SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF SRI RAM KALA UTSAV AT TAGORE THEATRE, SECTOR 18 CHANDIGARH ON 15/02/2024 AT 6.00 PM.

  • PRB
  • 2024-02-15 20:35

श्रीराम कला उत्सव (15.02.2024)

 आज संपूर्ण भारत राममय वातावरण में लीन है।

 500 वर्षों के लंबे संघर्ष के उपरांत 22 जनवरी को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के 11 दिनों के कठोर नियमों की पालना के पश्चात् अयोध्या में राम लल्ला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्य सम्पन्न हुआ है।

 हमारे लिए गर्व की बात है कि हम इस ऐतिहासिक घड़ी के साक्षी हैं।

 अनगिनत वर्षों से, देश-विदेश के कोने-कोने में, पीढ़ी दर पीढ़ी रामलीला का आयोजन निरंतर होता चला आ रहा है।

 भारतीय सनातन सांस्कृतिक विरासत को परंपरागत तरीके से, कला प्रदर्शन के माध्यम द्वारा, समरसता के प्रणेता ‘मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम’ के आदर्श व प्रसंग को आप सब लोग हम तक पहुंचा रहे हैं।

 भारतीय प्राचीन कला का संरक्षण तथा संवर्धन करने में श्री रामलीला आयोजन समितियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है।

 इसलिए मैं सभी रामलीला समितियों को साधुवाद देता हूं।

 चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी को भी साधुवाद, कि वह भारतीय संस्कृति एवं कला की तीनों विधाओं नाट्य, नृत्य तथा गायन को हर घर तक, तथा प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

 आप सभी कला प्रेमियों के कलात्मक संघर्ष से हमारी संस्कृति जीवित है।

 इसके लिए, मैं चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी, कला प्रेमियों तथा श्री रामलीला के आयोजकों को बधाई देता हूं।

 भारतीय रामलीला एक लोक परंपरा (folk tradition) है जिसे UNESCO ने विश्व अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (World's Intangible Cultural Heritage) के रूप में मान्यता दी है।

 प्राचीन काल से ही भगवान श्रीराम की गौरवमयी कथाएं पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में फैली हुई हैं।

 निःसंदेह रामायण संपूर्ण मानवता की धरोहर है।

 रामायण हमें विश्व, समाज और परिवार के प्रति हमारे कर्तव्य की याद दिलाता है।

 रामायण मनुष्यों के एक-दूसरे के साथ और धरती माता, प्रकृति, पशु-पक्षियों और जीवों के साथ संबंध को परिभाषित करती है।

 हमें इस अमर महाकाव्य के बारे में अपनी समझ को संरक्षित, प्रचारित और गहरा करने का प्रयास करना चाहिए।

 विश्व शांति और समृद्धि के लिए विकट चुनौतियों के वर्तमान वैश्विक संदर्भ में इस संदेश की प्रासंगिकता और बढ़ गई है।

 अगले 25 वर्षों में विकसित भारत की आकांक्षा लिए आगे बढ़ रहे हम हिंदुस्तानियों के लिए, श्रीराम के आदर्श, उस प्रकाश स्तंभ की तरह हैं, जो हमें कठिन से कठिन लक्ष्यों को हासिल करने का हौसला देंगे।

 एक बार फिर कार्यक्रम के आयोजकों व कला प्रेमियों को बधाई।

सियावर रामचंद्र की जय।

धन्यवाद,

जय हिन्द!