SPEECH OF HONOURABLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF KRAFT MELA AND STATEHOOD DAY OF NAGALAND AT KALAGRAM, SEC 13, CHANDIGARH ON 1ST DECEMBER, 2023 AT 6.00 PM

  • PRB
  • 2023-12-01 19:30

देश के अनेक राज्यों से आए हुए कलाकारों और दस्तकारों का City Beautiful, चंडीगढ़ में स्वागत है। 
मैं दर्शकों का भी स्वागत करता हूं कि आप कलाओं के इस अनूठे संगम को देखने कलाग्राम आए।
आज नागालैंड का स्थापना दिवस है। 
माननीय प्रधानमंत्री जी की सोच को साकार करते हुए हम हर राज्य के स्थापना दिवस को राजभवन में उत्साहपूर्वक मना रहे हैं और उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र इन अवसरों पर बड़े सुंदर-सुंदर कार्यक्रम आयोजित करता आ रहा है। 
इस बार हमने ये सोचा कि नागालैंड का स्थापना दिवस कलाग्राम में मनाया जाए।
इसीलिए, क्राफ्ट फेयर का प्रवेश द्वार नागालैंड की शिल्पकला को समर्पित है। 
मैं, नागालैंड से आए कलाकारों और उत्तरपूर्व के नागरिकों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
आज पूरे देश के राजभवनों में नागालैंड राज्य के गठन के 6 दशक पूरे होने का जश्न पूरे हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है।
1 दिसंबर 1963 को नागालैंड के नए राज्य का उद्घाटन करते समय, डॉ. एस. राधाकृष्णन ने नागा लोगों की प्रशंसा करते हुए कहा था, ‘‘आपमें न केवल निष्ठा, वीरता और अनुशासन के गुण हैं, बल्कि मेहनत की आदत, सौंदर्य की सहज भावना और कलात्मक कौशल भी है... मुझे उम्मीद है कि सभी नागा लोग उन्हें मिले नए अवसरों का पूरा लाभ उठाएंगे और देश की समृद्धि और प्रगति के निर्माण में हिस्सा लेंगे।’’
खुशी की बात है कि नागालैंड ने विकास के विभिन्न मापदंडों में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
अपने पहाड़ों, सुरम्य परिदृश्य, जंगलों और हरियाली के कारण, नागालैंड को अक्सर ‘‘पूर्व का स्विट्जरलैंड’’ कहा जाता है।
नागा जनजातियाँ अपनी जीवंत संस्कृति और समृद्ध विरासत के लिए जानी जाती हैं।
गीत और नृत्य, दावतें और त्यौहार नागा जीवन का अभिन्न अंग हैं।
चंडीगढ़ क्राफ्ट फेयर की बात करूं तो मुझे यहां आकर बहुत अच्छा लगा। बहुत सी नई और कलात्मक चीजें दिख रही हैं। 
पूरे देश से आए लोक कलाकारों ने मुख्य द्वार पर ही ‘‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’’ की संकल्पना को जिस जीवंतता के साथ साकार किया है वो अपने आप में अद्भुत है। 
मेले की साज-सज्जा बहुत खूबसूरत है, पूरा मेला क्षेत्र मनोरम है।
ये मेले और इस प्रकार के उत्सव, हमें हमारी परंपराओं और जड़ों से जोड़ते हैं और आने वाली पीढ़ी के लिए एक समृद्ध विरासत छोड़कर जाते हैं। 
आज जबकि पश्चिम की अंधाधुंध दौड़ में हमारी नई पीढ़ी हमारी महान सांस्कृतिक विरासत से दूर हो रही है, ऐसे में उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र का ये प्रयास बहुत दूरगामी प्रभाव रखता है। 
ये लोक कलाएं ही हैं जो हमारी सामूहिक पहचान की द्योतक (indicative) हैं। इन लोक कलाओं से ही हमारी शास्त्रीय कलाओं का विकास होता है। 
मुझे बताया गया है कि लोक और शास्त्रीय कलाओं पर आधारित एक कार्यक्रम आज के उद्घाटन दिवस के लिए तैयार किया गया है। 
मुझे आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि न केवल आज की प्रस्तुति बल्कि आने वाले 9 दिनों में भी सभी प्रस्तुतियां आप सभी दर्शकों का मन मोह लेंगी।
मैं देख रहा था कि अलग-अलग प्रांतो से आए हुए दस्तकार और शिल्पकार भी अपने उत्पाद और कृतियां लेकर यहां आए हैं। इनकी अद्भुत कलाकारी देखकर मन रोमांचित हो उठता है। 
मैं चंडीगढ़ वासियों से आग्रह करता हूं कि इन दस्तकारों और शिल्पकारों से कुछ ना कुछ अवश्य खरीदें ताकि इन दस्तकारों की रोज़ी रोटी चले और शिल्प परंपरा आगे बढ़ती रहे।
इस मेले में चार लोक कलाकारों को अवार्ड मिला और अवार्ड स्वरूप नगद राशि भी। मैं उन चारों कलाकारों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। ये वो कलाकार हैं जिन्होंने लोक कलाओं के संरक्षण में अपना जीवन समर्पित कर दिया है।
अब ये अवार्ड लोक कलाकारों को हर वर्ष दिए जायेंगे, इसलिए सभी लोक कलाकारों से आग्रह करता हूं कि खू्ब मेहनत करें, हमारी कलाओं को आगे बढ़ाएं, हो सकता है अगला अवार्ड आपका हो।
मैं क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों के स्थापना के समय से ही इनसे जुड़ा रहा हूं और मेरा ये दृढ़ विश्वास है कि संस्कृति ही एक ऐसा तत्व है जो दिलों को दिलों से जोड़ता है, जो हमें राष्ट्रीय पहचान देता है और वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा को मज़बूती प्रदान करता है। हमारी संस्कृति के अनेक रंग हैं जो रंग बिरंगे फूलों की तरह हमारे महान देश को सुंदर बनाते हैं। 
भारतीय संस्कृति के उत्सव को सभी मिलकर मनाएं। 
दस्तकारों और शिल्पकारों से कुछ ना कुछ अवश्य खरीदें।
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र और चंडीगढ़ प्रशासन को इसके सफल आयोजन की बधाई। बहुत-बहुत शुभकामनाएं ।
धन्यवाद
जय हिंद!