SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF VALEDICTORY OF ARTIFICIAL INTELLIGENCE AND THE LAUNCH OF 80TH ANNIVERSARY CELEBRATIONS OF DCM GROUP OF SCHOOLS AT LUDHIANA ON AUGUST 30,2025.
- PRB
- 2025-09-01 13:00
आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस उत्सव के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 30.08.2025, शनिवार समयः शाम 4:30 बजे स्थानः लुधियाना
नमस्कार!
आज इस मंच पर उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। ‘डी.सी.एम. ग्रुप ऑफ स्कूल्स’ द्वारा अपनी 80वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आयोजित यह आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस उत्सव जिसे ‘ऐत्सव’ का नाम दिया गया है, वास्तव में एक ऐतिहासिक पहल है। यह महोत्सव तकनीकी प्रदर्शन के साथ भारत के उज्ज्वल भविष्य की एक झलक है।
हर्ष का विषय है कि यह संस्था 1946 में अपनी स्थापना के बाद से ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की अग्रदूत रही है। मुझे बताया गया है कि ‘डी.सी.एम. ग्रुप ऑफ स्कूल्स’ द्वारा पंजाब सहित हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ में स्कूलों का संचालन किया जा रहा है।
मुझे यह जानकर अत्यंत हर्ष और गर्व हुआ कि यह DCM Young Entrepreneurs School देश का पहला ऐसा स्कूल है, जहां बच्चों को पहली कक्षा से ही उद्यमिता का शिक्षण दिया जाता है ताकि वे बड़े होकर केवल नौकरी खोजने वाले नहीं, बल्कि दूसरों को रोजगार देने वाले बनें।
साथ ही, वे अपने नवाचार और नेतृत्व से हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विकसित भारत के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।
साथियो,
मैं यह कहना चाहूँगा कि ऐत्सव जैसा भव्य और सार्थक आयोजन पंजाब की धरती पर होना हम सभी के लिए गर्व और सम्मान की बात है। यह इस बात का प्रतीक है कि पंजाब अब केवल कृषि और उद्योग तक सीमित नहीं, बल्कि भविष्य की अत्याधुनिक तकनीकों का भी केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है।
प्रिय विद्यार्थियो,
विद्यालय वह पवित्र स्थान है जहाँ हमारे सपनों की पहली नींव रखी जाती है और जहाँ से हमारी उड़ान आरंभ होती है। विद्यालय केवल ईंट और पत्थरों का भवन नहीं, यह हमारे भविष्य का आधार है।
प्राचीन भारत की गुरुकुल प्रथा अपनी विशिष्टता में अद्वितीय थी, ऐसी शिक्षा व्यवस्था दुनिया के किसी अन्य देश में देखने को नहीं मिलती। गुरुकुल में विद्यार्थी एक गुरु के मार्गदर्शन में शिक्षा ग्रहण करते थे।
वे केवल सैद्धांतिक या नैतिक शिक्षा तक ही सीमित नहीं रहते थे, बल्कि खेती, पशुपालन, हथकरघा, युद्धकला, धनुर्विद्या, और कला जैसे व्यावहारिक ज्ञान का भी अध्ययन करते थे। इसका उद्देश्य था कि विद्यार्थी हर प्रकार से जीवन के लिए तैयार हो सकें।
इससे यह पता चलता है कि हमारी गुरूकुल प्रथा, जो अंग्रेज़ी शासन के प्रभाव से धीरे-धीरे समाप्त हो गई, कैसे बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान भी प्रदान करती थी।
आज के समय में जब शिक्षा आधुनिक तकनीक पर आधारित है, गुरुकुल पद्धति का महत्व और भी अधिक हो गया है। आने वाले समय में छात्रों की कौशल क्षमता ही हमारे बच्चों की मदद करने वाली है और यही उनका विकास सुनिश्चित करेगी।
इसी को ध्यान में रखते हुए, हमारे दूरदर्शी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू की गई है। इस नीति के माध्यम से विद्यार्थियों को कौशल विकास, अनुसंधान, नवाचार, उद्यमिता और तकनीकी समझ जैसे क्षेत्रों में प्रोत्साहित किया जा रहा है।
साथियो,
अभी जब मैं यहाँ पहुँचा तो मुझे बताया गया और मैंने स्वयं देखा कि डी.सी.एम. स्कूल्स के बच्चे कितने अद्भुत काम कर रहे हैं। यहाँ विभिन्न टीमों ने अपने स्टार्टअप्स के माध्यम से यह साबित किया है कि भविष्य इन्हीं के हाथों में सुरक्षित है।
टीम इंटेलि लॉक (Intelli Lock) सुरक्षा को स्मार्ट और भरोसेमंद बनाने वाले समाधान तैयार कर रही है। टीम ग्रीन मॉर्फ (Green Morph) पर्यावरण-हितैषी विकल्प देकर प्लास्टिक का इस्तेमाल कम कर रही है। टीम एग्री वॉकर (Agriwalker) खेती को आसान बनाने के लिए तकनीकी समाधान विकसित कर रही है।
इसके अलावा, टीम हैलोऐज (Haloedge) दुनिया का सबसे सफ़ेद पेंट-आधारित कूलिंग सिस्टम बना रही है, जो ऊर्जा बचाएगा। टीम ईको पोली (Ecopoly) पराली से पैकेजिंग पेपर तैयार कर पर्यावरण को बचा रही है। टीम ओटू टैग (O₂Tag) प्लास्टिक कवर की जगह पतली ईको-शीट से एक प्लास्टिक मुक्त भविष्य की ओर बढ़ रही है।
साथियो,
यह हमारे लिए गर्व की बात है कि आज भारत दुनिया के सबसे तेज़ी से विकसित हो रहे ए.आई. और उभरते हुए तकनीकी देशों में से एक है। अब ए.आई. केवल विज्ञान की किताबों का विषय नहीं रहा, यह हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, रक्षा, अंतरिक्ष अनुसंधान हर क्षेत्र में क्रांति ला रहा है।
लेकिन बच्चों, ए.आई. सिर्फ़ शुरुआत है। दुनिया अब उभरती हुई तकनीकों की ओर बढ़ रही है जैसे कि मशीन लर्निंग और डेटा साईंस, रोबोटिक्स ब्लॉकचेन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, वर्चुअल रिऐलिटी और ऑग्मेंटिड रिऐलिटी और आने वाला क्वांटम कंप्यूटिंग, जो कम्प्यूटिंग की दुनिया में एक नई क्रांति लाएगा।
भारत सरकार के राष्ट्रीय ए.आई. मिशन और डिजिटल इंडिया जैसे अभियानों ने नवाचार के द्वार खोल दिए हैं। और आज, ऐत्सव जैसे आयोजनों के माध्यम से, पंजाब के बच्चों को भी विश्व स्तरीय तकनीक से जुड़ने और सीखने का अवसर मिल रहा है।
सबसे गर्व की बात यह है कि भारतीय वैज्ञानिक और इंजीनियर आज गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, स्नोफ्लेक जैसी विश्व-प्रसिद्ध कंपनियों में तकनीकी शोध और नवाचार का नेतृत्व कर रहे हैं। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला, और स्नोफ्लेक के सीईओ श्रीधर रामास्वामी जैसे भारतीय मूल के नेता पूरी दुनिया में भारत की तकनीकी क्षमता का परचम लहरा रहे हैं।
और अब ए.आई. हिंदी, पंजाबी, तमिल, मराठी जैसी भारतीय भाषाओं में संवाद कर रहा है ताकि यह तकनीक हर गाँव, हर गली और हर बच्चे तक पहुँच सके। यह हमारे लिए अत्यंत गौरव की बात है कि भारत न केवल ए.आई. क्रांति का हिस्सा है, बल्कि उसका नेतृत्व भी कर रहा है।
ए.आई. का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह विशाल डाटा को तेज़ी से प्रोसेस कर सकती है, हर समय बिना थके काम कर सकती है और निर्णय लेने में मददगार साबित हो रही है।
हेल्थकेयर में बीमारियों की पहचान, शिक्षा में व्यक्तिगत लर्निंग मॉडल, ट्रैफिक प्रबंधन, अपराध रोकथाम और साइबर सुरक्षा जैसे अनेक क्षेत्रों में इसका उपयोग बढ़ रहा है।
लेकिन इसके साथ चुनौतियाँ भी हैं। ऑटोमेशन के कारण नौकरियों पर असर पड़ रहा है, और मशीनों में मानवीय संवेदनाएँ, नैतिकता व रचनात्मक सोच का अभाव है।
गलत या अधूरे डाटा से गलत परिणाम निकल सकते हैं और लगातार निगरानी के चलते प्राइवेसी को खतरा रहता है। साथ ही, इसका दुरुपयोग हथियार बनाने, साइबर अपराध या Fake Content फैलाने में भी हो सकता है।
इसलिए ज़रूरी है कि हम ए.आई. का इस्तेमाल जिम्मेदारी, नैतिकता और संतुलन के साथ करें ताकि यह तकनीक हमारे विकास, नवाचार और मानवता के कल्याण का साधन बने, न कि चुनौती।
साथियो,
वर्तमान ए.आई. क्रांति ने विकास और नवाचार के असीमित द्वार खोल दिए हैं, लेकिन हमें यह भी समझना होगा कि ‘डिजिटल विकास’ के दो पहलू हैं, सकारात्मक और नकारात्मक।
यदि हम इस तकनीक को जिम्मेदारी से सीखें और सकारात्मक दिशा में उपयोग करें, तो यह हमारे देश की प्रगति और मानव जीवन के उत्थान के लिए एक वरदान सिद्ध हो सकती है। लेकिन इसके नकारात्मक पहलू जैसे अत्यधिक ऊर्जा की खपत, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जल संकट, ई-वेस्ट और सामाजिक प्रदूषण जैसी चुनौतियाँ बहुत गंभीर हैं। इनके दुष्परिणाम केवल हमारे देश तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित करेंगे।
अतः मेरा आप सबसे आग्रह है कि हम ए.आई. को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते, परंतु इसे किस दिशा में ले जाना है, यह हमारे हाथ में है।
जैसे हमने ड्रोन के खतरों से निपटने के लिए एंटी-ड्रोन तकनीक विकसित की, वैसे ही हमें ए.आई. के दुष्परिणामों को रोकने वाली तकनीकें भी विकसित करनी होंगी। तभी हम अपनी संस्कृति, भारतीयता की पहचान और सबसे महत्वपूर्ण, विकास और पर्यावरण संतुलन, दोनों को साथ लेकर चल पाएंगे।
मैं आप सभी युवाओं से अपेक्षा करता हूँ कि आप तकनीक के जिम्मेदार, जागरूक और हरित उपयोगकर्ता बनें। ए.आई. का ऐसा मार्ग चुनें, जहाँ नवाचार हो, प्रगति हो, और साथ ही हमारी धरती का संरक्षण भी सुनिश्चित हो।
अंत में, मैं आपसे यही कहूँगा तकनीक तभी मूल्यवान है जब उसमें मानवता, नैतिकता और संवेदना जुड़ी हो।
सीखिए, प्रयोग कीजिए, और निर्माण कीजिए ताकि हम मिलकर एक नया भारत और एक उज्ज्वल भविष्य गढ़ सकें।
आप सभी को मेरी ओर से ढेरों शुभकामनाएँ।
धन्यवाद,
जय हिंद!