लाला लाजपत राय प्रतिमा-अनावरण कार्यक्रम (20.05.2024)
- by Admin
- 2024-05-20 18:00
- आज हम ‘‘पंजाब केसरी’’ लाला लाजपत राय जी की प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर एकत्र हुए हैं।
- सबसे पहले मैं Gulab Devi Hospital के संस्थापक, प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी व समाज सुधारक लाला लाजपत राय को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
- अपनी स्वर्गीय माताजी की स्मृति को जीवित रखने के लिए, उनके नाम पर इस अस्पताल की स्थापना के लिए उन्होंने 1927 में ट्रस्ट बनाया था।
- आज उनकी प्रतिमा का अनावरण कर हम न केवल राष्ट्र के लिए लाला जी के अमूल्य योगदान को याद कर रहे हैं, बल्कि एक न्यायपूर्ण, न्यायसंगत और करूणापूर्ण समाज के उनके दृष्टिकोण का उत्सव भी मना रहे हैं।
- 28 जनवरी, 1865 को फिरोज़पुर जिले के एक छोटे से गाँव ढुडीके में जन्मे लाजपत राय भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक बने।
- उनकी गिनती महात्मा गांधीजी जैसे महान लोगों में की जाती है।
- वह बिपिन चंद्र पाल और बाल गंगाधर तिलक के साथ बंगाल विभाजन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में एक प्रमुख भूमिका में थे।
- तीनों को प्यार से ‘लाल-बाल-पाल’ कहा जाता था।
- वह जन-जन के नायक थे।
- लाला लाजपत राय जी दूरदर्शी और सच्चे देशभक्त थे।
- उन्हें यह आभास था कि अंग्रेज ज्यादा देर तक भारत को गुलाम नहीं रख सकते।
- इसलिए उन्होने स्वतंत्र भारत की नींव रखनी शुरू की।
- इसी उद्देश्य से उन्होंने 1886 में डीएवी संस्थान की स्थापना की और 1895 में पंजाब नेशनल बैंक (PNB) तथा लक्ष्मी बीमा कंपनी आदि की बुनियाद रखी।
- लाला लाजपत राय स्वावलंबन से स्वराज्य लाना चाहते थे।
- वह एक विपुल लेखक थे और उन्होंने कई किताबें लिखीं। उन्होंने समाचार पत्रों और पत्रिकाओं की स्थापना और संपादन भी किया।
- उन्होंने तीन अंग्रेजी साप्ताहिक समाचार पत्र, ‘The Regenerator of Aryavarta’(1883); ‘The Panjabee’(1904) और ‘The People’(1925); एक उर्दू साप्ताहिक समाचार पत्र ‘Deshopkarak’ (1883) और एक उर्दू दैनिक समाचार पत्र ‘Bande Mataram’(1920) की शुरूआत की थी।
- उन्होंने कई रचनाएँ लिखीं जैसे –– “Unhappy India”, “Young India: An Interpretation”, “History of Arya Samaj”, “England’s Debt to India”.
- Mazzini, Garibaldi और Swami Dayanand पर लोकप्रिय जीवनियों की एक श्रृंखला भी प्रस्तुत की।
- लाला जी ने कहा था, "There is no life without freedom and there is no freedom without 'Swarajya" यानी ‘‘स्वतंत्रता के बिना कोई जीवन नहीं है और ‘स्वराज्य’ के बिना कोई स्वतंत्रता नहीं है।’’
- जनता के नेता के रूप में उन्होंने हमेशा आगे बढ़कर नेतृत्व किया।
- लालाजी गरम दल के नेता थे, जिन्हें चन्द्रशेखर आजाद, भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव व वीर क्रांतिकारी अपना आदर्श मानते थे।
- लालाजी अपने आप में एक संस्था थे। उनकी देशभक्ति अनूठी थी... ऐसा कोई भी सार्वजनिक आंदोलन नहीं रहा होगा जिसमें लालाजी ने भाग न लिया हो–– उन्हें बहुत कुछ झेलना पड़ा।
- लाहौर में साइमन कमीशन के खिलाफ एक विरोध मार्च का नेतृत्व करते समय, ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा उन पर बेरहमी से हमला किया गया और वह गंभीर रूप से घायल हो गए, जिससे 17 नवंबर, 1928 को लाहौर में इस महान स्वतंत्रता सेनानी की असामयिक मृत्यु हो गई।
- लेकिन, लालाजी ने अंग्रजों को चेताते हुए कहा था, “ब्रिटिश शासकों द्वारा मेरे शरीर पर प्रत्येक आघात एक दिन ब्रिटिश शासन के ताबूत में ठोकी गई घातक कील साबित होगा’’।
- जब लालाजी शहीद हुए तो उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए गांधीजी ने ‘यंग इंडिया’ पत्रिका में ‘लालाजी जिंदाबाद’ शीर्षक के तहत लिखा थाः ‘जब तक भारतीय आसमान में सूरज चमकता रहेगा, लालाजी जैसे लोग नहीं मर सकते।’
- वह एक बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे। एक परिपक्व राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, पत्रकार और वक्ता थे, इसलिए उन्हें ‘पंजाब केसरी’ के नाम से जाना जाता है।
मित्रों,
- भारत मां को वीरों की जननी कहा जाता है।
- इस धरती पर कई ऐसे वीर सपूत हुए हैं, जिन्होंने अपने जीवन की परवाह न करते हुए इस देश को आजाद कराने के लिए अपना जीवन तक बलिदान कर दिया।
- और पंजाब की धरती का तो क्या कहना!
- पंजाब के लोगों को तो गुरू साहिबानों से कुर्बानी का जज़्बा विरासत में मिला है।
- पंजाब ने तो दूसरे राज्यों से कहीं अधिक कुर्बानियां दी हैं और स्वतंत्रता संग्राम में बहुत सक्रिय भूमिका निभाई।
- 1921 में लालाजी ने Servants of the People Society की स्थापना की जो समर्पण, त्याग और समाज सेवा की मिसाल बनकर स्थापित हुई।
- यह अस्पताल भी लोगों के कल्याण के प्रति उनके समर्पण का जीवंत प्रतीक है।
- उनकी निस्वार्थ सेवा और त्याग की भावना हमें अधिक समावेशी और समृद्ध समाज बनाने के लिए सदा प्रेरित करती रहेगी।
धन्यवाद,
जय हिन्द!