SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF CONFERENCE OF VICE CHANCELLORS OF UNIVERSITIES/INSTITUTES OF PUNJAB AT GURU NANAK DEV AUDITORIUM PUNJAB RAJ BHAVAN CHANDIGARH ON 11/10/2024.

दिनांकः 11.10.2024स्थानः राजभवन, चंडीगढ़
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के समाप्ति समागम पर संबोधन
श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

 

मुझे इस बात की अति प्रसन्नता है कि कल से जो कान्फ्रैंस चल रही है, जिसमें पूरे पंजाब के लगभग 40विश्वविद्यालयों एवं शैक्षिक संस्थाओं से उपकुलपति, डायरैक्टर, रजिस्टरार आदि ने इस कॉन्फ्रैंस में सहभागिता की। मुझे यह बहुत अच्छा लगा कि हमारे कहने पर प्रो. वेद प्रकाश, (पूर्व चेयरमैन, यू.जी.सी) प्रो. गणेश(डायरैक्टर, नैक) तथा अविचल कपूर (संयुक्त सचिव यू.जी.सी) भी इस कॉन्फ्रैंस में शामिल हुए। उन्होंने अपने बहुत ही गहन अनुभव के आधार पर उच्च शिक्षा से सम्बन्धित विविध पक्षों पर अपने विचार व्यक्त किए तथा सभी शैक्षिक संस्थाओं से आए उपकुलपति, डायरैक्टर और अधिकारियों आदि ने उच्च शिक्षा एवं तत्कालीन विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया।

​इस कान्फ्रैंस में पंजाब से सम्बन्धित तत्कालीन विषयों पर चिन्तन-विमर्श करने हेतु विपुल सामग्री प्राप्त हुई है, जिसके आधार पर हम आज जो हमारे सामने शैक्षिक क्षेत्र एवं विदेशों में बच्चों के जाने सम्बन्धी चुनौतियां उपस्थित हुई हैं, उनका समाधान किया जा सकता है। इसके लिए जरूरत है सामूहिक रूप से कर्मठ होने की। मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि सभी विश्वविद्यालयों चाहें वह निजी है या सरकारी सभी पंजाब को उच्च शैक्षिक स्तर पर ले जाने हेतु प्रयासरत हैं। इस समागम में कल से जो अधिगम प्राप्त हुआ है, उसमें से कुछ बिन्दु उभर कर सामने आए हैं--

1.​हम सभी अपने-अपने और अलग-अलग ढंग से सेवा निभा रहें हैं। अब आवश्यकता है इस बात की है हम सब सामूहिक एवं एकत्रित होकर उच्च शिक्षा से सम्बन्धित कई प्रकार के शोध प्रोजैक्ट ले और ऐसी शिक्षा का प्रबन्ध करें जो सभी वर्गों के लिए सरलता से उपलब्ध हो, सभी उसमें भाग ले सके तथा जो रोजगारोन्मुखी हो। इस सम्बन्धी जितने भी स्रोत हम सभी के पास उपलब्ध हैं, वह सभी को उपलब्ध करवाये जाने चाहिए, ताकि समाज में समरसता एवं समानता की भावना उत्पन्न हो सके। दूसरे इस समय पंजाब के अधिकतर बच्चे विदेशों में जा रहे हैं। ऐसी परिस्थितियों में हमारा दायित्व बन जाता है कि हम बच्चों के सुनहरी भविष्य और सुखी जीवन जीने हेतु ऐसी शिक्षा प्रदान करें, जिससे कि बच्चा विदेशों की अपेक्षा अपने देश में रहकर अच्छा जीवन जी सके।

2.​जैसा कि शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस जी ने बताया कि विद्यालयी स्तर पर इस विषय पर बहुत काम हुआ है। ये काम उच्च शैक्षिक संस्थाओं में भी होना चाहिए क्योंकि जो बच्चें स्कूल से अच्छी विद्या प्राप्त करके आयेंगे उनकों उच्च शैक्षिक संस्थाओं में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे सकते हैं। इसलिए यदि हम विश्व गुरु बनना चाहते हैं तो उसके लिए हमें उच्च शिक्षा को भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लाना होगा।

3​आज अत्यावश्यक है कि प्रत्येक संस्था कौशल विकास एवं शोध को आगे ले जाने हेतु एक परियोजना/प्लान बनाए और इस बात की ओर विशेष ध्यान दे कि छोटे-छोटे क्षेत्रों से भी बच्चों के सुनहरी भविष्य हेतु समन्वय स्थापित किया जाए।

4.​जैसा कि प्रो. वेद प्रकाश जी ने अपने भाषण में बताया कि भारत की 16 बिलियन पूंजी विदेशों में बच्चों के माध्यम से जा रही है। उसमें से 12 बिलियन पूंजी अकेले कैनेडा में जा रही है और उसमें भी 3.73 बिलियन हिस्सा पंजाब का है। ऐसी गम्भीर परिस्थितियों में यह विचारणीय विषय है कि पंजाब का कितना पैसा विदेशो में जा रहा है।

5.​एक बिन्दु ये भी है कि आज लड़कियाँ लड़कों की अपेक्षा अधिक पढ़ रही हैं, आगे बढ़ रही हैं तो प्रश्न यह उठता है कि लड़कें कहां जा रहे हैं, या तो वे पढ़ नहीं रहे या विदेशो में जा रहे हैं तो उनके न पढ़ने के कारण का अन्वेषण आज समय की बहुत बड़ी मांग बन चुका है, जिसका समाधान भी सामूहिक रूप से अति शीघ्र सम्भव हो सकता है।

6.​ आज जरूरत है कि ऐसी समस्याओं पर मंथन एवं चिन्तन किया जाए, मूल कारण खोजा जाए। ये कार्य उच्च शैक्षिक संस्थाएँ बहुत अच्छी तरह से कर सकती है। अतः इस सम्बन्धी अपनी फैक्लटी के साथ मिलकर सोच-विचार करके व्यावसायिक शिक्षा, कौशल आधारित शिक्षा आदि तथा कौशल प्रशिक्षण के विकास की ओर अधिकाधिक ध्यान दिया जाए।

7.​शिक्षा नीति के अनुसार पंजाब की एनरोलमैंट रेशो लगभग 29.4 प्रतिशत ही है। जो कि 2035 तक 50प्रतिशत करनी है। तब हमारा दायित्व बन जाता है कि संख्या वृद्धि के साथ-साथ गुणवत्ता और कौशलों का भी उतना ही विकास हो क्योंकि आज हम जिस तेज़ी से विकसित भारत की ओर बढ़ रहे हैं तो निश्चित ही अनिवार्य हो जाता है कि प्रतिभा को पहचाने और उन्हें आगे आने के अवसर प्रदान करें।

8.​प्रो. वेद प्रकाश ने अमेरिका, चाईना, यू.के. का उदाहरण देते हुए शिक्षा पर ज्यादा से ज्यादा खर्च करने वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाने पर बल दिया है। मैं समझता हूं कि पर्याप्त मात्रा में उच्च शिक्षा को वित्तीय सहायता की आवश्यकता है, परन्तु साथ ही यह भी निश्चित करनी चाहिए ताकि सही अर्थों में पंजाब का हर बच्चा लाभान्वित हो सके।

9.​नैक डायरैक्टर प्रो. गणेशन ने इस तथ्य की ओर सबका ध्यान दिलाया कि किसी भी संस्था के लिए अपनी उपलब्धियों एवं प्राप्तियों का मूल्यांकन अति जरूरी होता है। अग्रिम वर्ष में नैक का मानदण्ड, उसके प्रतिमान बदलने वाले हैं, इसके लिए हम सभी को तैयारी करने की जरूरत है।

10.​मैंने बहुत ही ध्यानपूर्वक सभी विश्वविद्यालयों के प्रोग्राम, परियोजनाओं आदि को सुना और मैंने ये पाया कि कि प्रत्येक विश्वविद्यालय ने अपने सतुत्य प्रयासों ने अनेक क्षेंत्रों यथा- खेलों, शोध आदि में उपलब्धियाँ हासिल की हैं। अब हम समय के अनुसार सामूहिक रूप से इससे भी अधिक उच्च उपलब्धियाँ हासिल कर सकते हैं। इसके लिए जरूरत है पारस्परिक विचार-विमर्श की, अन्तःसंवाद की। यह संवाद निश्चित ही भावी भारत के लिए एक ऐसा पथ होगा, जिसके अनुगमन से हम पंजाब की गम्भीर समस्याओं एवं चुनौतियों का समाधान तो कर सकेंगे ही साथ ही भविष्य में ऐसी समस्या न उत्पन्न होने की आशा भी बनी रहेगी।

11.​प्रत्येक प्रक्रिया में मेरा मानना है कि हमें प्रौद्योगिकी का भी अवश्य ध्यान रखना चाहिए और साथ ही स्वदेशी स्रोतों को विकसित करते हुए प्रत्येक वर्ग के बच्चे को आत्मनिर्भर बनाना ही हमारा, हमारी शिक्षा नीति का लक्ष्य होना चाहिए।

12.​21 वीं शताब्दी के इस दौर में जहां भूमण्डलीकरण तथा पदार्थवाद का प्रभाव भी बढ़ रहा है, वहां समाज के प्रति अपने दायित्व को समझते हुए अपने भविष्य में बच्चों को आर्टिफिशियल इंटेलिजंस के साथ-साथ हमारी भारतीय विरासत एवं मूल्यों की भी शिक्षा देनी चाहिए। ताकि पंजाब की युवा पीढ़ी में फैल रहा नशा आदि जैसी चुनौतियों का सामना किया जा सके।  

13.​चर्चा में यह बात भी सामने आई है कि गुणवत्तापूर्ण एवं कौशल आधारित शिक्षा हेतु  NEP और G-20 का विवरण देते हुए कहा कि हमें एक मिशन मोड पर काम करना चाहिए और आज जो कमियां हमें दिखाई दे रही हैं उन्हें दूर करना है, जड़ से मिटाना है। अब ये काम कैसे करना है, इसका दायित्व आप जैसे बुद्धिजीवियों पर है। आप सभी विद्वजन, सुधीजन इन विषयों पर चिन्तन करें, चर्चा करें कि कैसे इन समस्याओं पर विजय पाई जा सके और पंजाब को कौशल स्तर पर एक विकसित एवं रोजगारन्मुखी क्षेत्र बनाया जा सके जिससे की पंजाब का प्रत्येक बच्चा पंजाब को छोड़कर अपने देश को छोड़कर बाहर जाने की इच्छा ही न करे।

14.​शिक्षा का उद्देश्य केवल लाभ कमाना या निजी हित साध्य करना नहीं होना चाहिए। शिक्षा पर सभी का समान अधिकार है, इस जीवन मूल्य को ध्यान मेंरखते हुए निर्धन लोगों तक शिक्षा सरलता से पहुंच सके, वे उच्च शिक्षा भी ग्रहण कर सकें, ऐसा पाठ्यक्रम एवं शिक्षा प्रदान करने का प्रबन्ध हमें करना चाहिए।

15.​इसके साथ ही भविष्य की जरूरतों एवं समय की मांग जिसमें तकनीक का प्रभाव अधिक है, को ध्यान में रखते हुए शिक्षा नीतियों एवं पाठ्यक्रम आदि का संचालन तथा अनुसंधान प्रोजैक्ट तैयार करने चाहिए।

16.​मैं समझता हूँ कि प्रत्येक विश्वविद्यालय अपनी वार्षिक रिपोर्ट तैयार करे और वो सरकार को भेजी जाए ताकि उचित मूल्यांकन हो सके और वर्ष में कम से कम दो बार ऐसी कान्फ्रैंस होनी चाहिए जिसमें आप लोग आपस विचार-विमर्श कर सको और उच्च शिक्षा को सही दिशा दे सको।

मैं इस सम्मेलन की सफलता की कामना करता हूँ।

धन्यवाद, जय हिन्द!