SPEECH OF HON'BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI BANWARILAL PUROHIT ON THE OCCASION OF KALA UTSAV AT TAGORE THEATRE, SEC-18, CHANDIGARH ON 21ST DECEMBER, 2022 AT 11.00 AM

· छात्रों द्वारा अपने गुरुओं, अपने शिक्षकों के मार्गदर्शन में किए गए प्रयासों को देखना मेरे लिए अत्यंत दिलचस्प रहा। ऑडिटोरियम के बाहर लगाए गए विभन्न मॉडलों, 2डी, 3डी कला रूपों और स्वदेशी खिलौनों की प्रदर्शनी का विहंगम दृश्य अति मनमोहक था।

  • अकादमिक वर्चस्व की दौड़ में ज्यादातर हम सब अपनी आने वाली पीढ़ी को अपने देश की जड़ों से व अपनी गौरवशाली संस्कृति से जोड़ना भूल जाते हैं।

· ऐसे में स्कूली विद्यार्थियों के लिए कला उत्सव का आयोजन खुशी की बात है। यह और भी अच्छा है कि स्कूलों में कला उत्सव केवल एक बार में समाप्त होने वाली गतिविधि नहीं है, बल्कि यह कलात्मक प्रतिभा को पहचानने, खोजने, अभ्यास में लाने, विकसित करने और प्रदर्शित करने की एक सम्पूर्ण प्रक्रिया का प्रथम चरण है।

· माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का यह सपना हमारे शिक्षार्थियों के समग्र विकास में काफी महत्पूर्ण साबित होगा। इससे उनको और अधिक आत्मविश्वासी , होशियार और जीवन की सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार किया जा सकेगा

  • कला उत्सव स्कूल प्रणाली में कला रूपों का एक अग्रणी उत्सव है। यह एक ऐसी पहल है, जिसका उद्देश्य माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की कलात्मक प्रतिभा को पहचानना, उसे पोषित करना, प्रस्तुत करना और शिक्षा में कला को बढ़ावा देना है।

· शिक्षा मंत्रालय माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में सौंदर्यबोध और कलात्मक अनुभवों की आवश्यकता और इसके द्वारा विद्यार्थियों में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता का ज्ञान प्रदान कर रहा है। कला शिक्षा (संगीत, नाटक, नृत्य, दृश्य कलाओं एवं ललित कलाओं) के संदर्भ में की जा रही यह पहल राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा की अनुशंसाओं पर आधारित है।

  • कला उत्सव के माध्यम से छात्रों को स्कूल , जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक विविधताओं को समझने और प्रचार करने का अवसर मिलेगा। यह न केवल छात्रों के बीच जागरूकता फैलाएगा, बल्कि उनसे जुड़े सभी व्यक्तियों में भी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इसकी जीवंत विविधता संबंधी जागरूकता पैदा करेगा।
  • बच्चे भविष्य के बीज हैं और हमारे स्कूल कल के भारत की प्रयोगशाला बनेंगे। कला उत्सव निश्चित रूप से हमारी विविध मूर्त (Tangible) और अमूर्त (Intangible) सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों को पहचानने और समझने में मदद करेगा। मुझे आशा है कि एक बार इस प्रक्रिया का हिस्सा बनने के बाद, ये छात्र न केवल अपनी जीवंत कलाशैली का प्रदर्शन करेंगे, बल्कि आने वाले समय में वे उस सांस्कृतिक अनुभव एवं मूल्यों पर आधारित जीवन भी जिएंगे

· राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में शिक्षा के माध्यम से कला और संस्कृति को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार, “भारतीय संस्कृति और दर्शन का विश्व में बड़ा प्रभाव रहा है। वैश्विक महत्व की इस समृद्ध विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए न सिर्फ़ सहेज कर संरक्षित रखने की ज़रूरत है , बल्कि हमारी शिक्षा व्यवस्था द्वारा उस पर शोध कार्य होने चाहिए, उसे और समृद्ध किया जाना चाहिए और उसमें नए-नए उपयोग भी सोचे जाने चाहिए ” (राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020)

· यह नीति छात्र-छात्राओं के सांस्कृतिक विकास एवं सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के महत्व पर प्रकाश डालती है जिसके फलस्वरूप, उनमें अपनी पहचान बनाने के साथ-साथ अपनी संस्कृति के प्रति जुड़ाव तथा अन्य संस्कृतियों की सराहना करने की क्षमता में भी वृद्धि होगी।

· राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार कला-शिक्षा शिक्षार्थियों में खूबसूरती के प्रति संवेदनशीलता के विकास का एक उपकरण है जो उन्हें विभिन्न रंगों, रूपों, ध्वनियों और गतिविधियों में सुंदरता के प्रति प्रतिक्रया दिखाने में सक्षम बनाता है।

  • शिक्षा व कला का सुमेल रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने, समस्या को सुलझाने की क्षमता विकसित करने तथा मानसिक कल्पना और बेहतरअभिव्यक्ति को प्रयोग करने की क्षमता में सुधार करने में मदद करता है

बच्चों,

  • कला और संस्कृति , संगीत और साहित्य न केवल किसी देश को एक पहचान प्रदान करते हैं, बल्कि खुल के जीवन जीने के साधन भी बनते हैं।

· किसी भी आधुनिक समुदाय के लिए, निस्संदेह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रयोग के माध्यम से, भौतिक समृद्धि आवश्यक है। लेकिन सांस्कृतिक विरासत के बिना आर्थिक प्रगति का कोई महत्व नहीं

· भले ही हम प्रगति कर रहे हों, हमारे पास एक ऐसा वातावरण होना चाहिए जहां कला और संस्कृति में उत्कृष्टता हासिल की जा सके। ललित कलाएँ हमारी समझ और ज्ञान को बढ़ाती हैं और जीवन को जीने लायक बनाती हैं।

  • ललित कलाएँ केवल मनोरंजन का एक रूप नहीं हैं बल्कि समाज के सभी वर्गों के लोगों के लिए चिकित्सा , तनाव-मुक्ति और शांति के प्रसार के एक साधन के रूप में भी अपनी भूमिका निभाती हैं। वास्तव में ललित कला आत्मा की संपूर्ण अभिव्यक्ति है जो हमारे आंतरिक सौंदर्य को प्रदर्शित करती है।

प्यारे बच्चों,

  • कला की भाषा सार्वभौमिक होती है। यह सभी संस्कृतियों के लोगों को एकजुट करती है , उन्हें प्रभावित करती है , प्रेरित करती है और परिवर्तन का एक शक्तिशाली घटक बन जाती है। भारत के अतीत की जड़ों तक की यात्रा वर्तमान और भविष्य को फिर से परिभाषित करने में उपयोगी सिद्ध हो सकती है।
  • यदि आनंदा कुमारस्वामी के शब्दों में कहा जाए तो, “कला अपने आप में जीवन के गहरे सिद्धांतों को, सच्चे मार्गदर्शकों को और जीवन जीने की कला (Art of Living) को समेटे हुए है ’’

· शिक्षा में कला के एकीकरण से आपको सीखने के अलग-अलग तरीकों से परिचित होने का अवसर मिलता है। यह अवरोधों (Inhibitions) को दूर करने और अन्वेषण (Exploration) को बढ़ावा देने, रचनात्मकता (Creativity) को प्रोत्साहित करने, कल्पना को व्यापक बनाने, मूल्यों को विकसित करने तथा व्यक्ति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है

  • लेकिन दुर्भाग्यवश , स्कूलों में कला शिक्षा की उपेक्षा के कारण हमारी युवा पीढ़ियां इन सभी गुणों से वंचित हैं , जो उन्हें हमारे समाज के शानदार नागरिक बनने में मदद कर सकते हैं। साथ ही कुछ स्कूली विषयों पर अधिक जोर दिए जाने और हमारी सांस्कृतिक जड़ों से कटने के कारण हमारे सांस्कृतिक मूल्य कमजोर हो रहे हैं और इस कारण कलाएं अपना महत्व खोती जा रही हैं
  • कला उत्सव इस समस्या का समाधान है तथा समाज और स्कूलों के बीच संबंध स्थापित करने की एक पहल है। यह मंच माध्यमिक स्तर के छात्रों की कलात्मक प्रतिभा को प्रोत्साहित और प्रदर्शित करेगा और कलाओं को केंद्र स्तर (Centre Stage) पर स्थापित करेगा।

· आने वाले समय में जब आप सभी को जीवन की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, मुझे यकीन है कि जिन छात्रों ने इस कला उत्सव में भाग लिया है , वे सौंदर्यबोध के एक अलग नजरिए के माध्यम से समाज के बारे में एक व्यापक दृष्टिकोण रखने में समर्थ होंगे और जीवन की चुनौतियों का बेहतर तरीके से सामना करने में सक्षम होंगे

मेरे युवा मित्रों,

  • यह हम में से प्रत्येक का कर्तव्य है कि हम अपनी गौरवशाली सांस्कृतिक परंपराओं और कला के विभिन्न रूपों को संरक्षित करें और इनको बढ़ावा दें। हम अपने आसपास के विभिन्न कला रूपों को सीखकर, उनकी सराहना और प्रचार करके अपने जीवन को समृद्ध बना सकते हैं।

· मैं इस अवसर पर आपके ज़रिए सभी माता-पिता से आग्रह करता हूं कि वे अपने बच्चों को कला के किसी भी रूप को सीखने के लिए अवश्य प्रोत्साहित करें । कम उम्र में रचनात्मकता और कला के संपर्क में आने से बच्चों को अपने परिवेश के बारे में अधिक जागरूक होने के साथ-साथ एक अधिक सार्थक जीवन जीने में मदद मिलेगी।

· आशा है, इस मेगा कल्चरल फेस्ट, ‘‘कला उत्सव’’ में भाग लेने वाले आप सभी छात्र, अब हमारी संस्कृति के वाहक बनेंगे और आपको हमारी समृद्ध भारतीय संस्कृति का हिस्सा होने पर गर्व होगा।

  • मुझे आशा है कि ये छात्र भुवनेश्वर में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी क्षमताओं का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे और सिटी ब्युटिफुल का नाम रोशन करेंगे। इसके लिए आप सभी को मेरी शुभकामनाएं और आशीर्वाद

· चंडीगढ़ के पूरे शिक्षक समुदाय को और स्कूल शिक्षा विभाग को एक बार फिर से मेरा अभिवादन। मैं सभी छात्रों से आह्वान करता हूं कि आप सभी कर्म के मार्ग पर दृढ़ रहें , जिम्मेदारी की भावना से अपने सभी कर्तव्यों का पालन करें और कृतज्ञता के मूल्य को अपनाएं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि सफलता निश्चित रूप से आपके कदम चूमेगी।

धन्यवाद,

जय हिन्द!