SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI BANWARILAL PUROHIT ON THE OCCASION OF NEON RUN ON THE OCCASION OF INTERNATIONAL DAY AGAINST DRUG ABUSE AND ILLICIT TRAFFICKING ON JUNE 20, 2022 FOR NASHA MUKT BHARAT

  • PRB
  • 2022-06-20 19:10

मंच पर विराजमान महानुभावों, युवाओं एवं उपस्थित सज्जनों, नमस्कार

आज जब हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो उस समय नशा मुक्त भारत के लिए ‘‘नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी’’ के खिलाफ जागरूकता फैलाना और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।

नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक वैश्विक चुनौती बन गई है जिसका सामना विकसित देशों के लिए भी काफी मुश्किल है। अवैध नशीली दवाओं का उपयोग एक गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि इससे स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर चुनौतियां पैदा होती हैं। इससे दुनिया भर में सामाजिक विकास और स्थिरता पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

मादक पदार्थों की लत न केवल किसी व्यक्ति के पतन का कारण बनती है, बल्कि इससे जुड़े सभी लोगों के जीवन और मनोबल पर भी गहरा प्रभाव डालती है और इस आदत से इन लोगों के परिवारों को इनसे ज्यादा दुख और कष्ट झेलने पड़ते हैं। किसी परिवार का कोई सदस्य जो नशीली दवाओं की लत का शिकार हो गया हो, के देखभाल की चिंता उसके परिवार के लिए एक अभिशाप बन जाता है; उनका दुख उनके समाज के ताने बाने को कमजोर करता है। हमारी जनसांख्यिकीय रूपरेखा और नशीली दवाओं के दुरुपयोग को देखते हुए भारत जैसे देश के लिए यह गंभीर चिंता का विषय है।

विशेष रूप से युवा पीढ़ी इस खतरे की चपेट में है, जो उत्तेजना, जिज्ञासा या नशीली दवाओं के प्रयोग संबंधी जोखिम लेने के चलते आसानी से नशीले पदार्थों की लालच में फंस जाती है। इसका कारण इस उम्र में, अवैध दवाओं का प्रयोग करने के लिए साथियों द्वारा उन पर बनाया जाता दबाव हो सकता है और साथ ही ड्रग्स लेने वालों को या तो गलत जानकारी दी जाती है या इसके सेवन सेस्वास्थ्य को होने वाले जोखिमों के बारे में अपर्याप्त जानकारी होती है।

जहां एक ओर मादक पदार्थों का उपयोग दिनो-दिन बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर, हम देख रहे हैं कि सामाजिक पाबंदियां, आत्म-संयम पर जोर, संयुक्त परिवार प्रणाली में निहित अनुशासन और पारंपरिक बंधन समाप्त होते जा रहे हैं

अन्य कारकों के अलावा, इस सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन से उत्पन्न तेजी से बदलता सामाजिक परिवेश, जिससे देश गुजर रहा है, नशीली दवाओं के दुरुपयोग के प्रसार में योगदान दे रहा है। सिंथेटिक ड्रग्स और इन्ट्रावेनस ड्रग्स के उपयोग से उत्पन्न होने वाले एचआईवी/एड्स के खतरे ने इस समस्या को एक नया आयाम दे दिया है।

नशीली दवाओं का दुरुपयोग न केवल नशीली दवाओं की उपलब्धता और आपूर्ति से उत्पन्न होने वाली समस्या है, बल्कि यह उन सामाजिक परिस्थितियों से भी संबंधित है जो ऐसे पदार्थों की खपत की मांग पैदा करती हैं। आधुनिक समाज की वल्नरबिलिटी नारकोटिक और साइकोट्रोपिक दवाओं के सेवन और दुरुपयोग को बढ़ावा देने में एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाती है।

देवियों एवं सज्जनों,

दिसंबर 1987 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 26 जून को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था। यह नशीली दवाओं के दुरुपयोग से मुक्त एक अंतर्राष्ट्रीय समाज के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अभियान व सहयोग को मजबूत करने के अपने दृढ़ संकल्प की अभिव्यक्ति थी।

एक व्यसन मुक्त समाज के महत्व को समझते हुए, हमारे संविधान निर्माताओं ने राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों (Directive Principles of State Policy) के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र में सुधार को सरकार के प्राथमिक कर्तव्यों में से एक बना दिया था। विशेष रूप से,हमारे संविधान के अनुच्छेद 47 में यह निर्धारित किया गया था कि राज्य मादक पेय और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक दवाओं के औषधीय उपयोग को छोड़कर इनके अन्य किसी प्रकार के उपभोग पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करेगा नशीली दवाओं की आपूर्ति और मांग दोनों को नियंत्रित करने के लिए, नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985 लागू किया गया था। इस एक्ट में नशीले पदार्थों की अवैध तस्करी के नियंत्रण के लिए कड़े प्रावधान मौजूद हैं और सरकार को मादक पदार्थों की लत की रोकथाम और उपचार के लिए केंद्र स्थापित करने का अधिकार देता है।

इस नीतिगत ढांचे के साथ-साथ हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम अपने प्रोग्रामों के डिलिवरी मेकनिज़म में भी सुधार करें। निजी क्षेत्र और सिविल सोसायटी की भागीदारी के साथ योजनाओं और कार्यक्रमों को लक्षित समूहों तक प्रभावी ढंग से पहुंचाया जाना चाहिए। हमारे पास और अधिक आउटरीच कार्यक्रम होने चाहिएं जो युवाओं को मादक पदार्थों के सेवन संबंधी कटु सत्यों से अवगत कराएं।

निर्भरता पैदा करने वाले पदार्थों की मांग को कम करने की दृष्टि से, रोकथाम शिक्षा कार्यक्रमों और नशा पीड़ितों को समाज की मुख्य धारा में फिर से जोड़ने पर जोर दिया जाना चाहिए। सामुदायिक संसाधनों को जुटाने और अधिक से अधिक सामुदायिक भागीदारी पर जोर दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, कानून लागू करने वाली एजेंसियों को नशा पीड़ितों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील बनाया जाना चाहिए ताकि पुनर्सुधार करके समाज में उनका पुनर्वास किया जा सके।

मैं पुनः दोहराता हूं कि हमें निरंतर और परिणामोन्मुख तरीके से नशीली दवाओं के दुरुपयोग के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए अधिक से अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। ऐसे पदार्थों के हानिकारक प्रभावों से लोगों को दूर करने के लिए उपयुक्त और समय पर प्रदान की गई शैक्षिक जानकारी सबसे प्रभावी साबित हो सकती है।

मुझे खुशी है कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, चंडीगढ़ द्वारा नशीले पदार्थों के दुरूपयोग और अवैध तस्करी के विरूद्ध अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ विरोध दिवस के तहत नशीली दवाओं के खतरों के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों के तहत 12 से 26 जून, 2022 के मध्य नशे से आज़ादी पखवाड़ा का आयोजन किया गया है। जिसकी श्रृंखला में आज चडीगढ़ क्लब से इस निओन रन का आयोजन किया जा रहा है जोकि एक सराहनीय कार्य है।

आइए हम सब मिलकर नशे की लत से पीड़ित लोगों की मदद करने का संकल्प लें और देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के इस संदेश को अपनाएं
(I quote) - ‘‘नशे की लत से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति, परिवार, मित्र, समाज, सरकार और कानून, यानि सभी घटकों को साथ मिलकर एक दिशा में काम करने की ज़रूरत है’’ (Unquote)।

मैं शिक्षकों, स्वास्थ्य सेवाएं प्रदाताओं, कानून प्रवर्तन अधिकारियों, और सभी समुदायों के नेताओं के गठबंधन को व्यापक लेकिन संवेदनशील तरीके से अपने-अपने क्षेत्रों में नशीली दवाओं के दुरूपयोग से निपटने का आह्वान करता हूं।

हम में से प्रत्येक व्यक्तिगत रूप से और हम सब मिलकर अपना बहुमूल्य योगदान दें ताकि इस नशे की समस्या को जड़ से समाप्त किया जा सके और हमारा देश प्रगति के मार्ग पर सदैव अग्रसर रहे।

मुझे आप सभी से पूरी उम्मीद एवं विश्वास है कि आप सब आज से ही नशे के विरूद्ध इस युद्ध में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे, अपने आसा-पास हो रहे नशे के व्यापार की जानकारी सुरक्षा एजंसियों को देंगे और अपने शहर, राज्य एवं देश को नशामुक्त बनाने में पूरा सहयोग देंगे।

धन्यवाद,

जय हिन्द !