SPEECH OF HONOURABLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF STATEHOOD DAY CELEBRATION OF UTTRAKHAND AT PUNJAB RAJ BHAWAN, CHANDIGARH ON 09TH NOVEMBER, 2023 AT 4.00 PM

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  • 2023-11-09 18:10

मित्रों,
यह दूसरी बार है जब हम नवंबर के महीने में अपने किसी भारतीय राज्य का स्थापना दिवस मना रहे हैं।
इससे पहले हमने 1 नवंबर को पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ सहित कुल 13 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों का स्थापना दिवस मनाया था।
मित्रों,
आज हम देवभूमि, तपोभूमि और वीर-भूमि उत्तराखंड के स्थापना दिवस के अवसर पर यहां एकत्रित हुए हैं।
इस अवसर पर समस्त देशवासियों और विशेषकर उत्तराखंड के लोगों को मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
अलग से उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर कई वर्षों तक चले आंदोलन के बाद आखिरकार 9 नवंबर 2000 को उत्तराखण्ड को सत्ताइसवें राज्य के रूप में भारत गणराज्य में शामिल किया गया था।
वर्ष 2000 से 2006 तक इसे उत्तरांचल के नाम से पुकारा जाता था, लेकिन जनवरी 2007 में स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इसका आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।
उत्तराखंड संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ ‘‘उत्तरी क्षेत्र’’ है।
उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि कई प्राचीन धार्मिक स्थलों के साथ ही यह राज्य हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र मानी जाने वाली देश की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना का उद्गम स्थल भी है।
यहां चार सबसे पवित्र और श्रद्धेय हिंदू मंदिर भी हैं जिन्हें उत्तराखंड के चार धाम के रूप में भी जाना जाता है - बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री।
हज़ार वर्षों से भी अधिक समय से तीर्थयात्री मोक्ष और पाप से मुक्ति व शुद्धिकरण की खोज में यहाँ आते रहे हैं।
उत्तराखंड हिमालय का आंगन है।
उत्तराखंड विशाल हिमालय, शिवालिक पर्वतमाला, गढ़वाल पहाड़ियों और कुमाऊं पहाड़ियों से घिरा हुआ है।
यह ग्लेशियर, नदियों, घने जंगल और बर्फ से ढके पर्वतों की प्राकृतिक सुंदरता की भूमि है।
उत्तराखंड राज्य में स्थित हरिद्वार हिन्दुओं का मुख्य तीर्थ स्थल है जिसकी भारत के सबसे बड़े धार्मिक नगरों में गिनती की जाती है।
कहते हैं कि जब राजा भागीरथ गंगा जी को धरती पर लाए तो यह हरिद्वार के इसी रास्ते से गुजरी थी और इसी कारण हरिद्वार को गंगा का प्राचीन द्वार भी कहते हैं।
उत्तराखण्ड केवल हिन्दुओं के लिए ही तीर्थस्थल नहीं है। हिमालय की गोद में स्थित हेमकुण्ड साहिब, सिखों का तीर्थ स्थल है। मिंद्रोलिंग मठ और उसके बौद्ध स्तूप से यहाँ तिब्बती बौद्ध धर्म की भी उपस्थिति है।
यहां नैनीताल, अल्मोड़ा, भीमताल, रानीखेत और मसूरी जैसे पर्यटन स्थल मौजूद हैं। 
उत्तराखंड में स्थित फूलों की घाटी सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में भी शामिल है।
यह राज्य भारत के सबसे अधिक देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है।
कहा जाता है कि महान ऋषि वेद व्यास जी ने महाभारत की रचना इसी धरती पर की थी और गुरू द्रोणाचार्य जी का आश्रम भी यहीं पर था।
ऐसा माना जाता है कि पांडव अपनी अंतिम यात्रा पर उत्तराखंड में रुके थे। 
स्वामी विवेकानन्द द्वारा स्थापित प्रसिद्ध अद्वैत आश्रम राज्य के चम्पावत जिले के मायावती में स्थित है।
उत्तराखंड के लोग बहुत ही शांति प्रिय हैं। कोई भी त्योहार या पर्व हो, सभी धर्मों के लोग बहुत ही सद्भाव से मनाते हैं।
यहां की प्राकृतिक सुंदरता और यहां के लोगों के प्रेमपूर्ण व्यवहार ने स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी से लेकर प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत को मंत्रमुग्ध किया था। 
स्वतंत्रता सेनानी व उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री श्री गोविन्द बल्लभ पंत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, महान पर्यावरण-चिन्तक एवं चिपको आन्दोलन के प्रमुख नेता श्री सुंदरलाल बहुगुणा, पहाड़ी संस्कृति को अन्तराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले मोहन उप्रेती जैसी महान विभूतियों और प्रमुख हस्तियों की भूमि है उत्तराखंड।
राइफलमैन जसवंत सिंह रावत से लेकर देश के पहले Chief of Defence Staff रहे जनरल बिपिन रावत तक, इस पहाड़ी राज्य ने मां भारती को कई वीर सपूत दिए हैं। 
सदियों पहले भी इसी धरती पर एक ऐसे सपूत ने जन्म लिया था जिसका नाम आज भी राज्य और देश को गर्व से भर देता है। तब भारत गुलाम था और इस सैनिक ने ब्रिटेन की ओर से जर्मनी के खिलाफ पहला विश्वयुद्ध लड़ा था।
गढ़वाल राइफल्स ने तब इसी सैनिक के बूते न सिर्फ जर्मनी की सेना को शिकस्त दी थी बल्कि पहाड़ी रणबांकुरे दरबान सिंह नेगी को उनके अदम्य साहस के लिए विक्टोरिया क्रॉस से भी सम्मानित किया गया था।
यहां की कुछ महिला शक्तियों की बात की जाए तो उनमें रानी कर्णावती जैसी वीरांगना, गौरा देवी जैसी वन संरक्षक और माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने वाली पहली महिला बछेंद्री पाल जैसी वीरांगना शामिल हैं जिनकी जीवनगाथाओं में गरिमा और शक्ति का अंश मिलता है।
उत्तराखंड आधुनिक चिकित्सा और आयुर्वेद के क्षेत्र में नए संस्थान स्थापित कर रहा है।
उत्तराखंड में Naturopathy के अनेक प्रसिद्ध केंद्र हैं जहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग आकर स्वास्थ्य-लाभ लेते हैं। 
यह लोक-मान्यता है कि लक्ष्मण जी के उपचार के लिए इसी क्षेत्र के द्रोण-पर्वत को ‘संजीवनी बूटी’ सहित हनुमान जी लेकर गए थे।
इस तरह आध्यात्मिक शांति और शारीरिक उपचार दोनों ही दृष्टियों से उत्तराखंड कल्याण का स्रोत रहा है।
उत्तराखण्ड के शैक्षणिक संस्थान भारत और विश्वभर में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये एशिया के कुछ सबसे पुराने इंजीनियरिंग संस्थानों का गृहस्थान रहा है, जैसे IIT Roorkee (पूर्व रुड़की विश्वविद्यालय) और पन्तनगर का गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवँ प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय। 
इनके अलावा विशेष महत्व के अन्य संस्थानों में, देहरादून स्थित Indian Military Academy, Wildlife Institute of India और द्वाराहाट स्थित कुमाऊँ इंजीनियरिंग कॉलेज भी हैं।
पर्वतों, तीर्थस्थलों, प्राकृतिक सुंदरता, विविध संस्कृतियों, प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों और सेना की धरती कहे जाने वाले उत्तराखण्ड के स्थापना दिवस की आप सभी को एक बार फिर से बहुत-बहुत बधाई।
अंत में, मैं उत्तराखण्ड के सुप्रसिद्ध कवि, श्री सुमित्रानंदन पंत की कुछ पंक्तियों के साथ अपनी बात समाप्त करना चाहूंगाः
कोटि-कोटि हम श्रमजीवी सुत
सर्व एक मत, एक घ्येय रत,
जय भारत हे,
जाग्रत भारत हे।
अर्थात
हम हजारों मेहनतकश सपूतों का एक ही मत और एक ही ध्येय है और वो है, जय भारत, जय जागृत भारत।
धन्यवाद 
जय हिन्द!