SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF DAILY WORLD MARATHON
- by Admin
- 2024-03-31 08:50
Daily World Marathon (31.03.2024)
Daily World Marathon के पांचवें संस्करण में उपस्थित होकर अत्यंत हर्ष हो रहा है।
किंवदंती के अनुसार फिडीपीडिस एक ऐसा सैनिक था जो मैराथन के मैदान में युनानी सेना का Persians पर जीत का संदेश देने के लिए बिना रूके Marathon से अपने देश Athens तक दौड़कर गया।
Marathon से Athens का यह फासला 26 मील यानि की लगभग 42 किलोमीटर का था।
इसलिए, लंबी दूरी की इस दौड़ को मैराथन कहते हैं और फुल मैराथन 42 किलोमीटर (26 मील) की होती है।
पिछले कुछ दशकों से भारत में मैराथन की लोकप्रियता में काफ़ी तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है।
मैं महाराष्ट्र से हूं; महाराष्ट्र का पुणे शहर देश के पहले राष्ट्रीय मैराथन व पुणे अंतर्राष्ट्रीय मैराथन का मंच बना।
अब तो Mumbai Marathon, Laddakh Marathon, Kaveri Trail Marathon, Goa River Marathon, Kolkata Marathon, Bengaluru Marathon, Hyderabad Marathon और Pinkathon इत्यादि कई शीर्ष मैराथन भारत में आयोजित होते हैं।
हमारे पड़ोसी प्रदेश हिमाचल प्रदेश के लाहौल जिले में, साल 2022 में, भारत का पहला Snow Marathon आयोजित किया गया था। समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊंचाई के साथ, यह दुनिया का सबसे ऊंचा Snow Marathon रहा।
पर पंजाब भी कुछ कम नहीं है।
साल 1978 में जालंधर में शिवनाथ सिंह, जिन्हें प्यार से Marathon Man of India के नाम से भी जाना जाता है, ने पुरुषों की मैराथन में 2 घंटे 12 मिनट के समय के साथ राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था।
यह रिकॉर्ड इतिहास में सबसे लंबे समय तक चलने वाला भारतीय एथलेटिक्स राष्ट्रीय रिकॉर्ड है।
साठ की उम्र पूरी होने पर जब लोग जीवन की भागदौड़ से थककर आराम करना चाहते हैं, तब जालंधर के एक गांव में जन्मे Turbaned Tornado के नाम से प्रसिद्ध फौजा सिंह दुनियाभर के धावकों के लिए एक प्रेरणा बने हैं।
कल 1 अप्रैल को यह 113 वर्ष के हो जाएंगे। लेकिन, उम्र का शतक पूरा करने के बाद भी इन्होंने दौड़ना नहीं छोड़ा। उन्हें दुनिया का सबसे बुजुर्ग Marathon Runner माना जाता है।
उन्होंने अपने इस कारनामे से पंजाब प्रदेश व देश का नाम रोशन किया है और लोगों को प्रेरित किया है।
मित्रों,
जीवन का पर्याय चलना है रूकना नहीं।
और मैराथन केवल एक दौड़ नहीं है, यह मानवीय दृढ़ता और प्रतिकूल परिस्थितियों पर विजय का प्रतीक है।
यह शारीरिक कौशल की परीक्षा से कहीं अधिक है। यह अदम्य मानवीय भावना (indomitable human spirit) का प्रमाण है।
मुझे खुशी है कि आज इस मैराथन में पूरे देश से, पूर्वी भारत के शहरों से लेकर पश्चिम में मुंबई तक और हिमाचल प्रदेश से लेकर दक्षिण में बेंगलुरु तक, हर उम्र के हजारों धावक भाग ले रहे हैं।
आशा है कि आज के इस आयोजन से शारीरिक फिटनेस को बढ़ावा मिलेगा और मैराथन के महत्व संबंधी जागरूकता भी पैदा होगी।
आयोजकों द्वारा धावकों और प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने के लिए नकद पुरस्कार (10 लाख रुपये) की घोषणा की गई है।
यह एक अच्छी पहल है।
मैं सभी धावकों और Daily World Newspaper को इस शानदार आयोजन के लिए बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!