TALKING POINTS OF HONURABLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF AMRIT YUVA KALOTSAV AT TAGORE THEATRE,CHANDIGARH ON 17TH JULY, 2023 AT 6:30 PM
- by Admin
- 2023-07-17 19:30
‘‘अमृत युवा कलोत्सव” में आकर बहुत आनंद आया।
खुशी हुई कि माननीय प्रधनमंत्री जी के young talent को promote करने के vision को Sangeet Natak Academy performing arts के माध्यम से साकार कर रही है।
आपके द्वारा देश के अलग-अलग शहरों में 75 दिन (75 इसलिए क्योंकि यह आज़ादी के 75 साल पूरा होने पर आज़ादी के अमृत महोत्सव को समर्पित है) music, dance, drama, folk व tribal arts पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत किए जा रहे हैं।
आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने, प्रदर्शन कलाओं व युवा कलाकारों को प्रोत्साहन देने व कलाओं के प्रति रूचि जागृत करने के आपके इस initiative का मैं दिल से अभिनन्दन करता हूं।
कहते हैं कि एक पंथ दो काज, पर आप तो एक पंथ तीन काज कर रहे हैं।
हमारे पास चंडीगढ़ आने से पहले, आप देश के 16 शहरों में सफलता पूर्वक अमृत युवा कलोत्सव का आयोजन कर चुके हैं। आपको इसके लिए बहुत-बहुत बधाई।
बन्धुओं,
भारत उज्जवल भविष्य की दिशा में दृढ़ता से आगे कदम बढ़ा रहा है। अपने गौरवशाली इतिहास एवं उपलब्धियों का जश्न मनाने का यही सबसे आदर्श समय और अवसर है।
हम जानते हैं कि परिवर्तन जीवन का नियम है। कला-शैली, रहन-सहन का ढंग, वेश-भूषा, खान-पान सब में समय के साथ बदलाव आना स्वाभाविक है।
लेकिन, कुछ बुनियादी मूल्य और सिद्धांत पीढ़ी दर पीढ़ी आगे चलते रहने चाहिएं, तभी भारतीयता को हम जीवित रख सकते हैं।
इसमें देश की विवध कलाएं महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।
विश्व के सांस्कृतिक मानचित्र पर भारत का एक अहम स्थान है।
हमारी सभ्यता विश्व की प्राचीनतम जीवित सभ्यताओं में से एक है।
हमारी परंपराएं अगली पीढ़ी तक पहुँच जाएं, इसमें प्रदर्शन कलाओं की भूमिका बहुत बड़ी है।
संगीत नाटक अकादमी ऐसा प्रमुख अखिल भारतीय संगठन है जिस पर नृत्य, नाटक और संगीत के प्रोत्साहन एवं विकास की जिम्मेदारी है।
मुझे विश्वास है कि अकादमी हमारी सांस्कृतिक समृद्धि को सहेज कर रखने में प्रमुख भूमिका निभाती रहेगी।
आपके द्वारा ‘युवा कलोत्सव’ की परिकल्पना करना और उसे एक भव्य स्वरूप में मंच पर लाना, देश के सांस्कृतिक भविष्य के प्रति आपके समर्पण को दर्शाता है।
आज हम परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं। दुनिया Global Village बन गई है जिसमें निरंतर संवाद और विचारों का प्रवाह हो रहा है।
ऐसे परिदृश्य में, अकादमी के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि प्रदर्शन कलाओं के प्रचार-प्रसार के लिए इंटरनेट व मल्टीमीडिया प्रणाली जैसे आधुनिक माध्यमों का प्रयोग करें।
एक बात और कहूंगा - संगीत नाटक अकादमी उन मामलों में, जहाँ युवा कलाकारों को पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध नहीं हैं, वहाँ ‘युवा प्रतिभा पुरस्कारों’ और Fellowships तथा Scholarships के जरिए कलाकारों को प्रोत्साहित करने का प्रयास करे।
कोई भी कला महज मनोरंजन का साधन मात्र नहीं होती, बल्कि नृत्य, कला और नाटक का सामाजिक दायित्व भी है।
कन्या भ्रूण हत्या, दहेज और नशीले पदार्थों व शराब की आदत जैसी सामाजिक बुराइयों से मुकाबला करने के लिए सामाजिक संदेश फैलाने में आप आगे आएं।
स्वास्थ्य, साक्षरता जैसे विभिन्न मुद्दों और सत्य, सहिष्णुता व समरसता जैसे मूल्यों के बारे में लोगों को शिक्षित करें।
संगीत नाटक अकादमी सभी प्रदेशों की सर्वोत्तम युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहित कर रही है, जोकि सराहनीय है। जहां तक संभव हो, प्रदर्शन कलाओं को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाते रहिए।
हमें नृत्य, संगीत और नाटक को आम आदमी तक पहुँचाना होगा। यह हमारी संस्कृति के संरक्षण का एक भागीदारीपूर्ण तरीका है।
लोगों को कला का कद्रदान और संरक्षक बनना होगा।
गांधीजी ने कहा था, ‘‘एक राष्ट्र की संस्कृति उसके लोगों की कला और आत्मा में बसती है”।
जब तक भारतवासी, भारतीय संस्कृति और मूल्यों से जुड़े रहेंगे तब तक वे उन्हें कायम रखने के लिए प्रेरित और निष्ठावान भी बने रहेंगे।
जीवन को समृद्ध बनाने वाली विभिन्न कलाएं, जो हमें अपने पूर्वजों से मिली सांस्कृतिक विरासत है, उसके संरक्षण में सभी को योगदान देना चाहिए।
प्रत्येक पीढ़ी को ज्ञान और कला के अर्जक, सर्जक, संरक्षक और प्रसारक की भूमिकाओं का निर्वाह करना होगा।
संविधान (Fundamental Duties, Section-51A) के अंतर्गत भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि वह अपनी सामासिक संस्कृति (Composite Culture) की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण (Preservation) करे।
मैं सभी चंडीगढ़ व पंजाब वासियों को आह्वान करता हूँ कि वे हमारी विविध व समृद्ध संस्कृति को सीखने, जानने और उसके संरक्षण में भागीदार बनें।
लोक नृत्य और संगीत, शास्त्रीय संगीत और नृत्य, पुतुल, माईम और नाटक जैसी विधाओं के बहुत से कलाकार अपने-अपने राज्य से यहाँ आए हैं। मैं इस मंच से सभी का स्वागत करता हूँ।
मुझे पूरा विश्वास है कि देश के विभिन्न राज्यों से आए कलाकार ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की सतरंगी छटा को यहाँ पर अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से जीवंत करेंगे।
मैं आशा करता हूँ कि इस आयोजन से न सिर्फ चंडीगढ़ के लोग समृद्ध होंगे, बल्कि देश के विभिन्न राज्यों से आए कलाकार भी एक नया अनुभव लेकर यहाँ से विदा होंगे।
मैं पुनः आप सभी कलाकारों और आयोजकों का अभिवादन करता हूं।
आपको इस तीन दिवसीय कार्यक्रम की सफलता के लिए मेरा आशीर्वाद और शुभकामनाएं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!