SPEECH OF HONOURABLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR UT CHANDIGARH, SHRI BANWARI LAL PUROHIT, ADDRESSED STATEHOOD DAY AT GURU NANAK DEV AUDITORIUM, PUNJAB RAJ BHAWAN, CHANDIGARH ON NOVEMBER 1, 2023, AT 4 PM

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  • 2023-11-01 19:30

सर्वप्रथम मैं पंजाब, हरियाणा, आन्ध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु राज्यों (8 राज्यों) के साथ-साथ चंडीगढ़, दिल्ली, लक्षद्वीप, पुडुचेरी, अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह के केन्द्रशासित प्रदेशों (5 केन्द्र शासित प्रदेशों) को आज स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। 
आज का यह अवसर हमारे लिए ख़ास है क्योंकि एक साथ इतने सारे प्रदेशों के स्थापना दिवस पूरे भारत की विविध संस्कृतियों के सुमेल का एक साथ जश्न मनाने का अवसर है।
इससे पहले हमने गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, सिक्किम, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के स्थापना दिवस पंजाब राजभवन के प्रांगण में पूरे हर्षोल्लास से मनाए थे। अभी कल ही हमने केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख का स्थापना दिवस भी पूरे उत्साह के साथ मनाया।
मित्रों,
हमारा देश भारत विविधता से परिपूर्ण देश है; “विविधता में एकता” भारतीय समाज की महत्त्वपूर्ण विशेषता है।
यह वाक्यांश इस बात का भी सूचक है कि भारत किस प्रकार से विविधतापूर्ण संस्कृति, सामाजिक और जातीय तत्त्वों को अपनाते हुए निरंतर आगे बढ़ रहा है।
विभिन्न प्रदेशों के लोग आज इस अवसर पर यहां एक साथ उपस्थित हैं जो हमारी ‘विविधता में एकता’ की ताकत को दर्शाता है। 
हमारा संविधान ही देखें। संविधान में भी हमारे अधिकारों में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति के साथ धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। उनको अवसर प्रदान करने में भी भेदभाव नहीं किया जाएगा। 
फिर चाहे, भारतीय सेना हो या फिर किसी खेल से जुड़ी कोई टीम, किसी भी क्षेत्र में देखिए सब धर्म के लोग होंगे और वे केवल राष्ट्र के लिए खेलते हैं उनके लिए राष्ट्र धर्म ही एक धर्म है जो भारत में विविधता में भी एकता के मूल्य को दर्शाता है।
और इसी विवधता में एकता की हमारी प्राचीन परंपरा को आगे बढ़ाते हुए हम सभी आज यहां विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के स्थापना दिवस का जश्न मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। 
आंध्र प्रदेश
सबसे पहले भगवान श्रीवेंकटेश्वर बालाजी की पवित्र धरती आंध्र प्रदेश को को मेरा प्रणाम। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री मल्लिकार्जुन जी यहां विराजमान हैं।
यह महापुरुषों और महान उपलब्धिकर्ताओं की भूमि है।
आज से लगभग 550 वर्ष पहले जन्मी आंध्र प्रदेश की महान सुपुत्री और पूरे भारत का गौरव बढ़ाने वाली कवयित्री मोल्ला ने एक अद्भुत महाकाव्य की रचना की जिसे मोल्ला-रामायण के नाम से भारतीय साहित्य में उच्च स्थान प्राप्त है।
आंध्र प्रदेश में जन्म लेने वाली दुर्गाबाई देशमुख ने आज से लगभग 100 वर्ष पहले महिलाओं की उन्नति तथा स्वाधीनता संग्राम में उनकी भागीदारी के लिए अनेक प्रयास किए। 
आंध्र की बहू सरोजिनी नायडू ने महात्मा गांधीजी के ‘‘नमक सत्याग्रह’’ में अग्रणी भूमिका निभाई। स्वाधीन भारत में किसी भी राज्य की पहली महिला राज्यपाल के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश में कार्यभार संभाला था। 
मित्रों,
हमारे देश के स्वाधीनता संग्राम में आंध्र के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। 
25 वर्ष की अल्पायु में वीरगति को प्राप्त होने वाले बिरसा मुंडा जैसी विभूतियों ने भारत के स्वाधीनता संग्राम को जो योगदान दिया। इस विषय में हमारी युवा पीढ़ी को भली-भांति परिचित होना चाहिए। 
छत्तीसगढ़
मराठा शासन के दौरान इसका नाम छत्तीसगढ़ रखा गया था, जिसका अर्थ है छत्तीस किलों की भूमि। 
छत्तीसगढ़ अपनी प्राकृतिक विविधता, सांस्कृतिक और पारंपरिक इतिहास के लिए प्रसिद्ध है।
भारत की सबसे पुरानी जनजातियाँ भी यहाँ रहती हैं, उनमें से कुछ तो लगभग 10 हजार साल से इस राज्य का हिस्सा बनी हुई हैं। 
हरियाणा
श्रीमद् भगवद्-गीता के उद्गम स्थल हरियाणा की पावन धरती को भी मेरा प्रणाम।
हरियाणा को दूध और मक्खन की भूमि के रूप में जाना जाता है। दूध, घी और छाछ यहां बेहद खास हैं। 
हरियाणा खेल के क्षेत्र में देश के एक अग्रणी राज्यों में शामिल है। 
हरियाणा के बेटे-बेटियों ने खेल क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य का और भारत का मस्तक ऊंचा किया है।  
अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कल्पना चावला ने पूरे विश्व में हरियाणा का गौरव बढ़ाया। 
हरियाणा से अब तक तीन आर्मी चीफ जनरल दीपक कपूर, जनरल वी.के. सिंह और जनरल दलबीर सिंह सुहाग भारत की सेना को अपना उच्च स्तरीय योगदान दे चुके हैं। 
इस पड़ोसी प्रदेश से मेरा भी नाता हैः- 
भारतीय राजनीति में अपना प्रतिष्ठित स्थान बनाने वाली, मेरी बहन जैसी, स्वर्गीय सुश्री सुषमा स्वराज इसी धरती की सुपुत्री थीं। वे 25 वर्ष की आयु में हरियाणा सरकार में केबिनेट मंत्री बनीं और बाद में दिल्ली की प्रथम महिला मुख्यमंत्री बनीं।
कर्नाटक
बन्धुओं,
कर्नाटक अध्यात्म, दर्शन, साहित्य, संगीत, कला, भवन-निर्माण और सुंदर उद्यानों के प्रतिमान स्थापित करता रहा है।
UNESCO की World Heritage Sites की सूची में शामिल हम्पी के अवशेष भारत की ऐतिहासिक समृद्धि और भव्यता का उदाहरण हैं। 
जिस प्रकार यहां के चन्दन की सुगंध पूरे देश को तथा विश्व के अन्य देशों को सुवासित करती है वैसे ही कर्नाटक वासियों का मधुर स्वभाव भी पूरे देश और विश्व में सराहा जाता है। 
कर्नाटक हमारे देश के प्रमुख education और research hub के रूप में अमूल्य योगदान दे रहा है।
केरल
केरल की बात करें तो भगवान विष्णु का घर है केरल, विशेषकर तिरूवनन्तपुरम। 
केरल के हरे-भरे जंगल, सुंदर समुद्र तट और इससे टकराती लहरें, आकर्षक पहाड़ियाँ, मनमोहक झीलें, बहती नदियाँ, लहराते नारियल के पेड़ और समृद्ध जैव विविधता इसे ‘ईश्वर का स्थान’ बनाते हैं। 
बन्धुओं,
केरल के सामाजिक ताने-बाने के हर वर्ग के पास इतिहास के विभिन्न कालखंडों में महिला सशक्तिकरण के अनूठे आदर्श हैं। 
हमारी संविधान सभा में 15 महिला सदस्य थीं। उनमें से तीन अकेले केरल से थे। अम्मू स्वामीनाथन, दाक्षायनी वेलायुधन और एनी मास्कारेन अपने समय से बहुत आगे थे। 
भारत में हाई कोर्ट जज बनने वाली पहली महिला जस्टिस अन्ना चांडी थीं। वह 1956 में केरल उच्च न्यायालय में न्यायाधीश बनीं (जबकि डेम एलिजाबेथ लेन  ब्रिटेन में उच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश 1965 में बनी थी)। 
इसी तरह न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी ने सर्वोच्च न्यायालय में पहली महिला न्यायाधीश बनकर कानूनी इतिहास रचा। 
यहां की ‘पय्योली एक्सप्रेस’ के नाम से जानी जातीं पी.टी. उषा बाद की पीढ़ियों की लड़कियों के लिए खेल को करियर के रूप में अपनाने और भारत का गौरव बढ़ाने के लिए प्रेरणा रही हैं।
केरल में लिंगानुपात देश में अब तक सबसे अच्छा है। केरल में महिला साक्षरता सहित साक्षरता दर भी सबसे अधिक है।  
मध्यप्रदेश
माँ नर्मदा के जल से सिंचित है मध्यप्रदेश की पावन धरती। 
मध्यप्रदेश की महान धरती ने अनेक महान विभूतियों को जन्म दिया है। 
भारत रत्न बाबासाहेब डॉक्टर आम्बेडकर, भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा इसी धरती के सपूत थे। पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी भी इसी धरती के सपूत थे। 
मध्य प्रदेश में एक तरफ अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य है तो दूसरी तरफ यहां अत्यंत समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत विद्यमान है। 
भारतीय साहित्य के सर्वश्रेष्ठ महाकवि कालिदास तथा संगीत सम्राट तानसेन से लेकर सुर साम्राज्ञी भारत रत्न लता मंगेशकर तक, अनेक प्रतिभाओं ने यहां की धरती पर जन्म लिया है। 
मध्य प्रदेश में, अनेक महारानियों ने अपने उत्कृष्ट शासन की छाप छोड़ी है। इंदौर की अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करके देश की आध्यात्मिक परंपरा में मध्य प्रदेश के योगदान की अमिट गाथा लिखी है।
पंजाब
पंजाब की बात करें तो इसकी बात ही निराली है।
पंजाब के लोग आतिथ्यकारी लोग हैं जो पूरी दुनिया में अपने आतिथ्य सत्कार के लिए जाने जाते हैं।
आतिथ्य पंजाब के लोगों के लिए केवल एक शब्द नहीं है - यह उनकी एक परंपरा है। पंजाब के लोग बहुत बड़े दिल वाले हैं।
गुरूओं, पीरों व वीरों की धरती है ये।
गरू नानक देव जी से लेकर गुरू गोबिंद सिंह जी तक, निडरता, इंसाफ की तरफदारी व बलिदानों की एक महान परंपरा है।
गुरू गोबिन्द सिंह जी को सरबंसदानी कहा जाता है। उन्होंने अपने सभी पुत्रों का बलिदान दिया।
उनके पिता नौवें गुरू, श्री तेग बहादुर जी ने मानव अधिकारों की रक्षा के लिए अपने प्राण दिए। उन्हें ‘‘हिन्द की चादर’’** की उपधि दी गई है।
1960 के दशक में जब हमारा देश खाद्य संकट के दौर से गुजर रहा था तब पंजाब और हरियाणा के किसान भाई-बहनों ने आधुनिक पद्धतियों और कठिन परिश्रम से हरित क्रांति को सफल बनाया। उस क्रांति के परिणाम-स्वरूप देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हुई।
सामाजिक तथा धार्मिक सुधार से लेकर स्वाधीनता संग्राम तक, कृषि क्रांति (अन्न भण्डार में योगदान) से लेकर औद्योगिक विकास तक, पंजाब ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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बात उन दिनों की है जब मुगल सम्राट औरंगजेब हिंदुओं को जबरन इस्लाम में धर्मांतरित करने में लगा हुआ था। उस अभियान के दौरान, औरंगजेब ने लगभग 500 कश्मीरी हिंदू पंडितों को पकड़ कर उनके सामने धर्म परिवर्तन या मृत्यु का विकल्प रखा। 
उन्होंने गुरु तेग बहादुर जी से उनकी मदद करने और उनकी रक्षा करने का आग्रह किया। इस पर गुरु जी ने उन्हें हर तरह की मदद का आश्वासन दिया। 
उनके युवा पुत्र गोबिंद राय, जो बाद में महान गुरु गोबिंद सिंह जी के नाम से जाने गए, ने पिता से व्यक्तिगत रूप से मुगल सम्राट से मिलने के लिए दिल्ली जाने का आग्रह किया ताकि उन्हें उनके घृणित अभियान से रोका जा सके। 
औरंगजेब ने उन्हें दिल्ली जाते समय गिरफ्तार कर लिया और एक किले में रखा। उन्हें इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए हर प्रकार के प्रलोभन दिए गए, लेकिन गुरु तेग बहादुर जी एक अद्भुत व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने इस्लाम धर्म कबूल करने से इनकार कर दिया और फाँसी के लिए तैयार हो गए, और अपने सर्वोच्च बलिदान और मुगलों के अत्याचार और अन्याय के सामने झुकने से इनकार करने के लिए जाने गए। 
वह औरंगजेब को इस धर्म परिवर्तन के मार्ग पर न चलने से रोकने के लिए श्री आनंदपुर साहिब से दिल्ली तक गए, लेकिन मुगल सम्राट ने उनका सिर कलम कर दिया। चांदनी चौक दिल्ली में गुरुद्वारा शीश गंज साहिब उनकी फांसी की जगह है।
9वें सिख गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी के इस सर्वोच्च बलिदान के लिए मानवता हमेशा ऋणी रहेगी। उन्होंने सार्वभौमिक भाईचारे और धार्मिक स्वतंत्रता का संदेश प्रचारित किया। उन्होंने धर्म, मातृभूमि और लोगों के अधिकारों के लिए, उनकी जाति और धर्मों की परवाह किए बिना, सब कुछ बलिदान कर दिया। इसीलिए उन्हें ‘हिंद दी चादर’ के दुर्लभ सम्मान से नवाजा गया। 
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चंडीगढ़
चंडीगढ़ को पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों की राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। 
चंडीगढ़ भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के सपनों का शहर है।
चंडीगढ़ को भारत का एक आधुनिक और बेहद साफ-सुथरा शहर कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा।
प्रसिद्ध फ्रांसीसी वास्तुकार ली कार्बूजियर के द्वारा डिजाइन किया गया है यह शहर।
चंडीगढ़ का अधिकारिक LOGO (प्रतीक चिन्ह) ‘खुला हाथ’ है जो शांति और सुलह का खुला संदेश भेजता है।
मानव विकास सूचकांक में चंडीगढ़ भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सूची में शीर्ष स्थानों में है।
यहां के रोज़ गार्डन, रॉक गार्डन, Capitol Complex पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। 
हमें चंडीगढ़ में मिनी भारत के दर्शन होते हैं। इस शहर के सर्वांगीण विकास में कई समुदायों ने योगदान दिया है। 
अपनी सुंदरता, सफाई और हरियाली के कारण चंडीगढ़ को ‘सिटी ब्यूटीफुल’ कहा जाता है। 
तमिलनाडु
तमिलनाडु भारत का सबसे दक्षिणतम राज्य है। 
तमिलनाडु अपनी धार्मिक और विरासत के लिए प्रसिद्ध है।
श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग भी तमिलनाडु की इसी पावन धरती पर स्थित है।
इस राज्य का इतिहास अद्भुत रहा है। यहाँ के पर्यटन स्थल खान-पान, वेशभूषा तथा संस्कृति इसे महान बनाती है।
ज्ञान और वैज्ञानिक स्वभाव इस क्षेत्र के लोगों के आंतरिक लक्षण प्रतीत होते हैं। यही कारण है कि एस. रामानुजन, नोबेल पुरस्कार विजेता सी.वी. रमन और एस. चन्द्रशेखर जैसे महान गणितज्ञ और वैज्ञानिक इसी क्षेत्र से आए।
एकमात्र इंडियन गवर्नर जनरल, सी. राजगोपालाचारी और भारत के दो पूर्व राष्ट्रपति श्री आर. वेंकटरमन और डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम इसी धरती के महान सपूत हैं।
अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह
अंडमान और निकोबार की सेल्यूलर जेल में स्थित राष्ट्रीय स्मारक हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों की गवाही देता है। यह कई स्वतंत्रता सेनानियों की ज्वलंत देशभक्ति के प्रतीक के रूप में खड़ा है, जिन्होंने अपना युवा जीवन यहां कैद में बिताया।
बरेन्द्र नाथ घोष, वीर सावरकर और त्रैलोक्य महाराज जैसे महान देशभक्त, जिन्होंने अंग्रेजी शासन की ताकत को चुनौती देने का साहस किया था, को यहां लाकर सेल्यूलर जेल में बंद कर दिया गया।
यह खूबसूरत क्षेत्र भारत के Mainland से 1200 किमी दूर हो सकता है, लेकिन इसमें देश के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ हमारी मूल जनजातियों के निवासी भी रहते हैं। 
यह विविधता में एकता के सिद्धांत का उदाहरण है। इसका अनोखा और एकजुट बहु-सांस्कृतिक, बहुभाषी समाज देश के बाकी हिस्सों के लिए एक उदाहरण स्थापित करता है।
इन द्वीपों की अपार सुंदरता और वैभव, इसके समृद्ध वन और समुद्री संपदा, तटीय वनस्पति और जीव-जंतु, अनूठी सुंदरता वाले समुद्र तट एक प्राकृतिक चमत्कार हैं।
दिल्ली
दिल्ली सुंदर, सभ्य एवं भारत का दिल कहा जाने वाला राजधानी शहर है।
प्राचीन काल से ही दिल्ली न केवल एक राजधानी शहर के रूप में फली फूली बल्कि यह भारत का एक महत्वपूर्ण शिक्षा एवं व्यापार केंद्र भी था। 
दिल वालों का शहर है दिल्ली।
ऐसा कोई भारतीय नहीं होगा जिसका सिर देश की नई संसद को देखकर ऊंचा नहीं हुआ होगा। 
आज, हमारे पास दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक, पुलिस स्मारक और बाबा साहेब अम्बेडकर स्मारक हैं। 
आपने देखा होगा कि प्रधानमंत्रियों का संग्रहालय नई पीढ़ी को देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के बारे में जानने का अवसर प्रदान कर रहा है। 
जल्द ही, दिल्ली में, और यह आप सभी के लिए और दुनिया के लिए भी अच्छी खबर होगी, दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय युगे युगीन भारत भी बनने जा रहा है।
दिल्ली में सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक, इस प्रकार के तमाम रंगमंच पाए जाते हैं और शायद ही भारत के किसी अन्य राज्य में ऐसा नजारा देखने को मिलता हो। 
वास्तव में दिल्ली एक ऐसा शहर है जो प्रत्येक भारतवासी को प्रिय है। 
लक्षद्वीप
लक्षद्वीप की बात करें तो इस स्थान का नाम संस्कृत शब्द से आया है जिसका अर्थ है एक लाख द्वीप। 
इसका मतलब यह भी है कि उस प्राचीन काल में इतने सारे द्वीप रहे होंगे। मुख्य भूमि से कटा होने के कारण यहाँ लम्बे समय तक कोई मानव आबादी नहीं थी। लेकिन रोमांच और उद्यम की भावना ने लोगों को इस द्वीपसमूह की ओर आकर्षित किया होगा। 
इस शांत वातावरण में रहते हुए, लक्षद्वीप के लोगों का मन भी शांत रहता है। यहां का समाज समरसता में विश्वास रखता है।
पुडुचेरी
यह जानना बहुत दिलचस्प है कि पुडुचेरी ने इतिहास के विभिन्न चरणों में बहुत अलग कारणों से अलग-अलग लोगों को आकर्षित किया है।
लगभग 350 वर्ष पूर्व फ्रांसीसियों ने पुडुचेरी में अपने व्यापारिक केन्द्र स्थापित किए।
फ्रांसीसियों की औपनिवेशिक आकांक्षाओं के बिल्कुल विपरीत, महर्षि अरबिंदो ने 20वीं सदी में आध्यात्मिक शांति के लिए सबसे अच्छे निवास स्थान के रूप में इस स्थान को चुना। 
पुडुचेरी के हर हिस्से में पूजा स्थल देखे जा सकते हैं। पुडुचेरी को आध्यात्मिक पर्यटन के रूप में वर्णित किया जा सकता है।
फ्रांसीसी एन्क्लेव में रहने के बावजूद, पुडुचेरी के निवासी स्वतंत्रता संग्राम में समान रूप से सक्रिय थे। पुडुचेरी महान लेखकों और स्वतंत्रता सेनानियों का घर रहा है। श्रद्धेय तमिल कवि भारतीदासन का जन्म भी यहीं हुआ था। 
यह पवित्र भूमि कभी महान कवि, राष्ट्रवादी और समाज सुधारक महाकवि सुब्रमण्य भारती का निवास स्थान थी। उन्होंने पुडुचेरी में अपनी राष्ट्रवादी गतिविधियों को अंजाम दिया और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बन्धुओं,
आज ये जरूरी है कि हमारा चंडीगढ़ शहर और पंजाब हर स्तर पर प्रगति करे, हमारा देश चहुँ दिशा में प्रगति करे। इसके लिए हमें मिलकर काम करते रहना होगा।
मुझे पूरा विश्वास है कि गुरूओं, पीरों और बलिदानियों की यह धरती हमें हमारे संकल्पों के लिए सतत ऊर्जा देती रहेगी। 
हमारा देश अपने लक्ष्यों को जल्द पूरा करते हुए श्रेष्ठ भारत बनेगा। 
मैं सभी से एक साथ आने और एक मजबूत और नशामुक्त पंजाब बनाने का संकल्प लेने की अपील करता हूँ।
इसी कामना के साथ एक बार फिर आज के इस अवसर की आप सभी को बहुत-बहुत बधाई। बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!