SPEECH OF HONURABLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF SWABHIMAN AWARD CEREMONY ORGANIZED BY NOBLE FOUNDATION AT GURU NANK BHAVAN, LUDHIANA ON 23RD SEPTEMBER, 2023 AT 1.00 PM

  • PRB
  • 2023-09-23 16:30

स्वाभिमान पुरस्कार वितरण समारोह में आपके मध्य पहुंच कर अत्यंत हर्ष महसूस कर रहा हूं।
हमारे देश में ऐसे बहुत से संगठन व लोग हैं जो अपने सार्वजनिक और व्यक्तिगत जीवन में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं और लोक-हितैषी कार्यों में भी योगदान दे रहे हैं।
ऐसे लोग न केवल अपने प्रतिष्ठानों की बल्कि पूरी मानवता की शोभा बढ़ाते हैं।
वे दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत व आदर्श होते हैं।
समाज का यह कर्तव्य है कि ऐसे लोगों के कार्यों की प्रशंसा की जाए और उन्हें सर्वाजनिक रूप से सम्मानित किया जाए।
आज समाजसेवियों, पर्वतारोही, वैज्ञानिक, व्यापारी, NGO, अध्यापकों इत्यादि 11 विभिन्न पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया।
मेरी तरफ से सभी को बहुत-बहुत बधाई।
खुशी हुई यह जानकर की यह पुरस्कार शहीद लाला जगत नारायण जी की याद में आयोजित किये गये हैं।
शहीद लाला जगत नारायण एक सच्चे देशभक्त, क्रांतिकारी व समाजसेवक थे।
उन्होंने शांति व सदभावना को कायम रखने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी।
उन्होंने न केवल देश की राजनीति में बल्कि पत्रकारिता व समाजसेवा के क्षेत्र में बहुत बड़ा मुकाम हासिल किया।
शहीद लाला जगत नारायण जी को आदर्श समाज स्थापना एवं समाजिक क्षेत्र में किए गए विभिन्न उत्कृष्ट कार्यों के लिए सदैव याद रखा जाएगा।
कुछ ही दिनों पहले 9 सितंबर को उनकी पुण्य तिथि थी। ऐसी महान शख्सियत को समर्पित, उनकी याद में award ceremony का अयोजन, एक नेक प्रयोजन है।
मुझे बताया गया है कि Noble Foundation साल 2009 में under privileged बच्चों को primary education देने और उन्हें व उनके पारिवारिक सदस्यों को uplift करने के लिए शुरू की गई।
आज इस संस्था द्वारा धर्मशालाओं, मंदिरों इत्यादि में पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध करवाने से लगभग 5 हजार विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं।
आप cleanliness projects चला रहे हैं, भीख मांगने के विरूद्ध चेतना फैला रहे हैं, लड़कियों को स्वाभलम्बी बनाने के लिए उनके लिए सिलाई केन्द्र चला रहे हैं और medical camps का भी आयोजन करते हैं।
Noble Foundation के इन initiatives को मैं appreciate करता हूं और हृदय के अंतःकरण से इन्हें बधाई देता हूं।
संस्कृत में कहते हैं, ‘परोपकारः पुण्याय’ अर्थात ‘दूसरों की मदद करने से पुण्य प्राप्त होता है’। हम सभी को ऐसे नेक कार्यों में महति योगदान देना चाहिए।
कहते हैं कि मुनष्य जीवन हमें इसलिए मिलता है ताकि हम दूसरों की मदद कर सकें।
हमारा जीवन सार्थक तभी कहलाता है जब हम अपने विवेक, कमाई या बल से दूसरों की मदद करें।
संसार में सभी प्राणीयों में मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है; इसके पीछे भी कारण है।
मनुष्य में ईश्वर ने सोचने की शक्ति तथा सही-गलत का निर्णय लेने की क्षमता प्रदान की है।
इसलिए, मुनष्य अपने लक्ष्य निर्धारित करता है और उन्हें प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील रहता है।
लेकिन, लोगों को यह हमेशा सोचना चाहिए कि वे दूसरों के काम किस तरह आ सकते हैं। उनका कर्म और योजना का अंतिम उद्देश्य जनकल्याण होना चाहिए।
किसी ने खूब कहा है किः
मैं अपने वसुधा के लोगों का सहाय बनूं मझधार में।
चाहे मुझको कुछ भी न मिले, इस क्षणभंगूर संसार में।।
भारत के जीवन मूल्यों में परोपकार को सबसे ऊंचा स्थान दिया गया है। जो केवल अपने लिए जीते हैं, उनका जीवन अधूरा है। उन्हीं का जीवन सार्थक है जो दूसरों के लिए जीते हैं।
आजकल के दौर में सब आगे बढ़ने की होड़ में इस कदर लगे हुए हैं कि परोपकार जैसे सबसे पुण्य काम को भूलते चले जा रहे हैं।
इंसान मशीनों जैसे काम करने लगा है और परोपकार, करूणा और उपकार जैसे शब्दों को भूल सा गया है।
मेरा मानना है कि हम चाहे कितना भी धन कमा लें परन्तु यदि हमारे अंदर परोपकार की भावना नहीं है तो सब व्यर्थ है। मनुष्य का इस जीवन में अपना कुछ भी नहीं। वह अपने साथ यदि कुछ लेकर जाता है तो, वह उसके अच्छे कर्म ही हैं।
Noble Foundation द्वारा बच्चों को पढ़ाने के लिए किए जा रहे initiative से मैं बहुत प्रभावित हूं। यह विषय मेरे दिल के बहुत करीब है।
मैंने अनेकों बार विभिन्न मंचों से यह इच्छा जाहिर की है कि प्रत्येक बच्चे तक शिक्षा की रोशनी पहुंचे।
बच्चे हमारे देश की अमूल्य निधि हैं।
बच्चों के भविष्य निर्माण के लिए किया गया हर प्रयास समाज और देश का भविष्य संवारेगा।
जैसा कि आप जानते हैं, भारत आज विश्व में अग्रणी देशों में से एक बनने की दहलीज पर खड़ा है। हमारे पास एक समृद्ध demographic dividend है जिसका हमें लाभ उठाना चाहिए। भारत की 65 प्रतिशत से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है।
यदि हम अपनी युवा शक्ति की पूरी क्षमता का उपयोग करते हैं तो, उनकी प्रतिभा और रचनात्मक ऊर्जा भारत को विश्व मंच पर सबसे मजबूत देशों की श्रेणी में शामिल कर देगी।
शिक्षा परिवर्तन का सबसे शक्तिशाली agent है जो विकास की गति को तेज कर सकता है।
स्कूली शिक्षा छात्रों को जीवन भर सीखने और तेजी से बदलती दुनिया में एक सक्रिय व जिम्मेदार भागीदारी के लिए तैयार करती है।
भारत सरकार माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में, देश के शैक्षिक परिदृश्य को बदलने और इसे अधिक न्यायसंगत, समावेशी और सुलभ बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
हमें समाज के वंचित वर्ग तक शिक्षा पहुंचाने के इस राष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा बनना चाहिए।
एक बात और, देश की वृद्धि एंव विकास के लिए सभी व्यक्ति, व्यक्तिगत रूप से जिम्मेवार हैं। लोगों को लाओ तुज़ के प्रसिद्ध कथन, ‘‘हज़ारों कोसों की यात्रा एक कदम से शुरू होती है’’, को कभी भूलना नहीं चाहिए।
सभी को अपने मौलिक कर्तव्यों को बारे में जानकारी रखनी चाहिए और उन्हें नज़रअंदाज किए बिना अनुकरण करना चाहिए।
देश के अच्छे व जिम्मेवार नागरिक होने के नाते, सभी को अपने कर्तव्य पूरी निष्ठा व ईमानदारी से निभानें चाहिए।
हमें देश के जिम्मेदार नागरिक के तौर पर क्या करना चाहिए? इसका जवाब खोचना कोई पहेली नहीं है। संविधान इस प्रश्न का उत्तर देता है।
संविधान के भाग-4 में देश के नागरिकों के कर्तव्य बताए गए हैं।
इसमें बताया गया है कि हम राष्ट्रीय एकता व अखंडता की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करें। देश की तरक्की में अपना योगदान दें। राष्ट्रीय सम्पत्ति को नुकसान न पहुंचाए। यही नहीं, इसमें अभिभावाकों को यह भी बताया गया है कि वे अपने 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कोई काम में न लगाएं, बल्कि उन्हें पढ़ाए लिखाएं और योग्य बनाएं।
बन्धुओं,
व्यक्ति से समाज, और समाज से राष्ट्र का निर्माण होता है।
एक जिम्मेदार व्यक्ति की समाज और राष्ट्र के प्रति भी जिम्मेदारी होती है। मेरा मानना है कि एक अच्छे समाज का निर्माण करने के लिए हमें अपने पारिवारिक दायित्वों के साथ-साथ देश और समाज के प्रति दायित्वों का निर्वाह भी पूरी ईमानदारी से करना चाहिए।
यह देश के विकास के लिए बहुत आवश्यक है और यह तभी संभव हो सकता है जब देश के नागरिक अनुशासित, समय के पाबंद, कर्तव्य परायण और ईमानदार नागरिक हों।
हमें जरूरतमंदों की मदद करते रहना चाहिए।
मुझे ज्ञात हुआ है कि Noble Foundation under privileged बच्चों को primary education प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें secondary education मुहैया करवाने के लिए Gurukul शुरू करने की इच्छा रखती है।
मेरी शुभकमानाएं और आशीर्वाद आपके साथ है। आप इस नेक कार्य में अवश्य सफल होंगे।
धन्यवाद,
जय हिन्द!