SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF THEATRE FESTIVAL AT TAGORE THEATRE ON 30.06.2024 AT 6.30 PM.

थिएटर फेस्टिवल-2024 (30.06.2024)

 

• मैं आज चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित सात दिवसीय नाट्य उत्सव के समापन समारोह के अवसर पर सभी कलाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ।

• पिछले सात दिनों में यहाँ बेहतरीन सात नाटकों की प्रस्तुति हुई, इसके लिए चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी और उनकी पूरी टीम को साधुवाद।

• प्राचीन काल से ही कला-विधाओं (Art-forms) को भारतीय संस्कृति में उच्च स्थान दिया गया है।

• भरत मुनि के नाट्य-शास्त्र को वेदों के समकक्ष रखते हुए उसे पंचम वेद कहा गया है।

• उनके नाट्य-शास्त्र में कला-विधा (Art-form) की जो व्यापकता(Comprehensiveness) एवं समग्रता (Holistic) मिलती हैवह संसार के किसी अन्य ग्रंथ में दुर्लभ है।

• गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने कला के बारे में लिखा है कि ‘‘कला में मनुष्य स्वयं को अभिव्यक्त करता है’’।

• मैं, इस धारणा में विश्वास रखता हूँ, कि कला केवल कला के लिए नहीं होती है।

• कला के सामाजिक उद्देश्य भी होते हैं।

• इतिहास में अनेक ऐसे उदाहरण हैं जब कलाकारों ने समाज कल्याण के लिए अपनी कला का प्रयोग किया।

• कलाकार अपनी कला के माध्यम से रूढ़ियों और पूर्वाग्रहों को चुनौती देते रहे हैं।

• वे अपनी कला से समाज को जगाते रहे हैं।

• आज के परिवेश में तनाव और अवसाद जैसी मानसिक समस्याएं बढ़ रही हैं। परन्तु, कला से जुड़ाव हमें सृजनशील बनाता है।

• हमारे लोक गीत और नृत्य एवं नाटक हमारे जीवन में उल्लास का भी संचार करते हैं।

• नृत्य और नाटक ऐसे शक्तिशाली साधन हैं जिनका उपयोग कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह, दहेज तथा ड्रग्स और शराब की लत जैसी सामाजिक बुराइयों से लड़ने हेतु सामाजिक संदेशों को प्रभावी ढंग से प्रसारित करने के लिए किया जा सकता है।

• इनका उपयोग स्वास्थ्य, साक्षरता तथा सत्य, सहिष्णुता और सद्भाव के मूल्यों जैसे विभिन्न मुद्दों संबंधी लोगों को शिक्षित करने के लिए भी किया जा सकता है।

• सामाजिक बुराइयों को मिटाने के अलावा कल्याणकारी योजनाओं संबंधी जागरूकता पैदा करने के लिए भी कला एक शक्तिशाली माध्यम है।

• थिएटर खुशी फैलाने, जागरूकता बढ़ाने और हमारी समृद्ध विरासत और संस्कृति की रक्षा करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

• बचपन किसी भी व्यक्ति के जीवन का सबसे खूबसूरत समय होता है।

• जब मैं 4-5 साल का था, मेरी माँ मुझे हर रात रामायण के विभिन्न काण्डों को कहानियों के रूप में सुनाती थीं।

• हम परिवार सहित रामलीला का मंचन भी देखने जाते थे।

• ऐसी कहानियों व नाटकों द्वारा प्रदर्शित नैतिक मूल्यों की भावना का मंचन, हृदय-पटल पर अमिट छाप छोड़ जाता है और हमारे व्यक्तित्व को अप्रत्यक्ष रूप से निखारता है।

• चंडीगढ़ में थिएटर की एक लंबी परंपरा है और लोगों में राष्ट्रवाद और मानवीय मूल्यों की भावना को बढ़ावा देने के लिए थिएटर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

• चंडीगढ़ प्रशासन के अधीन कार्यरत चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी पिछले 44 वर्षों से चंडीगढ़ शहर में कला एवं संस्कृति के विस्तार हेतु कार्यशील है।

• चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी पहली बार स्थानीय कलाकारों को अकादमी पुरस्कार से सम्मानित करने जा रही है।

• इसके अलावा art promoters के लिए कला पारखी पुरस्कार नामक एक पुरस्कार होगा।

• जिन कलाकरों ने एक लम्बे समय तक कला की सेवा की है उन्हें एक लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार भी दिया जाएगा।

• इस बेहतरीन पहल के लिए मैं अकादमी को बधाई देता हूँ।

 

धन्यवाद

 

जय हिन्द!