SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF CONFERENCE OF VICE CHANCELLORS OF UNIVERSITIES/INSTITUTES OF PUNJAB AT GURU NANAK DEV AUDITORIUM PUNJAB RAJ BHAVAN CHANDIGARH ON 10/10/2024.

दिनांकः 10.10.2024स्थानः राजभवन, चंडीगढ़
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन पर दो दिवसीय सेमिनार
श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

पंजाब राज्य में कार्यरत आप सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का इस अत्यंत महत्वपूर्ण सम्मेलन में स्वागत करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

ज्ञान, अनुसंधान, और हमारी आने वाली पीढ़ियों के विकासक्रम में यह बैठक एक महत्वपूर्ण क्षण की साक्षी होगी। हम यहां अपने विश्वविद्यालयों के उन बुनियादी मूल्यों पर विचार करने के लिए एकत्र हुए हैं, जो हमारा मार्गदर्शन करते हैं। शिक्षा और कौशल विकास में फिर से जान फूंकने का उपकरण राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के रूप में हमारे सामने है। यह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षा, संस्कृति और कौशल का सुमेल है।

तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला और वल्लभी जैसे प्राचीन भारत के विश्व-स्तरीय संस्थानों ने अध्ययन के विविध क्षेत्रों में शिक्षण और शोध के ऊंचे प्रतिमान स्थापित किये थे और विभिन्न पृष्ठभूमि और देशों से आने वाले विद्यार्थियों और विद्वानों को लाभान्वित किया था।

इसी शिक्षा व्यवस्था ने चरक, सुश्रुत, आर्यभट, वराहमिहिर, भास्कराचार्य, ब्रह्मगुप्त, चाणक्य, चक्रपाणि दत्ता, माधव, पाणिनि, पतंजलि, नागार्जुन, गौतम, पिंगला, शंकरदेव, मैत्रेयी, गार्गी और थिरुवल्लुवर जैसे अनेकों महान विद्वानों को जन्म दिया।

वर्तमान में लगभग 40,000 से ज्यादा कॉलेजों और 1,000 से ज्यादा विश्वविद्यालयों वाले भारत का शिक्षा तंत्र करीब 30 करोड़ छात्रों की जरूरत पूरी करता है। इस तरह भारत विश्व के सबसे बड़े शैक्षणिक तंत्र में से एक है।

वर्तमान समय में पंजाब राज्य के विश्वविद्यालयों के शिक्षण संस्थानों में कुल 2,61,608 विद्यार्थी अध्ययनरत्त हैं जिसमें 317 दिव्यांगजन विद्यार्थी भी अध्ययन कार्य करे रहे हैं। अध्ययन पूरा करने के उपरांत विश्वविद्यालयों से उत्तीर्ण विद्यार्थियों के रोजगार में चयन का प्रतिशत 88.55 प्रतिशत एक बड़ी उपलब्धि है।

पिछले 5 वर्षों में विश्वविद्यालयों से उत्तीर्ण 29 विद्यार्थियों ने संघ लोक सेवा आयोग तथा 113 विद्यार्थियों ने पंजाब राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं में सफल होकर वर्तमान में सरकारी विभागों के महत्त्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

इसके अतिरिक्त 177 विद्यार्थियों ने UGC CSIR NET (Council of Scientific and Industrial Research National Eligibility Test) एवं 22 विद्यार्थियों ने ICAR NET (Indian Council for Agriculture Research) द्वारा आयोजित परिक्षाओं में सफलता प्राप्त की है।

1968 की शिक्षा नीति से लेकर इस शिक्षा नीति तक, एक स्वर से निरंतर यह स्पष्ट किया गया है कि केंद्र व राज्य सरकारों को मिलकर सार्वजनिक शिक्षा के क्षेत्र में जीडीपी के 6 प्रतिशत निवेश का लक्ष्य रखना चाहिए। 2020 की इस शिक्षा नीति में इस लक्ष्य तक शीघ्रता से पहुंचने की अनुशंसा की गयी है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अन्तर्गत विशेषकर उद्योग-अकादमिक के बीच अंतर-संबंध स्थापित करना; रैंकिंग एजेंसियों के साथ सम्पर्क स्थापित करना; शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र में अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहन प्रदान करना; अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क स्थापित करना; पूर्व छात्र निधि/पूर्व छात्र गतिविधि का निर्माण करके पूर्व छात्रों की भागीदारी बढ़ाना; अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना; पाठ्यक्रमों का नियमित सुधार; छात्रों में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए पाठ्यक्रम विकसित करना; विदेशी विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के साथ रिक्त पदों को भरना; विश्वविद्यालय की रैंकिंग में सुधार के लिए नए कदम उठाना और शासन से जुड़े मुद्दों संबंधी अब तक किए गए कार्यों का मूल्यांकन करना है।

इसके अलावा टीचर एजुकेशन कार्यक्रम; पूर्व छात्रों की भागीदारी और संसाधन जुटाना; कार्यबल स्थिरता, और प्रौद्योगिकी-सक्षम प्रशिक्षण में सुधार के जरिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने हेतु संकाय की क्षमता के विकास के लिए उठाए गए कदमों का विश्लेषण भी शामिल है।

नई शिक्षा नीति विश्वविद्यालयों में पर्यावरण के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक करने पर भी बल देती है जिसमें कैंपस में स्वच्छ और स्वास्थ्यकर वातावरण, वैज्ञानिक ठोस/तरल अपशिष्ट प्रबंधन, ई-वेस्ट प्रबंधन, परिसर में स्वच्छता अभियान में छात्रों की भागीदारी, स्वच्छ भारत मिशन में शहर स्तर की भागीदारी - स्वच्छ भारत इंटर्नशिप आदि, ऊर्जा और जल लेखा परीक्षा और संरक्षण उपाय, नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन और उपयोग, पर्याप्त ग्रीन कवर, खुली जगहें, न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन, गैर-मोटर चालित परिवहन (साइकिल, इलेक्ट्रिक वाहन आदि), प्लास्टिक पर प्रतिबंध, जैविक खेती शामिल है।

हमारी नई शिक्षा नीति में खेलों को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं जिसके तहत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेल प्रतिस्पर्धाएं करवाना और विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा उपलब्ध करवाना शामिल है।

कृपया हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान को याद करें जिसके तहत उन्होंने हम सभी को सतर्क रह कर आत्मनिर्भर भारत और अंततः विकसित भारत जैसे प्रमुख कार्यक्रमों में योगदान देने की बात कही है।

हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में सोचना चाहिए, जो एक छात्र और युवा पीढ़ी-केंद्रित, अभिनव, अनुकूल और रोजगारोन्मुखी नीति है। इसलिए आज के इस सम्मेलन में, मैं आपसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को भलिभांति समझने और लागू करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का अनुरोध करता हूं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का कार्यान्वयन पहले ही शुरू हो चुका है, क्योंकि यह देश के अधिकांश राज्यों में 2022-23से प्रभावी हो चुका है। आज और कल, दो दिन मैं हमारे राज्य द्वारा की गई प्रगति को ध्यान से सुनना चाहूंगा।

कृपया याद रखें कि इसकी शुरूआत पाठ्यक्रम को अधिक विषय-उन्मुख बनाने के साथ होती है, जिससे रटने से बचा जा सके। लर्निंग आउटकम (LO), कोर्स आउटकम (CO) और प्रोग्राम या प्रोग्राम स्पेसिफिक आउटकम (PO or PSO) पर आधारित सहभागी शिक्षण-अधिगम महत्वपूर्ण होती है।

अकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (ABC), मल्टीपल एंट्री-मल्टीपल एग्जिट    (ME-ME), स्नातक स्तर पर मेजर और माइनर चयनों का महत्व भी इतना ही महत्वपूर्ण होता है। निकास स्तरों पर आईकेएस क्रेडिट की आवश्यकता का अनिवार्य अनुपालन, चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (FYUGP) के तहत तीसरे वर्ष से चौथे वर्ष में वर्धन पर अलर्ट, उचित तरीके से इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप की आवश्यकता और इसका महत्व तथा सह-पाठ्यचर्या और पाठ्येतर पाठ्यक्रमों का क्रेडिटीकरण का भी अपना महत्व है।

प्रिय कुलपतिगण, यूजीसी अधिसूचना 2018 को ध्यान में रखते हुए संकाय भर्ती और सीएएस पदोन्नति बहुत विवेकपूर्ण तरीके से की जानी चाहिए। इसके लिए मैं अपनी राज्य सरकार से आवश्यक सहायता प्रदान करने का अनुरोध करना चाहूंगा।

मैं आपको यह भी याद दिलाना चाहता हूं कि आप पोस्ट ग्रेजुएट कार्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन के लिए तैयार हो जाएं। इसमें एक साल का कार्यक्रम या दो साल का कार्यक्रम और पांच साल का एकीकृत अंडर ग्रेजुएट/पोस्ट ग्रेजुएट कार्यक्रम होना चाहिए। पोस्ट ग्रेजुएट कार्यक्रम की तैयारी और इसके कार्यान्वयन का विवरण 14 जून 2024 के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के परिपत्र में उजागर किया गया है। यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान को शोध में उच्चतम स्तर की शैक्षणिक नैतिकता और आचार-विचार बनाए रखना चाहिए। साहित्यिक चोरी से बचने के लिए शैक्षणिक अनुशासन का भी ध्यान रखना चाहिए।

सम्मानित कुलपतिगण, कृपया अपने IDP को उचित परिश्रम के साथ तैयार करना न भूलें क्योंकि IDP न केवल किसी संस्थान के भविष्य के विकास के लिए एक स्पष्ट मार्ग प्रदान करता है बल्कि सरकार को धनराशि प्रदान करते समय विचार करने हेतु एक भरोसेमंद दस्तावेज भी मुहैया करवाता है।

HEI की सुविधा के लिए प्रधानमंत्री अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन   (PM-ANRF) और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (PM-USHA) संबंधी जानकारी उजागर की जा सकती है। पंजाब राज्य में बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालयों (MERUs) की स्थापना की स्थिति पर भी चर्चा की जा सकती है।

अंत में, मैं सभी कुलपतियों से अनुरोध करता हूं कि वे हर साल विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह आयोजित करें, विशेषतः नवंबर से फरवरी के दौरान या कैलेंडर वर्ष की किसी अन्य अवधि के दौरान।

क्या मैं स्वयं को आश्वस्त समझूं कि पंजाब में HEI एक समान ग्रेडिंग पैटर्न, एक समान समय-सारिणी और एक समान पाठ्यक्रम (75-80 प्रतिशत समानता के साथ) का पालन करेंगे ताकि मल्टीपल एंट्री-मल्टीपल एग्जिट (ME-ME) प्रक्रिया छात्रों के लिए अधिक अनुकूल और लाभकारी सिद्ध हो सके।

मैं इस सम्मेलन की सफलता की कामना करता हूँ।

धन्यवाद, जय हिन्द!