SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF DHARAM SANSAD PROGRAMME BEING ORGANISED BY ANUVRAT SAMITI AT CHANDIGARH ON JANUARY 30,2024.

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  • 2024-01-30 13:20

अणुव्रत समिति द्वारा आयोजित ‘धर्म संसद’ (30.01.2024)

  • मनीषीसंत मुनिश्री विनय कुमार जी आलोक को उनके 88वें जन्मदिवस की बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
  • इस अवसर पर ‘धर्म संसद’ का आयोजन करना सराहनीय है।
  • धर्म संसद का कार्यक्रम पहली बार 1893 में शिकागो में हुआ था जिमसें कई विश्व धर्मों के प्रतिनिधि शामिल हुए जिनमें से स्वमी विवेकानंद भी एक थे।
  • तब उस समय स्वामी विवेकानंद ने धर्म संसद में भाषण देते हुए कहा था कि मैं उस धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता (Tolerance) और सार्वभौमिक स्वीकृति (Universal acceptance) का पाठ पढ़ाया है। 
  • उन्होंने कहा था कि मुझे गर्व है कि मैं उस देश से हूं जिसने सभी धर्मों और सभी देशों के सताए गए लोगों को अपने यहां शरण दी।
  • अणुव्रत समिति द्वारा विगत कई वर्षों से जो सामाजिक व आर्थिक विकास के कार्य किए जा रहे हैं, वे सराहनीय हैं।
  • परन्तु modernity की दौड़ में हमारी सैद्धांतिक, नैतिक और आध्यात्मिक नींव कमज़ोर हो रही है।
  • लोग चिंता, असुरक्षा, अनिश्चितता और निराशा के दौर से गुज़र रहे हैं।
  • जैसा कि, गुरू नानक जी ने कहा था, ‘‘नानक दुखिया सब संसार’’।
  • हम सभी जानते हैं कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है। समय और आवश्यकता के अनुसार समाज में परिवर्तन आवश्यक हो जाता है।
  • सकारात्मक परिवर्तन के लिए जरूरी है कि जैसा विश्व हम चाहते हैं, वैसा ही हमें कर्म करने चाहिए। अर्थात, यदि हमें सुखमय दुनिया चाहिए तो हमें दूसरों को सुख देने वाले कर्म करने चाहिए।
  • धर्म और अध्यात्म हर मनुष्य के अंतरंग विकास मार्ग के आधार-स्तंभ हैं। 
  • सभी धर्मों में कुछ न कुछ गुण हैं। इसलिए निष्पक्ष होकर उन्हीं सिद्धान्तों को अपनाइये जो आपको संतोष प्रदान करें। 
  • दूसरे लोग ऐसा कहते हैं, या मानते हैं, यह कोई कारण नहीं है जो आपको भी वैसा ही करने या मानने के लिए बाध्य करें।
  • अपनी आत्मा में उठने वाले ईश्वरीय सन्देश को सुनिए और उसी के अनुरूप चलिए।
  • धर्मों से बल प्राप्त कीजिए पर उन्हें भूल कर भी आत्मा का हनन करने वाला मत बनने दीजिये।
  • ‘सरबत दा भला’ की प्रार्थना हमारे जीवन का हिस्सा रहे। 
  • सार्थक जीवन वही है जो किसी के काम आए।
  • अध्यात्म हमें दूसरों के लिए और समाज की भलाई के लिए जीवन जीना सिखाता है।
  • समाज के सम्पूर्ण विकास के लिए आध्यात्म का रास्ता अपनाना होगा, इसके अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है।
  • भगवान श्री कृष्ण जी ने श्रीमद भगवद गीता में अर्जुन से कहा था, ‘‘हे अर्जुन, हमेशा अपने कर्तव्य का कुशलता से और परिणामों के बंधन के बिना पालन कर, क्योंकि बंधनमुक्त होकर कर्म करता हुआ मनुष्य परमात्मा को प्राप्त हो जाता है’’।
  • जैन समाज मित्रता, एकता, शांति और नैतिकता के मूल्यों को स्थापित करते हुए लोगों को अनुशासित जीवन जीने के लिए प्रेरित करने में एक महान सेवा कर रहा है।
  • एक बार फिर मुनिश्री विनय कुमार जी आलोक को उनके जन्मदिवस की शुभकामनाएं।

धन्यवाद,

जय हिन्द!