SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF BLOOD DONATION CAMP AT CGC UNIVERSITY, MOHALI ON SEPTEMBER 5, 2025.

  • PRB
  • 2025-09-08 15:55

सीजीसी यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 05.09.2025, शुक्रवारसमयः दोपहर 12:30 बजेस्थानः मोहाली

    

नमस्कार!

आज मुझे लाला जगत नारायण जी की 44वीं पुण्यतिथि को समर्पित इस रक्तदान शिविर में आप सभी के बीच उपस्थित होकर अत्यंत हर्ष और गर्व की अनुभूति हो रही है।

इस रक्तदान शिविर का आयोजन सीजीसी यूनिवर्सिटी मोहाली और करण गिल्होत्रा फाउंडेशन द्वारा पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और फेथ फाउंडेशन के सहयोग से कराया जा रहा है।

इन सभी को मैं इस प्रेरणादायी पहल के सफल आयोजन हेतु हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ। यह आयोजन केवल एक श्रद्धांजलि मात्र नहीं है, बल्कि यह मानवता की सेवा के प्रति एक उत्कृष्ट संकल्प और समाज के लिए अनुकरणीय संदेश है।

देवियो और सज्जनो,

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानियों में से एक हमारे लाला जगत नारायण जी का जन्म 31 मई 1899 को वजीराबाद (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। उनका सम्पूर्ण जीवन सत्य, निडरता और राष्ट्रहित के मूल्यों के प्रति समर्पित रहा। 

हम सभी जानते हैं कि उन्होंने पंजाब केसरी समूह की स्थापना देश की आज़ादी के बाद 1948 में की थी। उस समय यह अख़बार सिर्फ समाचार देने का काम नहीं कर रहा था, बल्कि आज़ादी के बाद देश और समाज के समक्ष जो चुनौतियाँ थीं, उन्हें उजागर करने और उनके समाधान का भी हिस्सा रहा।

पंजाब केसरी समूह को आज इसके मुख्य संपादक श्री विजय चोपड़ा जी लीड कर रहे हैं। उनके मार्गदर्शन में उनके बेटे श्री अविनाश चोपड़ा और श्री अमित चोपड़ा अख़बार का कार्य देख रहे हैं। चौथी पीढ़ी में श्री अभिजय चोपड़ा, श्री अविनव चोपड़ा और श्री आरूष चोपड़ा इस कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं।

इस संदर्भ में मैं चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ कॉलेजेज़, जिसे अब सीजीसी यूनिवर्सिटी के रूप में जाना जाता है, का उल्लेख करना चाहूँगा। यह संस्थान न केवल शिक्षा का केंद्र है, बल्कि शोध, नवाचार और सामाजिक उत्थान के लिए भी निरंतर कार्य कर रहा है। इसके स्नातक देश-विदेश में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं।

इसके संस्थापक चेयरमैन सरदार रशपाल सिंह धालीवाल जी ने अपनी दूरदृष्टि और प्रतिबद्धता से यह सिद्ध किया है कि शिक्षा ही सशक्त भारत की नींव है। उनका यह संकल्प, राष्ट्र के युवाओं को उत्कृष्ट अवसर उपलब्ध कराना, सराहनीय और प्रेरणादायी है।

इसी कड़ी में, करण गिल्होत्रा फ़ाउंडेशन का भी विशेष उल्लेख आवश्यक है। इसके अध्यक्ष श्री करण गिल्होत्रा जी ने राष्ट्र सेवा और समाज कल्याण को अपने जीवन का ध्येय बनाया है। शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्यमिता के क्षेत्र में उनका योगदान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। वे लगातार युवाओं को राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। उनकी यह निस्वार्थ सेवा हम सबके लिए प्रेरणादायी है।

साथ ही, पीएचडी चैंबर्स का योगदान भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। श्री करण गिल्होत्रा जी के नेतृत्व में यह संगठन न केवल उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में देश को मजबूती दे रहा है, बल्कि सामाजिक सरोकारों को भी बखूबी निभा रहा है। राष्ट्र निर्माण में उद्योग और समाज का संतुलन आवश्यक है और पीएचडी चैंबर्स ने इस संतुलन को साकार करने का कार्य किया है। 

इसके अलावा, फेथ फाउंडेशन की भूमिका भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। आज फ़ाज़िल्का, फिरोज़पुर और अबोहर से जो प्रतिनिधि विशेष रूप से इस रक्तदान शिविर के लिए यहाँ पधारे हैं, उनका मानव सेवा के प्रति समर्पण अनुकरणीय है। यह संस्था लगातार सामाजिक एकता और मानवीय मूल्यों के लिए कार्य कर रही है। उनका यह योगदान हमें यह संदेश देता है कि मानवता की सेवा ही सच्चा धर्म है।

देवियो और सज्जनो,

आज का यह रक्तदान कार्यक्रम वास्तव में समाज सेवा से जुड़ा हुआ अत्यंत पुनीत कार्य है। यहाँ से एकत्र होने वाले प्रत्येक यूनिट रक्त का उपयोग अस्पतालों में गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की जान बचाने के लिए किया जाएगा। दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों को समय पर रक्त उपलब्ध होगा और थैलेसीमिया जैसे रोगों से पीड़ित बच्चों के उपचार में भी यह रक्त जीवनदायिनी सिद्ध होगा। इस प्रकार का कार्य केवल एक दान नहीं बल्कि मानवता की सबसे बड़ी सेवा है।

ऐसे शिविरों के माध्यम से समाज में रक्तदाताओं की एक नई चेतना का निर्माण हो रहा है। विशेष रूप से वे लोग, जो अपनी ज़िंदगी में पहली बार रक्तदान करते हैं, उनके भीतर समाज के प्रति कर्तव्यबोध और उत्तरदायित्व की भावना प्रबल होती है। यह अनुभव न केवल उन्हें गर्व का एहसास कराता है बल्कि उन्हें बार-बार इस नेक कार्य को करने के लिए प्रेरित भी करता है।

मेरा मानना है कि रक्तदान का लाभ केवल मरीजों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इसका सकारात्मक प्रभाव स्वयं दानदाता के जीवन पर भी पड़ता है। चिकित्सक मानते हैं कि नियमित रक्तदान से रक्त संचार प्रणाली सक्रिय रहती है और दानदाता के स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। सबसे बड़ी बात यह है कि रक्तदान से व्यक्ति के भीतर निस्वार्थ भाव, संवेदनशीलता और सामाजिक एकता की भावना मजबूत होती है।

इसलिए आवश्यक है कि विशेष रूप से देश की युवा पीढ़ी आगे आकर रक्तदान को एक सामाजिक आंदोलन बनाए। यदि प्रत्येक सक्षम व्यक्ति वर्ष में कम से कम दो बार रक्तदान का संकल्प ले, तो हमारे देश में रक्त की कभी कमी नहीं होगी और असंख्य जिंदगियाँ बचाई जा सकेंगी। यही इस कार्यक्रम का सच्चा उद्देश्य और लाला जगत नारायण जी जैसे महापुरुषों के आदर्शों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।

देवियो और सज्जनो,

यह सार्वभौमिक सत्य है कि चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद रक्त किसी फैक्टरी अथवा लैब में तैयार नहीं किया जा सकता। हम सभी जानते हैं कि रक्त केवल मानव शरीर में ही बनता है और रक्त की कमी को भी केवल रक्तदान से ही पूरा किया जा सकता है, इसलिए मानव जीवन बचाने के लिए रक्तदान के महत्व को हम सभी को समझना होगा विशेष रूप से युवाओं को इसके लिए आगे आना होगा। 

यह देश युवाओं का देश है व दुनिया में किसी एक देश में सबसे अधिक युवाओं की संख्या भारत में ही है। ऐसे में स्वैच्छिक रक्तदान के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने और यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी कि रक्त की कमी की वजह से इस देश में कोई मृत्यु न हो, युवाओं के ही कन्धों पर है। आपके खून की चंद बूंदें किसी के घर का चिराग बुझने से बचा सकती हैं, किसी की मांग का सिन्दूर मिटने से रोक सकती हैं, किसी बहन को उसके भाई का जीवन लौटा सकती हैं।

हम सभी को समझना होगा कि जब हम अपने एक युनिट रक्त का दान करते हैं तो न केवल बेशकीमती मानव जीवन बचाने का साधन बनते हैं बल्कि उस व्यक्ति के साथ हमारा एक और रिश्ता बनता है जो रक्त का होता है, और यह रिश्ता धर्म, जाति, क्षेत्र के बंधन से मुक्त होता है क्योंकि रक्त केवल रक्त ग्रुप देखकर चढ़ाया जाता है, जाति, धर्म अथवा क्षेत्र देखकर नहीं। इसीलिए रक्तदान को जीवन दान और महादान भी कहा गया है।

साथियो,

हमारे महान राष्ट्र की परंपरा हमेशा से ‘‘देने’’ की रही है। भारत का इतिहास बलिदान और परोपकार की अनगिनत गाथाओं से भरा पड़ा है। महर्षि दधीचि ने इन्द्र के मांगने पर अपने शरीर की हड्डीयां तक दान कर दी थीं, जिससे वज्र का निर्माण हुआ। राजा शिवि ने कबूतर की रक्षा के लिए अपने शरीर का मांस काटकर तराज़ू पर रख दिया तो भगवान श्री राम के पूर्वज राजा दलीप गाय की रक्षा के लिए स्वयं को बलिदान करने के लिए तैयार हो गए। 

मानवता की भलाई के लिए सिद्धार्थ ने राजपाट त्याग दिया और वो गौतम बुद्ध हो गए। गुरू गोबिन्द सिंह ने देश व धर्म की रक्षा के लिए अपना पूरा परिवार कुर्बान कर दिया।

पंजाब की धरती करुणा और मानवता की परंपरा से समृद्ध रही है। भाई कन्हैया जी इसका सबसे उज्ज्वल उदाहरण हैं, जिन्होंने 1705 में आनंदपुर साहिब की लड़ाई के दौरान बिना किसी भेदभाव के घायल सिख और मुग़ल सैनिकों की सेवा की। उन्होंने सिद्ध किया कि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। आज उन्हीं की सेवा-भावना से प्रेरित होकर पंजाब में उनके नाम पर कई अस्पताल और संस्थाएँ चल रही हैं।

रक्तदान भी उसी परंपरा का हिस्सा है, क्योंकि यह धर्म, जाति या वर्ग नहीं देखता, बल्कि केवल जीवन बचाने की भावना से किया जाता है। इसलिए, हमें चाहिए कि दानवीरता के मार्ग पर बढ़ते हुए हम भी रक्तदान के लिए आगे आएं ताकि आपका और हमारा खून किसी की रगों में जीवन बनकर दौड़े और रक्त की कमी से कोई जान न जाए।

साथियो,

हम सब जानते हैं कि किसी भी संघर्ष या आपदा के समय सबसे अधिक आवश्यकता होती है त्वरित चिकित्सा सहायता और रक्त की उपलब्धता की। ऐसे में इस प्रकार के रक्तदान शिविर एक प्रकार से राष्ट्रीय सुरक्षा में सहयोग का अप्रत्यक्ष लेकिन सशक्त माध्यम बन जाते हैं। रक्तदान के माध्यम से हम मानवता की सेवा तो करते ही हैं, साथ ही हम अपने देश की आंतरिक शक्ति को भी सुदृढ़ करते हैं।

अंत में, मैं इस रक्तदान शिविर के आयोजन के लिए पंजाब केसरी समूह, सीजीसी यूनिवर्सिटी, करण गिलहोत्रा फाउंडेशन, पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री तथा फेथ फाउंडेशन का हार्दिक धन्यवाद करता हूं। 

रक्तदान केवल जीवन बचाना नहीं, बल्कि जीवन साझा करना है। आइए, हम सब मिलकर इस सेवा भाव को आगे बढ़ाएँ और मानवता का वास्तविक संदेश समाज तक पहुँचाएँ।

धन्यवाद,

जय हिंद!