SPEECH OF HONORABLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF STATEHOOD DAY CELEBRATION OF UTs OF JAMMU AND KASHMIR AND LADAKH AT PUNJAB RAJ BHAWAN, CHANDIGARH ON 31ST OCTOBER,2023

  • PRB
  • 2023-10-31 17:30

बन्धुओं,
आज हम फिर से ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को प्रदर्शित करते आज के इस राज्य स्थापना दिवस समारोह में उपस्थित हुए हैं।
आज हम केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर तथा केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख का स्थापना दिवस मना रहे हैं।
इससे पहले हमने गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, सिक्किम, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के स्थापना दिवस पूरे जोश और उत्साह से मनाए हैं।
इसी कड़ी में हम कल भी पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ सहित कुल 13 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों का स्थापना दिवस मनायेंगे।
यही खूबसूरती है हमारे देश की - ‘‘फूल भिन्न-भिन्न पर गुलदस्ता एक’’। 
एक ज़माने में हम पर शासन करने वाले अंग्रेज़ों को हमारी विविधता हमारी दुर्बलता लगती थी, लेकिन रचनात्मक दृष्टिकोण से देखा जाए तो विविधता में एकता हमारी विशेषता और सबसे बड़ी शक्ति है। 
सबके साथ जीने के हमारे संस्कार ही भारत की विशेषता है। 
हमारी अलग संस्कृतियां, भाषाएं, वेशभूषाएं और खानपान होते हुए भी हम सब भारतीय हैं।
दुनिया के किसी भी देश में इतनी विविधता नहीं है जितनी हमारे भारत में है।
आज, जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख स्थापना दिवस पर पूरे देश और विशेषकर जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख के लोगों को मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। 
कश्मीर का प्राचीन काल से एक समृद्ध और जीवंत सांस्कृतिक इतिहास रहा है। 
इसकी मनमोहक सुंदरता ने दूर-दूर से विचारकों और दार्शनिकों, ऋषि-मुनियों और संतों, राजाओं और कुलीनों, यात्रियों और व्यापारियों को आकर्षित किया है। 
सदियों से, यह धरती विचारों का एक मिश्रण रही है, जहां ज्ञान, सहिष्णुता और सांस्कृतिक एकजुटता की बेहतरीन परंपराओं का जन्म हुआ है। 
चाहे इस्लाम हो, हिंदू धर्म हो, सिख धर्म हो या बौद्ध धर्म, ये सभी धर्म सदियों से जम्मू और कश्मीर के आध्यात्मिक परिदृश्य का हिस्सा रहे हैं।
माता वैष्णो देवी और हजरतबल की रहमत से महफूज तथा भक्त कवियित्री लल्लेश्वरी और नन्द ऋषि की दुआओं से भरी-पूरी जम्मू-कश्मीर की सरजमीन को मैं सलाम करता हूँ।
जैसा कि सभी जानते हैं, साहित्य में वीर रस, हास्य रस तथा रौद्र रस जैसे नौ रस माने जाते हैं, जिन्हें नव-रस कहते हैं। अभिनवगुप्त, जिन्होंने धर्म और साहित्य दोनों क्षेत्रों में अद्भुत योगदान दिया, उन्होंने कहा था कि शांत रस सभी रसों का केन्द्र या स्रोत है। जम्मू और कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता, इसके विभिन्न मौसम और पानी की प्रचुरता इसे पृथ्वी का स्वर्ग और शांत रस का स्त्रोत बनाती है। 
मुग़ल बादशाह जहांगीर ने कश्मीर के बारे में कहा थाः
‘‘अगर फ़िरदौस बर-रू-ए-ज़मीं अस्त,
ओ हमीं अस्त, ओ हमीं अस्त, ओ हमीं अस्त’’
अर्थात, अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है, यहीं है।
आइए, हम सब मिलकर जम्मू-कश्मीर को धरती पर फिरदौस (स्वर्ग) बनाए रखने का प्रयास जारी रखें।
लद्दाख की धरती के बारे में क्या कहूँ! लद्दाख वीरों की धरती है। 
चाहे 1947 हो या 1962 की जंग या फिर कारगिल की लड़ाई, वीर फौजियों ने तथा लेह और कारगिल के जांबाज लोगों ने देश की सुरक्षा निश्चित की है। 
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के पारित होने के बाद, 31 अक्टूबर 2019 को लद्दाख को भारत के केंद्र शासित प्रदेश के रूप में स्थापित किया गया था। 
लद्दाख भारत का सबसे बड़ा और दूसरा सबसे कम आबादी वाला केंद्र शासित प्रदेश है।
लद्दाख ‘ऊंचे दर्रों की भूमि’ है, खुबसूरत पहाड़ियों से सुशोभित लद्दाख अनेक नदियों का स्त्रोत भी है। 
यहां पर्यटकों के लिए प्राकृतिक सौंदर्य के आनंद से लेकर ट्रेकर्स, बाइकर्स, साइक्लिस्ट, क्लाइंबर्स आदि के लिए एडवेंचर के अवसरों तक काफी कुछ है। 
ऐसा कहा जा सकता है कि लद्दाख साहसिक खेलों के लिए एक स्वर्ग है।
साथ ही, हेमीज, अल्की, थिकसे की मोनेस्ट्रियां लद्दाख को एक सांस्कृतिक और विरासत का केंद्र बनाती हैं।
लेह-लद्दाख का इलाका आध्यात्म, कला, संस्कृति, प्रकृति की सुंदरता और साहसिक खेलों के लिए दुनिया का एक महत्वपूर्ण स्थान है।
जम्मू-कश्मीर के केसर का रंग हो या कहवा का स्वाद हो, सेब का मीठापन हो या खुबानी का रसीलापन, पश्मीना शॉल हो या फिर कलाकृतियां, लद्दाख के ऑर्गैनिक प्रॉडक्ट्स हों या फिर हर्बल मेडिसिन, यह सब दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं।
आप में से शायद ही कोई हो जिसे कश्मीरी पुलाव के स्वाद ने रिझाया न हो।
मित्रों,
जहां संस्कृति की धारा अविरल बहती हो, ऐसे बहुत कम देशों में से एक हमारा भारत है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए। 
देश को एक करना है तो कला, संस्कृति और देश का इतिहास ही कर सकता है और राज्यों के स्थापना दिवस समारोह इसका एक अनूठा माध्यम है। 
भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा सुझाए देश के सभी राज भवनों में राज्य स्थापना दिवस समारोहों के आयोजन की कड़ी में कल एक बार फिर, ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का जश्न मनाएंगे।
धन्यवाद,
जय हिंद!