SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF CONVOCATION CEREMONY OF NMIMS AT CHANDIGARH ON AUGUST 28,2025.
- PRB
- 2025-08-28 17:40
एन.एम.आई.एम.एस. विश्वविद्यालय के चंडीगढ़ कैंपस के प्रथम दीक्षांत समारोह के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 28.08.2025, गुरूवार समयः सुबह 10:00 बजे स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
आज नरसी मोंजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज़ (NMIMS) विश्वविद्यालय के चंडीगढ़ कैंपस के प्रथम दीक्षांत समारोह में आप सबके बीच उपस्थित होकर मुझे अत्यंत हर्ष और गर्व की अनुभूति हो रही है। यह दीक्षांत समारोह ज्ञान, शिक्षा और अनुसंधान की उस यात्रा का उत्सव है, जिसने आज अपने प्रथम चरण की सफलता प्राप्त की है।
मैं आज बी.कॉम. और बी.बी.ए. की उपाधि प्राप्त करने वाले सभी 44 छात्र-छात्राओं को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ। साथ ही, इस मंच पर अपने उत्कृष्ट दायित्व-निर्वहन के लिए सम्मानित किए गए संस्थान के तीन संकाय सदस्यों और एक कर्मचारी को भी मैं हार्दिक अभिनंदन और शुभकामनाएँ देता हूँ।
यह जानकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई कि NMIMS विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ कैंपस के बी.कॉम. के दो विद्यार्थियों ने शीर्ष स्थान प्राप्त कर संस्थान का गौरव बढ़ाया है और इसके लिए इन्हें विशेष तौर पर सम्मानित भी किया गया है।
मुझे बताया गया है कि प्रतिष्ठित NMIMS विश्वविद्यालय की स्थापना 1981 में मुंबई में ‘श्री विले पार्ले केलवाणी मंडल’ द्वारा की गई थी। प्रारंभ में यह विले पार्ले के भाईदास हॉल के ऊपर एक छोटे से स्थान में 4 पूर्णकालिक फैकल्टियों के साथ 40 विद्यार्थियों के लिए संचालित हुआ।
हालांकि, अपनी स्थापना के बाद के वर्षों में, इसने अपने दायरे और प्रतिष्ठा दोनों में तेजी से विस्तार किया। 2003 में, इसे ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ द्वारा ‘डीम्ड विश्वविद्यालय’ का दर्जा प्राप्त हुआ।
वर्तमान में 35 हजार से अधिक छात्र और 500 से अधिक पूर्णकालिक फैकल्टी सदस्य इस प्रतिष्ठित संस्थान का हिस्सा हैं।
श्री अमरीश भाई पटेल NMIMS विश्वविद्यालय के वर्तमान अध्यक्ष और श्री विले पार्ले केलवाणी मंडल के ट्रस्टी हैं। इनके नेतृत्व में ट्रस्ट ने शिरपुर (महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के सीमावर्ती इलाक़े) और आसपास के क्षेत्रों में 69 स्कूल व 13 कॉलेज स्थापित किए हैं।
NMIMS विश्वविद्यालय के चंडीगढ़ के अलावा मुंबई, नवी मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, शिरपुर, अहमदाबाद और इंदौर में भी परिसर हैं।
मुझे बताया गया है कि चंडीगढ़ परिसर की आधारशिला 12 अक्टूबर 2009 को तत्कालीन पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक, माननीय जनरल (सेवानिवृत्त) एस. एफ. रोड्रिग्स, द्वारा रखी गई। संस्थान ने शैक्षणिक वर्ष 2021-22 से संचालन आरंभ किया।
NMIMS चंडीगढ़ का पहला निजी विश्वविद्यालय है। इसे NAAC द्वारा A++ ग्रेड तथा मिनिस्ट्री ऑफ ऐजूकेशन से कैटेगरी-1 विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त है।
प्रिय विद्यार्थियो,
आज का दिन आपके लिए जीवन की नई शुरुआत का प्रतीक है। डिग्री प्राप्त करना एक ऐसा सम्मान है जो समाज और राष्ट्र के प्रति आपके कर्तव्य और उत्तरदायित्व की याद दिलाता है।
आपने कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद इस प्रतिष्ठित संस्थान में प्रवेश पाया, लगन और परिश्रम के साथ अपनी पढ़ाई पूरी की और आज उपाधि एवं पुरस्कार प्राप्त कर समाज और राष्ट्र की सेवा हेतु तैयार हैं।
यह क्षण जितना आपके लिए गर्व का है, उतना ही आपके माता-पिता, शिक्षकों और उन सभी के लिए भी है जिन्होंने अब तक आपके जीवन को आकार देने में योगदान दिया है।
जैसे ही आप उपाधि लेकर दुनिया में कदम रखें, तो याद रखें कि आपका ज्ञान और कौशल केवल तभी सार्थक हैं जब वे ईमानदारी और सत्यनिष्ठा में निहित हों। ईमानदारी और सत्यनिष्ठा आपके व्यवसायिक जीवन, व्यक्तिगत संबंधों और समग्र समाज में विश्वास का निर्माण करते हैं। इसके बिना सफलता पल भर की होती है, लेकिन इसके साथ सफलता चिरस्थायी हो जाती है।
प्रिय विद्यार्थियो,
आज की तेज़ गति से बदलती दुनिया में एक ऐसा मूल्य है, जो अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, और वह है, नैतिकता। यह हमें केवल व्यक्तिगत सफलता तक सीमित न रहकर समाज के उत्थान हेतु प्रेरित करती है। कौशल अवसर दिलाता है, पर नैतिकता ही चरित्र, प्रतिष्ठा और सम्मान को स्थायी बनाती है।
इसके अलावा, अनुशासन को अपना सूत्र बनाइए, समर्पण को अपना मित्र बनाएं, और ईश्वरभक्ति को अपना मार्गदर्शक। जब इन मूल्यों में आपका चरित्र ढलेगा, आपकी विद्या का प्रभाव स्वतः सम्मानित होगा।
मेरे अनुभव मुझे यह कहने को प्रेरित करते हैं कि आज की उपलब्धियाँ, प्रशंसा व तालियाँ शायद भूल जायें, पर आपको सदैव आपके दयालु हृदय, दूसरों की मदद, और किसी को खास महसूस कराने के लिए याद किया जायेगा।
अतः करुणामयी नागरिक बनिए, दुर्भाग्यशाली लोगों को न भूलिए। सफलता केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों से नहीं, बल्कि समाज के सामूहिक कल्याण से परिभाषित होती है।
साथ ही, हमें समाज में फैलने वाली बुराइयों से भी सचेत रहना होगा। महात्मा गांधी ने ‘यंग इंडिया’ पत्रिका में सात घातक पापों का उल्लेख किया था - चरित्रहीन ज्ञान, श्रमहीन धन, विवेकहीन सुख, नैतिकताहीन व्यापार, मानवताहीन विज्ञान, त्यागहीन धर्म और सिद्धांतहीन राजनीति। गांधीजी का संदेश स्पष्ट है कि केवल चरित्रवान पुरुष और स्त्रियाँ ही समाज को शांति, सद्भाव और समृद्धि की ओर अग्रसर कर सकते हैं।
प्रिय विद्यार्थियो,
आज आप जिस युग में जी रहे हैं, वह कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानि Artificial Intelligence का युग है। यह सच है कि इस दौर में इस तकनीक से कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं रह सकता। अगर हम इस तकनीक को सही दिशा में समझेंगे, जिज्ञासा रखेंगे, और जिम्मेदारी से सदुपयोग करेंगे, तो न केवल अपना भविष्य उज्ज्वल करेंगे बल्कि देश के विकास में भी योगदान देने में सक्षम होंगे।
ए.आई. केवल कंप्यूटर इंजीनियरों के लिए नहीं, बल्कि हर विद्यार्थी के लिए उपयोगी है। वर्तमान ए.आई. क्रांति ने हमारे लिए विकास और नवाचार के नए द्वार खोले हैं, लेकिन हमें समझना होगा कि ‘डिजिटल विकास’ के दो पहलू हैं, सकारात्मक और नकारात्मक।
अगर हम इसे बड़ी जिम्मेदारी से सीख कर सकारात्मक तौर पर आगे बढ़ें तो यह देश के विकास के लिए बहुत सहायी सिद्ध होगा।
लेकिन इसके नकारात्मक पहलू जैसे उच्च ऊर्जा खपत, ग्रीनहाउस उत्सर्जन, जल संकट, ई-वेस्ट, सामाजिक प्रदूषण आदि, बहुत खतरनाक हैं, जिसके परिणाम अकेले हमारे देश के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकते हैं।
यहां पर मेरा आप सभी से यही आग्रह है कि हम ए.आई. तकनीक से अछूते तो नहीं रह सकते लेकिन इसके भविष्य को संवारने के लिए उचित उपयोग कैसे करें, वह हम पर निर्भर है।
हमने जैसे ड्रोन का एंटी-ड्रोन बनाया है, वैसे ही हमें ए.आई. तकनीक के नुकसानदायक पहलुओं को रोकने के लिए भी तकनीक विकसित करने पर पूरी निष्ठा के साथ काम करना होगा। तभी हम, अपने देश की संस्कृति, भारतीयता की पहचान और सबसे अहम, विकास के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन को कायम रख पाएंगे।
आप सभी से उम्मीद करता हूँ कि तकनीक के जिम्मेदार, जागरूक और हरित उपयोगकर्ता बनें। ए.आई. का ऐसा मार्ग चुनें, जिसमें नवाचार के साथ-साथ पृथ्वी का संरक्षण भी हो।
प्रिय विद्यार्थियो,
आज भारत अमृतकाल के उस महत्वपूर्ण पड़ाव पर खड़ा है, जहाँ हम सबका लक्ष्य है, विकसित भारत 2047। इस महान संकल्प की प्राप्ति में आप जैसे युवा स्नातक सबसे बड़ी भूमिका निभाएँगे। आपकी ऊर्जा, आपका नवाचार और आपका समर्पण ही इस देश को विश्वगुरु बनाने में सहायक होगा।
मुझे विश्वास है कि इस संस्थान में अर्जित शिक्षा, अनुभव और मूल्य आपके हर पथ को उज्ज्वल करेंगे और आप अपने संस्थान, परिजनों और राष्ट्र का नाम रोशन करेंगे।
अंत में, मैं आप सभी स्नातकों से आह्वान करता हूँ कि जहाँ भी जाएँ, वहाँ केवल सफलता ही नहीं, बल्कि मानवता, नैतिकता और करुणा का संदेश भी लेकर जाएँ। आपका जीवन उद्देश्य, ईमानदारी, सेवा और सफलता से भरपूर हो।
इसी भावना के साथ, मैं आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
धन्यवाद,
जय हिंद!