SPEECH OF HON'BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF MAHARASHTRA/GUJARAT FOUNDATION DAY AT PUNJAB RAJ BHAVAN, CHANDIGARH ON 01ST MAY, 2023

मैं महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों के गठन की वर्षगांठ के खुशी के अवसर पर अपने सभी मराठी और गुजराती भाइयों को हार्दिक बधाई देता हूं। एक (01) मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। मैं पंजाब और देश के निर्माण में समर्पित श्रमिकों के बहुमुखी योगदान के लिए उन्हें बधाई देता हूं। बन्धुओं, भारत एक बहुत बड़ा देश है। भारत में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। भारत के हर राज्य की अपनी एक अलग संस्कृति है। यही संस्कृति भारत को दुनिया के बाकी देशों से अलग पहचान दिलाती है। गुजरात और महाराष्ट्र के स्थापना दिवस के अवसर पर आज आपके मध्य उपस्थित होकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। पंजाब का महाराष्ट्र और गुजरात से एक अटूट बंधन है। हमारा राष्ट्रगाण, इसके शब्द ‘‘पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा.....’’ हमें एक सूत्र में पिरोते हैं। पंजाब की तरह गुजरात भी अपने खाने से लेकर त्योहारों तक दुनिया भर में famous है। गुजरात को “पश्चिम का जेवर” भी कहा जाता है। नवरात्रों के दिनों में तो गुजरात की रौनक देखते ही बनती है। नवरात्रि के दिनों में यहां मनाए जाने वाले डांडिया उत्सव की देश-विदेश में धूम है। गुजरात का भोजन ज़्यादातर शाकाहारी और सिंपल होता है। गुजरात के प्रमुख व्यंजन ढोकला, फाफड़ा, जलेबी, खांडवी, मोहनथाल, थेपला, लहसुन की चटनी और उंधियू उतने ही मशहूर हैं जितनी पंजाब की मक्की की रोटी और सरसों का साग! गुजरात सोमनाथ, द्वारका, गिरनार जैसे मंदिरों की धरती है। यह महात्मा गांधी जी व सरदार वल्लभभाई पटेल जी की जन्म भूमि है। गुजरात के सतपुड़ा के पर्वत, गिर वनों के शेरों का अभयारण्य और अब सरदार वल्लभ भाई पटेल की विश्व की सबसे ऊँची मूर्ती ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ भी विशेष आकर्षण का केंद्र हैं। गुजरात एशिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य है। इसके अलावा सूरत शहर अपने डायमंड कारोबार के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है जो गुजरात की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका अदा करता है। Business oriented गुजराती समुदाय ने चंडीगढ़ में भी अपनी पहचान बनाई है। इस मृदुभाषी समुदाय के लोग एक दूसरे को ‘भाई’ कहकर संबोधित करते हैं, जबकि महिलाओं को ‘बहन’ कहकर संबोधित किया जाता है। इस समुदाय के सदस्यों ने 70 के दशक में शहर में कदम रखा था। आज इनकी आबादी लगभग 2 हजार है। 1975 में, इस समुदाय ने चंडीगढ़ क्षेत्र में गुजरातियों के सांस्कृतिक हितों को प्रोत्साहित करने तथा सामाजिक और भाईचारक सांझ बनाने के लिए गुजराती मंडल का गठन किया। मेरे पूर्वाधिकारी (Predecessor) स्वर्गीय श्री जयसुख लाल हाथी जी, जोकि 1977 से 1981 में पंजाब के राज्यपाल रहे व Muli में जन्मे, गुजराती भाई थे। उन्हीं के कार्यकाल में 1984 में बने गुजरात भवन के लिए सेक्टर 24 में समुदाय को जमीन आवंटित की गई थी। इसी तरह मैं महाराष्ट्रीयन हूं। नागपुर से 1978 में विधायक बना, 1984, 89, 1996 में सांसद रहा। मेरे एक अन्य साथी श्री शिवराज पाटिल जी जो 2010 से 2015 के दौरान पंजाब के राज्यपाल रहे, वो लातूर में मराठवाड़ा region जो अब महाराष्ट्र है, में पैदा हुए। सो, पंजाब के तो राज्यपालों का सीधा नाता रहा है गुजरात और महाराष्ट्र से। महाराष्ट्र की संस्कृति भारत में सबसे विविध, शानदार और समृद्ध विरासतों में से एक है। महाराष्ट्र में भी चंडीगढ़ की तरह कई धर्मों और संस्कृतियों के लोग फलते-फूलते हैं। उल्लेखनीय पूजा स्थल कलाराम मंदिर, हजूर साहिब, माउंट मैरी बेसिलिका, सेंट थॉमस कैथेड्रल, श्री सिद्धेश्वर मंदिर, बीबी का मकबरा और महालक्ष्मी मंदिर इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। वो जन्माष्टी के त्यौहार पर लोगों की दही हांडी तोड़ने की परंपरा, वो भव्य पैमाने पर आयोजित किया जाता गणेश चतुर्थी का उत्सव, गणपति बप्पा मोरया का वो जयघोष, महाराष्ट्र तो क्या पूरे देश में बसे महाराष्ट्रीयनों द्वारा इतने हर्षोल्लास से इन त्योहारों को मनाया जाता है कि मानो ये महाराष्ट्र के नहीं बल्कि राष्ट्रीय पर्व हों। यहां के हल्के और तीखे स्वाद वाले व्यंजन वड़ा पाव, भेल पुरी, साबुदाना खिचड़ी, पूरन पोली, कांदा पोहा, रगड़ा पेटीस और मिसल पाव अब देशभर में प्रसिद्ध हैं। यहां की पारंपरिक मिठाइयाँ श्रीखंड, बासुंदी, आमरस, मोदक व कैरी चा पन्हा और सोई कढ़ी कुछ ताज़ा पेय हैं जोकि बहुत ही लोकप्रिय हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा फुले और बाबासाहेब जैसी महान हस्तियों ने अपने योगदान से महाराष्ट्र और भारत को समृद्ध किया है। महाराष्ट्र का पंजाब से एक बहुत ही पवित्र नाता है। आप में से कुछ लोग शायद जानते हों कि संत नामदेव जी महाराष्ट्र से सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर पंजाब के जिला गुरदासपुर के गाँव घुमान पहुंचे। स्थानीय लोगों का कहना है कि वह यहां 20 साल से अधिक समय तक रहे और सिख धर्म पर अपनी छाप छोड़ी। संत नामदेव के 62 अभंगों को गुरु ग्रंथ साहिब में ‘नामदेवजी की मुखबानी’ के रूप में शामिल किया गया है। माघी मेले के दौरान महाराष्ट्र के लोग वर्षों से संत जी द्वारा बसाए गाँव ‘घुमान’ आते रहे हैं। वर्ष 2015 में घुमान में मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल, जिनका अभी कुछ दिन पहले देहांत हुआ, ने घुमान में बहुत बड़ा समारोह करवाया था जिसमें उन्होंने उस समय के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की उपस्थिति में बाबा नामदेवजी राजकीय डिग्री कॉलेज का शिलान्यास किया था। लगभग 6 महीने पूर्व नवंबर के महीने में महाराष्ट्र के पंढरपुर से घुमान तक एक साईकिल वारी और नामदेव पालकी का आयोजन किया गया था जिसका समापन समारोह पंजाब राजभवन के इसी हाल में मेरी मौजूदगी में हुआ। बन्धुओं, Chandigarh तो mini India है। यहां अलग-अलग प्रांतों से लोग आकर बसे हैं और चंडीगढ़ की प्रगति में योगदान दे रहे हैं। आइए, ऐसे ही मिल-जुल कर देश व प्रदेश की तरक्की में हम अपना महति योगदान दें। आइए, हम इस स्थापना दिवस पर, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के आदर्शों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को फिर से दोहराएं। आइए, हम अपने देश की प्रगति और विकास की दिशा में काम करने का संकल्प लें और इसे बाकी दुनिया के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बनाएं। स्थापना दिवस की एक बार फिर बहुत-बहुत बधाई। धन्यवाद, जय हिन्द!