SPEECH OF HONOURABLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF 18th TFT Winter National Theatre Festival 2023 AT PUNJAB KALA BHAWAN, SECTOR-16, CHANDIGARH ON 21st NOVEMBER, 2023

  • PRB
  • 2023-11-21 19:30

सिटी ब्यूटीफुल में एक महीने तक चलने वाले थिएटर फॉर थिएटर-विंटर नेशनल फेस्टिवल 2023 का उद्घाटन करते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है। जो कि शायद, Asia का सबसे बड़ा नाट्य उत्सव है।
ऐसे आयोजनों से कलाकारों, अभिनेताओं, गायकों, लेखकों और कला एवं संस्कृति के क्षेत्र से जुड़े अन्य लोगों की रुचि को बढ़ावा मिलता है और उनका मनोबल बढ़ता है।
जैसा कि हम जानते है, चंडीगढ़ में रंगमंच की पहली दस्तक, शहर के जन्म के साथ वर्ष 1950 में हो गई थी।
आधुनिक शहर के निर्माण में अपना योगदान देने के लिए उत्तराखंड, हिमाचल, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के प्रवासी लोग यहां कामकाज की तलाश में आए।
वे नवनिर्मित शहर में दिन भर कड़ी मेहनत-मजदूरी के बाद, शाम को अपने मनोरंजन के लिए, अपने प्रांतों की लोक-कलाओं को अस्थाई रिहायशी-चौपालों में प्रस्तुत करते। 
इसलिए चंडीगढ़ की कला एवं संस्कृति में इन प्रदेशों की कला का मिश्रण हम देखते हैं।
मुझे बताया गया है कि साल 1999-2000 में Theatre For Theatre (TFT)  ने एक साल में, एक स्थान पर, लगातार 225 दिन, नाटक ‘‘कोर्टमार्शल’’ का मंचन करके एक नया कीर्तिमान स्थापित किया 
ऐसे प्रयोजन द्वारा TFT ने नई सदी में चंडीगढ़ रंगमंच की नींव को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया ।
चंडीगढ़ शहर में सालाना अनेकों नाट्य उत्सवों का आयोजन हो रहा है, भारत के किसी अन्य शहर में शायद ही इतने ज्यादा नाट्य उत्सवों का आयोजन हो रहा हो। 
यह चंडीगढ़ रंगमंच के लिए एक गर्व की बात है।
भारत विभाजन के समय वर्ष 1947 में लाल लकीर के बंटवारे में पंजाब का सांस्कृतिक केंद्र-लाहौर हम से छूट गया था। परंतु आज रंगकर्मियों तथा रंगप्रेमियों के सतत प्रयास से चंडीगढ़ विश्व का विशाल सांस्कृतिक केंद्र स्थापित हो चुका है। 
मित्रों,
नाटक एवं रंगमंच एक गंभीर कला है जिसका संदेश गंभीर होता है। यह समाज को नई दिशा तथा दशा से अवगत करवाता है और जिसे लंबे समय के लिए दर्शक की मानसिकता का हिस्सा बन जाता है।
जिस तरह हवा और पानी जैसे प्राकृतिक उपहार मानवीय सीमाओं को नहीं मानते, उसी तरह संगीत-नाटक जैसी काल विधाएँ भी भाषा तथा भौगोलिक सीमाओं से ऊपर होती है।
इनके माध्यम से लोक कल्याणकारी भावनओं का प्रसार किया जा सकता है।
मेरा मानना है कि भारतीय कलांए भारत की soft-power का भी सर्वोत्तम उदाहरण हैं। थिएटर में एक साइलेंट पावर (Silent Power) है; साइलेंट पावर वो है जो बिना बताए आपको सिखा रही है, नया idea बता रही है। एक नई सोच देती है जो स्वतः ही उत्प्रेरक (Catalyst) एजेंट की भूमिका निभाती है। कई नाटक लोगों में विचार प्रक्रिया के कुछ नए बीज बोते हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के माध्यम से भौतिक समृद्धि किसी भी आधुनिक समुदाय के लिए निस्संदेह आवश्यक है। लेकिन सांस्कृतिक शून्यता (Cultural Vaccum) में आर्थिक प्रगति अपने आप में आत्माहीन (Soul-less) होगी। एक राष्ट्र को बौद्धिक और आध्यात्मिक दिशा प्रदान करने के लिए मूल्यों और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों की आवश्यकता होती है।
जैसे, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, कई दिग्गजों ने अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए दृश्य और प्रदर्शन कलाओं में अपनी रचनात्मक ऊर्जा का उपयोग किया। कला के माध्यम से ब्रिटिश जुल्म की कहानियों को सशक्त तरीके से व्यक्त किया गया।
हम सब जानते हैं कि देश अमृत काल खंड की और अग्रसर हो रहा है और वर्ष 2047 तक भारत आजादी के सौ वर्ष पूर्ण कर लेगा। आजादी के इस अमृत कालखंड में भारत के प्रत्येक जिले की मिट्टी के अमृत कलश दिल्ली के कर्तव्य पथ पर शहीदों को, भारत के शूरवीरों, तथा वीरांगनाओं की स्मृति में अमृत वाटिका का निर्माण भी किया गया है।
ऐसे में राजा नाहर सिंह के जीवन पर आधारित नाटक का मंचन सराहनीय है। उनकी छोटी सी सेना ने अकेले ही ब्रिटिश शाशन को जड़ से उखाड़ने का निश्चय कर लिया था।
इस महत्वपूर्ण गाथा को दर्शकों के सामने रख कर आपने नाहर सिंह की वीरता और उनके स्वतंत्र भारत के सपने को जिवंत किया है।
मैं आप सभी को रंगमंच को बढ़ावा देने में आपके शानदार प्रयासों के लिए बधाई देना चाहता हूं। इस नाट्य उत्सव में पूरे देश से लगभग 700 से 800 कलाकार हिस्सा लेने के लिए आएं हैं। देश के विभिन्न प्रांत हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड, दिल्ली, महाराष्ट्र, बिहार, इत्यादि राज्य के ख्याति प्राप्त डायरेक्टर अपना अपना नाटक लेकर आएं है। मैं सभी का अभिनंदन करता हूँ।
आशा करता हूं कि भविष्य में भी आप निरंतर इस प्रकार के उत्साहजनक कार्यक्रम करते रहेंगे। 
धन्यवाद
जय हिन्द!