SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR OF PUNJAB AND ADMINISTRATOR UNION TERRITORY OF CHANDIGARH, SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF EX-SERVICEMEN HONOURING CEREMONY AT CHANDIGARH ON 06TH MAY, 2023
- by Admin
- 2023-05-06 14:30
अमृत महोत्सव आयोजन समिति चंडीगढ़ द्वारा आयोजित “Ex-servicemen Honouring Ceremony” में आप सबके मध्य आकर अत्यन्त हर्ष का अनुभव हो रहा है।
मैं जब कभी भी सैनिकों, सेवारत या सेवानिवृत्त, से मिलता हूं, तो मेरे मन में देशभक्ति की भावना और भी प्रबल हो जाती है।
कितने बहादुर, कितने दिलेर हैं आप लोग- अपने देश व देशवासियों के लिए, भारतीय तिरंगे को गर्व से ऊँचा रखने के लिए अपने प्राण दांव पर लगाने से भी नहीं हिचकिचाते।
आज हम खुले मन और सुकून के साथ इस तरह से एकत्र होकर कार्यक्रम कर पा रहे हैं। यह सब देश की रक्षा के लिए तैनात सेना और सैन्य बलों की बदौलत ही है।
सीमा पर ही नहीं देश के भीतर भी सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने में आप सभी का महत्वपूर्ण योगदान है।
इसलिए, सर्वप्रथम देश के लिए अपना सर्वोच्च न्योछावर करने वाले जवानों को, उनके स्वजनों को और पूर्व सैनिकों को मेरा प्रणाम।
सेना और आमजन के बीच सेतू की भूमिका निभाने वाला यह अनूठा कार्यक्रम करने वाली आजादी का अमृत महोत्सव आयोजन समिति चंडीगढ़ को मेरा साधुवाद।
भाइयों और बहनों,
आम नौकरी और सैनिक के कार्य में बड़ा अंतर होता है।
मेरा मानना है कि सशस्त्र बलों में शामिल होना एक बड़े उद्देश्य के लिए स्वयं को समर्पित करना है;
एक ऐसा उद्देश्य जो लालच या लाभ से प्रेरित नहीं है;
उद्देश्य जो व्यक्तिगत पहचान या प्रसिद्धि से प्रेरित नहीं है।
इसका उद्देश्य मातृभूमि की एकता और अखंडता की रक्षा करना है।
यह एक निःस्वार्थ ध्येय है।
हम सभी समाज में रहकर नौकरी करते हुए सामाजिक आयोजनों से जुड़े होते हैं। शादी विवाह, पार्टी और विभिन्न तरह के कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। लेकिन सैनिक फर्ज के लिए कई बार अपने घरेलू निजी कार्यक्रमों तक में शामिल नहीं हो पाते। वह इतना बड़ा त्याग करते हैं।
यह त्याग कोई छोटी बात नहीं है। अपनी पूरी जवानी देश के लिए खपा देते हैं।
मित्रों,
मैं यह मानता हूं कि भूतपूर्व सैनिकों जैसा कुछ होता ही नहीं क्योंकि भारत में ‘once a soldier, always a soldier’ अर्थात ‘जो एक बार सैनिक बन गया, वह हमेशा के लिए सैनिक बन जाता है’।
भले ही एक सैन्यकर्मी सशस्त्र बलों में सक्रिय रूप से सेवा नहीं कर पा रहा हो, लेकिन उसका दिल और आत्मा मातृभूमि की सेवा के लिए प्रतिबद्ध होता है।
किसी भी चुनौतीपूर्ण समय में भूतपूर्व सैनिक हर जिले के भीतर एक बल के रूप में सदैव उपलब्ध रहते हैं।
पूर्व सैनिक राष्ट्र की परिसंपत्ति (asset) हैं।
देश के लाभ के लिए हमें उनके समृद्ध तथा व्यावहारिक अनुभव का उपयोग करना चाहिए।
अपनी लम्बी public life (लगभग 50 साल, जिसके दौरान मैं विधायक व मंत्री रहा और 3 बार सांसद भी रहा) के अनुभव से आपको एक विशेष बात बताना चाहता हूं:-
मित्रों,
राज्यों और राजनीतिक दलों के बीच अनेक विषयों पर मतभेद होते हैं। यह सब तो लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन जब बात सैनिकों और पूर्व सैनिकों के कल्याण की आती है तो सभी एक साथ आ जाते हैं। हमारे सैनिकों को लेकर हमेशा सामाजिक और राजनीतिक सहमति रही है।
सशस्त्र बल समान रूप से पूरे देश की रक्षा करते हैं।
यह हमारी राष्ट्रीय और सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम यह सुनिश्चित करें कि सेवानिवृत्ति के बाद समाज में वापस जाने वाले हमारे सैनिक सम्मानित जीवन जीएं।
सेना देश की ताकत है और जवान हमारी सेना की ताकत हैं। लेकिन, एक सैनिक का परिवार उसकी अदृश्य ताकत होता है।
केवल सैनिक ही देश की सेवा नहीं करते बल्कि उनके परिवार के सदस्य भी समान रूप से देश की सेवा करते हैं और कई तरह की कठिनाइयों को झेलते हैं।
एक समाज के रूप में हममें से हर एक का यह कर्तव्य बनता है कि हम सैनिकों द्वारा प्रदर्शित वीरता के प्रति व उनके और उनके परिवार के कृतज्ञ हों।
उनका कल्याण और संतुष्टि सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है।
जब कार्यकाल पूरा कर कोई सैनिक वापस अपने गांव या शहर लौटता है तो कई बार वह समाज से कटा कटा महसूस करता है। उसको लोग जानते भी नहीं हैं। हम भूल जाते हैं की हमारा हंसता खेलता जीवन उनकी देन है।
ऐसे कार्यक्रम होंगे तो यह दूरियां नहीं रहेंगी। अमृत महोत्सव आयोजन समिति का यह प्रयास सराहनीय है।
ऐसे कार्यक्रम होते रहने चाहिएं।
इससे सेना, सैन्य बलों में कार्यरत, सेवानिवृत और सर्वस्व न्योछावर कर चुके जवानों उनके परिजनों से समाज के अन्य वर्ग का समन्वय बढ़ेगा। एक दूसरे को जानेंगे।
इतना ही नहीं सेना से जुड़े लोग और उनके परिवार दूसरों को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित और मार्गदर्शन करेंगे।
एक बार पुनः अमृत महोत्सव आयोजन समिति चंडीगढ़ का यह कार्यक्रम आयोजित करने और मुझे आप सभी से मिलने का अवसर देने पर आभार।
धन्यवाद,
जय हिन्द!