SPEECH OF HON'BLE GOVERNOR OF PUNJAB & ADMINISTRATOR U.T. CHANDIGARH SH. BANWARILAL PUROHIT ON OCCASION OF HIS VISIT TO THE BURAIL JAIL AT CHANDIGARH ON 18 APRIL, 2022

  • PRB
  • 2022-04-18 18:55

नमस्कार,

आज मैं यहां आप लोगों के लिए बने एक नये मुलाक़ात कक्ष व आपके रेडियो स्टेशन का उद्घाटन के लिए आया हूं। खुशी हुई कि यहां पर यह पहलकदमियां की जा रही हैं।

चंडीगढ़ जेल को 1972 में एक उप जेल के रूप में स्थापित किया गया था। इसे जनवरी, 1990 में एक केंद्रीय जेल के समकक्ष मॉडल जेल के रूप में दर्जा दिया गया।

मुझे बताया गया है कि मॉडल जेल, चंडीगढ़ में जेल कैदियों के कल्याण के लिए कई सुधारात्मक गतिविधियां की जा रही हैं। जैसे कि, विभिन्न क्षेत्रों में कौशल आधारित प्रशिक्षण प्रदान करना ताकि बंदियों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके जिससे वे जेल से रिहा होने के बाद अपनी आजीविका कमाने में सक्षम हो सकें।

जेल प्रशासन द्वारा ऐसी सुधारात्मक गतिविधियों को चलाना प्रशंसनीय है क्योंकि ऐसा करने से आप वापिस मुख्यधारा में आने के योग्य बनेंगे। जेल विभाग, चंडीगढ़ द्वारा और भी नई पहल की गई हैं जैसे बायो गैस प्लांट की स्थापना,

बैरकों का नाम प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखना,

मॉडल जेल आर्ट गैलरी की स्थापना जिसमें कैदी विभिन्न प्रकार की पेंटिंग बना रहे हैं,

कैदियों के व्यवहार संबंधी आकलन के लिए बॉडी वियर कैमरों की खरीद।

इसके अलावा आपके लिए आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन, मेडिकल चैकअप का प्रबंध, आज के जमाने के उपयुक्त स्कूटर रिपेयर, रेफ्रिजेशन, एयरकंडीशनिंग जैसे वोकेशनल कोर्स करवाए जा रहे हैं।

यहां पर मनोरंजन से जुड़ी सुविधाएं जैसे बैडमिंटन, कैरम बोर्ड, कबड्डी आदि व सेहत संभाल के लिए जिम का प्रबंध है। कानूनी सहायाता के लिए लीगल ऐड सेल स्थापित किया गया है।

जेल विभाग ने कैदियों के लिए शिक्षा कार्यक्रम भी शुरू किया है ताकि इसे देश में ‘‘सबसे अधिक शिक्षित जेल’’ बनाया जा सके जिसके तहत शिक्षा विस्तार के लिए इग्नू स्टडी सेंटर और लाईब्रेरी स्थापित की गई है। शिक्षित कैदियों द्वारा अनपढ़ कैदियों को प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने के लिए लगाया गया है। यह बहुत ही प्रशंसनीय है। विद्या की रौशनी से हम अपना, अपनों का और दूसरों का जीवन रौशन कर सकते हैं।

जेल प्रशासन का एक और कार्य मुझे बहुत अच्छा लगा वह यह कि इन्होंने सुधारात्मक उपाय के रूप में, बेहतर प्रेरणा के लिए, इस वर्ष जनवरी से कैदियों को डीडी नेशनल चैनल पर प्रसारित भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा‘‘मन की बात’’, दिखाना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री जी देश की समृद्धि के लिए क्या चाहते हैं और इसमें जनता कैसे सहभागी बन सकती है यह जानना आपका अधिकार है ताकि आप भी यथाक्षेम योगदान दे सकें।

बताया गया है कि जेल परिसर में स्वच्छता बनाए रखने के लिए, कैदियों और जेल कर्मचारियों द्वारा ‘‘स्वच्छ भारत अभियान के तहत श्रम दान ’’ पाक्षिक आधार पर जेल परिसर के अंदर शुरू किया गया है।

वर्तमान में बायो गैस प्लांट द्वारा 5-7 गैस सिलेंडर का उत्पादन किया जा रहा है। हाल ही में खरीदे वाहनों के द्वारा गौशाला से गाय के गोबर को नियमित रूप से गैस प्लांट में डालना सुनिश्चित किया जायेगा तथा गैस का उत्पादन 10-12 गैस सिलिंडरों तक बढ़ाया जायेगा।

जेल के सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट ‘‘रेडियो स्टेशन’’ ने आज से काम करना शुरू कर दिया जहां कैदी रेडियो जॉकी (आर.जे) के रूप में कार्य करेंगे और अपनी छिपी प्रतिभा जैसे कविता, गायन, समाचार साझा करने आदि को बाहर करने का अवसर मिलेगा।

आपको प्रतिष्ठित रेडियो एफएम (FM) के आर.जे के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। यह प्रणाली सार्वजनिक संबोधन प्रणाली के रूप में भी काम करेगी और इसके माध्यम से स्वास्थ्य आध्यात्म पर नियमित व्याख्यान आयोजित किए जाएंगे।

अभियांत्रिकी विभाग द्वारा नये कैदियों के मिलने के लिए कक्ष भी बनाया गया है जिसमें बंदियों एवं उनके परिवार के सदस्यों को सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

मैं मॉडल जेल, चंडीगढ़ के कैदियों के लिए इस तरह की सुधारात्मक गतिविधियों को शुरू करने के लिए जेल विभाग, चंडीगढ़ को बधाई देता हूं। मुझे उम्मीद है कि कैदी भी जेल प्रशासन का सहयोग करेंगे और इस तरह की सुधारात्मक गतिविधियों का लाभ उठाएंगे।

मैं जेल अधिकारियों से आग्रह करूंगा कि वे शीघ्र अति शीघ्रप्रधान मंत्री कौशल विकास योजना के तहत कौशल विकास के और कार्यक्रम चलाएं ताकि बंदियों के पुनर्वास के लिए व्यापक अवसर प्रदान किए जा सकें। रिहाई के बाद स्वयं के लिए योग्यता व क्षमता के अभाव में नौकरी हासिल न कर पाना, पूर्णतया अस्वीकार्य है। यह हमारे समुदायों और हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बुरा है।

मेरा मानना है कि जेल को सुधारगृह के रूप में काम करना चाहिए।

जेल तंत्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कारावास के दौरान बंदियों के दुख-दर्द कम हों न की बढ़ें। हमें कैदियों को सुधारने और उन्हें समाज में ससम्मान वापस लाने की जरूरत है।

पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा जेलों की स्थिति में सुधार के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जैसे फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालतें, जिससे लंबित और विचाराधीन कैदियों की संख्या को कम करने में मदद मिलेगी और जेल तंत्र पर बढ़ता दबाव कम होगा।

हम बंदियों की देखभाल और पुनर्वास की प्रक्रिया में गैर सरकारी संगठनों और नागरिक समाज संगठनों को भी शामिल कर सकते हैं। इस क्षेत्र में समाज की भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहिए। कैदियों के सुधार की दिशा में प्रयासों को मजबूत करने के लिए सुधारात्मक सेवाओं में जनता की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है।

आइए हम यह सुनिश्चित करें कि जिन लोगों ने समाज के प्रति अपना कर्ज चुका दिया है , वे अपने समुदायों में फिर से जुड़ जाएं। हम व्यवसायों के माध्यम से सज़ा काट चुके बंदियों को नौकरी प्रदान करके या फिर उनकी शिक्षा और प्रशिक्षण संबंधी कार्यक्रमों में मदद करके अपनी भूमिका निभाएं।

हम सभी एक साथ मिलकर इस उद्देश्य के प्रति प्रयासरत हों तभी हम राष्ट्र के रूप में सभी के लिए स्वतंत्रता और न्याय के अपने संस्थापक आदर्श पर खरे उतर सकते हैं।

धन्यवाद ।

जय हिन्द !