SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF INS/OUTS 2024 INAUGURAL CEREMONY “DECOTING THE FUTURE OF MODERN ARCHITECTURE” AT CHANDIGARH ON SEPTEMBER 13, 2024.

समारोह दिनांक 13.09.2024

पीएचडी चैंबर द्वारा आयोजित इन्स एंड आउट्स के 10वें संस्करण के अवसर पर

श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

 

देवियो और सज्जनो,

पीएचडी चैंबर के वार्षिक मेगा इवेंट - इन्स एंड आउट्स के 10वें संस्करण के उद्घाटन समारोह में आकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। मैं इस उपयोगी कार्यक्रम के आयोजन के लिए पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स, फायर एंड सिक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया और नेशनल प्रोडक्टिविटी कौंसिल का दिल से आभार व्यक्त करता हूं जो स्मार्ट सिटी की अवधारणा के अनुरूप है।

मुझे बताया गया है कि पीएचडी चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की स्थापना 1905 में हुई थी और तब से यह भारतीय उद्योग, व्यापार और अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। 

यह उद्योग और व्यापार जगत की आवाज़ बनकर भारतीय अर्थव्यवस्था को अगले स्तर पर ले जाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। वैश्विक स्तर पर, यह अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं और व्यावसायिक अवसरों को लाने के लिए भारत और विदेशों में दूतावासों और उच्चायोगों के साथ काम कर रहे हैं। 

यह संस्थान विभिन्न औद्योगिक समूहों, छोटे और मध्यम उद्योगों, और स्थानीय व्यापारियों के हितों का प्रतिनिधित्व करता है। यह संगठन व्यापार और उद्योग से जुड़े विषयों पर सरकार को सुझाव देने और नीतिगत सुधार की दिशा में काम करता है। 

 

मित्रों,

ऐसी दुनिया में जहाँ शहरीकरण तेज़ी से हमारे जीने के तरीके को बदल रहा है, वास्तुकला, इंटीरिअर और सुरक्षा के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता। इस वर्ष के आयोजन का विषय, ‘‘आधुनिक वास्तुकला के भविष्य को समझना’’ हमारे रहने योग्य स्थानों के निर्माण की तत्काल आवश्यकता के साथ पूरी तरह से मेल खाता है जो कुशलता, सुरक्षा और पर्यावरण-अनुकूलता को प्राथमिकता देता है।

भारत में वास्तुकला का इतिहास और परंपरा बहुत समृद्ध रही है। हमारे पास प्राचीन मंदिर और किले, बौद्ध स्तूप और विहार और कुतुब मीनार, चारमीनार, गोल गुम्बज और ताजमहल जैसे वास्तुकला के अनमोल धरोहर मौजूद हैं।

वास्तुकला के महान कार्यों के अन्य उदाहरणों में 5000 वर्ष पुरानी सिंधुघाटी की सभ्यता के दो महानगर मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की वास्तुकला भी शामिल है जिनकी अद्भुत और व्यवस्थित वास्तुकला आज भी प्रासंगिक है। 

इन नगरों की योजना और निर्माण में एक स्पष्ट वैज्ञानिक दृष्टिकोण था, जो उस समय की सामाजिक और सांस्कृतिक परिपक्वता को दर्शाता है। ये नगर बड़े और सुव्यवस्थित थे, जिनमें चौड़ी सड़कें, पक्के मकान और जल निकासी की उत्तम व्यवस्था थी।

आपको शायद पता हो कि 1800 से 1850 के बीच, लंदन और पेरिस, सिर्फ़ दो शहर थे जिनकी आबादी दस लाख से ज़्यादा थी। लेकिन, सदी दर सदी, बड़े शहर या महानगर विकसित हुए हैं और दुनिया भर में इनका विकास जारी है। 

आज हमारे देश में कई शहर ऐसे हैं जिनकी आबादी 10 लाख से अधिक है। बढ़ती जनसंख्या के साथ चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं और इन चुनौतियों से निपटते समय हमें पर्यावरण को ध्यान में रखकर ही आगे बढ़ना होगा।

हम जलवायु परिवर्तन की समस्या और ऊर्जा दक्षता के लाभों से अवगत हैं। हमें पर्यावरण के महत्व को समझना होगा और साथ ही हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि निर्मित इमारतें, सड़कें और अन्य बुनियादी ढाँचे ऊर्जा कुशल, पर्यावरण अनुकूल और प्राकृतिक आपदा को झेलने में समर्थ हों।

देश में केन्द्र की सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना चलाई जा रही है जिसका मुख्य उद्देश्य समाज के हर वर्ग, विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों, निम्न आय वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को पक्का घर उपलब्ध कराना है। इस योजना के अंतर्गत बनाए जाने वाले मकानों में भी टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल निर्माण तकनीकों का उपयोग किया जाता है। 

देवियो और सज्जनों,

मुझे गर्व है कि मेरा संबंध उस धरती से है जहां की वास्तुकला ने विश्वभर के वास्तुकारों को अपनी ओर आकर्षित किया है। देश-विदेश से लाखों पर्यटक राजस्थान के महलों, किलों और मंदिरों को देखने आते हैं।

राजस्थानी वास्तुकला में राजपूत, मुग़ल, और जैन शैलियों का अनूठा संगम देखने को मिलता है। हवेलियों और महलों में पत्थरों पर की गई बारीक नक्काशी और जटिल डिज़ाइन न केवल सौंदर्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि ये तकनीकी दृष्टि से भी अद्वितीय हैं। 

राजस्थानी वास्तुकला की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक इसका पर्यावरण के अनुकूल होना है। यहाँ के भवनों को गर्मी से बचाने और प्राकृतिक रोशनी और हवा का अधिकतम उपयोग करने के लिए विशेष तकनीकों का उपयोग किया गया है। जैसे कि जालियों का उपयोग, जो भवनों को ठंडा रखने में मदद करता है और साथ ही इनसे भवनों में वेंटिलेशन भी अच्छा बना रहता है। 

यह हमें हमारे पूर्वजों की कुशलता और विज्ञान की समझ को दर्शाता है। इन तकनीकों से हम आज भी बहुत कुछ सीख सकते हैं, खासकर जब जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रहा है।

हम ‘सिटी ब्युटीफुल’ के नाम से प्रसिद्ध अपने चंडीगढ़ की बात करें तो यह सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि भारत की आधुनिकता और नवाचार का प्रतीक है। यह शहर न केवल वास्तुकला में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह भारत के शहरी नियोजन के क्षेत्र में एक आदर्श मॉडल भी है। 

चंडीगढ़ की वास्तुकला में आधुनिकता और भारतीय सांस्कृतिक तत्वों का भी अनूठा मिश्रण है। इस शहर के निर्माण की जिम्मेदारी को विश्व प्रसिद्ध फ्रांसीसी वास्तुकार ली कॉर्बुज़ियर ने बखूबी निभाया। उन्होंने यहाँ आधुनिक निर्माण तकनीकों का उपयोग किया, लेकिन उन्होंने भारतीय परंपराओं और जलवायु को भी ध्यान में रखा। जैसे, भवनों में बड़े-बड़े बरामदे और जालियों का उपयोग किया गया ताकि गर्मी को नियंत्रित किया जा सके। इसके अलावा, उन्होंने भवनों के निर्माण में बड़े-बड़े आंगनों का उपयोग किया, जो भारतीय जीवनशैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

मित्रों,

मुझे बताया गया है कि चंडीगढ़ के परेड ग्राउंड में बड़े ही उपयुक्त ढंग से 100 से अधिक प्रदर्शकों की भागीदारी वाली आयोजित यह 4 दिवसीय प्रदर्शनी नवाचार, डिजाइन और स्थिरता का एक संगम है। इस प्रदर्शनी में निर्माण और भवन सामग्री पर ध्यान केंद्रित करने से लेकर अग्नि सुरक्षा, औद्योगिक सुरक्षा, रियल एस्टेट और गृह सजावट के क्षेत्र तक को शामिल किया गया है। 

पर्यावरण के अनुकूल संरचनाओं के निर्माण की दिशा में हम जो कदम उठा रहे हैं, वे सराहनीय और प्रेरणादायक दोनों हैं। ये पर्यावरण अनुकूल इमारतें न केवल ऊर्जा की खपत और कार्बन उत्सर्जन को कम करती हैं, बल्कि प्रकृति के साथ एक स्वस्थ और अधिक सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व को भी बढ़ावा देती हैं।

नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को शामिल करने, संसाधनों के उपयोग को अनुकूल बनाने और वास्तुशिल्प डिजाइनों में प्राकृतिक तत्वों को शामिल करने के प्रति हमारा समर्पण धरती की सुरक्षा के लिए हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस तरह के प्रयास हमें स्मरण कराते हैं कि प्रगति हमारे पर्यावरण की कीमत पर नहीं आनी चाहिए, बल्कि इसके बजाय एक सामंजस्यपूर्ण साझेदारी होनी चाहिए जो हमारे जीवन और हमारे आस-पास की दुनिया दोनों को समृद्ध बनाए।

मैं पीएचडी चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की एक ऐसा मंच तैयार करने के लिए सराहना करना चाहूँगा जो न केवल बिजनेस-टू-बिजनेस इन्टरैक्शन को बढ़ावा देता है बल्कि लोगों को इन उल्लेखनीय प्रगति से जुड़ने का अवसर भी प्रदान करता है। 

अंत में, मैं इस आयोजन को वास्तविकता बनाने में शामिल सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ। डिजाइन और नवाचार के माध्यम से एक बेहतर दुनिया को आकार देने में आपका समर्पण सराहनीय है। आइए, हम सभी अटूट दृढ़ संकल्प और उत्साह के साथ टिकाऊ डिजाइन, प्रौद्योगिकी और सुरक्षा की ओर इस यात्रा पर आगे बढ़ें।

धन्यवाद,

जय हिंद!