REPUBLIC DAY SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR, SHRI BANWARILAL PUROHIT AT MOHALI

  • PRB
  • 2022-01-26 14:55

भाईओं, बहनों व प्यारे बच्चों

नमस्कार !

भारत के वर्ष 2022 के गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में पंजाब राज्य के समस्त नागरिकों का अंतःकरणपूर्वक अभिनंदन करते हुए मैं अत्यंत हर्ष का अनुभव कर रहा हूं। आप सभी को बहुत-बहुत बधाईयां और अनगिनत शुभकामनाएं। नव वर्ष के लिए और लोहड़ी के लिए भी आप सभी का अभिनंदन।

गणतंत्र दिवस, यह हमारे देश का एक बहुत ही महत्वपूर्ण समारोह है। वजह साफ है -- इस दिन 1950 में हम भारतीयों ने अपने आप को देश का संविधान दिया ।

इस ऐतिहासिक घटना का महत्व फिर से समझ लेना और संविधान के मूल तत्वों के प्रति अपनी कर्तव्यनिष्ठा जाहिर करना, यह आज के समारोह का प्रमुख उद्देश्य है। उन मूलतत्वों का प्रत्यक्ष व्यवहार में पालन करने के लिए शपथबद्ध होना हर नागरिक का कर्तव्य है।

आज मैं आप सबसे अनुरोध करता हूँ कि हम प्रयत्नपूर्वक संविधान के विचारों का पालन करें ताकि हमारा देश सुव्यवस्था के नियमों की चौखट के भीतर प्रगति की ओर हमेशा कूच करता रहे।

बड़ी अद्भुत है यह चौखट!

स्वातंत्र्य, समता, न्याय और बंधुभाव, यह चार आयाम हैं इस चौखट के। यही हमारे संविधान में कहा गया है। इसी चौखट के अनुरूप हमारे भारत का संविधान ढाला गया है।

देश इस समय आजादी के 75 साल का पर्व मना रहा है। हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने जिस आधुनिक भारत का सपना देखा था, उस सपने को पूरा करने के लिए हमें नई ऊर्जा से जुटना है। आजादी के 75 साल में आया ये गणतंत्र दिवस हमारे लिए नए संकल्पों का अवसर लेकर आया है।

मुझे खुशी है की राज्य में आजादी के अमृत महोत्सव को मनाने के लिए विभिन्न विभाग, राज्य के विश्वविद्यालय, स्कूल-कॉलेज पूरे उत्साह से आगे आए हैं। कला जगत के अनेक लोगों ने इनसे जुड़े कार्यक्रम किए हैं। राज्य के अनेक युवा, हमारे गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में लिख रहे हैं। हमारे राज्य के अलग-अलग शहरों में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी जो निशानियां हैं, वहां पर भी निरंतर आयोजन, लोगों को और जागरूक करेगा।

देश आज ‘विरासत भी’ और ‘विकास भी’ के मंत्र पर चलते हुए अपनी सांस्कृतिक आध्यात्मिक विरासत को मजबूत तो कर ही रहा है, विकास के पथ पर भी तेजी से अग्रसर है ।

21वीं सदी में देश को नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए भारत के हम लोगों ने आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लिया है। ये संकल्प, दूसरे देशों पर देश की निर्भरता कम करने के साथ ही भारत के बढ़ते सामर्थ्य से जुड़ा है। आत्मनिर्भर भारत अभियान, देश को एक ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने में मदद करेगा। देश आज लोकल के लिए वोकल होकर, अपने स्थानीय उत्पादों को भी बढ़ावा दे रहा है।

कोरोना के इस मुश्किल समय ने हमें आत्मनिर्भरता का मतलब समझाया है। अगर भारत वैक्सीन के मामले में आत्मनिर्भर नहीं होता तो त्राही मच गई होती। लेकिन आज मेड इन इंडिया वैक्सीन की वजह से देश, दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम चला रहा है। भारत अब तक वैक्सीन की 160 करोड़ से ज्यादा डोज़ दे चुका है। दुनिया के बड़े-बड़े सामर्थ्यवान देश भी ऐसा नहीं कर पाए हैं। भारत अपने यहां किशोरों के वैक्सीनेशन में भी रिकॉर्ड बना रहा है। 3 जनवरी के बाद से 15 से 18 वर्ष की आयु के बीच के किशोरों को अब तक 4 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज़ दी जा चुकी है। यह दूरदर्शी सोच वाले हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ही हैं जिनके द्वारा उठाए गए कदमों व समय पर लिए गए निर्णयों के चलते महामारी के बावजूद राष्ट्र आगे बढ़ पाया और वायरस के संक्रमण को रोकने के प्रयास युद्धस्तर पर किए गये। आत्मनिर्भर भारत अभियान की मिसाल कायम करते हुए भारत ने न केवल अपने स्वयं की वैक्सीन का निर्माण शुरू किया, बल्कि अन्य देशों को भी इसकी आपूर्ति की।

कोरोना के इस समय में देश ने अपने नागरिकों का जीवन बचाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। कोई गरीब भूखा ना रहे इसके लिए देश में गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की गई । इस योजना का लाभ देश के 80 करोड़ लोगों को मिल रहा है। इस योजना पर 2 लाख 60 हज़ार करोड़ रूपए से अधिक खर्च किए जा रहे हैं। कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार ने इस योजना को मार्च तक के लिए बढ़ा दिया है।

कोरोना के इसी संकटकाल में देश ने मूलभूत सुविधाओं को हर गरीब तक पहुंचाने का भी अभियान शुरू किया है। इस अभियान का लक्ष्य है कि कोई भी गरीब, सरकार की योजनाओं का लाभ पाने से वंचित ना रहे। हर पात्र व्यक्ति को पक्का घर मिले, हर पात्र व्यक्ति को आयुष्मान कार्ड मिले, सबके पास गैस कनेक्शन हो, सबके पास बिजली कनेक्शन हो, हर घर में नल से जल आता हो, ऐसी अनेक सुविधाओं को उपलब्ध करवाने के लिए देश युद्धस्तर पर काम कर रहा है।

कोरोना काल में भारत की शिक्षा व्यवस्था ने दिखाया है कि वो कैसे नई परिस्थितियों के मुताबिक खुद को ढाल लेती है। देश में लागू की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने भारत की शिक्षा व्यवस्था को नई ऊर्जा दी है। हमने साक्षरता के प्रसार में प्रगति की है; अब हमें शिक्षा और ज्ञान की सीमाओं का विस्तार करना है। देश की नई शिक्षा नीति का उद्देश्य 21वीं सदी की डिजिटल अर्थव्यवस्था को प्रासंगिक बनाना है।

हमारे युवाओं को वैश्विकृत दुनिया में प्रतिस्पर्धा करने के लिए शिक्षा और कौशल से लैस करने हेतु केन्द्र सरकार द्वार कई कार्यक्रम और पहलकदमियां शुरू की गई हैं। हर साल 16 जनवरी को राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस के रूप में मनाने का हाल ही में लिया गया फैसला इस बात का प्रमाण है कि युवाओं के सपनों को ‘लोकल’ नहीं बल्कि ‘ग्लोबल’ बनाने के लिए भारत सरकार उनके साथ है। बन्धुओं, 2014 से पहले भारत में कुछ सौ ही स्टार्ट अप थे। बीते वर्षों में 60 हजार से ज्यादा स्टार्ट अप रजिस्टर किए गए हैं।

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के रूप में एक ऐसा प्रमुख, दृढ़ और समर्पित नेता मिला है जोकि एक अरब से अधिक भारतवासियों की आशाओं और उम्मीदों का प्रतिनिधित्व करता है। माननीय प्रधानमंत्री जी ने हम सभी भारतीयों से एक ऐसे नये भारत के निर्माण का संकल्प लेने को कहा है जिसमें प्रत्येक भारतीय को साथ लेकर चलने और सबके लिए विकास के खुले अवसर मुहैया करवाने की क्षमता हो और जो सांसारिक स्तर पर एक मज़बूत देश के तौर पर गर्व के साथ सिर ऊँचा करके अपना स्थान ले सके।

भारत आज तेज गति से आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास का लाभ गरीब, मध्यम वर्ग, शहर-गांव, प्रत्येक व्यक्ति को होता है। भारत में आज जिस स्पीड और जिस स्केल पर सड़कें बन रही हैं, नए रेल रूट बन रहे हैं, नए एयरपोर्ट बन रहे हैं, नए वॉटरवेज बन रहे हैं, वो अभूतपूर्व है।

2047 में जब देश अपनी आजादी के 100 वर्ष मनाएगा, तब वो जिस ऊंचाई पर होगा, वो हमारी आज की मेहनत और हमारे आज के निर्णय तय करेंगे। नए भारत के लिए हो रहे प्रयासों के बीच, आज समय है कि हम सभी 2047 के भारत के लिए नए संकल्पों पर काम करना शुरू करें। आज हम जो बुनियाद बनाएंगे, उसी पर 2047 के भारत की भव्य इमारत खड़ी होगी।

मित्रों,

कितने-कितने क्रांतिकारी, कितने-कितने राष्ट्रनेता, कितने-कितने राजनेता, कितने-कितने बहादुर सैनिक, कितने-कितने कवि, साहित्यकार, कलाकार, विचारक, वैज्ञानिक खप गए भारत देश को महान बनाने के काम में। और इन सबके प्रयत्नों से आजादी प्राप्त हुई तो हमारे राष्ट्रनेताओं ने देश को संविधान की शपथ में बांध दिया।

कितना सुंदर क्षण था वह जब देश के लोगों ने आज़ादी के जश्न में भी अपना आपा ना खोते हुए अपने आप को सुशासन और सुव्यवस्था के नियमों से बांध लिया।

भारतवर्ष का इतिहास गौरवशाली रहा है। हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता, हमारी समूचे विश्व को परिवार समझने की बात, वसुधैव कुटुम्बकम पूरे विश्व के लिए मिसाल बनकर रह गई। इन सबका सुंदर आकलन हमारे संविधान में होता है। आज के दिन इसी महत्व को उजागर करना बहुत अनिवार्य है।

इस संपूर्ण राष्ट्रनिर्माण के महत्वपूर्ण कार्य में पंजाब का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। अनगिनत बार पंजाब को आक्रमणकारियों ने आहत किया। पर पंजाब के वीर सपूतों ने हर बार देश का रक्षण किया। पांच नदियों के साथ पंजाब में एक और नदी बहती रही -- सपूतों के खून की। सर कट गए, पर झुके नहीं।

पूरा देश इसीलिए पंजाब का लोहा मानता है। इसीलिए देश पंजाब को धन्यवाद करता है।

पूरे देश में पंजाब की लोकप्रियता की पहचान की वजह, है पंजाब के हरे-भरे खेत, पंजाब के उद्योग, पंजाब की उत्कृष्ट लोक कलाएं, पंजाब के पारंपरिक व्यंजन।

यह हमें स्वीकार करना होगा कि आज देश के सामने बहुत चुनौतियां खड़ी हैं। हमारे कल्याणकारी राज्यव्यवस्था को चलाने में बहुत सारी कठिनाइयां आ रही हैं। देश की सीमाओं पर भी हमें सजग रहना आवश्यक हो गया है।

ऐसे चुनौतियों के समय भारत का संविधान हमारा कवच है, और हमारी बुनियाद भी। संविधान का पालन करना हमारा कर्तव्य है और धर्म भी।

संविधान हमें सिख़ाता है कि हम सब समान हैं, हम सब एक हैं, और हम भारत के सर्वसमान और सर्वमान्य संस्कृति के धरातल पर खड़े रहकर हर चुनौती को परास्त कर सकते हैं।

यह सब विचार करते समय हमें बार-बार हमारे इतिहास की ओर मुड़ना पड़ता है। पंजाब गुरु नानक देव जी की, गुरु गोबिंद सिंह जी की, संतो की भूमि है। पंजाब लाला लाजपत राय जी की, सरदार भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव की भूमि है। पंजाब श्रेष्ठ खिलाड़ियों की भी भूमि है। और इसीलिए हमारा संविधान के प्रति दायित्व और बढ़ जाता है। क्योंकि हमारी किसी भी कृती से इन महान हस्तियों का अपमान न हो। इसीलिए इन सब महान हस्तियों की याद हमारे हृदय में हमेशा बसी रहनी चाहिए।

पिछले दो वर्षों में भारत देश ने कोविड महामारी का सामना बड़ी बहादुरी से और सफलता से किया। बीमारी से तो हम लड़ते ही रहे, पर आर्थिक चुनौतियों का भी सामना करते रहे। हमारे किसानों पर, मजदूरों पर, औद्योगिक कामगारों पर विपत्तियों के पहाड़ टूटे। फिर भी कोई भी हिम्मत नहीं हारा।

यह भारत वासियों की विशेषता है। हम सबके प्रयास, हम सबकी एकजुटता विश्व देखता रहा, सराहता रहा। विश्व के विभिन्न संस्थानों में, हर महत्वपूर्ण गतिविधि में भारत का सहभाग बरकरार रहा, जो सभी की प्रशंसा का विषय रहा।

हमारी बहादुर सेनाओं, हमारे वीर सिपाहियों ने अपना पराक्रम विश्व को दिखा दिया। हर भारतीय आज आश्वस्त है कि सेना के हाथों में वह सुरक्षित है।

यह सब आज हमें सरल लग सकता है। पर सच्चाई यह है कि यह सारी उपलब्धियां अथक परिश्रम से प्राप्त हुई हैं। और यह संभव इसीलिए हुआ क्योंकि हमें हमारे संविधान का सहारा हमेशा था।

संविधान सिर्फ काग़ज़ पर लिखे शब्द नहीं है। वह एक जीवंत, स्पंदित अभिलेख है, भारत के रहने वालों की इच्छाओं, आकांक्षाओं और सपनों का। और हमारा संविधान जीवंत है, इसीलिए वह एक सतत प्रवाहित धारा है जिसके प्रवास में काफी सारे मोड़ भी आए हैं। हमारे संविधान ने काफी सारे संशोधन भी देखे हैं।

इसका मतलब साफ़ है - कि हमारा संविधान समय-समय पर समयानुसार अपने आप को नए सिरे से ढाल लेने की क्षमता रखता है। यही उसकी असली शक्ति है।

भारत जैसे विशाल देश में संस्कृति के विभिन्न रूप दिखाई देते हैं। पंजाब की सांस्कृतिक पद्धति तमिलनाडु और केरल की संस्कृति से पूर्णतया भिन्न है। इसके बावजूद, भारत एक संघराज्य है। यह विविधता में एकता का सुंदर विवरण और परिभाषा हमारे संविधान में दिखाई देती है। हमारे संविधानकर्ताओं ने गहन विचार-विमर्श के बाद ही उसकी विभिन्न व्यवस्थाओं का निर्माण किया और देश को एक जीवंत प्रणाली से संपन्न कर दिया।

आज दिन है उन सब महा आत्माओं का धन्यवाद करने का जिन्होंने हमें एक सर्वांगसुंदर संवैधानिक विचार प्रणाली दी। कैसे महान थे वे लोग! और कैसे सजग -- ताकि भारत के रहने वालों को एक सशक्त संविधान मिले।

महात्मा गांधी के नेतृत्व में पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर, आचार्य कृपलानी, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी, हरिविष्णु कामथ -- बहुत लंबी सूची है। इन सभी ने नए भारत की नींव रखी। इनमें से कई लोग संविधान संसद में काम कर सके और सरकार में जिम्मेदारी भी निभाई। स्वतंत्रता संग्राम के गौरवशाली इतिहास में नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे महान व्यक्तित्व के शौर्य और त्याग के प्रति भारत हमेशा ऋणी रहेगा।

इन सब महान व्यक्तियों के योगदान का स्मरण करने का दिन आज है।

जरा सोच कर देखें कि क्या होता यदि इनमें से कोई एक व्यक्ति नहीं होता। एक कहानी शायद अधूरी रह जाती। शायद!

पर यह भी तो सच है कि हमारी भारत माता की कोख़ खोखली नहीं है। इतिहास साक्षी है कि भारत की माटी से हमेशा नररत्नों का उद्भव होता ही रहेगा।

ऐसे ही महान व्यक्तियों के योगदान से भारत एक अतीव सुंदर गणराज्य बन सका।

आज के ऐतिहासिक दिवस पर हमको शपथ लेनी है कि हम स्वातंत्र्य, समता, न्याय और बंधुभाव, इन तत्वों का पालन करेंगे और दूसरों से भी करवाएंगे। याद रहे कि बात शब्दों की नहीं, कृती की है। राष्ट्रनिर्माण के कार्य में सिर्फ हमें हमारी बात कहकर चुप हो जाने से कुछ भी प्राप्त नहीं होगा। हम हमारी शपथ का पालन तो करेंगे ही, पर औरों से भी वही होना चाहिए, ऐसा आग्रह रखेंगे।

यदि हमने इन तत्वों का अंगीकार किया तो पंजाब सम्पूर्ण प्रगति की दिशा में नये आयाम स्थापित करेगा, परन्तु इनके साथ हमें भ्रष्टाचार को भी समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध होना होगा।

यही हमारे संविधान का मूल अर्थ है। वह हमें जताता है कि हम वैयक्तिक स्वार्थ से ऊपर उठकर जीना सीखें, तभी हम एक अच्छे समाज का निर्माण कर सकते हैं।

तेज गति से भारत के विकास के लिए ये बहुत आवश्यक है कि हम अपने कर्तव्यों को सर्वाेच्च प्राथमिकता दें। जब हर मंत्रालय, हर विभाग, हर समाज, हर व्यक्ति, द्वारा अपने कर्तव्य का पालन किया जाएगा, तो देश की प्रगति में नई गति आएगी।

आप सबको गणतंत्र दिवस की बधाईयां देते समय भी एक विचार मन से हटता नहीं। विषय है कोविड टीकाकरण का। मैं आप सबको आवाहन करता हूं कि टीका लगवाना ना भूलें। वह हमारा कवच साबित होगा। इस राष्ट्रीय कर्तव्य के बारे में हमें सजग रहना चाहिए।

मैं आप सबको आज के पवित्र दिवस पर एक बार फिर बहुत-बहुत बधाई देता हूँ, और प्रार्थना करता हूँ कि ईश्वर हम सबको हमेशा सुरक्षित और स्वस्थ रखें तथा राष्ट्र निर्माण के महति कार्य में संलग्न रखें।



जय हिंद