SPEECH OF HONOURABLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI BANWARILAL PUROHIT ON THE OCCASION OF LAUNCH OF MANNUAL OF ARCHITECTURAL PRACTICE AT CHANDIGARH ON 28TH AUGUST, 2022

  • PRB
  • 2022-08-28 18:30

  • वास्तुकला परिषद द्वारा निर्धारित वास्तुकला व्यवसाय के मैनुअल के शुभारंभ के अवसर पर छात्रों, शिक्षकों, वास्तुकारों, योजनाकारों, प्रशासकों और पर्यावरणविदों की इस सभा के बीच आज शाम यहां आकर मुझे अति प्रसन्नता हो रही है।

· मैं वास्तुकला परिषद के अध्यक्ष का धन्यवाद करता हूं जिन्होंने इस अवसवर पर मुझे आमंत्रित किया और एक ऐसे पेशे से जुड़े लोगों से मिलने का अवसर दिया जिसका मानव के कल्याण, सुरक्षा और खुशियों पर बहुत ही महत्वपूर्ण प्रभाव है।

  • मैं वास्तुकला व्यवसाय के मैनुअल के शुभारंभ के अवसर पर आप सभी को अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

· वास्तुकला एक प्राचीन विधा है जो दुनिया के हर हिस्से में सदियों से प्रचलित है।

· जब हम वास्तुकला के इतिहास की तरफ देखते हैं तो कई बेहतरीन वास्तुकार जिन्होंने शानदार भवनों का निर्माण किया है की याद आती है।

· भारत में वास्तुकला का एक बहुत समृद्ध इतिहास और परंपरा रही है।

· एक ओर जहां देश के कई हिस्सों में पुरातात्विक उत्खनन से हजारों साल पुराने सुनियोजित और सुव्यवस्थित शहरों के अस्तित्व का पता चला है, वहीं दूसरी ओर हमारे पास हमारे प्राचीन मंदिरों और किलों,बौद्ध स्तूपों और विहारों तथा दिल्ली स्थित कुतुब मीनार और चित्तौड़गढ़ स्थित जय स्तम्भ जैसी विशाल व कल्पनाशील संरचनाओं के रूप में वास्तुशिल्प के महान कार्यों के उदाहरण मौजूद हैं।

  • सदियों पहले बनी ये संरचनाएं हमारे लोगों के पारंपरिक वास्तुशिल्पीय और इंजीनियरिंग कौशल के प्रमाण हैं।

· सिुंधू घाटी सभ्यता से लेकर दिल्ली के लिए ल्युटियन, हमारे शहर चंडीगढ़ के लिए ली.कॉर्बूजियर, चार्ल्स कोरिया, बी.वी. दोशी की शानदार इमारतें, तथा बिमल पटेल को काशी विश्वनाथ धाम और राजपथ के जीर्णोधार के लिए हमेशा याद रखा जायेगा।

  • इन्होंने कालनिरपेक्ष वास्तुकला रची है।

· हम सभी को पता है कि आर्किटेक्ट शब्द ग्रीक शब्द से आया है जिसका अर्थ है चीफ वर्कर या बिल्डर। यह एक दिलचस्प बात है कि अतीत में - इंजीनियर और बिल्डिंग कॉन्ट्रेक्टर के अस्तित्व में आने से पहले - यह वास्तुकार ही था जिस पर किसी भवन की योजना, सामग्री और श्रम के प्रबंधन व इसके निर्माण जैसी सभी जिम्मेदारियां निर्भर थीं।

· ऐसा प्रतीत होता है कि सिविल इंजीनियर और बिल्डिंग कॉन्ट्रेक्टर के आगमन के साथ, वास्तुकार अपने ड्राइंग बोर्ड तक ही सीमित हो गया तथा निर्माण के वास्तविक कार्य और इसकी कई चुनौतियों से अलग हो गया।

· इस स्थिति में सुधार लाने के लिए बहाउस, ग्रोपियस, ली कॉर्बूजियर और फ्रैंक लॉयड राइट जैसे महान मास्टर आर्किटेक्ट्स द्वारा आंदोलन शुरू किया गया था।

· उनके प्रयासों से राष्ट्रीय विकास में वास्तुकला की वास्तविक भूमिका को तेजी से महसूस भी किया गया है।

· निःसंदेह, नगर-योजना का कार्य वास्तुकार के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है।

· यह माना गया है कि लगभग 10 हजार वर्षों तक दुनिया में केवल गाँव थे, और लगभग 5 हजार वर्षों तक केवल बहुत ही छोटे आकार के कस्बे और शहर थे।

· सन 1800 और 1850 के बीच दस लाख से अधिक आबादी वाले केवल दो शहर थे, लंदन और पेरिस ।

· पर, सदी दर सदी, दुनिया भर में बड़े शहरों या महानगरों का विकास हुआ है और अभी भी जारी है।

· जाहिर है कि अव्यवस्थित और बेलगाम शहरी विकास के परिणामों के बारे में बहुत कम सोचा गया है।

· दुनिया पहले से ही खतरनाक पर्यावरण प्रदूषण और प्राकृतिक संपत्तियों की लूट की कीमत चुका रही है।

  • पर्यावरण पर आक्रामक शहरीकरण के प्रभाव को उन आर्किटेक्टस द्वारा गंभीर माना जाता है जो पारिस्थितिकी (ecology) और मानव अस्तित्व (human survival) के बीच घनिष्ठ संबंधों से भलिभांति परिचित हैं।
  • मुझे यकीन है कि आप पाओलो सोलरी (Paolo Soleri) के बारे में जानते होंगे जिन्हें ‘‘ आर्कोलॉजिस्ट (Arcologist) के रूप में जाना जाता है और जो पृथ्वी से एक मील ऊपर शहरी विकास की एक नई अवधारणा के निर्माता हैं।

· ‘‘आर्कालॉजी’’ (Arcology) को architecture और ecology के संयोजन के रूप में परिभाषित किया गया है जो ‘‘आधुनिक नुक़सान या शहरी विस्तार, प्रदूषण, अपशिष्ट और धीरे-धीरे दूषित और नष्ट होते ग्रामीण इलाकों का समाधान है ’’

  • पाओलो सोलरी ने घोषणा की है कि आज शहर मनुष्य के लिए नहीं बल्कि उसके खिलाफ काम कर रहे हैं ; उन्होंने मानव जीवन को बचाने के लिए वास्तुकारों और योजनाकारों से अपने पेशे में गंभीरता लाने का आग्रह किया है।

· दुनिया में जहां कहीं भी भूमि की उपलब्धता बहुत कम है और जो अत्यधिक महंगी होती जा रही है वहां वास्तुकार को जनसंख्या विस्फोट से उत्पन्न चुनौतीयों का सामना करना पड़ता है।

  • इस समस्या का समाधान vertical development हो सकता है । लेकिन ऊंची इमारतें कुछ खास समस्याएं पैदा करती हैं।

· कभी-कभी यह सुझाव दिया गया है कि पहले से ही भीड़भाड़ वाले महानगरों में बहुमंजिला इमारतों का निर्माण करने की बजाय, मौजूदा शहरी केंद्रों से दूर उचित कीमत पर उपलब्ध किसी समतल भूमि पर नए शहरों की योजना बनाना ज्यादा उचित है।

  • इसके लिए हम चंडीगढ़ का उदाहरण ले सकते हैं जिसका निर्माण मास्टर प्लान के मुताबिक किया गया है।
  • गुजरात की राजधानी गांधीनगर इसका एक और उदाहरण है।

· मैं यह समझता हूं कि औद्योगीकरण और शहरीकरण के इस युग में व्यवसायिक ताकतें हावी हो गयी हैं।

· वास्तुविद व्यवसाय को आज की कठिन विविधताओं, विचारों, विश्वासों, और परस्पर विरोधी संदर्भों के बीच स्थिरता प्राप्त करनी पड़ती है।

  • राष्ट्र निर्माण में वास्तुविदों की अहम भूमिका है , चाहे वह स्मार्ट शहर हों , धार्मिक और धरोहर शहर परियोजनाएं हों अथवा केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा चलायी गई योजनाएं हों जैसे सभी के लिए आवास ‘, हृदय , प्रधानमंत्री आवास योजना , इत्यादि।

मित्रों,

· 21वीं सदी में आर्किटेक्ट्स और प्लानर्स की भूमिका केवल मानव बस्तियों और इमारतों को डिजाइन करने और आकार देने तक ही सीमित नहीं है।

· बल्कि आपको तेजी से बदलती दुनिया की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अभिनव (innovative) और रचनात्मक (creative) होना चाहिए जहां digital technologies जीवन के हर पहलू को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

  • मैं समझता हूं कि पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता यह नई इमारतों को डिजाइन करने में शामिल पेशेवरों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
  • समय की मांग है कि पर्यावरण के अनुकूल हरित भवनों को बढ़ावा दिया जाए जो कम पानी का उपयोग करते हैं और ऊर्जा का अनुकूलन करते हैं और स्वचालित संचालन के साथ ‘स्मार्ट बिल्डिंगबनाने के लिए डिजिटल तकनीक का पूरा फायदा उठाया जाए।
  • निर्मित पर्यावरण (built environment) को बेहतर बनाने औरसतत विकास की दिशा में काम करने के लिए परंपरा और प्रौद्योगिकी को समाहित करने की आवश्यकता है।

· भविष्य की परियोजनाओं में अक्षय ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

  • वास्तुविद अपनी संरचना में aesthetics और sustainability के बीच सही संतुलन बनाएं।
  • मेरा मानना है कि किसी नई परियोजना को डिजाइन करते समय वास्तुकारों को स्थानीय लोगों के विचार और सुझाव अवश्य लेने चाहिएं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसी परियोजनाएं स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं के अनुरूप हों।

· हमारे लिए ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी केंद्रों के समान सुविधाओं का निर्माण करना बहुत ज़रूरी है।

· साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्र कंक्रीट के जंगल न बन जाएं।

  • अगर डॉ सी ए डोक्सियाडिस (Dr. C.A. Doxiadis) के शब्दों में कहें तो यह‘‘लक्ष्य प्रकृति, मनुष्य और मनुष्य द्वारा बनाए गए सिद्धांतों को बचाना है ’’

· हमारा निर्मित वातावरण आधुनिकता और परंपरा का एक आदर्श मेल होना चाहिए।

  • आर्किटेक्ट्स और सिटी प्लानर्स के लिए हमारीसंस्कृति को बनाए रखना और बेहतर भविष्य के लिए प्रकृति की रक्षा करना भी बहुत ज़रूरी है।

मित्रों,

· मैं वास्तुकला व्यवसाय के मैनुअल को निर्धारित करने के लिए वास्तुकला परिषद की सक्रिय भूमिका की सराहना करता हूं।

· मुझे बताया गया है कि ये मैनुअल वास्तुकला व्यवसाय और भवन निर्माण में वास्तुविदों की भूमिका पर एक संपूर्ण कोड है और ये मैनुअल आम आदमी के लिए भी अत्यंत आवश्यक तथा लाभकारी होगा।

  • मैनुअल का उद्देश्य वास्तुविदों के चयन के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के साथ-साथ एक भवन परियोजना के लिए सर्वश्रेष्ठ डिजाइन के चयन में सहायता करना भी है।

· इस मैनुअल को अपनाने से न केवल वरिष्ठ और अनुभवी वास्तुकारों कीप्रतिभा को पहचान मिलेगी बल्कियुवा वास्तुविदों को भी अपनी वास्तुकला प्रतिभा और रचनात्मकता को प्रदर्शित करने के समान अवसर मिलेंगे।

  • मुझे यह भी ज्ञात हुआ है कि परिषद ने सार्वजनिक सेवाओं में वास्तुविदों की भूमिका पर भी दिशानिर्देश निर्धारित किए हैं ताकि सार्वजनिक भवनों के निर्माण में वास्तुविदों की भूमिका और जिम्मेदारियां तय की जा सकें। इससे भवनों के निर्माण में जनता के पैसे का भी समुचित उपयोग संभव हो सकेगा।

· आशा है, वास्तुकला परिषद द्वारा निर्धारित इन मानकों को सभी विभाग जनहित में लागू करेगे ।

· मुझे बताया गया है कि परिषद इस वर्ष अपनी स्थापना का स्वर्ण जयंती वर्ष मना रही है। परिषद की स्थापना 1 सितंबर, 1972 को हुई थी।

· मैं इस उपलब्धि के लिए परिषद के सभी पदाधिकारियों व अधिकारियों व समस्त वास्तुविद समुदाय को हार्दिक बधाई देता हूं और भविष्य में अच्छे प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

  • मुझे इस अवसर पर आमंत्रित करने के लिए मैं वास्तुकला परिषद को एक बार फिर धन्यवाद देता हूं।
  • मैं आने वाले समय में भारतीय वास्तुविद व्यवसाय की और बेहतरी की कामना करता हूं।

धन्यवाद।

जय हिंद!