SPEECH OF HONURABLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF AYUSHMAN BHAVAH CAMPAIGN LAUNCH AT PUNJAB RAJ BHAWAN, CHANDIGARH ON 13TH SEPTEMBER, 2023 AT 12:45 PM

  • PRB
  • 2023-09-13 13:45

आज भारत की माननीय राष्ट्रपति जी ने एक बहुत ही उत्कृष्ट मुहिम launch की है - ‘आयुष्मान भवः’। जैसा नाम है इस मुहिम का वैसी ही आप लोगों से अपेक्षा है।
आयुष्मान भवः अर्थात दीर्घायु हों - आप सबको मिलजुल कर इस उद्देश्य के लिए काम करना है ताकि हमारे राज्य, हमारे नगर के निवासी रोगमुक्त हों व दीर्घायु हों।
आजादी के साड़े सात दशक पूरे हो चुके हैं। भारत ने आजादी के बाद विभिन्न क्षेत्रों में अतुलनीय प्रगति की है। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भी हमने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं। जैसे कि जीवन प्रत्याशा में वृद्धि हुई और कुछ स्थानीय बिमारीयों को उन्मूलन हुआ है। 
कोविड के मुश्किल समय में हमारे डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों और शोधकर्ताओं ने अपनी योग्यता का लोहा दुनिया भर में मनवाया था। हमने न सिर्फ कोविड वैक्सीन अपने देशवासियों को उपलब्ध करवाई बल्कि उसका निर्यात भी किया।
लेकिन, यह भी सच है कि अभी स्वास्थ्य क्षेत्र में बहुत कुछ करना बाकी है। समाज के पिछड़े और उपेक्षित वर्गों को सुलभ और कम दामों पर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने का कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में अभी और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है। 
स्वास्थ्य सेवाओं की accessibility और इनका दायरा बढ़ाने के लिए यह मत्वाकांक्षी मुहिम ‘आयुष्मान भवः’ बहुत सहायी सिद्ध हो सकती है। इसलिए, मेरा आप सभी से निवेदन है कि इस campaign को पूरी लगन व ईमानदारी के साथ implement करें।
राष्ट्र के आर्थिक विकास के लिए समाज में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का होना नितांत आवश्यक है। जनसंख्या की दृष्टि से भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है। अपनी जनता को स्वस्थ व सशक्त बनाकर ही हम जनसंख्या का लाभ उठा सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि हम जनता की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए व्यापक और सतत प्रयास करें।
17 सितंबर से शुरू होने वाले ‘‘सेवा पखवाड़ा’’ में ज्यादा से ज्यादा योग्य लाभार्थियों के आयुष्मान कार्ड बनाएं, आयुष्मान मेलों का और आयुष्मान सभा का आयोजन करें ताकि इस मुहिम का जो उद्देश्य है, ‘अंत्योदय’ भाव सेहत सेवाओं को पंक्ति के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को उपलब्ध करवाया जा सके।
एक बात और, एक चिकित्सक के लिए सहृदयता भी उतनी ही जरूरी है जितनी व्यवसायिक और तकनीकी कुशलता। एक अच्छा चिकित्सक रोगी का ईलाज ही नहीं करता बल्कि उसकी मदद, उसकी सहायता करता है और उसका मनोबल बढ़ाता है। 
आप लोग जब डॉक्टर बनते हैं तो आपको एक Hippocratic oath दिलाई जाती है। चिकित्सा के जनक Hippocrates ने ईसा से पूर्व पांचवीं सदी में कहा था, ‘‘कुछ रोगी यह जानते हुए भी कि उनकी हालत गंभीर है, चिकित्सकों की सहृदयता से संतुष्ट होने मात्र से ही ठीक हो जाते हैं।’’ 
मैं आप सभी डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मियों को चिकित्सा आचार संहिता के उच्च मानदंडों का अनुपालन करने का आग्रह करना चाहता हूं ताकि मानव सेवा के रूप में चिकित्सा व्यवसाय की प्रतिष्ठा को बनाये रखा जा सके।
रोगियों का केवल उपचार मत कीजिए बल्कि उन्हें रोग से बचने, बिमारियों के रोकथाम के प्रति जागरूक करें। आप लोगों ने कोविड के दौरान लोगों को सही ढंग से हाथ धोने की भी शिक्षा दी थी। 
उसी तरह, जब आप आयुष्मान मेलों का आयोजन करें तो लोगों को जागरूक करें, उनका मार्गदर्शन करें कि वे अपनी रोज़मर्रा के कार्यों में cleanliness, hygiene, sanitation को अपनाएं, उसका महत्व समझें ताकि वे रोगमुक्त रह सकें। जैसे कि कहा जाता है, ”Prevention is Better than Cure”।
आज हमने TB मुक्त भारत अभियान में अतुलनीय योगदान देने वाले अपने ‘‘निक्षय-मित्रों’’ को सम्मानित किया है। मैं उनके प्रयासों और सहयोग के लिए उनका हृदय के अंतःकरण से धन्यवाद करता हूं। 
देशभर में निक्षय-मित्र बड़ी संख्या में आगे आए हैं, उन्होंने TB पर काबू पाने के लिए रोगियों को अतिरिक्त पोषण और भावनात्मक सहायता प्रदान की। 
भारत में ‘‘निक्षय-मित्रों’’ ने एक हजार करोड़ रूपये से अधिक का योगदान दिया है। यह संभवतः TB के लिए, दुनिया की सबसे बड़ी सामुदायिक पहल है। यह जनभागीदारी व सच्चे लोकतंत्र की अद्वितीय मिसाल है।
आज यहां मौजूद सभी ने organ donation करने की शपथ ली। अंगदान महादान है। मृत्यु के बाद व्यक्ति के अलग-अलग अंग, उसका दिल, आंखें, लीवर, किडनी इत्यादि अंग 3 से 4 व्यक्तियों को जीवन प्रदान कर सकते हैं, सेहत प्रदान कर सकते हैं।
इसलिए लोगों के दिलों से अंगदान संबंधी भ्रांतियां दूर करना जरूरी है। अंगदान करने का प्रण करना एक मुश्किल निर्णय है। इसे व्यक्ति अपने जीते जी तो कर ही सकता है परन्तु  उसकी आकस्मिक मृत्यृ होने पर उसके परिवारजन भी यह निर्णय ले सकते हैं।
मेरा मानना है कि एक dedicated team of counselors होनी चाहिए जोकि शोकग्रस्त परिवार के सदस्यों से बात करके उन्हें मृत परिजन के अंगदान के लिए motivate करे।
कुछ छोट-छोटे gestures किए जा सकते हैं, उन परिवारों के लिए जो अंगदान के लिए आगे आते हैं। मुझे याद है मैंने पढ़ा था कि बंगाल में एक organ donation society जो उन लोगों को guard of honour देकर अस्पताल से विदा करते हैं जो परिवार अपने मृत परिजन के अंग अस्पताल को दान देते थे। यह एक छोटा सा gesture करके वह संस्था उस परिवार के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती थी और उनका सम्मान करती थी।
पंजाब की तो बात ही अलग है। यहां के लोग तो बहुत ही बहादुर, बहुत ही दिलेर और बहुत ही बड़े दिलवाले हैं। आप अगर इन्हें सही ढंग से motivate करके अंगदान जैसे नेक कार्य में जोड़ेंगे तो मैं तो यह कहूंगा कि आपके पास दानियों की सूची इतनी लंबी हो जाएगी कि आपको record संभालना भी मुश्किल हो जाएगा। ऐसे हैं इस प्रांत के लोग। 
आपको याद होगा कि ‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम के 99वें एपिसोड में भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी ने पंजाब, अमृतसर के उस संधू दम्पति का विशेषतौर ज़िक्र किया था जिन्होंने PGI Chandigarh में अपनी 39 दिनों की नवजात बच्ची की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु के बाद उसके अंग दान किये। यह बहुत ही कठिन, बहुत ही मुश्किल, परन्तु बहुत ही नेक निर्णय था, ऐसे मां-बाप को मैं salute करता हूं।
चंडीगढ़ शहर quality health services के लिए देशभर में प्रख्यात है। हमारे पास अच्छा health infrastructure है, डॉक्टर हैं।
आइए, मिलजुल कर ‘‘आयुष्मान भवः’’ मुहिम को सफल बनाएं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!