SPEECH OF HONURABLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF LAUNCH OF MERI MAATI MERA DESH CAMPAIGN AT TIRANGA URBAN PARK, SEC 17, CHANDIGARH ON 23RD AUGUST, 2023 AT 10:00 AM

  • PRB
  • 2023-08-23 12:45

‘मेरी माटी मेरा देश’ कोई साधारण कार्यक्रम नहीं है बल्कि एक महान अभियान है।
साल 2021 में शुरू हुए ‘‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’’ का यह समापन कार्यक्रम है।
आज़ादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष में आयोजित ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के तहत पूरे भारत में 2 लाख से अधिक कार्यक्रम आयोजित किये गये।
पिछले साल आयोजित राष्ट्रव्यापी अभियान ‘हर घर तिरंगा’ बेहद सफल रहा था। इसमें व्यापक जनभागीदारी देखी गई। 
इस साल आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत ‘मेरी माटी मेरा देश’ शुरू किया गया है। 
इसके आयोजन का मनोरथ देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर पुरूषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि अर्पित करना और उनके प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करना है।
स्वतंत्रता सेनानियों और सुरक्षा बलों को समर्पित शिलाफलकम् की स्थापना, पंच प्रण प्रतिज्ञा, अमृत कलश यात्रा व मिट्टी को नमन एवं वीरों का वंदन, इस अभियान के प्रमुख घटक हैं।
गांव, पंचायत, ब्लॉक, कस्बे, शहर, नगरपालिका आदि के स्थानीय वीरों के बलिदान की भावना को सलाम करने वाली शिलाफलकम्/स्मारक पट्टिकाएं देश भर में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित की जाएंगी।
अमृत कलश यात्रा देश के कोने-कोने से 7500 कलशों में मिट्टी लेकर देश की राजधानी दिल्ली पहुँचेगी। यह यात्रा अपने साथ देश के विभिन्न हिस्सों से पौधों को भी लेकर आएगी। 7500 कलशों में आने वाली मिट्टी और पौधों को मिलाकर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के पास ‘अमृत वाटिका’ बनाई जाएगी। ये ‘अमृत वाटिका’ ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का भव्य प्रतीक बनेगी।
बन्धुओं,
हमारी मातृ भूमि, हमारा भारत अविश्वसनीय सुंदरता और समृद्ध संस्कृति की भूमि है।
हम भाग्यशाली हैं जो हमने इस भूमि पर जन्म लिया।
हमारा राष्ट्रीय गान, हमारी अनेकता में एकता के सार को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त करता है। ‘‘......पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा, द्राविड़, उत्कल, बंग, विंध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधि तरंग......’’।
भारत माता की गौरवान्वित संतान होने के नाते इसके लिए बलिदान देने वालों का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।
वीरों का वंदन इस अभियान के तहत देश भर में किया जा रहा है।
इसके अलावा हर भारतवासी जिसके हृदय में देशभक्ति की भावना है, वो आज देश के लिए पांच प्रण ले रहा है। आपने भी पंच प्रण प्रतिज्ञा ली।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आह्वान किया है कि अगले 25 सालों में जब देश अपनी आज़ादी के 100 साल पूरे करेगा तब तक हमें इन प्रणों, इन संकल्पों को पूरा करना है।
आपने पांच बड़े संकल्प लिए।
पहला संकल्प भारत को विकसित व आत्मनिर्भर बनाने का। इसके लिए स्वदेशी अपनाएं, Made in India और Vocal for Local को प्रोत्साहित करें और देश व राज्य के विकास में महति योगदान दें।
दूसरा प्रण आपने गुलामी की मानसिकता को जड़ से उखाड़ने का लिया। अब हमें शत प्रतिशत उन गुलामी के विचारों से पार पाना है जिसने हमें जकड़ कर रखा है। हमें गुलामी की छोटी से छोटी चीज़ या आदत नज़र आती है, तो हमें उससे मुक्ति पानी होगी। हम भारतीय हैं और हमें अपनी भारतीयता, अपनी सभ्यता व अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। मातृभूमि व मातृभाषा से प्रेम करें।
तीसरी शपथ आपने देश की समृद्ध विरासत पर गर्व करने की ली है। बन्धुओं, भारत वो भूमि है जिसकी संस्कृति जीव में शिव और कंकर में शंकर देखती है। पर्यावरण का सम्मान व इसका संरक्षण हमारी परंपरा का हिस्सा है। ग्लोबल वार्मिंग के इस युग में विरासत में मिले पर्यावरण संरक्षण के अनमोल मंत्रों का पालन करें।
आपने चौथा प्रण भारत की एकता को सुदृढ़ करने का लिया। हमें हर किसी का सम्मान करना है, छोट-बड़े का भेदभाव दूर करना है, श्रम को अच्छे नज़रिए से देखना है और श्रमिकों का सम्मान करना है ताकि देश के 140 करोड़ देशवासियों में एकता बनी रहे।
पांचवां प्रण आपने नागरिक होने के कर्तव्य को निभाने का लिया है। देश ने, समाज ने हमें क्या दिया या क्या न दिया, इसके बारे में तो हम हमेशा चर्चा करते हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है कि हमने देश को क्या दिया। देश तभी आगे बढ़ सकता है जब हम अपने कर्तव्यों का पालन करें। यह इतना मुश्किल भी नहीं है, आप जो भी कार्य करते हैं उसमें पूरी ईमानदारी रखें। आप अध्यापक हैं, समाज सेवक हैं, सरकारी अधिकारी या कर्मचारी हैं, मज़दूर हैं, व्यापारी हैं, किसान हैं या किसी भी कार्यक्षेत्र से हैं, एक सूत्र जो आप सबको बांधता है, एक समानता जो आप सब में है वो यह है कि आप भारतीय हैं। अपने भारत के नागरिक होने के कर्तव्य का निर्वहन करें। निज-हित से ऊपर उठकर पर-हित में सोचें। “Nation First” की भावना को अपने अंर्तमन में उतार लें।
इन पंच प्रणों का अगर आप मन, कर्म और वचन से पालन करते हैं तो मुझे पूरा विश्वास है कि हम आज़ादी के 100 साल पूरे करने से पहले ही देश के लिए प्राणों का न्यौछावर करने वाले शहीदों के सपनों को साकार कर पाएंगे।
देश के लिए असह और अकह कष्ट सहने वाले, प्राणों की आहुति देने वाले सभी जाने-अनजाने शहीदों को मैं नमन करता हूँ और देश की रक्षा के लिए जान की बाज़ी लगाने वाले हमारी रक्षा बालों के वीर जवानों को भी शत-शत नमन करता हूँ।
धन्यवाद,
जय हिन्द!