SPEECH OF HONOURABLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF MILITARY LITERATURE FESTIVAL AT LAKE CLUB, SUKHNA LAKE, CHANDIGARH ON 3RD DECEMBER, 2023 AT 4.30 PM

  • PRB
  • 2023-12-03 18:30

मुझे आज के इस मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में उपस्थित होकर अत्यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है।
क्योंकि, यह हमारे देश के लिए मर-मिटने वाले वीर सैनिकों की वीर गाथाओं को याद करने का एक मंच है।
जानकर खुशी हुई कि मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल हर साल संयुक्त रूप से पंजाब सरकार, चंडीगढ़ प्रशासन और भारतीय सेना की पश्चिमी कमान द्वारा आयोजित किया जाता है।
MLF Association द्वारा इस वर्ष उत्सव के सातवें संस्करण का अयोजन किया गया। 
इस वर्ष यह महोत्सव, 1947-48 युद्ध के शहीदों को समर्पित रहा।
1947-48 युद्ध के दौरान हमारे बहादुर सैनिकों का शौर्य, आज भी बेहतरीन उदाहरण है।
इस तरह के आयोजन लोगों और विशेषकर युवाओं को हमारे सशस्त्र बलों द्वारा लड़ी गई लड़ाइयों की जानकारी हासिल करने तथा सैनिकों के अनुभवों से प्रेरित होने का अवसर प्रदान करते हैं।
मुझे बताया गया है कि मेले के इस संस्करण में अन्य कार्यक्रमों के अलावा ‘संवाद’ नामक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया जहां वीरता पुरस्कारों से सम्मानित सेवारत सेना अधिकारियों ने युवाओं के साथ बातचीत की। 
मैं इस पहल की भरपूर सराहना करता हूं और आयोजकों का अभिनन्दन करता हूं, बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
ऐसे कार्यक्रम की संकल्पना एवं आयोजन प्रशंसनीय है।
मुझे विश्वास है कि इसमें शामिल होने वाले युवा हमारे सशस्त्र बलों के नायकों को अपने सामने देखकर उत्साहित और प्रेरित हुए होंगे।
मित्रों,
एक लंबे और गौरवशाली सैन्य इतिहास और कई शताब्दियों से चली आ रही रणनीतिक संस्कृति के बावजूद, लोग इसके विभिन्न पहलुओं से काफी हद तक अनजान हैं। 
पंजाब का मार्शल इतिहास अति समृद्ध है। यहां वीरता, बहादुरी और सैन्य कौशल की परंपरा है।
प्राचीन महाकाव्य महाभारत में पंजाब क्षेत्र और इसके योद्धाओं का उल्लेख है। कहा जाता है कि हिन्दू पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण घटना, कुरूक्षेत्र का युद्ध इसी क्षेत्र में हुआ था। (Kurukshetra now in Haryana)
पंजाब ने 326 ईसा पूर्व में सिकंदर का आक्रमण देखा। विभिन्न राज्यों और राजा पोरस जैसे शासकों के उग्र प्रतिरोध ने क्षेत्र की मार्शल भावना को प्रदर्शित किया।
मौर्य और गुप्त साम्राज्य के दौरान पंजाब एक महत्वपूर्ण सीमा बना रहा, जिसने इन साम्राज्यों की सैन्य ताकत में सैनिकों और रणनीतियों दोनों का योगदान दिया।
मुग़ल काल के दौरान, पंजाब एक महत्वपूर्ण प्रांत बन गया। गुरु हरगोबिंद और बाद में गुरु गोबिंद सिंह के नेतृत्व में सिखों ने खुद को एक मार्शल समुदाय (खालसा) में संगठित किया और मुगल उत्पीड़न का विरोध किया।
महाराजा रणजीत सिंह के अधीन, खालसा सेना अपनी बहादुरी, अनुशासन और सैन्य कौशल के लिए प्रसिद्ध थी।
पंजाब ने दोनों विश्व युद्धों के दौरान भारतीय सेना में महत्वपूर्ण योगदान दिया। क्षेत्र के सैनिकों ने विभिन्न मोर्चों पर असाधारण वीरता और बलिदान का प्रदर्शन किया।
पंजाब ने भारतीय सशस्त्र बलों के लिए बड़ी संख्या में सैनिकों और अधिकारियों को तैयार करना जारी रखा और देश की सीमाओं की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यहां कई नायक पैदा हुए हैं जो अपनी बहादुरी, वीरता और और बलिदान के लिए जाने जाते हैं। 
हम में से कोई भी स्वर्गीय फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के नेतृत्व को कभी नहीं भूल सकता, जिन्होंने हमारे देश के सैन्य इतिहास में एक महत्वपूर्ण समय में उदाहरण पेश किया।
सूबेदार जोगिंदर सिंहः 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान उनके असाधारण नेतृत्व और साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। उन्होंने भारी चीनी सेना के खिलाफ अपनी पलटन का नेतृत्व किया और अपनी आखिरी सांस तक लड़ते रहे।
नायब सूबेदार बाना सिंहः 1987 में सियाचिन संघर्ष के दौरान उनकी बहादुरी के लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। प्रतिकूल मौसम और दुश्मन की गोलाबारी के बावजूद एक रणनीतिक चौकी पर कब्जा करने के लिए एक टीम का नेतृत्व करते हुए, उन्होंने असाधारण वीरता का प्रदर्शन किया।
लेफ्टिनेंट जनरल हरबख्श सिंहः 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अपने नेतृत्व के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने कुशलतापूर्वक भारतीय सेना की पश्चिमी कमान की कमान संभाली और असल उत्तर की लड़ाई में पाकिस्तानी आक्रमण को नाकाम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरीः वह 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान लोंगेवाला की प्रसिद्ध लड़ाई के नायक थे। चांदपुरी, जो उस समय एक मेजर थे, और उनके सैनिकों ने एक बहुत बड़ी पाकिस्तानी सेना के खिलाफ सफलतापूर्वक अपनी पोस्ट का बचाव किया।
पंजाब के ऐसे नायकों ने बलिदान और साहस की भावना को मूर्त रूप देते हुए भारतीय सेना के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी है।
उनकी कहानियां भारतीय पीढ़ियों को प्रेरित करने का समर्थ्य रखती हैं। पर जरूरत है उन्हें लोगों तक पहुंचाने की।
मुझे याद है, कुछ वर्ष पूर्व ब्रिगेडियर चांदपुरी के किरदार पर आधारित फिल्म ‘बॉर्डर’ प्रदर्शित हुई थी। यह फिल्म बहुत पॉप्युलर हुई और लोगों में भारतीय सेना के प्रति आदर व देशभक्ति की भावना प्रबल हुई।
कहने का भाव यह है कि, हमें अपने गौरवशाली सैन्य इतिहास से आम लोगों को परिचित करवाना होगा, उनमें एक जुड़ाव पैदा करना होगा।
मित्रों,
भारतीय संस्कृति में तो ‘‘अहिंसा परमो धर्मः’’ की शिक्षा दी जाती है लेकिन जब कोई हम पर हमला करता है तो उसे करारा जवाब दिया जाता है क्योंकि हमारी संस्कृति ने हमें देश और धर्म की रक्षा करना भी सिखाया है।
यह हमारा कर्तव्य है कि हम कड़ी मेहनत से हासिल की गई आज़ादी को बनाए रखें जिसके लिए अनगिनत भारतीयों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। 
हमारे सामने नये लक्ष्य, नये संकल्प और नई चुनौतियां हैं जिनका हम सबको मिलकर सामना करना है।
मैं, इस अद्भुत महोत्सव के मंचन के लिए Military Literature Festival Association के अध्यक्ष, PVSM (Retd.) लेफ्टिनेंट जनरल टीएस शेरगिल के नेतृत्व में सैन्य साहित्य महोत्सव की पूरी टीम की सराहना करता हूं। 
मैं पंजाब सरकार और यूटी प्रशासन को भी बधाई देता हूं जिन्होंने इस आयोजन को सफलतापूर्वक पूरा करने में सहयोग दिया।
धन्यवाद,
जय हिन्द!