SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI BANWARI LAL PUROHIT ON THE OCCASION OF TERAPANTH SATHAPANA DIWAS AT ANUVRAT BHAVAN, SECTOR 24, CHANDIGARH ON JULY 21, 2024.

तेरापंथ स्थापना दिवस (21.07.2024)

  • कार्यक्रम में उपस्थित मनीषीसंत मुनिश्री विनयकुमार जी ‘‘आलोक’’, मुनि गण, पूज्य साध्वी जी गण और सभी श्रद्धालुओं को मेरा नमस्कार।
  • तेरापंथ धर्मसंघ की शुरूआत करने वाले श्री आचार्य भिक्षु जी को भी मेरा प्रणाम।
  • तेरा पंथ के आचार्यों का मुझे हमेशा से विशेष स्नेह मिलता रहा है। इसी प्रेम के कारण मुझे तेरापंथ के आयोजनों से जुड़ने का सौभाग्य भी मिलता रहता है।
  • विशिष्ट महापुरूषों को समय समय पर विशिष्ट ज्ञान की प्राप्ति हुई, भगवान महावीर को ज्ञान की, बुद्ध को बोधि प्राप्त हुई और उसी श्रृंखला में आचार्य भिक्षु जी की चेतना का उदय सोई हुई सुस्त चेतना का जागरण ही बोधि है।
  • आचार्य भिक्षु जी ने आज के दिन चारित्र ग्रहण किया और यह तेरापंथ का स्थापना दिन बन गया।
  • हमारा ये भारत हजारों वर्षों से संतों की, ऋषियों की, मुनियों की, आचार्यों की एक महान परंपरा की धरती रहा है।
  • तेरापंथ धर्मसंघ न केवल एक धार्मिक समुदाय है, बल्कि एक विचारधारा, एक जीवनशैली और एक समाजसेवी अभियान भी है।
  • तेरापंथ के संविधान अनुसार, सर्व साधु-साध्वियां एक आचार्य की आज्ञा में रहते हैं। सभी एक ही आचार्य के नेतृत्व में साधना करते हैं। इन मायनों में तेरापंथ महान है।
  • तेरापंथ जैन समुदाय में सबसे नवीन संप्रदाय है फिर भी कम समय में इसने बहुत विकास किया है। इसका कारण है आचार्य का नेतृत्व।
  • समाज का ध्यान रखने की जैन धर्म की शिक्षा देश की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है।
  • आचार्य भिक्षु ने अपने मौलिक चिंतन के आधार पर नये मूल्यों की स्थापना की।
  • उनका मुख्य उद्देश्य था मानव समाज को धार्मिकता, नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति सच्चाई और प्रेम की ओर प्रेरित करना। 
  • उन्होंने विशेष रूप से अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, और ब्रह्मचर्य के महत्व को बताया और इन्हीं मूल्यों पर आधारित एक समाजसेवी समुदाय की नींव रखी।
  • आज से लगभग 250 वर्ष पूर्व उन्होंने जो मर्यादा से संबंधित संविधान लिखा वह आज भी प्रासंगिक है।
  • मनीषीसंत का चंडीगढ़ में 12वां चतुर्मास है। 
  • अणुव्रत समिति चंडीगढ़ समाज के धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक आदि हर पहलू पर निस्वार्थ ही आगे बढ़कर कार्य कर रही है।
  • मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि चंडीगढ़ अणुव्रत समिति समाज में बिजली संयम, पानी का अपव्यय, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्कूलों में शिक्षा के स्तर को सुधारना, समाज में चरित्रता के पौधे को सींचना आदि अनेकों सामाजिक कार्यों में अग्रसर है।
  • श्वेताम्बर तेरापंथ तो चरैवेति-चरैवेति की, सतत गतिशीलता की महान परंपरा को नई ऊंचाई देता आया है। आचार्य भिक्षु ने शिथिलता के त्याग को ही आध्यात्मिक संकल्प बनाया था।
  • आधुनिक समय में आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ जी से प्रारंभ हुई महान परंपरा आज आचार्य महाश्रमण जी के रूप में हम सबके समाने जीवंत है।
  • आचार्य महाश्रमण जी ने 7 वर्षों में 18 हजार किलोमीटर की पदयात्रा पूरी की थी।
  • इस यात्रा के जरिए आचार्य श्री ने ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के भारतीय विचार को विस्तार दिया।
  • इस दौरान उन्होंने ’सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति’ को एक संकल्प के रूप में समाज के समाने पेश किया।
  • जहां अहिंसा है, वहीं एकता है। जहां एकता है, वहीं अखंडता है। जहां अखंडता है, वहीं श्रेष्ठता है।
  • आज देश ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास’ के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है।
  • आचार्य तुलसी जी कहते थे - ’’मैं सबसे पहले मानव हूं, फिर मैं एक धार्मिक व्यक्ति हूं। फिर मैं एक साधना करने वाला जैन मुनि हूं। उसके बाद मैं तेरा पंथ का आचार्य हूं’’।
  • आज हमारी आध्यात्मिक शक्तियां, हमारे आचार्य, हमारे संत सब मिलकर भारत के भविष्य को दिशा दे रहे हैं।
  • मेरी प्रार्थना है, आप देश की अपेक्षाओं को, देश के प्रयासों को भी जन-जन तक ले जाने का एक सक्रिय माध्यम बनें।
  • आज देश जिन संकल्पों पर आगे बढ़ रहा है, चाहे वो पर्यावरण का विषय हो, पोषण का प्रश्न हो, या फिर गरीबों के कल्याण के लिए प्रयास, इन सभी संकल्पों में आपकी बड़ी भूमिका है।
  • मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप संतों का आशीर्वाद देश के इन प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाएंगे, और अधिक सफल बनाएंगे।
  • इसी भावना के साथ, सभी संतों के चरणों में वंदन करते हुए आप सबका हृदयपूर्वक बहुत-बहुत धन्यवाद।

 

जय हिन्द!