SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF TEACHER’S DAY AT PUNJAB RAJ BHAVAN, CHANDIGARH ON SEPTEMBER 5, 2024.

माननीय राज्यपाल पंजाब और प्रशासक यू.टी. चंडीगढ़

श्री गुलाब चंद कटारिया जी

का ‘‘शिक्षक दिवस’’ के अवसर पर संबोधन

आज ‘शिक्षक दिवस’ के अवसर पर पुरस्कार से सम्मानित किए गए सभी अधिकारियों, प्रधानाचार्यों और शिक्षकों को मैं हार्दिक बधाई देता हूं।

आज, जब हम शिक्षक दिवस मना रहे हैं, तो सबसे पहले, मैं भारत के दूसरे राष्ट्रपति और एक अनुकरणीय शिक्षक, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिनके जन्मदिवस को हम इस दिन के रूप में मनाते हैं।

मित्रों,

हमारी संस्कृति में शिक्षक पूजनीय माने जाते हैं। मैं भी यह मानता हूं कि एक निष्ठावान शिक्षक को अपने जीवन में जिस तरह की सार्थकता का अनुभव होता है उसकी तुलना नहीं की जा सकती है। शायद इसीलिए जब भारत के दूसरे राष्ट्रपति, डॉक्टर राधाकृष्णन के प्रशंसकों ने उनका जन्मदिन मनाने का प्रस्ताव रखा तो उस विश्व-प्रसिद्ध दार्शनिक, लेखक एवं स्टेट्समैन ने यह इच्छा जाहिर की कि उनका जन्मदिन ‘शिक्षक-दिवस’ के रूप में मनाया जाए। 

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का मानना था कि ‘‘शिक्षा का उद्देश्य जानकारी अर्जित करना या तकनीकी कौशल प्राप्त करना नहीं है, बल्कि मन की उस प्रवृत्ति, तर्क की उस प्रवृत्ति, लोकतंत्र की उस भावना का विकास करना है, जो हमें जिम्मेदार नागरिक बनाएगी’’।

मित्रों,

अतीत में हमारे पास तक्षशिला और नालंदा जैसे शिक्षा के प्रसिद्ध केंद्र थे जिन्होंने दुनियाभर के विद्वानों को अपनी ओर आकर्षित किया। ऐसे विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्रदान करने वाले महान शिक्षकों ने हमारी प्राचीन शिक्षा प्रणाली के लिए एक उच्च स्थान स्थापित किया। 

हमारे प्राचीन ग्रंथ, हमारे महाकाव्य और हमारा इतिहास-सब इस बात पर जोर देते हैं कि ज्ञान से बढ़कर कोई शक्ति नहीं है और ज्ञान देने वाले गुरु से बड़ा कोई नहीं है। 

आज, जब हम अपने शिक्षकों का सम्मान कर रहे हैं, तो हमें गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व को याद रखना चाहिए, जिसने हमारी महान सभ्यता और संस्कृति की नींव रखी है।

गुरू-शिष्य परंपरा की बात करें तो श्री राम जी के जीवन में भी महर्षि विश्वामित्र, ऋषि वशिष्ठ, महर्षि भारद्वाज, ब्रह्मर्षि अगस्त्य आदि जैसे महान गुरूओं की उपस्थिति रही जिनकी शिक्षाओं की बदौलत श्री राम जी आगे चलकर मर्यादा पुरूषोत्तम कहलाए और विजय की ओर अग्रसर हुए।

गुरू द्रोणाचार्य एक महान गुरू थे जिन्होंने पांडवों और कौरवों को धनुर्विद्या की शिक्षा दी। परन्तु अर्जुन उनका सबसे प्रिय, आज्ञाकारी और होनहार शिष्य था। 

यहां मैं एकलव्य की भी बात करना चाहूंगा जिसने गुरू द्रोणाचार्य द्वारा अस्वीकार किए जाने के बावजूद उनको अपना गुरू मानकर धनुर्विद्या में श्रेष्ठता हासिल की। लेकिन एकलव्य ने अपने गुरु के प्रति अपार श्रद्धा और समर्पण दिखाते हुए गुरू द्रोणाचार्य द्वारा गुरूदक्षिणा स्वरूप अंगूठा मांगे जाने पर तुरंत अपना अंगूठा काटकर द्रोणाचार्य को दे दिया, बिना किसी विरोध के। 

हमने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी को भी निकट से देखा है। वे भारत के राष्ट्रपति थे और विद्यार्थियों में काफी लोकप्रिय थे। जब उनसे पूछा गया कि लोग उन्हें कैसे याद रखें, तो उन्होंने कहा था कि लोग मुझे एक शिक्षक के रूप में याद रखें। राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के तुरंत बाद वे चेन्नई चले गए और बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। जीवन के अंत तक वे विद्यार्थियों के साथ विचार-विमर्श करते रहे, जिससे उनके शिक्षक के प्रति समर्पण का अंदाजा लगाया जा सकता है। 

गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर कहते थे कि ‘‘जब मैं कुछ भी सिखाता हूँ, तो मैं इसे प्यार से करता हूँ’’। इसलिए शिक्षक के पेशे की सफलता और उनके द्वारा अर्जित सम्मान का आधार प्रेम के माध्यम से शिक्षा प्रदान करना होना चाहिए।

हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन सही दिशा में उठाया गया एक अहम कदम है। यह प्राथमिक विद्यालय स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक 21वीं सदी के शिक्षार्थियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजाइन किए गए पाठ्यक्रम का बहुत आवश्यक सोपान है। 


राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 उच्च शिक्षा में प्रमुख सुधारों पर केंद्रित है, जो अगली पीढ़ी को नए डिजिटल युग में प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाएगी। नई शिक्षा नीति व्यापक रूप से भारत की नई शिक्षा प्रणाली के दृष्टिकोण को रेखांकित करती है और प्राचीन उच्च आदर्शों का संवर्धन करने की प्रेरणा भी देती है। 

नई शिक्षा नीति सतत अधिगम के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु पाँच मुख्य स्तम्भों पर ध्यान केंद्रित करती है, जो कि “सामर्थ्य’’, “अधिगम्यता’’, “गुणवत्ता’’ “साम्यता” एवं “उत्तरदायित्व” हैं। इसे नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है, क्योंकि समाज और अर्थव्यवस्था में ज्ञान की मांग के लिए नियमित आधार पर नए कौशल की आवश्यकता होती है। जिससे संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 2030 में सूचीबद्ध सम्पूर्ण रोज़गार, उत्पादकपूर्ण रोजगार और गरिमापूर्ण श्रम के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।

हमारे विद्यार्थियों को चाहिए कि वे पोखरण और चंद्रयान-3 तक की उपलब्धियों संबंधी विस्तृत जानकारी प्राप्त करें, उनसे प्रेरणा लें तथा बड़ी सोच के साथ राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए कार्य करें। हमारे विद्यार्थी और शिक्षक मिलकर कर्तव्य काल के दौरान भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में तेजी से आगे ले जाएंगे, यह मेरा दृढ़ विश्वास है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में भारत के भविष्य को आकार देने में डिजिटलीकरण, एनीमेशन और गेमिंग की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला था जो तेजी से वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रमुख चालक बन रहे हैं। ये उद्योग हमारे युवाओं के लिए अपार अवसर प्रदान करते हैं, लेकिन इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए उन्हें सक्रिय रूप से भाग लेना होगा और अपने कौशल को लगातार उन्नत करना होगा।

सरकार का ‘‘मेक इन इंडिया, डिज़ाइन इन इंडिया’’ का विज़न केवल एक नारा नहीं है-यह हमारे युवाओं के लिए कार्रवाई का आह्वान है। हमें अपने युवाओं को इन अत्याधुनिक क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा विकसित करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

इस प्रक्रिया में शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। छात्रों में रचनात्मकता, नवाचार, और तकनीकी कौशल को प्रोत्साहित करके, शिक्षक उन्हें इन गतिशील क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए तैयार कर सकते हैं। 

‘विकसित भारत 2047’ देश की आजादी के 100 साल बाद 2047 तक भारत को पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने का महत्वकांक्षी दृष्टिकोण है, एक रोडमैप है। इसका उद्देश्य देश के सभी नागरिकों के बीच समावेशी आर्थिक और सामाजिक भागीदारी को बढ़ावा देना है। इसमें आर्थिक समृद्धि, सामाजिक उन्नति, पर्यावरणीय स्थिरता, प्रभावी शासन और विकास के विभिन्न पहलुओं को भी शामिल किया गया है।

प्यारे शिक्षक-गणों,

शिक्षा विभाग, यूटी चंडीगढ़ ने हमेशा शहर में शिक्षा के मानकों को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं।

यूटी चंडीगढ़ के सभी आवासीय क्षेत्रों में प्री-प्राइमरी से लेकर सीनियर सेकेंडरी स्तर तक आधुनिक सुविधाओं से युक्त स्कूलों की सुविधा उपलब्ध है जहां लगभग पौने 3 लाख छात्र शिक्षा हासिल कर रहे हैं। 

मुझे यह बताते हुए अत्यंत गर्व हो रहा है कि चंडीगढ़ का स्कूल शिक्षा विभाग इस खूबसूरत शहर में ‘डिजिटलीकरण’ का अग्रदूत बनकर उभरा है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और वंचित समूह के लिए शिक्षा का अधिकार प्रवेश पोर्टल की असाधारण पहल ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा प्राप्त की है, जब विभाग ने प्रतिष्ठित ईटी गवर्नमेंट डिजिटेक अवार्ड्स 2023 के तहत डिजिटल समाधानों का उपयोग करके छात्रों को शिक्षा प्रदान करने की श्रेणी में रजत पुरस्कार जीता है। 

शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों के पेशेवर विकास के लिए उन्हें विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षण प्रदान किए जाते हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने अपने शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए सीबीएसई के साथ सहयोग किया है। यह पहली बार है कि किसी राज्य सरकार ने सीबीएसई के सहयोग से एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया है।

शहर में दो पीएम श्री स्कूलों के साथ, हमारी स्कूली शिक्षा ने एक नया आयाम जोड़ा है। अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ कौशल निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने से आने वाले दिनों में शहर के लिए निश्चित रूप से उत्कृष्ट परिणाम आएंगे। 

बेहतरीन शिक्षकों के साथ, हमारा शहर नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है। यूटी चंडीगढ़ के 3 सरकारी स्कूलों के 11वीं कक्षा के विज्ञान के चार छात्र जापान और अन्य देशों के युवाओं के बीच आदान-प्रदान बढ़ाने के उद्देश्य से SAKURA विज्ञान कार्यक्रम के तहत 10 से 16 नवंबर 2024 तक जापान का दौरा करेंगे। इन छात्रों को जापान की सबसे उन्नत वैज्ञानिक तकनीक देखने और उत्कृष्ट वैज्ञानिकों से मिलने का अवसर दिया जाएगा।

रोटरी इंटरनेशनल, चंडीगढ़ ने चंडीगढ़ में स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए स्वास्थ्य शिक्षा केंद्र की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह केंद्र हर साल कम से कम 50,000 छात्रों को प्रमुख स्वास्थ्य मुद्दों पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करेगा। 

आप सभी, अपने विद्यार्थियों में, एक स्वर्णिम भविष्य की कल्पना करने और उसके लिए योग्यता करने की प्रेरणा जगा सकते हैं तथा उन्हें सक्षम बना सकते हैं ताकि वे अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा कर सकें।

आज मैं इस मंच से सभी शिक्षकों से अपील करता हूँ कि वे युवा पीढ़ी और हमारे लोगों की उनसे अपेक्षाओं पर खरा उतरें। मैं सभी शिक्षकों से निस्वार्थ कर्तव्य और शिक्षण पेशे के प्रति नैतिक प्रतिबद्धता की अपनी यात्रा पर दृढ़ रहने का आह्वान करता हूं।

मैं उन सभी अधिकारियों, प्रधानाचार्यों और शिक्षकों को बधाई देता हूं जिन्हें आज सम्मानित किया गया है और वास्तव में आशा करता हूं कि आने वाले समय में भी सफलता की कहानियां जारी रहेंगी।

अंत में, एक बार पुनः मैं सभी को ‘शिक्षक दिवस’ की बधाई देता हूं तथा सम्पूर्ण शिक्षण समुदाय के उज्ज्वल भविष्य की मंगल-कामना करता हूं।

धन्यवाद, जय हिन्द!