SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR OF PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF OPENING CEREMONY OF 14TH HOCKEY SUB JUNIOR MEN NATIONAL CHAMPIONSHIP -2024 AT HOCKEY STADIUM, SECTOR 42, CHANDIGARH ON SEPTEMBER 24, 2024.

समारोह दिनांक 24.09.2024

14वीं हॉकी इंडिया सब-जूनियर पुरूष राष्ट्रीय चैंपियनशिप 2024

श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

 

देवियो और सज्जनों,

मैं आज 14वीं हॉकी इंडिया सब-जूनियर पुरूष राष्ट्रीय चैंपियनशिप 2024 के उद्घाटन के इस विशेष अवसर पर, आप सभी के बीच उपस्थित होकर अत्यंत हर्ष का अनुभव कर रहा हूँ। यह आयोजन केवल एक खेल प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि भारतीय हॉकी के भविष्य के सितारों का निर्माण स्थल है, जहां आपके सपने और मेहनत को सम्मानित किया जाता है।

23 सितंबर से 3 अक्तूबर तक 11 दिन चलने वाली इस प्रतियोगिता का आयोजन हॉकी चंडीगढ़ द्वारा करवाया जा रहा है। 

हॉकी चंडीगढ़ - हॉकी इंडिया से जुड़ी एक इकाई है जिसकी स्थापना सिटी ब्यूटिफुल के खेल और हॉकी प्रेमियों द्वारा 1959 में की गई थी। कैप्टन आर.एस. मेहता जी के नेतृत्व में इसकी नींव रखी गई थी। इसके बाद श्री आर.के. गुप्ता, श्री जे.एस. संधू, और पंजाब के पूर्व डीजीपी डॉ. चंदर शेखर ने इस संगठन को आगे बढ़ाया। आज, श्री करण गिल्होत्रा अध्यक्ष और डॉ. पी.जे. सिंह वरिष्ठ उपाध्यक्ष के रूप में संस्था का नेतृत्व कर रहे हैं।

हम विशेष रूप से स्व. श्री एस.एन. वोहरा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने हॉकी चंडीगढ़ के संस्थापक महासचिव के रूप में वर्ष 2000 तक अपनी सेवाएं दीं। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता, क्योंकि वे चंडीगढ़ में हॉकी के आधार स्तंभ थे।

उनके निधन के बाद, उनके पुत्र श्री वाई.पी. वोहरा ने संगठन की बागडोर संभाली और 2015 तक महासचिव के रूप में सेवा दी। आज, श्री अनिल वोहरा इस जिम्मेदारी को निभाते हुए हॉकी चंडीगढ़ की तीसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

इस सब-जूनियर नेशनल चैंपियनशिप प्रतियोगिता में कुल 28 राज्यों की टीमें भाग ले रही हैं जिनमें लगभग 700 खिलाड़ी और अधिकारी भाग ले रहे हैं। 

हॉकी के शुरुआती रूप हजारों सालों से विभिन्न सभ्यताओं में खेले जाते रहे हैं। मिस्र, ग्रीस, फारस और रोम की प्राचीन सभ्यताओं में इस खेल की तरह के खेल खेले जाते थे। 

लेकिन आधुनिक हॉकी की शुरुआत 19वीं शताब्दी के अंत में इंग्लैंड में हुई। 1875 में लंदन में पहली बार हॉकी क्लब की स्थापना हुई। हॉकी एसोसिएशन की स्थापना 1886 में हुई, जिसने इस खेल के मानक नियम बनाए और इसे व्यवस्थित रूप से खेला जाने लगा।

भारत में हॉकी ब्रिटिश शासन के दौरान आई। ब्रिटिश सैनिकों और अधिकारियों ने इसे भारत में लाया, और 19वीं सदी के अंत में यह लोकप्रिय होने लगी। भारत में पहला हॉकी क्लब 1885-86 में कोलकाता में स्थापित किया गया था।

चाहे हमारे देश में क्रिकेट सहित अन्य कई लोकप्रिय खेल खेले जाते हैं लेकिन हॉकी आज भी देशवासियों के दिल के सबसे करीब है। हॉकी हमारे देश का राष्ट्रीय खेल माना जाता है। यह भारतीय खेल जगत की एक ऐसी धरोहर है जिसने पूरे विश्व में भारत का परचम लहराया है और इसका इतिहास हमें गर्व से भर देता है।

1928 में भारत ने अपने पहले ओलंपिक खेलों में भाग लिया और वहाँ से हॉकी में भारत का वर्चस्व शुरू हुआ। भारतीय हॉकी का स्वर्णिम युग 1928 से 1956 तक का समय था, जब भारतीय टीम ने ओलंपिक खेलों में लगातार छह स्वर्ण पदक जीते। 

इस दौर में हॉकी का जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया। ध्यानचंद का खेल ऐसा था कि विरोधी टीमें उनकी हॉकी स्टिक को जाँचने लगती थीं, यह देखने के लिए कि कहीं उसमें कोई जादू तो नहीं है। मेजर ध्यानचंद ने 1926 से 1949 तक अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान कुल 185 मैचों में 570 गोल किए।

ऐसा कहा जाता है कि जर्मन नेता एडोल्फ हिटलर मेजर ध्यानचंद की कुशलता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उन्हें जर्मन की नागरिकता और जर्मन सेना में कर्नल का पद देने की पेशकश की, जिसे ध्यानचंद ने देश प्रेम की खातिर अस्वीकार कर दिया।

मेजर ध्यानचंद के अलावा यदि किसी दूसरे हॉकी खिलाड़ी को सबसे ज्यादा याद किया जाता है तो वह थे बलबीर सिंह सीनियर। उन्होंने 1952 में ओलंपिक में पुरुष हॉकी फ़ाइनल में सर्वाधिक 5 गोल करने का रिकॉर्ड बनाया। भारत सरकार ने बलबीर सिंह सीनियर को 1957 में पद्मश्री पुरूस्कार से सम्मानित किया। 

चंडीगढ़ में रहने वाले और चंडीगढ़ में ही अपनी अंतिम सांस लेने वाले बलबीर सिंह सीनियर का भारतीय हॉकी के उत्थान में योगदान न केवल स्वर्ण पदकों की संख्या से मापा जाता है, बल्कि उनके खेल के प्रति समर्पण, रणनीतिक कौशल, और नेतृत्व क्षमता के कारण भी उन्हें भारतीय हॉकी के इतिहास में विशेष स्थान प्राप्त है। 

भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में अब तक कुल 13 पदक जीते हैं जिनमें से 8 स्वर्ण, 1 रजत और 4 कांस्य पदक हैं। इसके अलावा इसने हॉकी विश्वकप में कुल 3 पदक जीते हैं जिनमें 1 स्वर्ण, 1 रजत और 1 कांस्य पदक शामिल हैं।

1980 के बाद भारतीय हॉकी टीम को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर संघर्ष करना पड़ा। कई कारण थे - जैसे कि हॉकी के नियमों में बदलाव, नई तकनीकों का अभाव, और आर्टीफिशियल टर्फ की कमी आदि। लेकिन आज हमारे यशस्वी प्रधानममंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में खेलों को जो प्रोत्साहन दिया जा रहा है उसके नतीजे आप सभी के सामने हैं। 

आज के इस महत्वपूर्ण अवसर पर मैं देश की हॉकी की पूरी टीम को पिछले सप्ताह चीन में हुए ऐशियन चैंपियन्स ट्रॉफी 2024 के फाइनल में चीन को उसी की धरती पर पराजित करके यह प्रतिष्ठित प्रतियोगिता जीतने पर बधाई देता हूं। 

इस बार भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में लगातार दूसरी बार अपना परचम लहराते हुए पैरिस 2024 में कांस्य पदक जीता। इससे पहले टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीतकर 41 साल बाद इतिहास रचा। यह हमारे हॉकी के पुनरुत्थान का प्रतीक है और हमें विश्वास है कि आने वाले समय में हम और भी बड़े गौरव हासिल करेंगे।

 हाल ही में सम्पन्न हुए पैरिस ओलंपिक में भी चंडीगढ़ के गुरजंट सिंह और संजय की भागीदारी वाली भारतीय हॉकी टीम ने कांस्य पद जीत कर देश को गौरवान्वित किया है। 2020 के टोक्यो ओलंपिक में चंडीगढ़ के रूपिंदरपाल सिंह और गुरजंट सिंह की भागीदारी ने भारतीय हॉकी टीम की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 

यह बहुत ही राष्ट्रीय गौरव का क्षण था, क्योंकि पंजाब के सात खिलाड़ी भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा थे। जिनमें कप्तान हरमनप्रीत सिंह, उपकप्तान हार्दिक सिंह, मनप्रीत सिंह, मनदीप सिंह, शमशेर सिंह, जर्मनप्रीत सिंह और सुखजीत सिंह शामिल थे। इसके अलावा हॉकी टीम में पंजाब के दो रिजर्व खिलाड़ी जुगराज सिंह और कृष्ण बहादुर पाठक शामिल थे।

हालाँकि हॉकी लगभग भारत के हर राज्य में खेली जाती है, लेकिन पंजाब दुनिया के बेहतरीन हॉकी के खिलाड़ी पैदा करने के लिए जाना जाता है। 

हॉकी चंडीगढ़ ने भी कई ओलंपियन और अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी दिए हैं जिनमें बलजीत सिंह, दीपक ठाकुर, राजपाल सिंह, इंद्रजीत सिंह, रूपिंदर पाल सिंह, गुरजंट सिंह, मनिंदर, संजय, आदि शामिल हैं और जूनियर श्रेणियों में अमनदीप, अर्शदीप सिंह, सुखमन सिंह और अंगदबीर सिंह शामिल हैं।

इसके अलावा मनिंदर सिंह, अमनदीप, रोहित, बिक्रमजीत सिंह और अंकुश चंडीगढ़ के उभरते हुए युवा अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं।

मित्रों,

हर व्यक्ति के जीवन में खेल का अमूल्य महत्व होता है। खेल धर्म-जाति, ऊंच-नीच से ऊपर उठकर टीम भावना पैदा करता है। यह नेतृत्व कौशल, लक्ष्य निर्धारण और जोखिम लेने के लिए आत्म विश्वास बढ़ाता है। खेल हमारे देश के समग्र विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

हमारे देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है पिछले तकरीबन एक दशक में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक कदम उठाये गये हैं। साल 2014 के मुकाबले देश का खेल बजट लगभग 3 गुना बढ़ाया गया है। 

खेलो इंडिया जैसी योजनाओं के तहत युवा खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण, सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। पूरे देश में आधुनिक हॉकी स्टेडियम और सिंथेटिक टर्फ तैयार किए जा रहे हैं, ताकि खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें और वे अपनी प्रतिभा को निखार सकें। 

खेलों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम का अनिवार्य अंग बनाया गया है। खेल को उसी श्रेणी में रखा गया है जैसे विज्ञान, कॉमर्स, गणित या दूसरी पढ़ाई; अब वह अतिरिक्त गतिविधि नहीं माने जाएंगे बल्कि खेलों का उतना ही महत्व होगा जितना बाकी विषयों का। 

चंडीगढ़ प्रशासन ने भी खेलों के प्रति सराहनीय कदम उठाए हैं जिसके तहत एक प्रगतिशील खेल नीति शुरू की है। इस खेल नीति के अनुसार, ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता को 6 करोड़ रूपए का नकद पुरस्कार, रजत पदक विजेताओं को 4 करोड़ रुपए और कांस्य पदक विजेताओं को 2.5 करोड़ रुपए मिलेंगे। 

अब जब हम माननीय प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत 2047 की राह पर अग्रसर हैं तो मेरा पूर्ण विश्वास है कि 2047 तक हम खेल के क्षेत्र में भी विश्व गुरू बनेंगे और यह आप जैसे हमारे युवा खिलाड़ियों के संकल्प और समर्पण के चलते ही संभव हो पाएगा।

मैं सभी खिलाड़ियों से यही कहना चाहता हूँ कि आप पूरे समर्पण और उत्साह के साथ इस टूर्नामेंट में भाग लें। खेल को खेल की भावना से खेलें और टीम वर्क का महत्व समझें। 

हर मैच एक नया अवसर है, सीखने और अपने आप को बेहतर बनाने का। इसलिए मेरी आपसे अपील है कि आप संकल्प और समर्पण के साथ अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ा परिश्रम करें।

मुझे पूर्ण विश्वास है कि हॉकी की इस प्रतियोगिता के माध्यम से न सिर्फ खिलाड़ियों को अपने कौशल, अपनी प्रतिभा को आंकने का अवसर मिलेगा, बल्कि यह प्रतियोगिता युवाओं को हॉकी के खेल के प्रति आकर्षित करने में भी महत्वपूर्ण सिद्ध होगी।

अंत में मैं इस प्रतियोगिता के सफल आयोजन की कामना करता हूं और इसमें भाग लेने वाले सभी टीमों के खिलाड़ियों को शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद,  

जय हिन्द!