SPEECH OF HON. GOVERNOR PUNJAB AND UT CHANDIGARH ADMINISTRATOR, SHRI BANWARI LAL PUROHIT, AT THE SAMAVESH PROGRAM LAUNCH BY CHANDIGARH POLICE, TAGORE THEATRE, SEC 18, ON 9TH OCTOBER 2023, 11:05 AM

  • PRB
  • 2023-10-09 13:45

मुझे चंडीगढ़ पुलिस द्वारा शुरू किए गए सामुदायिक पुलिसिंग कार्यक्रम ‘समावेश’ के उद्घाटन के लिए आज यहां आकर खुशी हो रही है। 
सबसे पहले मैं इस कार्यक्रम से जुड़े सभी लोगों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। 
समावेश एक अच्छी पहल है। 
इसका उद्देश्य Law enforcement और Community के बीच संबंधों को मजबूत करना है। 
इससे Police और Public Communication के बीच की खाई को पाटने में मदद मिलेगी।
कई बार व्यक्ति जितना अपराधी से डरता है उतना ही पुलिस से डरता है। यहाँ तक की अपने साथ घटी छुटपुट घटना की सूचना व एफ.आई.आर. तक दर्ज नहीं करवाना चाहता है।
पुलिस का भय तो होना चाहिए, मगर अपराधी को न कि जनता को।
आज ‘‘समावेश’’ के तहत single-point of public interface के रूप में 16 समावेश केन्द्र खोले गए हैं। 
इन समावेश केन्द्रों में कई नागरिक सेवाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध होंगी जैसे कि - 
एफ.आई.आर. की प्रतियां, 
अन-ट्रेस रिपोर्ट, 
Arms license के लिए NOC, 
चरित्र सत्यापन, Police Clearance Certificate, किरायेदारों का सत्यापन, 
नौकरों का पंजीकरण, 
धार्मिक/राजनीतिक जुलूसों की अनुमति इत्यादि।
शिकायतों का पंजीकरण।
परामर्श के माध्यम से झगड़ों और विवादों का सौहार्दपूर्ण समाधान हेतु विशेष सलाहकारों की उपलब्धता।
अपराध रोकथाम हेतु जानकारी एवं जागरूकता।
अथवा पीड़ितों को कानूनी सहायता और राहत।
सामुदायिक पुलिसिंग समाज में पुलिस की भूमिका को एक अलग अर्थ प्रदान करेगी।
मैं तो कहूंगा कि सभी संबंधित पुलिसकर्मी civilian members के साथ नियमित बैठकें करें ताकि उनके द्वारा उठाए गए नागरिक मुद्दों को प्रभावशाली ढंग से हल किया जा सके।
बन्धुओं,
पुलिस कर्मियों से तो मैं हमेशा पूरी निष्ठा, इमानदारी व पारदर्शिता से कर्तव्य निर्वहन के लिए कहता हूं और आज भी कहूंगा। 
परन्तु, आज ‘‘समावेश’’ की बात हो रही है, सामुदायिक पुलिसिंग की बात हो रही है। इसलिए आज मैं जन-प्रतिनिधि जो यहां मौजूद हैं, उनसे कहना चाहता हूं कि - 
हम सब अपने-अपने घरों में सुरक्षित रहते हैं, त्यौहार मनाते हैं, क्योंकि हमारी पुलिस, रात-दिन ड्यूटी पर तैनात रहती है। 
त्यौहारों में भी वे हमेशा कर्तव्य निभाते आए हैं, कोरोना संक्रमण के दौरान भी वे हर मोर्चे पर तैनात रहे। 
पुलिस का काम अपेक्षाकृत अधिक जिम्मेदारी का काम होता है। उनमें जवाबदेही ज्यादा होती है। 
एक तरफ वे कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए शासन के निर्देशों के अनुरूप कार्य करते हैं। दूसरी तरफ उनकी जिम्मेदारी होती है कि नागरिकों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। 
इन जिम्मेदारियों के मध्य समन्वय बनाना एक कठिन कार्य है। 
इस कारण उन्हें मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। 
मेरा आमजन से आग्रह है कि पुलिसकर्मियों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण रखें, उनके कार्यों में मदद करें। 
आप पाएंगे कि आपके दो मीठे बोल, उनके व्यवहार में कितना परिवर्तन लाएंगे। 
यह सद्व्यवहार उनकी सारी थकान को दूर कर देगी और वे आपके प्रति अच्छा व्यवहार करेंगे ही, साथ ही अपनी ड्यूटी दोगुने जोश से करेंगे।
पुलिस को हर पल एवं कदम-कदम पर नागरिकों के सहयोग की आवश्यकता होती है। 
अपराधों की रोकथाम हो या अनुसंधान का कार्य या सूचनायें एकत्र करने का कार्य हो, जन सहयोग की निरन्तर एवं तत्कालीन जरूरत हमेशा बनी रहती है। 
यूं कहूं कि पुलिस और जनता के बीच मैत्रीपूर्ण एवं स्वैच्छिक सम्बन्ध प्रजातांत्रिक प्रणाली की मूलभुत आवश्यकता है।
पुलिस व जनता एक दुसरे के पूरक हैं। वास्तव में ये दोनों समाजरूपी गाड़ी के दो पहिये हैं। इन दो पहियों में से किसी एक के खराब होने से स्थिति खराब होने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
अतः सामुदायिक पुलिसिंग से पुलिसकर्मियों और नागरिकों के बीच की दूरी को इस हद तक कम करना है कि पुलिसकर्मी उस समुदाय का एक एकीकृत हिस्सा (Integrated Part) बन जाए जिसकी वे सेवा करते हैं।
आशा करता हूं कि, समुदाय के साथ सक्रिय परामर्श, सहयोग और साझेदारी से की जाने वाली पुलिसिंग - सामुदायिक पुलिसिंग मॉडल चंडीगढ़ में सफल रहेगा; इससे Crime Control और Law Enforcement को बल मिलेगा।
धन्यवाद,
जय हिन्द!