Speech of Hon’ble Governor of Punjab and Administrator, U.T. Chandigarh on the occasion of “Eat Right Walkathon & Mela” at G.D. Goenka School, SAS Nagar (Mohali) on 23rd August, 2025

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  • 2025-08-26 11:20

‘ईट राइट वाकाथॉन एंड मेला’ के अवसर पर 

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 23.08.2025, शनिवारसमयः सुबह 9:30 बजेस्थानः मोहाली

नमस्कार!

आज “ईट राइट वॉकाथॉन एवं मेला” का उद्घाटन करते हुए मुझे अत्यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है, जिसका आयोजन भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण तथा पंजाब खाद्य एवं औषधि प्रशासन के मार्गदर्शन में, हर्बालाइफ के समर्थन से, जी.डी. गोयनका पब्लिक स्कूल, मोहाली एवं द रेड कार्पेट वेंचर्स द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है।

देवियो और सज्जनो,

पिछले कुछ वर्षों में हमारे देश ने स्वास्थ्य एवं पोषण के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। तथापि, आज भी मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी गैर-संचारी बीमारियाँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। इन बीमारियों के प्रमुख कारणों में अस्वस्थ खानपान और स्थिर जीवनशैली शामिल हैं।

ऐसे में यह अत्यंत आवश्यक हो जाता है कि हम सभी मिलकर संतुलित आहार और जिम्मेदार उपभोग की संस्कृति को बढ़ावा दें। इस दिशा में “ईट राइट वॉकाथॉन एवं मेला” जैसे कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण पहल हैं।

आज का यह कार्यक्रम स्वास्थ्य विशेषज्ञों, पोषणविदों, फिटनेस उत्साहियों, विद्यालयी छात्रों तथा आम जनता को एक साझा मंच पर एकत्रित कर सुरक्षित, स्वस्थ एवं सतत खाद्य आदतों के प्रति जागरूक करने का अवसर प्रदान करता है।

मित्रो,

हम सभी जानते हैं कि किसी मजबूत राष्ट्र का निर्माण, तभी संभव है जब उसके नागरिक मजबूत हों, और मजबूत नागरिकों की नींव है, संतुलित एवं पोषक आहार। स्वास्थ्य केवल रोगों से मुक्त रहना नहीं है, बल्कि यह शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक तंदुरुस्ती की पूर्ण अवस्था है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी यह स्पष्ट किया है कि संतुलित आहार, शुद्ध जल, स्वच्छता और नियमित शारीरिक सक्रियता, न केवल दीर्घकालिक रोगों से रक्षा करते हैं बल्कि पाचन तंत्र को स्वस्थ रखते हैं, प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाते हैं और समग्र विकास में सहायक होते हैं।

आज के समय में अनेक अध्ययन यह प्रमाणित करते हैं कि कुपोषण, मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग और यहाँ तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियाँ, अस्वस्थ खानपान और असंतुलित जीवनशैली का प्रत्यक्ष परिणाम हैं। इसलिए आहार का सही स्वरूप समझना और अपनाना अत्यंत आवश्यक है।

अनाज, फल और सब्ज़ियाँ, दालें एवं अन्य प्रोटीन स्रोत हमारे आहार के प्रमुख समूह हैं, जो सभी मिलकर शरीर को सम्पूर्ण पोषण प्रदान करते हैं। यह ऊर्जा, प्रोटीन, विटामिन, खनिज और फाइबर का संतुलित अनुपात सुनिश्चित करते हैं, जिससे न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सुदृढ़ होता है, बल्कि बच्चों के मस्तिष्क विकास, रोगों से बचाव और जीवन प्रत्याशा में भी वृद्धि होती है।

सही खानपान के लाभ केवल व्यक्तिगत स्तर तक सीमित नहीं रहते। इसका असर पूरे परिवार, समाज और यहाँ तक कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। यही कारण है कि भारतीय आयुर्वेद ने आहार को सर्वोच्च स्थान देते हुए कहा है, ‘आहारो महाभेषज्यम्’, अर्थात आहार ही सबसे बड़ी औषधि है।

मेरा मानना है कि ‘ईट राइट’ केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक आंदोलन है, जो हर नागरिक को यह समझाने का प्रयास करता है कि हमारा भोजन केवल स्वाद के लिए नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवन के लिए होना चाहिए। 

आज भारत विश्व की सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश है। यदि हमारे युवा पीढ़ी को हम सही आहार, स्वच्छ पेयजल और पौष्टिकता प्रदान करते हैं, तो हम उन्हें न केवल बीमारियों से बचा सकते हैं, बल्कि उन्हें सशक्त, ऊर्जावान और रचनात्मक भविष्य के लिए तैयार भी कर सकते हैं।

इस संदर्भ में, मैं भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा शुरू किए गए ‘ईट राइट इंडिया मूवमेंट’ और ‘ब्लिसफुल हाइजीन रेटिंग’ जैसी पहलों की भी सराहना करता हूँ। यह अभियान न केवल शहरी भारत में, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँच बनाकर भारत को एक पोषित और प्रगतिशील राष्ट्र बनाने की दिशा में अग्रसर हैं।

देवियो और सज्जनो,

मैं समझता हूँ कि यदि हमें अपने भोजन के पोषण स्तर को बढ़ाना है और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनानी है, तो हमें मोटा अनाज, जिसे हम ‘मिलेट्स’ के नाम से भी जानते हैं, को अपने दैनिक आहार का अभिन्न हिस्सा बनाना होगा।

मोटा अनाज जैसे रागी, ज्वार, बाजरा, कोदो और कुटकी न केवल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, बल्कि ये हमारे शरीर में धीरे-धीरे पचते हैं, जिससे शुगर लेवल नियंत्रित रहता है और ऊर्जा लंबे समय तक बनी रहती है। ये अनाज ग्लूटेन-फ्री भी होते हैं, जो आज की जीवनशैली में एक बड़ा स्वास्थ्य लाभ है।

इसके साथ ही, मिलेट्स की खेती कम पानी, कम उर्वरक और कम संसाधनों में भी सफल होती है, जिससे यह न केवल स्वास्थ्य के लिए, बल्कि पर्यावरण के लिए भी एक टिकाऊ विकल्प बन जाता है। 

इसी महत्व को पहचानते हुए, हमारी सरकार ने मिलेट्स को पुनः जन-आहार का हिस्सा बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। वर्ष 2018 को राष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष घोषित करना और फिर वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष के रूप में मनाना इस दिशा में निर्णायक प्रयास रहे हैं। 

यह हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की दूरदृष्टि और प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो एक ऐसी खाद्य प्रणाली की स्थापना चाहते हैं जो हमारे स्वास्थ्य, हमारे किसानों की आय और हमारी धरती के पर्यावरणीय संतुलन, तीनों के लिए अनुकूल हो।

देवियो और सज्जनो,

भारत की सांस्कृतिक विरासत जितनी प्राचीन और समृद्ध है, उतनी ही गहराई हमारी पाकशैली में भी झलकती है। हमारी रसोई केवल भोजन बनाने का स्थान नहीं, बल्कि आयुर्वेद, परंपरा और स्वास्थ्य का संगम रही है, जहाँ भोजन को ‘‘अन्नं ब्रह्म’’ मानकर औषधि का दर्जा दिया गया।

वैदिक काल में आहार पंचमहाभूतों के संतुलन पर आधारित था और उसे शरीर, मन तथा आत्मा के पोषण का साधन माना जाता था। सात्त्विक, राजसिक और तामसिक आहारों की स्पष्ट परिभाषाएँ थीं, और चरक संहिता जैसे ग्रंथों में भोजन के गुण, प्रकार और समय का विस्तार से वर्णन मिलता है।

भारत में अन्न की विविधता अद्भुत है। उत्तर में गेहूं, दक्षिण में चावल, पश्चिम में ज्वार-बाजरा और पूरब में मछली-भात सांस्कृतिक और पोषणात्मक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। 

मसाले जैसे हल्दी, जीरा, अजवाइन, हींग और दालचीनी केवल स्वाद ही नहीं बढ़ाते, बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर हैं। यही मसाले भारत को विश्व व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का केंद्र भी बनाते रहे।

आज जब फास्ट फूड संस्कृति बढ़ रही है, तो हमारी पारंपरिक आहार पद्धति की ओर लौटना और भी आवश्यक हो गया है। यह केवल स्वाद की नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, दीर्घायु और संतुलन की बात है। 

देवियो और सज्जनो,

‘ईट राइट वाकाथॉन एवं मेला’ जैसे आयोजनों के माध्यम से हम इस धरोहर को पुनः जीवंत बना सकते हैं। यह वॉकाथॉन जहाँ एक ओर स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के हमारे सामूहिक संकल्प का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर यह मेला लोगों को पोषणयुक्त एवं संतुलित खाद्य विकल्पों के बारे में शिक्षाप्रद तथा रोचक ढंग से जानकारी प्राप्त करने का अनूठा अवसर प्रदान करता है।

ऐसे कार्यक्रम एक स्वस्थ एवं खुशहाल भारत के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। मैं भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण तथा पंजाब खाद्य एवं औषधि प्रशासन को पूरे देश में सुरक्षित एवं पौष्टिक भोजन की संस्कृति विकसित करने हेतु उनके सतत प्रयासों के लिए साधुवाद देता हूँ। 

“ईट राइट वॉकाथॉन एवं मेला” की भव्य सफलता के लिए मेरी शुभकामनाएँ और आशा करता हूँ कि इस प्रकार की पहलें आगे भी लोगों को स्वस्थ भोजन अपनाने और नियमित शारीरिक गतिविधि के लिए प्रेरित करती रहेंगी।

धन्यवाद।

जय हिंद!