व-प्रसिद्ध दार्शनिक, लेखक एवं स्टेट्समैन ने यह इच्छा जाहिर की, कि उनका जन्मदिन ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाए। वे शिक्षक भी रह चुके थे और अपने शिक्षक रूप को ही उन्होंने सबसे अधिक महत्व देना चाहा।
भारत के एक अन्य महान पूर्व राष्ट्रपति, डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से एक समारोह में पूछा गया कि वे एक वैज्ञानिक के रूप में याद किए जाएंगे अथवा एक राष्ट्रपति के रूप में कलाम साहब ने जवाब दिया कि वे चाहेंगे कि उन्हें एक टीचर के रूप में याद किया जाए।
मित्रों,
आज की knowledge economy में विज्ञान, अनुसंधान और innovation विकास के आधार हैं। इन क्षेत्रों में भारत की स्थिति को और मजबूत बनाने की आधारशिला स्कूली शिक्षा द्वारा ही निर्मित होगी। 
मेरा मानना है कि विज्ञान, साहित्य, अथवा सामाजिक शास्त्रों में मौलिक प्रतिभा का विकास मातृभाषा के द्वारा अधिक प्रभावी हो सकता है। 
यदि शिक्षक भी मातृभाषा में पढ़ाते हैं तो विद्यार्थी सहजता के साथ अपनी प्रतिभा का विकास कर सकते हैं। 
इसीलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा तथा उच्च शिक्षा के लिए भारतीय भाषाओं के प्रयोग पर ज़ोर दिया गया है।
टीचर्स के बारे में एक लोकप्रिय कथन है किः
The mediocre teacher tells.
The good teacher explains.
The superior teacher demonstrates.
The great teacher inspires.
अर्थात
सामान्य शिक्षक जानकारी देते हैं।
अच्छे शिक्षक समझाते हैं।
श्रेष्ठ शिक्षक करके दिखाते हैं।
महान शिक्षक प्रेरणा देते हैं।
मेरा मानना है कि एक आदर्श शिक्षक में चारो बातें होती हैं। ऐसे शिक्षक विद्यार्थियों के जीवन की रचना करके सही अर्थों में राष्ट्र-निर्माण करते हैं।
प्रिय शिक्षक-गण,
हमारे देश में जब वाद-विवाद-संवाद की संस्कृति को महत्व दिया जाता था तब हमारे देश में आर्यभट, ब्रह्मगुप्त, वराहमिहिर, भास्कराचार्य, चरक और सुश्रुत जैसे गणितज्ञ, वैज्ञानिक और चिकित्सक सामने आए। आधुनिक विश्व के वैज्ञानिक भी उनके ऋणी हैं। 
आप सभी शिक्षकों से मेरा अनुरोध है कि विद्यार्थियों में प्रश्न पूछने की तथा शंका व्यक्त करने की आदत को प्रोत्साहित करें। अधिक से अधिक प्रश्नों का उत्तर देने तथा शंकाओं का समाधान करने से आप सब के ज्ञान में भी वृद्धि होगी।
यहां, मैं भगवद-गीता में भगवान श्री कृष्ण को एक महान शिक्षक के रूप में याद करना चाहूंगा जिन्होंने अपने शिष्य अर्जुन का दो-दिवसीय संवाद के माध्यम से मार्गदर्शन किया था। 
गीता को शिक्षण की कला या शिक्षाशास्त्र के एक उदाहरण के रूप में देखें। शुरुआत में, अर्जुन श्री कृष्ण से कहते हैं ‘‘मैं आपका शिष्य हूं, अपने मार्गदर्शन से मेरी सहायता करें’’। अर्जुन के प्रति श्री कृष्ण की प्रतिक्रिया उनके स्नेहपूर्ण और धैर्यपूर्ण उत्तरों और स्पष्टीकरणों से उल्लेखित है। अर्जुन को संदेह के जाल से बाहर निकालने के बाद, श्री कृष्ण उससे पूछते हैं, ‘‘क्या तुम्हारा अज्ञानजनित संदेह दूर हो गया?’’ संवाद के अंत में, अर्जुन को उपलब्ध विभिन्न मार्गों की व्याख्या करने के बाद, श्री कृष्ण उससे कहते हैं, ‘‘यथा इच्छसि तथा कुरु’’ अर्थात  जैसा चाहो वैसा करो।
इस प्रकार, एक शिक्षक विभिन्न प्रकार के समाधान प्रदान करता है और शिष्य को चयन की स्वतंत्रता भी देता है। 
इस बीच अर्जुन करीब 20 सवाल पूछते हैं। मनोविज्ञान की दृष्टि से गीता में गुरु कृष्ण और शिष्य अर्जुन के बीच के संवाद में बौद्धिक और भावनात्मक दोनों तत्व हैं। एक शिक्षक और उसके छात्र के बीच प्रत्येक स्वतंत्र संवाद में ये दोनों तत्व होने चाहिए। 
हमारे शिक्षकों को एकतरफ़ा व्याख्यान देने से बचना चाहिए और छात्रों को उनके साथ स्वतंत्र चर्चा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
श्री अरबिंदो ने कहा है, ‘‘शिक्षक कोई instructor या task-master नहीं होता, वह एक सहायक और मार्गदर्शक होता है। उसका काम सुझाव देना है थोपना नहीं। 
वह वास्तव में विद्यार्थी के दिमाग को प्रशिक्षित नहीं करता, वह केवल उसे दिखाता है कि अपने ज्ञान के उपकरणों को कैसे निपुण बनाया जाए और इस प्रक्रिया में वह उसकी मदद करता है और उसे प्रोत्साहित करता है। वह उसे ज्ञान नहीं देता, वह उसे दिखाता है कि अपने लिए ज्ञान कैसे अर्जित किया जाए।’’
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत, भारत को knowledge super power बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। 
हमें भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत से जोड़ते हुए विद्यार्थियों को आधुनिक विश्व की चुनौतियों के लिए सक्षम बनाना है। 
गहरे मानवीय मूल्यों तथा latest technology का समन्वय करके 'holistic learning' का प्रसार करें। 
Confucius ने कहा था, ‘‘मैं सुनता हूँ तो भूल जाता हूँ। मैं देखता हूँ तो याद रहता है। मैं करता हूँ तो समझता हूँ’’। शिक्षकों को चाहिए कि वे विद्यार्थियों को गतिविधियों के माध्यम से सिखाएं।
परिवर्तन प्रकृति का नियम है। उदाहरण के लिए, बौद्ध परंपरा ने हमें क्षणिकवाद का दर्शन दिया जिसका अर्थ है कि सब कुछ क्षणिक है। 
परिवर्तन के वर्तमान संदर्भ में, यह अनुमान लगाना कठिन है कि 2050 की दुनिया कैसी दिखेगी। 
कुछ दशकों के बाद जिन skill-sets की आवश्यकता होगी, उनकी भविष्यवाणी करना भी उतना ही कठिन है।
‘क्या सीखें’ से अधिक महत्वपूर्ण है ‘कैसे सीखें’ क्योंकि सीखने की सामग्री बदलती रहती है। परन्तु सीखने के बुनियादी कौशल तब भी उपयोगी रहते हैं जब सामग्री बदलती रहती है।
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो, नई पीढ़ियों को ‘the art of learning’ और ‘re-learning’ की ज़रूरत है।
छात्र Future-Ready तभी हो पाएंगे जब आप (शिक्षक) Change-Ready होंगे।
आप अपनी व्यावसायिक क्षमता को उन्नत करें।
यह शिक्षकों की योग्यता, आत्मविश्वास और प्रतिबद्धता ही है जो वास्तविक अंतर ला सकती है।
शक्षकों का प्रभाव न केवल विद्यार्थियों बल्कि पूरे समाज पर पड़ता है। वे छात्रों में ऐसे गुण पैदा कर सकते हैं जिससे वे दयालु, जिम्मेदार और नेक इंसान बनते हैं जो इस दुनिया को एक बेहतर जगह बनाते हैं।
यह कहा गया है कि “values are caught and that they can rarely be taught” जिसका अर्थ है कि शिक्षकों के अपने व्यवहार और छात्रों के साथ उनके संवाद के माध्यम से, कक्षाओं के प्रबंधन के तरीके से, यह सुनिश्चित होगा कि समानता, लोकतंत्र, शांति और एक साथ मिलकर काम करने के मूल्य, स्कूल लोकाचार का एक अभिन्न अंग बनें।
याद रखें, शिक्षा प्रदान करना कोई मामूली काम नहीं है और कोई शिक्षक कभी भी अपने काम को हल्के में नहीं ले सकता। एक जागरूक, बौद्धिक और नैतिक नागरिक तैयार करने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है।
याद रहे गुरू संस्कृत का शब्द है जिसमें ‘गु’ का अर्थ है - अंधेरा और ‘रु’ का अर्थ है - प्रकाश। गुरु ज्ञान का प्रकाश देकर अज्ञानता के अंधकार को दूर करता है। 
अपना कार्य पूरी लगन से करते रहें।
खुशी की बात है कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ 2020-21 के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी Performance Grading Index (PGI) में 1000 में से 927 स्कोर के साथ सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दूसरे स्थान पर रहा है। 
NCERT द्वारा 2021 में आयोजित National Achievement Survey (NAS) में सभी वर्गों (तीसरी, 5वीं और 8वीं) में चंडीगढ़ सभी केंद्र शासित प्रदेशों में शीर्ष स्थान पर रहा था।
हमने Education to students using Digital solutions के तहत ETGovernment DigiTech Awards 2023 हासिल किया है।
हमारे अध्यापकों ने लगातार दूसरी बार प्रतिष्ठित 'National Teacher's Award’ हासिल किया है। Govt. Model Senior Secondary School, Dhanas की प्रिंसिपल व Govt. Model High School, Sector 49 के अध्यापक को 'National Teacher's Award 2023' से सम्मानित किया गया है।
स्कूली बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिए, विभाग ने वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 40 करोड़ रुपये के मरम्मत और बुनियादी ढांचे में सुधार के काम के आदेश जारी किए हैं।
इस साल के अंत तक हमारे सभी स्कूलों में smart classrooms होंगे; हमारे स्कूलों में पहले से ही 100 से अधिक smart classrooms हैं।
शिक्षा विभाग अपनी कोशिश कर रहा है, आप भी अपने सुहृद यत्न जारी रखें।
आज सम्मानित किये गये सभी प्रधानाचार्यों और शिक्षकों को हार्दिक बधाई ।
और नई ऊंचाइयों को छूने के लिए मैं आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं।  
यह मंगल कामना करता हूं कि हमारे शिक्षकगण अपने योगदान से ‘शिक्षित भारत, विकसित भारत’ का निर्माण करेंगे।
धन्यवाद,
जय हिन्द!