SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF INTERNATIONAL SENIOR CITIZEN DAY AT LUDHIANA ON OCTOBER 1,2024.

दिनांक  01.10.2024स्थानः दोराहा (लुधियाना)
‘‘अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस’’ समारोह
श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

सभी आदरणीय जनों को मेरा नमस्कार!

आज हम यहाँ एक बहुत महत्वपूर्ण दिवस, ‘‘अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस’’ को मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। यह दिवस उन व्यक्तियों के सम्मान में मनाया जाता है जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी समाज की सेवा, परिवार की देखभाल, और देश के विकास में समर्पित कर दी है।

यह दिन न केवल हमारे समाज के बुजुर्गों के प्रति हमारी श्रद्धांजलि है, बल्कि वरिष्ठ नागरिकों की बुद्धिमत्ता, उनकी ताकत और समाज के निर्माण में उनके बहुमूल्य योगदान की पहचान भी है, जिनके बलिदान और जीवन के सबक हमें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाते हैं।

मैं ड्रीम एंड ब्यूटी चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिन्होंने मुझे समाज के सबसे महत्वपूर्ण अंग माने जाने वाले हमारे वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान में आयोजित इस समारोह में आमंत्रित किया।

ड्रीम एंड ब्यूटी चैरिटेबल ट्रस्ट ने अध्यक्ष श्री अनिल मोंगा के नेतृत्व में 1995 में अपनी यात्रा शुरू की, जिसका उद्देश्य गरीबी को खत्म करने के साथ वंचित लोगों के जीवन में बदलाव लाना है।

इस ट्रस्ट द्वारा लोकहित में निम्न विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

ब्रह्मभोग पहलः इसके अन्तर्गत ज़रूरतमंद लोगों को प्रतिदिन पौष्टिक भोजन के साथ-साथ स्वच्छ जीवन के महत्व पर जानकारी प्रदान की जाती है।

मार्गदर्शन पहलः इसके अन्तर्गत युवाओं की प्रतिभाओं की पहचान कर उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षित किया जाता है तथा उनके कौशल के अनुसार उन्हें प्रासंगिक नौकरियां प्रदान की जाती हैं।

कर्मा हेल्थकेयर पहलः इसके तहत झुग्गी-झौंपड़ियों में रहने वाले तथा अन्य ज़रूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं।

हेवनली पैलेस पहलः यह दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे शानदार सीनियर सिटीजन होम है जहां बुजुर्गों को 5-स्टार रिसॉर्ट की सभी सुविधाओं के साथ-सथ शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान किया जाता है। वर्तमान में हेवनली पैलेस में 400 वरिष्ठ नागरिक प्रसन्नतापूर्वक रह रहे हैं।

हेवनली एन्जिल्स पहलः यह एक अनाथालय है जो बेघर और परित्यक्त बच्चों के लिए एक प्रेमपूर्ण पारिवारिक वातावरण प्रदान करता है। वर्तमान में यहां 100 बेघर बच्चे हैं, और इस वर्ष 500 से अधिक बच्चों के लिए एक सुविधा केन्द्र स्थापित करने की योजना है।

मित्रों,

इस दिन का उद्देश्य न केवल हमारे बुजुर्गों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि उन्हें वो सम्मान और सुरक्षा मिले जिसके वे हकदार हैं। हमें यह समझना होगा कि बुजुर्गों की देखभाल सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक नैतिक कर्तव्य है। 

वरिष्ठ नागरिक हमारे समाज की जड़ें होते हैं। आज जब समाज में परिवार के ढांचे बदल रहे हैं और संयुक्त परिवारों का स्वरूप कम हो रहा है, तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे बुजुर्ग अकेलेपन और किसी प्रकार की अनदेखी का शिकार न हों।

वृद्ध लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों के प्रति समाज के विभिन्न वर्गों को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है। युवा पीढ़ी को न केवल अपने परिवार में बल्कि पूरे समाज में भी वृद्धों को अधिक सम्मान, प्रेम और देखभाल देने के लिए तैयार रहना चाहिए। 

देवियों और सज्जनों,

भारत एक ऐसा देश है, जिसकी सभ्यता प्राचीन है और आदिकाल से ही हमारे पूर्वजों ने हमें सिखाया है कि माता-पिता का आदर करना चाहिए। ये सामाजिक मूल्य हमारी सभ्यता में निहित हैं। 

भारत के संविधान के अनुच्छेद 41 में अन्य बातों के साथ-साथ यह प्रावधान है कि राज्य अपनी आर्थिक क्षमता और विकास के अधीन वृद्धजनों के सहयोग की विशेष व्यवस्था करेगा। 

तथापि यह विडंबना है कि आर्थिक विकास, आधुनिकीकरण और हमारे युवाओं के रोजगार के लिए शहरी इलाकों में प्रवास से ऐसे हालात पैदा हो गए हैं, हमारी पारंपरिक संयुक्त परिवार प्रणाली का स्थान एकल परिवार ढांचा लेता जा रहा है जहां बुजुर्ग अपेक्षित सम्मान, प्रेम और देखभाल से वंचित हो रहे हैं। 

हमें अपने बुजुर्गों के आत्मविश्वास को मजबूत बनाना चाहिए। उनकी पीढ़ी ने ही आधुनिक जीवंत भारत का निर्माण किया है जिनका हम आनंद उठा रहे हैं और अपने भविष्य की ओर पूरी आशा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। हमारे बुजुर्गों को निश्चित रूप से यह अहसास होना चाहिए कि वे अपनी मेहनत और हमारी समृद्धि में अपने योगदान का आनंद उठा रहे हैं।

हम भारतीयों को अपने वरिष्ठ नागरिकों के प्रति अधिक संवेदनशील बनने को अपना कर्तव्य बना लेना चाहिए। हमें प्रयास करना चाहिए कि वे अपना जीवन स्वस्थ, सम्मानजनक तथा सार्थक ढंग से जिएं। उन्हें समाज की आर्थिक सामाजिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

देवियो और सज्जनो,

मैं जानता हूं कि केंद्र और राज्य सरकार उनकी वित्तीय और खाद्य सुरक्षा, उनकी स्वास्थ्य देखभाल और उनके जीवन की गुणवत्ता सुधारने हेतु ठोस नीतियां तैयार करके कार्यान्वित कर रही है। हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा ‘आयुष्मान भारत योजना’ के तहत 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के अन्य सभी वरिष्ठ नागरिकों को पारिवारिक आधार पर प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का बीमा कवर प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। 

केन्द्रीय मंत्रालय और विभाग विशेष योजनाएं अमल में लाने तथा आयकर छूट, रेल और हवाई रियायत तथा बैंक जमा पर अधिक ब्याज दर आदि के रूप में छूट तथा सुविधा प्रदान करने के लिए समन्वय कर रहे हैं।

मित्रों,

आज चिकित्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथ, उम्र सिर्फ एक संख्या है। यदि आप स्वस्थ हैं तो उम्र आपको अनुभव और गौरव देगी। मन और आत्मा से युवा बने रहना भी संभव है, भले ही आपने कितनी भी पीढ़ियां देखी हों। 

वरिष्ठ नागरिकों की जरूरतों और सुरक्षा का भी पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिए। यह हमारी संस्कृति है और संस्कार भी। हमारी भारतीय संस्कृति ने ‘‘परोपकार’’ को परम धर्म माना है। वसुधैव कुटुंबकम् का भाव भी इसी में निहित है।

दूसरी ओर वृद्धावस्था की सबसे बड़ी त्रासदी अनावश्यक और उपेक्षित तथा जीवन का कोई मकसद न होने की भावना है। हमारे वरिष्ठ नागरिकों को भी ‘सेवानिवृत्ति की मानसिकता’ से बाहर निकलने की जरूरत है। 

वरिष्ठ नागरिक अपने लम्बे अनुभवों से समाज को नई दिशा देने का काम कर सकते हैं। आज युवाओं के पास ऊर्जा है, तो बुजुर्गों के पास ज्ञान और अनुभव है। मैं समझता हूँ कि सामाजिक भागीदारी ही वह मूलमंत्र है, जो स्वतंत्रता, गरिमा और आत्म-संतुष्टि सुनिश्चित कर सकता है।

वरिष्ठ नागरिक हमारी प्रगति के जीवंत संसाधन हैं। उन्हें रोजगार के अवसर और आय सुरक्षा प्रदान न करने के पीछे कोई कारण नहीं होना चाहिए। इसी प्रकार, वृद्ध महिलाओं की भी भेदभाव, उपेक्षा और असमानता से सुरक्षा करनी होगी। 

अब चिकित्सीय प्रगति ने चिकित्सकों और संस्थाओं को बुजुर्गों की बेहतर देखभाल में कुशल बना दिया है। मैं चिकित्सा समुदाय से आग्रह करता हूं कि वे और अधिक प्रयास करें जिससे बुजुर्गों की मदद हो सके तथा चिकित्सकों और अस्पतालों में जाना उनके लिए दुस्वप्न नहीं बल्कि सुखद अनुभव होना चाहिए।

मैं समाज के प्रत्येक नागरिक से आह्वान करता हूं कि वे हमारे देश में बुजुर्गों के कल्याण को सुनिश्चित करने और समाज को समृद्ध बनाने और हमारे राष्ट्र की श्रीवृद्धि और प्रगति में योगदान करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें।

आज के इस अवसर पर, हमें प्रण लेना चाहिए कि हम अपने परिवार के बुजुर्गों का ध्यान रखेंगे, उन्हें समय देंगे, उनकी सेहत और मानसिक स्थिति का ध्यान रखेंगे। 

मैं ट्रस्ट के सभी कर्मचारियों, स्वयंसेवकों और लाभार्थियों को उनके निस्वार्थ समर्पण और कड़ी मेहनत के लिए अपनी हार्दिक सराहना व्यक्त करता हूँ। आप सभी परिवर्तन के वाहक हैं, और आपके प्रयास एक अधिक समावेशी, दयालु और शांतिपूर्ण दुनिया को आकार दे रहे हैं।

अंत में, मैं सभी से आग्रह करता हूँ कि हम सभी मिलकर एक ऐसे समाज का निर्माण करें, जहाँ हमारे वरिष्ठ नागरिकों को प्रेम, सम्मान और देखभाल मिले, और वे अपना जीवन शांति और गरिमा के साथ जी सकें। 

धन्यवाद, 

जय हिन्द!