SPEECH OF HONURABLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF SILVER JUBILEE CELEBRATION OF GOVERNMENT REHABILITATION INSTITUTE FOR INTELLECTUALS DISABILITIES, CHANDIGARH AT SECTOR 31, CHANDIGARH

Govt. Rehabilitation Institute for Intellectual Disabilities, Chandigarh (GRIID) के रजत जयंती समारोह के महत्वपूर्ण अवसर पर यहां आकर मुझे बेहद खुशी हो रही है।
यह अवसर है बौद्धिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बनाने और समावेशिता (inclusivity) को बढ़ावा देने के प्रति आपकी 25 वर्षों की अटूट प्रतिबद्धता को celebrate करने का।
पिछले कुछ वर्षों में इस संस्थान के न केवल बुनियादी ढांचे और संसाधनों में विस्तार हुआ है, बल्कि अनगिनत लोगों के जीवन पर इसका प्रभाव भी पड़ा है।
आपकी अब तक की यात्रा समर्पण और दृढ़ता पर आधारित रही है।
आपकी गतिविधियां इस बात का प्रमाण हैं कि आप मानते हैं कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को फलने-फूलने का अधिकार है।
GRIID पूरे उत्तर भारत में अपनी तरह का पहला संस्थान है।
यह संस्थान लोगों के लिए एक आशा की किरण साबित हुआ है, जो यह दर्शाता है कि उपयुक्त सहायता के साथ, बौद्धिक विकलांगता वाले व्यक्ति उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल कर सकते हैं और एक सफल जीवन जी सकते हैं।
मुझे ज्ञात है कि इसके dedicated faculty, staff और volunteers ने इस संस्थान को उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए पूरे तन और मन से सेवा की है।
आपके छात्रों की अनगिनत सफलता की कहानियां आपके कार्यक्रमों की प्रभावशीलता का प्रमाण हैं। 
यहां के छात्रों ने न केवल आवश्यक जीवन कौशल विकसित किया है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में अपना अनूठा स्थान भी बनाया है।
मुझे बताया गया है कि GRIID में 400 से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं और वे विभिन्न पैरा-ओलंपिक खेलों में भाग ले रहे हैं।
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संस्थान का नाम रोशन किया है।
श्री गुरप्रीत सिंह ने अमरीका में विश्व कप 2002 में फ़्लोर हॉकी में भाग लिया था और उनकी टीम तीसरे स्थान पर रही थी।
आरती ने 2018 में भारत में आयोजित Unified Netball Championship में हिस्सा लिया था और गोल्ड मेडल जीता था।
दो छात्रों, श्री तनबीर और कुमारी कल्पना ने 2019 में बैंकॉक में आयोजित Unified Badminton Championship में रजत और स्वर्ण पदक जीते थे।
कुछ महीने पहले कोलकाता में आयोजित “Walk with a difference” कार्यक्रम में साहिब और अभय ने खिताब जीता था।
यह अत्यंत सराहनीय है। 
ऐसे छात्र साथी छात्रों के लिए अनुकरणीय उदाहरण बनते हैं।
GRIID के 73 छात्रों को inclusive education schools में भेजा गया है।
National Institute of Open School ने दिव्यांगजनों के लिए GRIID को विशेष मान्यता प्राप्त संस्थान के रूप में मान्यता प्रदान की हुई है।
26 विद्यार्थियों ने 10वीं कक्षा उत्तीर्ण की है।
GRIID के 80 छात्रों को चंडीगढ़ में विभिन्न स्थानों पर नौकरी दी गई है।
Swaraj Engines Ltd. में हाल ही में 15 लोगों की भर्ती हुई है जो अत्यंत हर्ष की बात है।
GRIID  Clinic स्कूली बच्चों के साथ-साथ अन्य बच्चों की भी उपचार व देखभाल कर रहा है।
मुझे यह भी बताया गया है कि मानव संसाधन विकास के लिए, विकलांगता अध्ययन हेतु एक विश्वविद्यालय की योजना बनाई जा रही है। 
भारत में शायद ही इस क्षेत्र से जुड़ा कोई विश्वविद्यालय है। इसलिए चंडीगढ़ में ऐसी यूनिवर्सिटी का होना एक स्वागत योग्य कदम होगा। इसके लिए चंडीगढ़ प्रशासन अपना पूरा सहयोग देगा।
मैं कल्पना करता हूं कि आने वाले वर्षों में यह संस्थान इसी तरह विकसित होता रहेगा और समुदाय की बदलती जरूरतों के अनुरूप ढलता रहेगा।
मित्रों,
यह रजत जयंती सिर्फ जश्न मनाने का समय नहीं है; यह हमारे मिशन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दोहराने का भी एक अवसर है।
हमारा समाज अभी भी बौद्धिक अक्षमताओं के बारे में गलत धारणाओं और घृणा से भरा हुआ है।
यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम इनको मिटाने के लिए न्याय की लड़ाई को जारी रखें।
आइए, हम उन बाधाओं को तोड़ने का प्रयास करें जो शिक्षा, रोजगार, खेल या social interactions जैसे समाज के सभी क्षेत्रों में इनकी भागीदारी में बाधा डालती हैं।
आगे का रास्ता चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन मुझे विश्वास है कि दृढ़ संकल्प और एकता की भावना के साथ, जो हमें यहां तक ले आई है, हम आने वाले वर्षों में और भी अधिक प्रगति कर सकते हैं।
मैं आज early detection और effective intervention के महत्व पर भी जोर देना चाहूंगा। 
कई एहतियाती कदम ‘बीमारियों और chronic conditions के प्रभाव’ को कम कर सकते हैं जो विकलांगता को जन्म देते हैं - विशेष रूप से अति-संवेदनशील आयु वर्ग के बच्चों में। टीकाकरण, बीमारी की रोकथाम, बेहतर स्वच्छता और पोषण, स्वास्थ्य देखभाल और व्यापक मातृ एवं नवजात देखभाल तक पहुंच ऐसे क्षेत्र हैं जहां हमें पूरे जोश के साथ समर्पित होना चाहिए।
आपमें से बहुत से लोग सोच रहे होंगे कि बदलाव लाने के लिए वे क्या कर सकते हैं; उनके लिए मैं स्वामी विवेकानन्द के शब्दों को दोहराना चाहूंगा जिन्होंने कहा था, ‘‘उठो, जागो, और मत सोओ; आप में से प्रत्येक के भीतर सभी आभावों और सभी दुखों को दूर करने की शक्ति है। इस पर विश्वास करें, और वह शक्ति प्रकट हो जाएगी’’। 
Disability वाले व्यक्तियों के लिए शक्ति और प्रोत्साहन का स्रोत बनने में उनके परिवारों की अग्रणी भूमिका होती है।
मैं उन परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करना चाहता हूं जिन्होंने इस यात्रा में अपने प्रियजनों को अटूट समर्थन दिया है।
समाज में ऐसे कई व्यक्तियों के उदाहरण मौजूद हैं जिन्होंने शारीरिक या मानसिक अभावों के बावजूद साहसपूर्वक जीवनयापन किया। आप जानते होंगे कि भारत के महानतम कवियों और दार्शनिकों में से एक, सूरदास जन्म से अंधे थे। फिर भी, उनकी कविताएँ सदियों से गूंजती आ रही हैं और आज भी हमारे लोकाचार का हिस्सा हैं।
मेरा मानना है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति का भरपूर उपयोग persons with disability के कल्याण और पुनर्वास के लिए भी किया जाना चाहिए।
एक बार फिर, मैं Government Rehabilitation Institute for Intellectual Disabilities, Chandigarh  की रजत जयंती पर इससे जुड़े सभी लोगों को हार्दिक बधाई देता हूं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!