SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF ENTREPRENEURSHIP AND RURAL DEVELOPMENT CONCLAVE AT NITTTR, SECTOR 26, CHANDIGARH ON JANUARY 31.01.2024.

  • PRB
  • 2024-01-31 13:25

Entrepreneurship and Rural Development Conclave (31.01.24)

 

  • बेरोज़गारी न केवल भारत के लिए बल्कि सभी देशों के लिए प्रमुख चिंता का विषय है।
  • बेरोज़गारी को दूर करने का संभावित तरीका ‘युवाओं को उद्यमी बनने और अपना खुद का व्यवसाय स्थापित करने के लिए सही ecosystem स्थापित करना’ है।
  • उद्यमिता का प्राचीन भारत में भरपूर प्रचलन रहा है।
  • आरंभ में, भारतीय संस्कृति में नौकरी जैसा कोई शब्द नहीं था। हर गांव आत्मनिर्भर था और हर भारतीय के पास अपना काम था।
  • भारत में मुग़लकाल से पहले की अर्थव्यवस्था अत्यंत समृद्ध थी (Our GDP was around 38%)।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था ग्वालियर, गुजरात, बंगाल, कश्मीर, और दक्षिण भारत में समृद्ध व्यापारी समूहों के कारण विख्यात थी। 
  • व्यापारी, किसान, शिक्षक और शिल्पकार उद्यमिता के माध्यम से अपने क्षेत्र में समृद्धि की ओर अग्रसर होते थे। 
  • वे स्वयं नए विचारों को उत्पन्न करते थे और अपने व्यवसायों को नए स्तर पर ले जाने के लिए स्व-प्रेरित थे। 
  • उद्यमिता के कारण ही वे विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर व्यापार कर पाए।
  • हमारे कई बंदरगाह और लोथल में दुनिया का सबसे पुराना डॉकयार्ड, जीवंत व्यापार संबंधों के प्रमाण हैं।
  • लेकिन अंग्रेज़ों के आने के बाद उन्होंने भारत में अपने व्यवसाय हेतु श्रमिक पैदा करने के लिए सबसे पहले भारत की रीढ़ मानी जाने वाली गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को बर्बाद कर दिया।
  • गुरुकुल प्रणाली, छात्रों की मानसिकता और चरित्र निर्माण पर केंद्रित थी।
  • उन्होंने क्लर्क पैदा करने के लिए शिक्षा प्रणाली को बदल दिया ताकि वे उनसे अपना काम करवा सकें।
  • आजादी के बाद देश ने उसी शिक्षा पद्धति का पालन किया।
  • इस पद्धति से शुरुआत में कोई समस्या नहीं आई क्योंकि पहले स्कूलों और कॉलेजों की संख्या कम थी, literacy rate कम था; शासन व्यवस्था और अन्य क्षेत्रों में विभिन्न नौकरियों के लिए लोगों की आवश्यकता थी।
  • नौकरियों की संख्या और नौकरी की आवश्यकता वाले लोगों की संख्या के बीच संतुलन था।
  • समय के साथ जब शिक्षा सुविधाएं विकसित हुईं और लोगों ने professional education प्राप्त करनी शुरू की।
  • अब हर साल लगभग 4 करोड़ से अधिक छात्र उच्च शिक्षा के लिए दाखिला ले रहे हैं, जिसकी तुलना में नौकरियों की संख्या कम पड़ जाती है।
  • किसी भी क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में नौकरी उपलब्ध करवाना संभव नहीं है।
  • बेरोजगारी की इस गंभीर समस्या का समाधान केवल उद्यमी ही कर सकते हैं।
  • जैसा कि भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा है कि ‘उद्यमी भारत के Growth Ambassadors हैं’ वे न केवल बेरोजगारी की समस्या को हल करने में मदद कर सकते हैं बल्कि क्षेत्र की स्थानीय समस्याओं को हल करने और देश के विकास में भी मदद कर सकते हैं।
  • हमें ‘‘स्वावलंबी भारत, सशक्त भारत’’ की दिशा में काम करने की जरूरत है।
  • बड़े पैमाने पर उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, यही समय की मांग है।
  • यह तभी हासिल किया जा सकता है जब देश की मानसिकता सीधे स्कूल स्तर से ही नौकरियां ढूंढने की बजाय नौकरियां पैदा करने की हो।
  • हम स्कूलों और कॉलेजों में entrepreneurship development programs शुरू कर सकते हैं।

बन्धुओं,

  • हमारे छात्र हमारा भविष्य हैं; इन्हें उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित करना हमारा दायित्व है।
  • माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में गत 9 वर्षों में देश में start-ups ने बड़ी छलांग लगाई है, जोकि भारत की एक बड़ी सफलता की कहानी है।
  • साल 2014 से पहले देश में लगभग 350 start-ups थे, लेकिन माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा 2015 में अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में लाल किले की प्राचीर से आह्वान करने और विशेष start-up योजना शुरू करने के बाद, start-ups में भारी बढ़ौतरी हुई। 
  • साल 2017-2021 के बीच केवल tech start-ups ने ही लगभग 23 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा कीं।
  • आज भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा start-up eco-system है।
  • एक तरफ सरकार द्वारा Start-up India के अलावा Stand-up India और PM Svanidhi जैसी योजनाओं के माध्यम से युवाओं की handholding की जा रही है और उन्हें अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए ऋण उपलब्ध करवाया जा रहा है।
  • दूसरी ओर, Atal Innovation Mission, स्कूलों में Atal tinkering Labs, नई National Education Policy और National Innovation and Entrepreneurship Promotion Policy (NIEPP) इत्यादि द्वारा उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा रहा है एवं entrepreneurship को support करने का eco-system develop किया जा रहा है।

बन्धुओं,

  • तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण के बावजूद आज भी भारत गावों में बसता है।
  • इसलिए, आपके conclave में जो चर्चा का विषय है “Entrepreneurship and Rural Development” वो बेहद appropriate है।
  • हमें केवल entrepreneurs ही नहीं बल्कि Young Grampreneurs भी चाहिएं।
  • उद्यमशीलता अत्यधिक मूल्यवान साबित होगी यदि इसका हमारे स्थानीय समुदायों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्धि पर अधिक से अधिक प्रभाव पड़े। 
  • ग्रामीण भारत में छिपे कौशल और सुअवसरों को खोजें, उन्हें आजीविका प्रदान करने और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए उपयोग करें।
  • आइए, हम उनका समर्थन और संरक्षण करें।
  • उन्हें अपने उत्पाद बिना किसी middleman के बेचने में मदद करें।
  • ग्रामीण कारीगरों के लिए बाजार तैयार करें, उन्हें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपने उत्पाद बेचने के लिए प्रशिक्षित करें। 
  • अधिक से अधिक महिलाओं को उद्यमिता के मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • इसके लिए सरकार भी अपने स्तर पर पूरा प्रयास कर रही है।
  • एक समर्पित ‘‘कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय’’ का सृजन किया गया है।
  • सरकार के पास हर मंत्रालय में उद्यमियों के लिए अलग-अलग योजनाएं और नीतियां भी हैं।
  • यहां मौजूद आप सभी, स्कूल, कॉलेज और विभिन्न संस्थानों के मुखी, हजारों छात्रों की शिक्षा और उनकी आवश्यकताओं का ध्यान रखते हैं।
  • आपका छात्रों के साथ-साथ समग्र समाज पर direct impact पड़ता है।
  • शिक्षक एक गुरु होता है जिसे समाज में हर कोई आदर की दृष्टि से देखता है। Strong Mindset एवं Right Mindset का निर्माण करना गुरु का कर्तव्य है।
  • साथ ही, ‘Vocal for Local’ की आवाज़ बनें; जमीनी स्तर पर उद्यमिता के लिए supportive eco-system का निर्माण करें ताकि हम Atma Nirbhar Viksit Bharat at 2047 के सपने को सकार कर सकें। 

 

धन्यवाद,

जय हिन्द!