SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF TEACHER’S DAY CELEBRATION BY CHANDIGARH ADMINISTRATION AT CHANDIGARH ON SEPTEMBER 5, 2025.

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  • 2025-09-08 15:50

स्कूल शिक्षा विभाग चंडीगढ़ द्वारा आयोजित शिक्षक दिवस पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 05.09.2025, शुक्रवारसमयः सुबह 11:00 बजेस्थानः चंडीगढ़

    

नमस्कार!

आज जब हम शिक्षक दिवस मना रहे हैं तो सबसे पहले मैं भारत के दूसरे राष्ट्रपति और अनुकरणीय शिक्षक, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिनके जन्मदिवस को हम इस दिन के रूप में मनाते हैं।

शिक्षक दिवस के इस पावन अवसर पर मैं अपने उन सभी गुरुओं का सादर स्मरण करता हूँ, जिन्होंने मुझे केवल पढ़ाया ही नहीं, बल्कि स्नेह, अनुशासन और नैतिक मूल्यों के माध्यम से जीवन को एक सही दिशा दी। 

उन्होंने मुझे संघर्ष करने की प्रेरणा दी, आत्मविश्वास का संचार किया और विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने का साहस प्रदान किया। आज मैं अपने जीवन की जिस भी अवस्था तक पहुँचा हूँ, उसमें मेरे शिक्षकों की शिक्षा, उनके संस्कार और उनका मार्गदर्शन ही सबसे बड़ी पूँजी है। उनके प्रति मेरा हृदय सदैव कृतज्ञ रहेगा।

केवल मेरे जीवन में ही नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के जीवन में शिक्षक का स्थान सर्वोपरि है। शिक्षक ही भविष्य के नागरिकों को गढ़ते हैं और समाज को संस्कृति, ज्ञान और प्रगति के पथ पर अग्रसर करते हैं। 

यदि हमारे शिक्षक समर्पित और मूल्यनिष्ठ होंगे तो निश्चित ही आने वाली पीढ़ी राष्ट्र को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगी। इस दृष्टि से शिक्षक केवल एक पेशा नहीं, बल्कि राष्ट्र-निर्माण का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण दायित्व निभाते हैं।

 

देवियो और सज्जनो,

हमारे राष्ट्र के निर्माताओं, यानी हमारे बच्चों को मार्गदर्शन और सही दिशा प्रदान करने वाले शिक्षकों को समर्पित यह शिक्षक दिवस भारत की सनातन संस्कृति, समृद्ध परंपरा और उच्चतम मानवीय मूल्यों का जीवंत उत्सव है। यह दिन हमें स्मरण कराता है कि गुरु ही वह शिल्पी है, जो मानव-जीवन को गढ़ता है और राष्ट्र की नियति को आकार देता है।

भारतीय परंपरा में गुरु का स्थान सर्वाधिक सम्माननीय रहा है। वेदों में गुरु को अकल्पनीय प्रकाश कहा गया है। उपनिषदों ने तो गुरु को ही सत्यम्, ज्ञानम् और अनन्तम् का साकार रूप माना है। हमारे ग्रंथों में उक्ति हैः

“गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।

गुरु साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।”

गुरु केवल ज्ञान देने वाला नहीं, बल्कि जीवन को दिशा प्रदान करने वाला, आत्मा को संस्कार देने वाला और समाज को प्रगति की ओर अग्रसर करने वाला पथ-प्रदर्शक है।

एक बार भारत के महान पूर्व राष्ट्रपति, डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से एक समारोह में पूछा गया कि वे एक वैज्ञानिक के रूप में याद किए जाएंगे अथवा एक राष्ट्रपति के रूप में कलाम साहब ने जवाब दिया कि वे चाहेंगे कि उन्हें एक टीचर के रूप में याद किया जाए।

प्रिय शिक्षकगणों,

हमारे देश में जब संवाद और वाद-विवाद की संस्कृति को महत्व दिया जाता था, तभी आर्यभट, ब्रह्मगुप्त, वराहमिहिर, भास्कराचार्य, चरक और सुश्रुत जैसे महान गणितज्ञ, वैज्ञानिक और चिकित्सक सामने आए। आधुनिक विश्व भी उनके ज्ञान का ऋणी है।

इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, आप सभी शिक्षकों से मेरा अनुरोध है कि विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने और शंकाएँ व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें। जब आप उनके प्रश्नों का समाधान करते हैं, तो न केवल छात्रों का ज्ञान बढ़ता है बल्कि आपका ज्ञान भी और समृद्ध होता है।

भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण का उदाहरण भी हमें यही शिक्षा देता है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को स्नेह, धैर्य और तर्कपूर्ण संवाद से मार्गदर्शन दिया, उसे संदेह के अंधकार से बाहर निकाला और अंत में यह स्वतंत्रता भी दी कि वह अपने विवेक से निर्णय ले, ‘‘यथा इच्छसि तथा कुरु’’।

यही एक सच्चे शिक्षक की पहचान है। वह मार्ग दिखाता है, समाधान प्रस्तुत करता है, परंतु चयन की स्वतंत्रता शिष्य को ही देता है।

साथियो,

हालांकि हम 21वीं शताब्दी में प्रवेश कर चुके हैं और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तीव्र गति से प्रगति कर रहे हैं, लेकिन फिर भी शिक्षाजगत के सम्मुख अनेक गंभीर चुनौतियाँ विद्यमान हैं। प्रौद्योगिकी का वर्चस्व, मूल्य-आधारित शिक्षा का अभाव, शैक्षिक विषमता, और विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों की शिक्षा जैसे क्षेत्र हमें निरंतर स्मरण कराते हैं कि अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है।

इन चुनौतियों से जूझते हुए शिक्षक का उत्तरदायित्व और भी व्यापक हो जाता है। शिक्षक ही वह दीपक है, जो अंधकार में मार्गदर्शन करता है। शिक्षक ही वह ज्योति है, जो अज्ञान को ज्ञान में परिवर्तित करती है। शिक्षक ही वह शक्ति है, जो साधारण बालक को असाधारण नागरिक बना देती है। 

भारत ने शिक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के रूप में उठाया है। यह नीति शिक्षक को राष्ट्र-निर्माण का केंद्रीय स्तंभ मानती है। 

इसके माध्यम से बहुभाषीय शिक्षा, कौशल-आधारित शिक्षा और अनुसंधान पर बल दिया गया है। निरंतर शिक्षक प्रशिक्षण को अनिवार्य किया गया है। शिक्षक को राष्ट्रनिर्माता की संकल्पना को व्यवहार में लाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। यदि शिक्षक इस नीति को आत्मसात करेंगे, तो निश्चय ही भारत ज्ञान-सम्पदा का विश्वगुरु बनकर पुनः विश्व मंच पर प्रतिष्ठित होगा।

इतिहास साक्षी है कि किसी भी राष्ट्र का उत्थान उसके शिक्षकों के परिश्रम एवं तपस्या पर आधारित होता है। जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में सबसे पहले अपने शिक्षकों की सुरक्षा और सम्मान को प्राथमिकता दी। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी असंख्य शिक्षकों ने अपने ज्ञान, लेखनी और विचारों से समाज को जागृत किया। 

आज जब भारत विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में दृढ़ संकल्प के साथ अग्रसर है, तब शिक्षक ही इस महान यात्रा के वास्तविक अग्रदूत और पथप्रदर्शक हैं। वही आने वाली पीढ़ी के मन और मस्तिष्क को गढ़ते हैं, उनमें ज्ञान, मूल्य और अनुशासन का संचार करते हैं तथा उन्हें ऐसा सक्षम नागरिक बनाते हैं, जो राष्ट्र को नई ऊँचाइयों तक ले जा सके। 

आज के दिन हमें यह संकल्प करना होगा कि शिक्षकों को उचित सम्मान, प्रोत्साहन और सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जाए। उनकी समस्याओं और चुनौतियों का समाधान प्राथमिकता पर किया जाए। समाज में शिक्षक की गरिमा को सर्वोच्च स्थान मिले। विद्यार्थी और अभिभावक सदैव गुरु का आदर करना अपने जीवन का धर्म मानें।

देवियो और सज्जनो,

शिक्षा विभाग, यूटी चंडीगढ़ ने हमेशा शहर में शिक्षा के मानकों को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं।

यूटी चंडीगढ़ के सभी आवासीय क्षेत्रों में प्री-प्राइमरी से लेकर सीनियर सेकेंडरी स्तर तक आधुनिक सुविधाओं से युक्त कुल 111 स्कूलों की सुविधा उपलब्ध है। इनमें 42 सीनियर सेकंडरी स्कूल, 54 हाई स्कूल, 12 मिडल स्कूल और 3 प्राईमारी स्कूल शामिल हैं, जहां लगभग 1 लाख 40 हजार छात्र शिक्षा हासिल कर रहे हैं। इनमें 2 पीएमश्री स्कूल भी शामिल हैं।

मार्च से जुलाई 2025 के बीच शिक्षा विभाग ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं। 11 जून को कक्षा 12वीं के 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल करने वाले 237 मेधावी विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र और 5 हजार रुपये देकर सम्मानित किया गया।

साथ ही, ‘अडॉप्ट-ए-स्कूल’कार्यक्रम के तहत 42 सरकारी विद्यालयों के लगभग 60 हजार विद्यार्थियों को जीवन कौशल, साइबर जागरूकता और स्वच्छता संबंधी मार्गदर्शन दिया जा रहा है, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी, चिकित्सक और प्राध्यापक मार्गदर्शक के रूप में जुड़े हैं।

‘उड़ान परियोजना’के अंतर्गत 700 मेधावी लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को जे.ई.ई., नीट, आई.ए.एस. और एन.डी.ए. जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क कोचिंग उपलब्ध कराई जा रही है। इसके साथ ही, ‘कैशलेस कैंपस’पहल के माध्यम से विद्यालयों में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दिया जा रहा है। अब सभी फीस डिजिटल माध्यम से जमा की जा रही है, जिससे वित्तीय लेन-देन अधिक पारदर्शी और सुरक्षित हो सके।

पर्यावरण शिक्षा के क्षेत्र में मई 2025 से सभी सरकारी विद्यालयों में ‘किचन गार्डन’ की शुरुआत की गई है। इससे विद्यार्थी पौधों की वृद्धि, स्थिरता और स्वस्थ खानपान की आदतों को प्रत्यक्ष अनुभव से सीख रहे हैं। यह पहल पर्यावरणीय शिक्षा और व्यावहारिक शिक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

इसके साथ ही, शिक्षक भर्ती के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ दर्ज की गईं। इस वर्ष जहां 779 शिक्षकों की नियमित भर्ती की प्रक्रिया पूर्ण की गई, वहीं पहली बार विशेष शिक्षकों की नियुक्ति भी की गई। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए शिक्षा नीति का शुभारंभ भी किया गया है। यह समावेशी शिक्षा की दिशा में हमारे दृढ़ संकल्प का प्रमाण है।

मुझे यह बताते हुए मुझे अत्यंत हर्ष हो रहा है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा 18 जून 2025 को जारी रिपोर्ट में चण्डीगढ़ को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनकर्ता घोषित किया गया है। प्रचेष्टा-1 श्रेणी में चण्डीगढ़ को सर्वोच्च ग्रेड मिला है। 

शिक्षा विभाग, चंडीगढ़ प्रशासन शिक्षा के क्षेत्र में अनेक कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, जिसका श्रेय आप सभी अध्यापकों को जाता है।

आज राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर जिन शिक्षकों को सम्मानित किया गया, उनको मैं हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ देता हूँ। आज के इस ख़ूबसूरत आयोजन के लिए शिक्षा विभाग को भी बधाई देता हूँ।

आज के इस गरिमामय अवसर पर मैं सभी शिक्षकों को हृदय से नमन करता हूँ। आप ही भारत की आत्मा के संरक्षक हैं। आप ही राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के निर्माता हैं। आप ही वह ज्योति हैं, जिसकी आभा से अज्ञान का अंधकार मिटता है। 

आइए, हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि शिक्षा को केवल नौकरी का माध्यम न बनाकर चरित्र और संस्कृति का मार्गदर्शक बनाएँगे। राष्ट्र के प्रत्येक बालक को शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करेंगे और शिक्षक को समाज में सर्वोच्च सम्मान प्रदान करेंगे।

याद रखें डॉ. राधाकृष्णन ने कहा था, “शिक्षा का उद्देश्य संकीर्णता से मुक्ति दिलाना और सत्य, सदाचार तथा नैतिकता के मार्ग पर अग्रसर करना है।”

इन्हीं शब्दों के साथ, मैं आप सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ।

धन्यवाद,

जय हिंद!