SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION SAHITYA ACADEMY SAMMAN SAMAROH AT PUNJAB ARTS COUNCIL, SECTOR 16, CHANDIGARH AT 11.00 AM ON 30.06.2024.

साहित्य अकादमी सम्मान समारोह (30.06.2024)

• चण्डीगढ़ साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित इस वार्षिक सम्मान समारोह में आकर मुझे अति हर्ष का अनुभव हो रहा है।

• जिन रचनाकारों, लेखकों तथा विद्वानों को सम्मानित किया गया है उन्हें मैं हार्दिक बधाई तथा साधुवाद देता हूँ।

• मित्रों, शब्द और भाषा मानव इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण अविष्कार हैं। यदि भाषा संस्कारों और संस्कृति की वाहक है, तो साहित्य समाज की विचार-परंपरा का वाहक होता है।

• जो समाज जितना जागृत होगा, उसका साहित्य भी उतना ही व्यापक होगा।

• कोई भी राष्ट्र मात्र धनधान्य से ही समृद्ध नहीं बनता, बल्कि अपने विचारों और संस्कारों से भी समृद्ध बनता है।

• अपने साहित्य और सृजन से भी समृद्ध बनता है।

• भारत में साहित्य की एक समृद्ध परंपरा है। चाहे वो वैदिक साहित्य हो, महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्य हों या फिर कालिदास के शाकुंतलम और मेघदूत हों।

• पंचतंत्र और जातक कहानियों से लेकर चाणक्य के अर्थशास्त्र के राजनीतिक दर्शन तक, हमारे देश में साहित्य का वास्तव में एक लंबा इतिहास है।

• भारत को हमेशा से लेखकों, कवियों, बुद्धिजीवियों और विचारकों की एक मजबूत साहित्यिक परंपरा का आशीर्वाद मिला है।

• हम सभी जानते हैं की साहित्य समाज का दर्पण होता है।

• लेकिन, यह भी सत्य है कि साहित्य समाज का दीपक बनकर, उसे रास्ता भी दिखाता है।

• साहित्यकारों ने समाज निर्माण में हमेशा निर्णायक भूमिका निभाई है।

• भक्ति आंदोलन और हमारा स्वतंत्रता आंदोलन, दोनों ही महान पुरुषों और महिलाओं के छंदों और लेखन से प्रभावित थे।

• ऐसे ही नहीं कहते कि “The Pen is mightier than the Sword.” 

• इसलिए, समाज का कर्तव्य है की वह इन कलम के सिपाहियों की भावना का उचित सम्मान करे।

• मुझे खुशी है कि चण्डीगढ़ साहित्य अकादमी के सहयोग से आज हमने ऐसा किया।

• आजीवन साहित्य साधना करने वाले लेखकों को सम्मानित करके प्रशासन स्वयं को गौरवान्वित अनुभव करता है।

• एक बात आप सबसे कहना चाहता हूँ- यदि हमारे संविधान में अभिव्यक्ति की आज़ादी दी गई है तो ये भी अपेक्षित है कि हम उस आज़ादी का उपयोग जिम्मेदारी से करें। किसी की आस्था या संवेदना को आहत करने के लिए नहीं।

• अपनी आजादी का प्रयोग शब्दों की मर्यादा और भाषा के संस्कारों के अनुशासन में रह कर भी किया जा सकता है।

• नए संदर्भों में युवा लेखकों द्वारा, नए विषयों पर, पुस्तकें लिखी जा रही हैं, नए प्रयोग किए जा रहे हैं।

• परिवर्तनशील समाज के बदलते सरोकारों पर प्रबुद्ध वर्ग की टिप्पणी स्वाभाविक भी है और जरूरी भी।

• लेकिन शब्दों के शिल्पकार लेखकों से अपेक्षित है कि उनकी टिप्पणी समाज में सौहार्दपूर्ण बौद्धिक विमर्श शुरू करे, न कि विवाद।

• लगभग पचास वर्षों से शहर के साहित्यिक वातावरण को अधिक से अधिक समृद्ध करने के काम में चंडीगढ़ साहित्य अकादमी पूरी लग्न से जुटी हुई है। इनके प्रयासों की मैं सराहना करता हूं।

• आप संगोष्ठियों, सेमिनारों, कवि सम्मेलनों तथा कार्यशालाओं के माध्यम से शहर के बौद्धिक विकास का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।

• आप रचनाकारों को पुस्तक प्रकाशन के लिए अनुदान भी प्रदान करते हैं जो नए लेखकों, कवियों तथा कलमकारों के लिए बहुत बड़ी सुविधा है।

• मैं इन सभी अनुदान प्राप्त करने वाले रचनाकारों को भी बधाई देता हूँ तथा कामना करता हूँ की उनकी आने वाली पुस्तकें समाज में विशिष्ट स्थान पाएंगी!

• भारतीय सभ्यता, संस्कृति एवं साहित्य के स्थायित्व पर इकबाल की दो पंक्तियां कहकर मैं अपनी वाणी को विराम दूंगा-

‘‘मिट गए यूनान, मिस्र, रोमा, लेकिन कायम है अब तक नामो-निशान हमारा,

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माना हमारा’’

 

धन्यवाद

 

जय हिन्द

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