SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF INAUGURATION OF THE DARK ROOM OF VANI SCHOOL FOR HEARING AND IMPAIRED, PATIALA (RUN BY CHANDIGARH WELFARE COUNCIL, PUNJAB) AT PATIALA ON AUGUST
- PRB
- 2025-08-20 11:15
वाणी स्कूल पटियाला में ‘डार्क रूम’ के उद्घाटन के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 19.08.2025, मंगलवार समयः शाम 4:00 बजे स्थानः पटियाला
नमस्कार!
आज का यह अवसर मेरे लिए अत्यंत भावनात्मक और महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम यहाँ विशेष बच्चों के लिए विशेष रूप से निर्मित डार्क रूम का उद्घाटन करने के लिए एकत्र हुए हैं। यह पहल न केवल एक भौतिक ढाँचे के उद्घाटन का प्रतीक है, बल्कि उन बच्चों की संवेदनाओं, उनके आत्मविश्वास व उनके उज्ज्वल भविष्य की ओर एक सार्थक कदम भी है।
बाल कल्याण की अवधारणा बच्चों के सर्वांगीण विकास और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने पर आधारित है। यह केवल शिक्षा तक पहुँच प्रदान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता, पोषण, स्वास्थ्य, और उन्हें हिंसा, शोषण तथा उपेक्षा से सुरक्षित रखने का संकल्प भी है।
यदि हमें सच्चा भारत देखना है, तो हमें अपने बच्चों की आँखों में देखना होगा। बच्चों की मासूम मुस्कान में हमारा भविष्य बसता है, उनकी जिज्ञासा में हमारी प्रगति छिपी है और उनके सपनों में हमारे राष्ट्र की समृद्धि निहित है। इसलिए यदि भारत को सशक्त, समृद्ध और विकसित बनाना है, तो पहले हमें अपने बच्चों को सुरक्षित, शिक्षित और सशक्त बनाना होगा। बच्चों का कल्याण ही राष्ट्र की वास्तविक उन्नति है।
बच्चों का विकास केवल किसी एक संस्था या विभाग की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हम सबकी साझा प्रतिबद्धता है। सरकार अपनी नीतियों और योजनाओं के माध्यम से आधार प्रदान करती है, सामाजिक संगठन ज़मीन पर काम करके उन योजनाओं को वास्तविक रूप देते हैं, और नागरिक समाज अपनी संवेदनशीलता और सहयोग से बच्चों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।
भविष्य की पीढ़ी को संवारना केवल उन्हें शिक्षा या स्वास्थ्य देना ही नहीं है, बल्कि उनके भीतर आत्मविश्वास, नैतिकता, संस्कार और आत्मनिर्भरता का भाव जागृत करना भी है। हमें यह समझना होगा कि जब हम एक भी बच्चे को अवसर, संरक्षण और सशक्तिकरण प्रदान करते हैं, तो वास्तव में हम पूरे राष्ट्र का भविष्य सुरक्षित करते हैं। इसीलिए बाल कल्याण की दिशा में सभी पक्षों का मिलकर चलना अनिवार्य है। यही सामूहिक प्रयास आने वाले भारत को सशक्त, समृद्ध और संवेदनशील बनाएगा।
इसी दिशा में बाल कल्याण परिषद, पंजाब 1962 से निरंतर कार्यरत है और कई सराहनीय पहलें कर रही है। इनमें पटियाला में वाणी एकीकृत श्रवण बाधित विद्यालय, मॉडल क्रेच एवं शाम के स्कूल, एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS) परियोजनाएँ, मोहाली में बाल भवन, आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए कोचिंग कक्षाएँ, कोविड से प्रभावित बच्चों के लिए प्रायोजन अनुदान, और स्कूली बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य को सशक्त बनाने हेतु विशेष परियोजना जैसी पहलें शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, अनहद फाउंडेशन के सहयोग से चलाई जा रही कोचिंग कक्षाएँ भी बच्चों के भविष्य को संवारने में सहायक सिद्ध हो रही हैं।
देवियो और सज्जनो,
पटियाला स्थित वाणी एकीकृत श्रवण बाधित विद्यालय विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों की शिक्षा का अद्वितीय केंद्र है। यहाँ श्रवण बाधित, ऑटिस्टिक, मानसिक रूप से विकलांग और धीमी गति से सीखने वाले बच्चों को प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा पंजाब स्कूल शिक्षा पद्धति के अनुसार शिक्षा दी जा रही है।
वर्तमान में लगभग 130 बच्चे यहाँ शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इन बच्चों की मासूम मुस्कान और ज्ञान के प्रति उनकी अटूट जिज्ञासा यह प्रमाणित करती है कि हर बच्चा ईश्वर की एक अनुपम कृति है। उनके चेहरे पर झलकती निश्छल खुशी हमें यह याद दिलाती है कि जीवन की सबसे बड़ी शक्ति सरलता और सकारात्मकता में निहित है।
मेरा मानना है कि इन विशेष बच्चों की सीखने की ललक और आगे बढ़ने का उत्साह समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है। भले ही ये बच्चे किसी शारीरिक या मानसिक चुनौती से जूझ रहे हों, लेकिन उनका आत्मबल और जिज्ञासा यह संदेश देती है कि सच्चा साहस सीमाओं को स्वीकार करने में नहीं, बल्कि उन्हें पार करने के प्रयास में है।
हमें यह समझना चाहिए कि इन बच्चों को केवल सहानुभूति नहीं, बल्कि समान अवसर और सशक्त मंच की आवश्यकता है ताकि वे अपनी प्रतिभा से न केवल अपना भविष्य संवार सकें, बल्कि समाज को भी नई दिशा दे सकें।
वास्तव में, जब हम इन बच्चों की आँखों में चमक देखते हैं, तो यह हमें उस सत्य की ओर ले जाती है कि ईश्वर की सबसे सुंदर रचना वही है, जो कठिनाइयों के बावजूद मुस्कुराते हुए आगे बढ़ती है।
देवियो और सज्जनो,
आज जब हम विकसित भारत 2047 की ओर अग्रसर हैं, तो हमें यह सुनिश्चित करना है कि समाज का प्रत्येक वर्ग इस प्रगति यात्रा में सम्मिलित हो। विशेष रूप से हमारे विशेष आवश्यकता वाले बच्चे।
विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा जब इन बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, आधुनिक संसाधन, विशेष प्रशिक्षण और समुचित अवसर प्राप्त होंगे। हमें यह समझना होगा कि इन बच्चों में भी अपार संभावनाएँ और अद्वितीय प्रतिभाएँ छिपी हुई हैं, जिन्हें पहचानने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
वास्तव में, विकसित भारत 2047 केवल आर्थिक प्रगति का लक्ष्य नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समावेश, समान अवसर और मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण भारत का सपना है, और इस सपने की सबसे मजबूत कड़ी हमारे विशेष आवश्यकता वाले बच्चे ही हैं।
हम सभी जानते हैं कि इन विशेष बच्चों को विशेष शिक्षा और चिकित्सा की आवश्यकता होती है। इसी उद्देश्य से लंबे समय से एक सुसज्जित प्रयोगशाला और डार्क रूम की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
एक ऐसा डार्क रूम जहाँ बच्चों की एकाग्रता और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता विकसित होती है। यहाँ सुनने, देखने और छूने जैसी इंद्रियों का विकास या पुनः सक्रियण होता है, जिससे उनकी जागरूकता और सतर्कता में वृद्धि होती है। यह कक्ष बच्चों के समन्वय और मोटर कौशल के विकास में भी सहायक सिद्ध होता है।
साथ ही, यह मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाकर संज्ञानात्मक विकास को प्रोत्साहित करता है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि यह मानसिक और शारीरिक रूप से गहन विश्राम प्रदान करता है, जिससे तनाव का स्तर अत्यंत कम हो जाता है। परिणामस्वरूप, बच्चा अधिक शांत, संतुलित और सकारात्मक बनता है तथा उसके आक्रामक व्यवहार में भी कमी आती है।
मुझे ज्ञात हुआ है कि हमारे पूर्व माननीय राज्यपाल, श्री बनवारी लाल पुरोहित जी ने इस डार्क रूम के निर्माण हेतु 20 लाख रुपये का अनुदान प्रदान किया था। मैं समझता हूं कि उनके इस योगदान ने बच्चों के भविष्य को नई दिशा देने का कार्य किया है।
आज जब यह डार्क रूम पूर्ण होकर बच्चों को समर्पित किया जा रहा है, तो मुझे विश्वास है यह कक्ष न केवल उनके प्रशिक्षण को अधिक प्रभावी बनाएगा, बल्कि उनकी आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास को भी सशक्त करेगा।
जैसा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा है, “हर बच्चा संभावनाओं की खान है, उसे सही दिशा देने की आवश्यकता है।”
साथियो,
मैं इस पहल से जुड़े विभिन्न पक्षों की सराहना करता हूँ जिन्होंने बच्चों की ज़रूरतों को समझते हुए उनके लिए ऐसा वातावरण तैयार किया। यह कार्य हमें यह याद दिलाता है कि वास्तविक विकास वही है जिसमें समाज के सबसे कमजोर और वंचित वर्ग को भी समान अवसर मिले।
प्रिय बच्चों, आप में अपार प्रतिभा, असीम ऊर्जा और उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ निहित हैं। यह विशेष सुविधा आपके व्यक्तित्व को निखारने और आपके सपनों को साकार करने में सहायक होगी। मुझे विश्वास है कि यहाँ से निकलकर आप सब समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगे।
अंत में, मैं पुनः इस सराहनीय प्रयास के लिए सभी को बधाई देता हूँ और आशा करता हूँ कि यह डार्क रूम आने वाले समय में अनगिनत बच्चों के जीवन में नई रोशनी लेकर आएगा।
धन्यवाद,
जय हिन्द!