SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF CONVOCATION OF SRI GURU RAM DAS UNIVERSITY OF HEALTH SCIENCES AT AMRITSAR ON SEPTEMBER 27, 2024.

समारोह दिनांक 27.09.2024

श्री गुरू राम दास स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, दीक्षांत समारोह

श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

 

माननीय कुलपति महोदय, उपकुलपति महोदय, विश्वविद्यालय के सभी शिक्षाविद, सम्माननीय अतिथि, अभिभावकगण, और मेरे प्रिय छात्र-छात्राओं,

श्री गुरु राम दास स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, श्री अमृतसर के इस दीक्षांत समारोह को संबोधित करना मेरे लिए सम्मान और सौभाग्य की बात है। आज का यह अवसर हम सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण और गर्व का है।

दीक्षांत समारोह न केवल आपकी शैक्षिक यात्रा के अंत का प्रतीक है, बल्कि एक ऐसी शुरुआत, जहाँ आप अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग करके समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं।

इस संस्थान का नाम सिख धर्म के चौथे गुरू श्री गुरू राम दास जी के नाम पर रखा गया है जो अपनी विनम्रता, करुणा और सेवा के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अमृतसर शहर की स्थापना की। 

श्री गुरू राम दास युनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, श्री अमृतसर, पंजाब में स्थित एक उत्कृष्ट शैक्षणिक संस्थान है जो अनुकरणीय डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को तैयार करने के लिए समर्पित है।

इस विश्व प्रसिद्ध संस्था की आधारशिला 1977 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति माननीय नीलम संजीव रेड्डी ने रखी थी। यह संस्था पहले श्री गुरू राम दास चैरिटेबल हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज के नाम से कार्यशील थी। वर्ष 2016 में इस संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। 

इसके अधीन वर्ष 1997 में श्री गुरु राम दास इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च और श्री गुरु राम दास रोटरी कैंसर इंस्टीट्यूट स्थापित किए गए और इसके पश्चात् वर्ष 2001 में श्री गुरु राम दास कॉलेज ऑफ नर्सिंग स्थापित किया गया। 

इस संस्था में 1997 में एमबीबीएस की 50 सीटों की क्षमता थी जो अब बढ़कर 150 सीटें हो गई है।

संस्थान ने वर्ष 2006 में एमडी/एमएस पाठ्यक्रम शुरू किया, जिसमें जनरल मेडिसिन में 3 सीटें, जनरल सर्जरी में 3 सीटें, एनेस्थीसिया में 2 सीटें थीं। अब संस्थान ने लगभग सभी क्लिनिक, पैरा क्लिनिकल और बेसिक विभागों में एमडी/एमएस पाठ्यक्रम की सीटों को बढ़ाकर 115 कर दिया है। 

वर्तमान में संस्थान में स्नातक, स्नातकोत्तर, नर्सिंग और पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों में लगभग 1500 पंजीकृत छात्र हैं और 9 पीएचडी शोध परियोजनाएं सफलतापूर्वक संचालित की जा रही हैं।

यहां पर 2018 में बायोएथिक्स यूनिट ऑफ द इंटरनेशनल नेटवर्क ऑफ द यूनेस्को चेयर इन बायोएथिक्स की स्थापना की गई।

मुझे गर्व है कि पंजाब राज्य में स्थापित इस निजी संस्थान होने के बावजूद, यह पंजाब सहित हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के मरीजों को कम लागत पर माध्यमिक और तृतीयक स्तर की स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में प्रमुख योगदान देता है।

श्री गुरु राम दास स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय उत्तर भारत का एकमात्र निजी स्वास्थ्य विश्वविद्यालय बन गया है, जिसे विकलांग व्यक्तियों के विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के तहत ‘एड्स एंड अप्लायांसेज की खरीद या फिटिंग के लिए विकलांग व्यक्तियों को सहायता’ योजना प्राप्त हुई है। 

मेरे प्यारे युवा स्नातकों,

स्वास्थ्य क्षेत्र में करियर बनाना, केवल एक पेशा नहीं है, यह एक सेवा है, एक जिम्मेदारी है। मैं आपको इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर हार्दिक बधाई देता हूँ।

आपकी शिक्षा का उद्देश्य केवल अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होना नहीं था, बल्कि आपको इस समाज का एक जिम्मेदार नागरिक बनाना था। आपने इस संस्थान से जो ज्ञान के साथ-साथ मानव कल्याण के जो मूल्य सीखे हैं, उनका उपयोग न केवल अपने व्यक्तिगत करियर के विकास में करें, बल्कि उन लोगों की मदद करने में जिनकी स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच है।

जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, याद रखें कि इस क्षेत्र में तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ मानवता और नैतिकता का विशेष महत्व है। एक सफल चिकित्सक वही होता है जो विज्ञान और मानवता के बीच सही संतुलन बना सके। 

मैं मानता हूं कि आपने चिकित्सा के पेशे का चुनाव किया है तो आपके मन में कहीं न कहीं मानवता की सेवा करने का भाव अवश्य होगा। उस सेवा-भाव को बचाना है, बढ़ाना है तथा प्रसारित करना है।

भारत के डॉक्टरों ने विश्व स्तर पर अपनी विशेष पहचान बनाई है। सस्ती स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण हमारा देश मेडिकल टूरिज़्म का एक प्रमुख केंद्र बन गया है। 

पूरे विश्व को सु-स्वस्थ तथा रोग-मुक्त बनाना हमारा धर्म, यानी आदर्श है। पूरे विश्व का आरोग्य सुनिश्चित करने के मूल में ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का विचार निहित है। मैं यह आशा करता हूं कि आप सभी इस विचार को अपने निजी जीवन में और पेशेवर जीवन में अपना आदर्श वाक्य बनाएंगे।

मित्रों,

हमारे देश की चिकित्सा प्रणाली का इतिहास बेहद समृद्ध और वैज्ञानिक आधार पर टिका हुआ है। प्राचीन भारत में स्वास्थ्य सेवाओं का विकास न केवल शारीरिक बीमारियों के इलाज तक सीमित था, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं पर भी केंद्रित था।

भारत की चिकित्सा प्रणाली का सबसे पुराना और प्रमुख स्रोत आयुर्वेद है। आयुर्वेद चिकित्सा का उद्देश्य केवल रोग का उपचार नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा के सामंजस्य को बनाए रखना है। इसकी जड़ें वैदिक युग से जुड़ी हुई हैं।

आयुर्वेद के प्रमुख ग्रंथों में चरक संहिता और सुश्रुत संहिता आते हैं। चरक संहिता को चिकित्सा के विज्ञान का सबसे प्राचीन और पूर्ण ग्रंथ माना जाता है। इसमें शरीर के विभिन्न दोषों वात, पित्त, कफ का संतुलन बनाए रखने की विधियों का विस्तार से वर्णन है। दूसरी ओर, सुश्रुत संहिता को शल्य चिकित्सा का आधार माना जाता है। सुश्रुत को शल्य चिकित्सा का जनक कहा जाता है, और उनके समय में की गई सर्जरी की विधियों का आज भी चिकित्सा विज्ञान में महत्व है।

प्राचीन भारत में औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों का महत्व भी अत्यधिक था। रामायण की कथा के अनुसार, संजीवनी बूटी लेकर वायु मार्ग से हनुमान जी, प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण जी के पास पहुंचे थे तथा लक्ष्मण जी के उपचार में अपना योगदान दिया था। 

आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्राकृतिक तत्वों, जैसे कि नीम, हल्दी, तुलसी, अश्वगंधा, और अन्य जड़ी-बूटियों का उपयोग रोगों के उपचार में किया जाता था। इन जड़ी-बूटियों का वैज्ञानिक महत्व आज भी स्वीकार किया जाता है, और इनका उपयोग आधुनिक चिकित्सा में भी हो रहा है।

आज, जब हम आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों को देखते हैं, तो हमें यह समझना चाहिए कि प्राचीन भारत ने चिकित्सा के क्षेत्र में जो ज्ञान प्रदान किया, वह अत्यधिक समृद्ध और प्रभावी था। 

देवियो और सज्जनों,

आज का समय स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए नई चुनौतियां लेकर आया है। कोरोना महामारी जैसी घटनाओं ने हमें यह सिखाया है कि स्वास्थ्य सेवा में निरंतर सुधार और तैयारियां कितनी महत्वपूर्ण हैं। नई बीमारियों, पर्यावरणीय बदलावों, और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों का सामना करने के लिए आपको हमेशा नवीनतम ज्ञान से लैस रहना होगा। 

देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इस बार के बजट में स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए पिछले वर्ष की तुलना में 12.59 प्रतिशत अधिक बजट का आवंटन किया है। प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन का बजट 2,100 करोड़ से बढ़ाकर 4,108 करोड़ किया गया है। आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लिए आवंटन 7,200 करोड़ से बढ़ाकर 7,500 करोड़ किया गया है।

सरकार ने जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और विकास पर भी ध्यान दिया है, जिसका बजट 1,100 करोड़ तक बढ़ा दिया गया है, जो पिछले वर्ष 500 करोड़ था। 

हम सभी जानते हैं कि पंजाब सहित अन्य कई राज्यों में पानी और मिट्टी में प्रदूषण के कारण लोगों में कैंसर की बीमारी तेजी से फैल रही है, जिसे एक गंभीर स्वास्थ्य संकट के रूप में देखा जाता है। 

यहां से बड़ी संख्या में कैंसर रोगी ट्रेन के द्वारा बीकानेर के जाने-माने कैंसर अस्पतालों में इलाज के लिए यात्रा करते हैं। इसी कारण बठिंडा से बीकानेर के बीच चलने वाली इस ट्रेन को ‘‘कैंसर एक्सप्रेस’’ के नाम से जाना जाता है।

अक्सर कहा जाता है कि इलाज से बेहतर रोकथाम है। हमारे गुरू श्री गुरू नानक देव जी ने प्रकृति को सर्वोच्च दर्जा देते हुए पवन गुरू पानी पिता माता धरत महत का संदेश दिया था। मैं आप सभी से अनुरोध करना चाहूंगा कि हमें लोगों को बिमारियों से बचाने के लिए हवा, पानी और मिट्टी को दूषित होने से बचाने के लिए संगठित रूप से कार्य करने चाहिए। 

प्यारे विद्यार्थियों,

डॉक्टरों की यह पीढ़ी वर्ष 2047 के विकसित भारत की विकसित स्वास्थ्य सेवाओं को नेतृत्व प्रदान करेगी, इसी विश्वास और आशीर्वाद के साथ मैं आप सब के स्वर्णिम भविष्य की मंगल-कामना करता हूं।

अंत में, मैं आप सभी को एक बार फिर बधाई देना चाहता हूँ। आप सभी ने जिस कड़ी मेहनत और समर्पण से इस उपलब्धि को हासिल किया है, वह आपके उज्ज्वल भविष्य का संकेत है। मैं आशा करता हूँ कि आप अपने करियर में ऊंचाइयों को छूएं और इस समाज को स्वस्थ, खुशहाल और समृद्ध बनाने में अपना योगदान दें।

धन्यवाद,

जय हिन्द!