SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF NATIONAL SPORTS DAY AT CHANDIGARH ON SEPTEMBER 8, 2025.
- PRB
- 2025-09-10 05:15
चंडीगढ़ के खेल विभाग के ‘छात्रवृत्ति सम्मान समारोह’ पर
राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन
दिनांकः 08.09.2025, सोमवार
समयः सुबह 11:00 बजे
स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
आज इस छात्रवृत्ति सम्मान समारोह में आप सबके बीच उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता और गर्व का अनुभव हो रहा है। यह अवसर हमारे उन प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की असाधारण उपलब्धियों का उत्सव है, जिन्होंने राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में शीर्ष स्थान प्राप्त कर चंडीगढ़ का नाम रोशन किया है।
आज छात्रवृत्ति से सम्मानित सभी खिलाड़ियों को मैं हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ। यह सम्मान आपके उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ते कदमों का प्रतीक है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप आगे भी इसी समर्पण और जज़्बे के साथ नई ऊँचाइयों को छूते रहेंगे और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेंगे।
आपकी यह यात्रा किसी सहज राह का नाम नहीं, बल्कि संयम, कड़ी मेहनत, अनुशासन, त्याग और असंख्य रातों की जागृत साधना का अद्भुत उदाहरण है। प्रारंभिक दिनों में संसाधनों की कमी, सीमित अवसरों और तमाम सामाजिक-पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच, आपने कभी हार नहीं मानी, अपितु बाधाओं को सीढ़ी बनाकर सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचे।
‘गिरते हैं शहसवार ही मैदाने-जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरे जो घुटनों के बल चले’। (मतलब युद्ध के मैदान में लड़ते समय योद्धा ही गिरता है। जो घुटनों के बल चलते हैं वो क्या गिरेंगे।) - यह पंक्ति आपकी प्रतिभा और आपके जुनून पर पूरी तरह खरी उतरती है।
साथियो,
पिछले वर्ष मार्च 2024 में हम एक ऐतिहासिक उपलब्धि के साक्षी बने, जब 2 हजार 394 खिलाड़ियों को 10 करोड़ 44 लाख रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की गई थी। यह सम्मान इंटर-स्कूल और इंटर-कॉलेज स्टेट लेवल प्रतियोगिताओं में उनके असाधारण प्रदर्शन की पहचान थी।
इसके अतिरिक्त, मई 2025 में माननीय केंद्रीय खेल मंत्री द्वारा 300 से अधिक खिलाड़ियों को 1 करोड़ 32 लाख रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की गई, जिससे यह और स्पष्ट हो गया कि चंडीगढ़ प्रतिभा को पोषित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि इस वर्ष खेलों की यह यात्रा और अधिक गति प्राप्त कर रही है। आज 1 हजार 630 खिलाड़ियों को राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने पर कुल 7 करोड़ 12 लाख रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी।
इस संदर्भ में, मैं यह भी उल्लेख करना चाहूँगा कि विभाग द्वारा उन कोचों को भी सम्मानित किया जाता है, जिनके ट्रेनियों ने मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किए। वर्ष 2015-16 तथा 2016-17 के लिए 13 कोचों को कुल 2 लाख 95 हजार रूपये की नकद पुरस्कार राशि प्रदान की गई थी।
अब, इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, हमने वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के दौरान ट्रेनियों की उपलब्धियों के लिए आज 12 पात्र कोचों को कुल 7 लाख 22 हजार 500 रूपये की नकद पुरस्कार राशि से सम्मानित किया है।
खेल विभाग वर्ष 1991 से पदक विजेताओं को नकद पुरस्कार प्रदान करता आ रहा है। पहले यह प्रक्रिया ऑफलाइन और जटिल थी, परंतु अब ऑनलाइन कैश अवार्ड पोर्टल शुरू किया गया है, जिससे आवेदन, ट्रैकिंग और अपडेट आसान हो गए हैं।
यह पहल प्रक्रिया को तेज, पारदर्शी और समान अवसर देने वाली है। यह विभाग की पाँचवीं प्रमुख सेवा है जिसे ऑनलाइन किया गया है, इससे पहले स्टेडियम बुकिंग, खेल परिसर सदस्यता, ग्रेडेशन प्रमाणपत्र और छात्रवृत्ति का डिजिटलीकरण किया जा चुका है।
मित्रो,
चंडीगढ़ प्रशासन हमेशा से ही खेलों के प्रोत्साहन और खिलाड़ियों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध रहा है। प्रशासन की दूरदर्शी नीतियों और ठोस योजनाओं ने न केवल शहर में खेलों की मजबूत नींव रखी है, बल्कि उभरती प्रतिभाओं को पहचानने और उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने का अवसर भी प्रदान किया है।
प्रशासन ने खेलों के प्रति सराहनीय कदम उठाते हुए एक प्रगतिशील खेल नीति शुरू की है। इस खेल नीति के अनुसार, ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता को 6 करोड़ रूपए का नकद पुरस्कार, रजत पदक विजेताओं को 4 करोड़ रुपए और कांस्य पदक विजेताओं को 2.5 करोड़ रुपए मिलेंगे।
मेरा मानना है कि किसी भी बच्चे का व्यक्तित्व केवल कक्षा के भीतर नहीं, बल्कि कक्षा के बाहर खेलों और गतिविधियों से आकार लेता है। खेल बच्चों में खेल भावना, दृढ़ संकल्प, टीमवर्क, भाईचारा और सम्मान जैसे गुण विकसित करते हैं और नशे जैसी सामाजिक बुराइयों से बचाने में भी सहायक होते हैं।
इसी दृष्टिकोण से हाल ही में 2 सितंबर को चंडीगढ़ प्रशासन, ‘फेडरेशन इंटरनेशनल डी वॉलीबॉल (FIVB), अभिनव बिंद्रा फाउंडेशन ट्रस्ट (ABFT) और वॉलीबॉल फाउंडेशन के बीच हुए समझौते के तहत “उड़ान-स्कूल वॉलीबॉल कार्यक्रम” की शुरुआत की गई है, जिसका उद्देश्य विद्यालय स्तर पर बच्चों की प्रतिभा को निखारना और वॉलीबॉल को बढ़ावा देना है।
साथ ही, जनवरी 2025 में खेल एवं शिक्षा विभाग ने अभिनव बिंद्रा फाउंडेशन ट्रस्ट के सहयोग से ओलंपिक मूल्य शिक्षा कार्यक्रम (OVEP) शुरू किया, जो छात्रों में नेतृत्व, अनुशासन और सहयोग जैसे कौशल विकसित कर उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
इसके अलावा, खेल बुनियादी ढांचे की बात करें तो हाल ही में खेल विभाग ने सेक्टर-8 और सेक्टर-39 स्थित खेल परिसरों में समर्पित शतरंज केंद्र स्थापित किए हैं, जो युवाओं को रणनीति और बौद्धिक क्षमता की दुनिया से जुड़ने का अवसर प्रदान कर रहे हैं।
इसी प्रकार, सेक्टर-42 स्थित खेल परिसर में आधुनिक बिलियर्ड्स और स्नूकर हॉल का शुभारंभ विभाग की इस प्रतिबद्धता का प्रमाण है कि मुख्यधारा और गैर-मुख्यधारा दोनों प्रकार के खेलों को समान महत्व और प्रोत्साहन दिया जाए।
उल्लेखनीय है कि खेल विभाग चंडीगढ़ द्वारा सेक्टर-16 क्रिकेट स्टेडियम को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाने के प्रयास के तहत नई पिच बनाई गई है और मैदान को पूरा हरा-भरा बनाने के लिए नया घास लगाया गया है।
साथ ही, चंडीगढ़ में अब शिक्षा विभाग ने विद्यालयों के खेल मैदान स्थानीय खेल संघों के लिए खोलने की पहल की है। इससे खेल संघों को आधुनिक उपकरण और प्रशिक्षित कोच उपलब्ध होंगे, जिससे खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण मिलेगा और विद्यालय व समाज के बीच मजबूत जुड़ाव स्थापित होगा।
मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि चंडीगढ़ प्रशासन खेल और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने हेतु 2 नवम्बर 2025 को पहला अंतरराष्ट्रीय चंडीगढ़ मैराथन आयोजित कर रहा है। इसके लिए आज हमने जिस समर्पित वेबसाइट का शुभारंभ किया है, उसके माध्यम से देश-विदेश के धावकों को आमंत्रित किया जाएगा और विजेताओं को आकर्षक नकद पुरस्कार दिए जाएंगे।
ये सभी कदम न केवल युवाओं की भागीदारी का दायरा बढ़ाते हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि चंडीगढ़ का खेल दृष्टिकोण भविष्य की ओर उन्मुख है, जहाँ मैदान पर खेले जाने वाले खेल हों या बोर्ड पर खेले जाने वाले, हर खेल को उचित मान्यता और समर्थन दिया जाएगा।
साथियो,
खेल महज एक शौक, शारीरिक क्रिया या जीत का परिणाम भर नहीं है। जीवन यात्रा में, विशेष रूप से किशोरावस्था और युवावस्था में, खेल व्यक्ति के बहुआयामी विकास का माध्यम है।
भारत में खेलों के महत्व को गुरुकुल परंपरा से लेकर आधुनिक शिक्षा प्रणाली तक विशेष स्थान मिला है। “पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब” जैसी पुरानी सोच अब बदल चुकी है। आज नीति-निर्माता, अभिभावक, और शिक्षकगण खेल को चरित्र, नेतृत्व, और जीवन प्रबंधन का श्रेष्ठ साधन मानने लगे हैं।
विशेषज्ञों की मानें, तो नियमित खेलों में भाग लेने से न केवल ‘फोकस’ और ‘कंसंट्रेशन’ में सुधार होता है, बल्कि युवाओं की रचनात्मकता और निर्णय क्षमता भी विकसित होती है। सचिन तेंदुलकर, पी.वी. सिंधु, मेरी कॉम, नीरज चोपड़ा जैसी विश्व की मशहूर हस्तियों के पीछे एक बात समान है, वह है अनुशासन, सतत अभ्यास, निरंतरता और लक्ष्य के प्रति समर्पण।
मैं समझता हूं कि खेल किसी भी राष्ट्र की आत्मा का आईना है। विश्व मंच पर जब कोई भारतीय खिलाड़ी पदक हासिल करता है, तिरंगा शान से लहराता है, तब करोड़ों भारतीयों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।
खेल जाति, धर्म, भाषा, प्रांत के बीच एक सेतु का कार्य करते हैं, जिसमें सभी भारतवासी खिलाड़ियों की सफलता में सहभागी होते हैं। यही तो हमारी टीम भावना, भाईचारा और समरसता का सशक्त संदेश है।
आज खेल उद्योग और इससे जुड़े स्टार्टअप्स देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने लगे हैं। राष्ट्रीय खेल नीति-2025 के तहत सरकार ने गांव से महानगर तक खिलाड़ियों के लिए आधुनिक सुविधाएँ, प्रशिक्षण, पुरस्कार और छात्रवृत्तियाँ उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है।
राष्ट्रीय खेल नीति-2025 का उद्देश्य 2036 ओलंपिक तक भारत को टॉप-5 खेल राष्ट्रों में शामिल करना है। यह तभी संभव है जब देश के हर कोने, स्कूल और गाँव से खिलाड़ियों को प्रोत्साहन मिलेगा।
खेलो इंडिया, फिट इंडिया, और टॉप्स (टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम) जैसी योजनाएं नयी उर्जा, नये उत्साह और सपनों को यथार्थ में बदलने का आधार बन रही हैं। खेल न केवल बच्चों की प्रतिभा को परखते हैं, बल्कि एक सशक्त और स्वस्थ राष्ट्र की नींव भी रखते हैं।
खेल का मैदान केवल विजय अथवा हार का स्थान नहीं, बल्कि जीवन-संग्राम की कठोर भूमि है, जहां हर गिरावट सीख है, और प्रत्येक प्रयास भविष्य का आश्वासन। किसी ने खूब कहा है, “एक हार, सौ जीत का आधार होती है; जो डर मिटाता है वही विजेता कहलाता है।”
खिलाड़ियों की सफलता अकेले उनकी नहीं, उनमें योगदान देने वाले हर अभिभावक, कोच, शिक्षक, और समाज की भी है। आपके विश्वास, प्रेरणा और सहयोग ने उनके सपनों को पंख दिए हैं। कृपया आगे भी इसी तरह उनके मार्गदर्शक और प्रेरक बने रहिए।
प्रिय खिलाड़ियों, तुम अभी उस उम्र में हो, जहां ऊर्जा असीमित है, उत्साह अपार है। अपने लिए लक्ष्य निर्धारित कीजिए, मेहनत और अनुशासन के पथ पर चलिए, कार्य के प्रति श्रद्धा एवं देश के प्रति प्रेम को अपने जीवन का मंत्र बनाइए।
आज प्रदान की गई छात्रवृत्तियाँ मात्र आर्थिक सहायता नहीं हैं, बल्कि आपके प्रति एक विश्वास का प्रतीक हैं। यह विश्वास आपके कौशल, आपके समर्पण और आपकी उस क्षमता पर है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित कर सकती है।
मैं एक बार पुनः सभी सम्मानित खिलाड़ियों और कोचों को हार्दिक बधाई देता हूँ और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
याद रखिए, विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए खेल हमारी राष्ट्रीय शक्ति का महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। स्वस्थ, अनुशासित और प्रतिभावान युवा ही इस लक्ष्य को साकार करेंगे।
आइए, हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि भारत को खेलों की दुनिया में शीर्ष स्थान पर पहुँचाएँगे।
धन्यवाद,
जय हिंद!