SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF DISTRIBUTION OF SPORTS KITS FUNCTION ORGANISED BY COMPETENT FOUNDATION AT CHANDIGARH ON SEPTEMBER 11, 2024.

समारोह दिनांक 11.09.2024

कम्पीटेंट फाउंडेशन द्वारा आयोजित खेल उपकरण वितरण समारोह के अवसर पर

श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

 

मैं स्वर्गीय श्री बलरामजी दास टंडन द्वारा वर्ष 2006 में स्थापित कंपीटेंट फाउंडेशन द्वारा समाज के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के विद्यार्थियों को सशक्त करने की दिशा में आयोजित आज के इस खेल उपकरण वितरण समारोह में आप सभी के बीच उपस्थित होकर अत्यंत हर्ष का अनुभव कर रहा हूं।

मुझे बताया गया है कि इस संगठन के संस्थापक स्व. श्री बलरामजी दास टंडन जी छह बार पंजाब से विधायक रहे। वह तीन बार सीनियर केबिनेट मंत्री और एक बार पंजाब के उपमुख्यमंत्री रहे। इसके अलावा वह जुलाई 2014 से अगस्त 2018 तक छत्तीसगढ़ के राज्यपाल भी रहे।

उनके द्वारा स्थापित कम्पीटेंट फाउंडेशन पिछले 15 वर्षों से अधिक समय से समर्पित भाव से सामाजिक कल्याण के नेक कार्य कर रहा है। इन कार्यों में रक्तदान शिविरों का आयोजन, गरीब मरीजों की सर्जरी के लिए वित्तीय सहायता, पी.जी.आई. में हर महीने 10 नेत्र ऑपरेशन प्रायोजित करना आदि शामिल हैं। इस फाउंडेशन ने कोरोना काल के दौरान भी प्रशासन के साथ-साथ जनमानस की भी हर संभव सहायता की है।

इसी तर्ज पर, बलरामजी दास टंडन चैरिटेबल फाउंडेशन नामक दूसरी संस्था की शुरुआत श्री संजय टंडन ने अपने पिता स्वर्गीय श्री बलरामजी दास टंडन के निधन के बाद उनकी स्मृति में की थी। 

श्री संजय टंडन ने ‘बलरामजी दास टंडन मेमोरियल लेक्चर’ के नाम से एक मेमोरियल लेक्चर भी शुरू किया है, जिसे पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष में एक बार आयोजित किया जाता है।

देवियो और सज्जनों,

यह मेरे लिए बहुत ही गर्व की बात है कि आज हम सब यहां एकत्रित हुए हैं ताकि उन विद्यार्थियों को खेल उपकरण प्रदान कर सकें, जिनके पास संसाधनों की कमी के बावजूद खेल के प्रति अत्यधिक जुनून और समर्पण है।

यह कदम समाज के सबसे छोटे और सबसे महत्वपूर्ण सदस्यों के विद्यालयी जीवन के साथ-साथ उनके खेल से जुड़े जीवन को भी सुविधाजनक बनाने में मदद करेगा। 

हमारे समाज में मौजूद दुर्भाग्यपूर्ण अभिशापों और आर्थिक कठिनाइयों से प्रभावित होने वाले बच्चे अक्सर अवसरों से वंचित रह जाते हैं। उनके लिए खेल उपकरण खरीदना आमतौर पर असंभव हो जाता है, जिससे उनके खेल से जुड़े कौशल को निखारने में बाधा आती है। 

मैं यह खेल उपकरण प्राप्त करने वाले चंडीगढ़ के सरकारी स्कूलों के 175 बच्चों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाओं सहित अपना आशीर्वाद देता हूं और कामना करता हूं कि वे अपनी लगन व कड़ी मेहनत के बलबूते आगे चलकर खेल के क्षेत्र में अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन कर प्रदेश व देश का नाम रौशन करेंगे।

मुझे बताया गया है कि इससे पहले भी इस संस्था द्वारा पंजाब राजभवन में गत वर्ष 12 बच्चों को खेल उपकरण वितरित किए गए थे। और उससे पहले वर्ष 2021-22 और 2022-23 में 300-300 बच्चों को स्कूल किट वितरित किए गए थे।

प्रिय विद्यार्थियों,

मैं आपको बताना चाहता हूं कि स्कूल हमारे जीवन का स्वर्णिम काल होता है। जीवन के इस पड़ाव पर हम जो भी सीखते, समझते हैं अथवा जिन नैतिक गुणों को अपनाते हैं, वही हमारे व्यक्तित्व व चरित्र निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। स्कूल में अपने समय का पूरा उपयोग करें, पढ़ाई करें, खेलें, दोस्त बनाएं।

खेल शारीरिक स्वास्थ्य और व्यक्तित्व के विकास लिए महत्वपूर्ण हैं। यह हमारे जीवन में अनुशासन, टीम वर्क, और मानसिक मजबूती भी लाता है। खेलों के माध्यम से धैर्य, आत्म-नियंत्रण और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है।

साथ ही, खेल नेतृत्व गुणों को उभारते हैं, जो जीवन के हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण होते हैं। जब हम किसी खेल में सफलता प्राप्त करते हैं, तो यह हमारे आत्मसम्मान को बढ़ाता है। 

खेल सामाजिक जीवन को भी समृद्ध करते हैं। खेलों के माध्यम से हम नए लोगों से मिलते हैं, दोस्ती बढ़ती है और सामूहिकता की भावना विकसित होती है। यह हमें समाज में एक बेहतर नागरिक बनने में मदद करता है।

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कई अवसरों पर कहा है- ‘‘खेल एक ऐसी सॉफ्ट पावर है, जो दुनिया का ध्यान भारत की ओर आकर्षित कर सकती है।’’ खेल में नागरिकों के विशेष व्यक्तित्व को विकसित करने के साथ-साथ किसी भी राष्ट्र को एक खेल महाशक्ति के रूप में विश्व मानचित्र पर रखने की क्षमता होती है।

खेलों में सफलता के साथ राष्ट्रीय गौरव जुड़ा है और इसमें देश को जाति, पंथ, धर्म से परे देश को एक सूत्र में बांधने और एक खुशहाल और स्वस्थ समाज के निर्माण करने की क्षमता होती है। भारत में अपार खेल प्रतिभा का एक समूह मौजूद है। 

यहां पर मैं हमारे पैरा ओलंपिक खिलाड़ियों को भी नमन करता हूं जिन्होंने हाल ही में पैरिस में सम्पन्न हुए पैरा ओलंपिक खेलों में अपने दमखम का लोहा मनवाया। भारत ने इस बार पैरा ओलंपिक में 29 मैडल जीतकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया जिनमें 7 स्वर्ण, 9 रजत और 13 कांस्य पदक शामिल हैं। भारत ने पदक तालिका में 18वां स्थान प्राप्त किया। 

आपके पास तो केवल संसाधनों की कमी है परन्तु इनके पास तो अंगों की भी कमी थी और ऐसी स्थिति में होते हुए भी इन्होंने पूरे देश का नाम रौशन किया है। हम सबको इनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहिए और जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।

मित्रों,

सेवा जीवन का मंत्र है। यह जड़-चेतन में व्याप्त ईश्वर की उपासना का माध्यम है। यह किसी के उपकार के लिए नहीं होती। सेवा त्याग की अभिव्यक्ति होती है। सेवा स्वयं और दूसरों को नर से नारायण बनाने का उपाय है।

सेवा कार्य में किसी भी प्रकार के छुआ-छूत एवं मनभेद का कोई विचार अपने मन में नहीं रखना चाहिए। समाज के सभी लोगों की दुर्बलता दूर किये बिना समर्थ भारत का निर्माण नहीं किया जा सकता। केवल आनंद की अनुभूति पाने के लिए निःस्वार्थ भावना के साथ सेवा कार्य करना चाहिए।

विवेकानंद ने कहा था कि जो दूसरों के लिए जी रहे हैं, वही वास्तव में जी रहे हैं। जो सिर्फ अपने लिए जी रहे हैं, वे मृतप्रायः हैं। इसलिए जन-जन में सेवा का भाव होना चाहिए।

जनकल्याण और सामाजिक कार्यों में जुटे संगठनों तथा समाजसेवियों को जनमानस की सेवा के साथ-साथ समर्थवान लोगों को समाजसेवा के लिए प्रेरित करना चाहिए। इस क्रम में सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं से सेवानिवृत विशिष्ट व्यक्तियों को निःस्वार्थ सेवा के क्षेत्र से जोड़ना चाहिए। 

देश के चहुमुखी विकास के लिए हर समाज, हर वर्ग के पिछड़े लोगों की आर्थिक दुर्बलता और कमियों को दूर करना होगा। इसके लिए हम सभी को मिलकर सकारात्मक सोच के साथ कार्य करना होगा। हम सभी को ‘‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामयः’’ के सिद्धांत का पालन करना होगा। 

अंत में, मैं उन सभी का धन्यवाद करना चाहता हूँ जिन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया है। मैं विशेष रूप से हमारे सभी आयोजकों और शिक्षकों का सहयोग सराहनीय है। आपकी मदद से हम इन विद्यार्थियों के जीवन में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने में सफल हो रहे हैं।

धन्यवाद,

जय हिन्द!