SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF LEADERSHIP CONCLAVE 2025 AT CHANDIGARH ON AUGUST 21, 2025.
- PRB
- 2025-08-22 12:25
टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित ‘ऐजूप्रन्योर कॉनक्लेव’ पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 21.08.2025, गुरूवार समयः शाम 7:40 बजे स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
मैं आज टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा चंडीगढ़ ट्राइसिटी क्षेत्र की शिक्षण संस्थाओं और शिक्षा से जुड़े दिग्गजों को सम्मानित करने के लिए आयोजित इस ‘ऐजूप्रन्योर कॉनक्लेव’ में उपस्थित होकर अत्यंत हर्ष और गर्व की अनुभूति कर रहा हूँ।
यह एक ऐसा अवसर है जहाँ हम उन समर्पित व्यक्तियों और संस्थाओं को सम्मानित कर रहे हैं, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में नए प्रतिमान स्थापित किए हैं और ट्राई-सिटी को ज्ञान, नवाचार और उत्कृष्टता की भूमि बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वर्ष 1838 में स्थापित टाइम्स ऑफ इंडिया अपनी 186 वर्षों की समृद्ध विरासत को संभाले हुए विचारों का प्रकाश स्तंभ, विविध मतों का मंच और समाज की आत्मा का आईना रहा है। पत्रकारिता से लेकर वैचारिक नेतृत्व तक, टाइम्स ऑफ इंडिया ने राष्ट्र की चेतना को जगाने का कार्य किया है।
मुझे विश्वास है कि यह मंच शिक्षा के क्षेत्र के अग्रदूतों को नए शिखर छूने के लिए प्रेरित करता रहेगा।
देवियो और सज्जनो,
आज हमने लगभग 17 शिक्षण संस्थानों को सम्मानित किया है। मैं इन सभी सम्मानित संस्थानों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं और आशा करता हूं कि आप भविष्य में भी इसी प्रकार नवाचार, समर्पण और गुणवत्ता के साथ शिक्षा जगत को समृद्ध करते रहेंगे और आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन प्रदान करते रहेंगे।
हम सभी जानते हैं कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्ति का ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत, सामाजिक और राष्ट्रीय परिवर्तन का भी सशक्त माध्यम है। यह व्यक्ति का परिचय ज्ञान, कौशल, मूल्य और आत्मविश्वास से कराती है। इसकी राह पर चलने वाले अपना भविष्य संवारने के साथ ही समाज में भी विशिष्ट योगदान देते हैं।
शिक्षा का उद्देश्य मात्र अकादमिक सफलता तक सीमित नहीं है, बल्कि चरित्र निर्माण, अनुशासन की भावना, जिज्ञासा को प्रोत्साहन और करुणा का विकास भी इसमें निहित है। यही कारण है कि प्राचीन ऋषि-मुनियों से लेकर आधुनिक विचारकों तक ने शिक्षा को मानव उन्नति का केंद्र बिंदु माना है।
इस यात्रा में हमारे विद्यालय, कॉलेज और विश्वविद्यालय शिक्षण के दीप स्तंभ हैं। हमारे शिक्षक, प्राचार्य और शिक्षा जगत के नेतृत्वकर्ता इन संस्थाओं की आत्मा होते हैं। ये सच्चे अर्थों में राष्ट्र निर्माता हैं। वे न केवल बौद्धिक विकास करते हैं, बल्कि व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं। वे ईमानदारी, विचार शक्ति, जिज्ञासा और दृढ़ता जैसे गुणों के बीज बोते हैं, जो सशक्त और समावेशी समाज के निर्माण की नींव हैं।
देवियो और सज्जनो,
आज भारतीय प्रतिभा को विश्व भर में सराहा जा रहा है। सिलिकॉन वैली से लेकर वैश्विक कंपनियों के बोर्डरूम तक, भारतीय पेशेवर नवाचार, प्रौद्योगिकी, व्यापार और अनुसंधान में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
इस वैश्विक मान्यता के पीछे हमारी शिक्षा प्रणाली की ताकत और शिक्षण संस्थानों का अथक परिश्रम है। आपकी बदौलत हमारे युवा केवल डिग्रियाँ नहीं, बल्कि उद्देश्य, दिशा और नेतृत्व क्षमता प्राप्त कर रहे हैं।
भारत सरकार भी शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति से भली-भांति परिचित है। हाल के वर्षों में शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव किए गए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इस दिशा में एक दूरदर्शी कदम है। यह नीति ‘रटने से अधिक समझने पर ज़ोर’ देती है।
मात्र सुनने की जगह सक्रिय सहभागिता को बढ़ावा देती है और एकल विषयों से हटकर बहुविषयक शिक्षा को प्रोत्साहित करती है। इसका उद्देश्य छात्रों को रचनात्मक सोच, सहभागिता और व्यावहारिक ज्ञान के लिए तैयार करना है।
लेकिन किसी भी नीति की सफलता उसके क्रियान्वयन पर निर्भर करती है, और यही भूमिका आप सभी शिक्षकों, प्राचार्यों और शिक्षाविदों की है। मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप मिलकर कार्य करें, श्रेष्ठ शिक्षण विधियों को साझा करें और एनईपी 2020 के उद्देश्यों को हर कक्षा में जीवंत बनाएँ।
देवियो और सज्जनो,
शिक्षा वह माध्यम है जो समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक समान रूप से पहुंचनी चाहिए विशेष रूप से उन बच्चों तक जिनकी आवश्यकताएं विशेष होती हैं। ऐसे बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में शिक्षा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आज जब मैं इस अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित हूं तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि इसी दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए चंडीगढ़ के शिक्षा विभाग ने हाल ही में Policy For Providing Education to Differently Abled Students नीति का शुभारंभ किया है।
इस नीति का उद्देश्य शारीरिक, मानसिक या सीखने की किसी विशेष आवश्यकता से जूझ रहे बच्चों को स्कूलों में बेहतर सुविधाएं, प्रशिक्षित शिक्षक, और एक सहयोगी वातावरण उपलब्ध करवाना है।
यह नीति हमें यह सिखाती है कि शिक्षा में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। हर बच्चे में अद्भुत प्रतिभा होती है, बस हमें उसे समझने और उभारने की दृष्टि चाहिए।
देवियो और सज्जनो,
मुझे यह जानकर प्रसन्नता होती है कि चंडीगढ़ ट्राइसिटी क्षेत्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभर रहा है। यहां के छात्र देश ही नहीं, विदेशों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। यह सब आप जैसे ऐजूप्रन्योर्स द्वारा निर्मित समर्पित और संवेदनशील शैक्षणिक वातावरण के कारण संभव हो सका है। आपकी शिक्षण परंपरा, नैतिक मूल्यों और समग्र विकास की सोच प्रशंसनीय है।
ट्राईसिटी का शिक्षा परिदृश्य देश के सबसे समृद्ध शैक्षिक क्षेत्रों में से एक बन चुका है। चाहे वह स्मार्ट क्लासरूम हों, अनुसंधान उन्मुख शिक्षण हों या विद्यार्थियों में उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने की पहल, यहाँ के ऐजूप्रन्योर्स ने शिक्षण को केवल एक विषय नहीं, बल्कि एक अनुभव बना दिया है।
आज जब हम यहाँ आपकी उपलब्धियों का सम्मान कर रहे हैं, तब यह भी आवश्यक है कि हम अपने साझा संकल्प को दोहराएं कि हम आने वाली पीढ़ियों को न केवल ज्ञान, बल्कि सहानुभूति, विवेक और साहस के साथ सशक्त बनाएंगे। जब हम शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाते हैं, तो हम उन्नतशील राष्ट्र और सशक्त भविष्य का निर्माण करते हैं।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी का कहना था कि “शिक्षाविदों को चाहिए कि वे विद्यार्थियों में जिज्ञासा, सृजनशीलता, उद्यमशीलता और नैतिक नेतृत्व की क्षमताओं का निर्माण करें।”
उनका मानना था कि शिक्षा केवल ज्ञान देने तक सीमित न हो, बल्कि छात्रों के अंदर सवाल पूछने की जिज्ञासा, नए विचारों को जन्म देने की रचनात्मकता, जोखिम उठाकर आगे बढ़ने की उद्यमशीलता और समाज का मार्गदर्शन करने वाला नैतिक नेतृत्व विकसित करे। यही गुण भविष्य के जिम्मेदार नागरिक और विकसित भारत के निर्माता तैयार करेंगे।
प्रिय साथियो,
आप सभी ‘विकसित भारत 2047’ की इस महायात्रा के अनिवार्य स्तंभ हैं। विशेष रूप से आप सभी ऐजूप्रन्योर्स, जो हमारे युवाओं को जोखिम उठाने, प्रयोग करने तथा वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करते हैं।
इस दिशा में हमें ‘दृढ़ संकल्प’, ‘सतत प्रयास’ और ‘सामूहिक सहयोग’ के तीन प्रमुख मंत्रों को आत्मसात करना आवश्यक है। आज जब हम इस मंच पर आप सभी ऐजूप्रन्योर्स का सम्मान कर रहे हैं, तो मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप अपनी शिक्षा-यात्रा में प्रौद्योगिकी, अनुसंधान एवं उद्यमशीलता को सदैव आधारशिला बनाए रखें। प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान, प्रत्येक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और प्रत्येक नवाचार हमें ‘विकसित भारत 2047’ के संकल्प की ओर एक और कदम आगे बढ़ाता है।
साथियो, हमें यह स्मरण रखना होगा कि परिवर्तन एक दिन में संभव नहीं है। किंतु यदि हम सब अपनी प्रतिबद्धता और निरंतरता को बनाए रखें, तो आने वाला कल निश्चय ही स्वर्णिम होगा। आपका प्रत्येक प्रयास ‘स्वतंत्र भारत से समृद्ध भारत’ की इस अविरल यात्रा को गति प्रदान करेगा।
मैं Times of Indiaको इस सार्थक पहल के लिए विशेष रूप से बधाई देता हूँ। आपने न केवल उत्कृष्टता को मंच प्रदान किया है, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी प्रस्तुत किया है।
मैं एक बार फिर से आप सभी शिक्षकों, शिक्षा संस्थानों और शिक्षाविदों को हार्दिक बधाई देता हूँ। आपका योगदान अमूल्य है और देश की प्रगति में आपकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आशा करता हूं कि आप सभी भविष्य में भी शिक्षा के इस पवित्र यज्ञ में अपनी आहुति देते रहें और भारत को ज्ञान-प्रगति की ओर अग्रसर करें।
धन्यवाद,
जय हिन्द!