SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR OF PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF FOUNDATION DAY OF JHARKHAND AT PUNJAB RAJ BHAVAN ON NOVEMBER 15, 2024.

झारखण्ड स्थापना दिवस के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 15.11.2024 बुधवारसमयः शाम 4:00 बजेस्थानः पंजाब राजभवन

 

सभी को मेरा नमस्कार!

सर्वप्रथम पूरे देश और विशेषकर झारखंड के निवासियों को राज्य के 25वें स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

साथ ही आज मैं आप सभी को हमेशा सत्य बोलने, अच्छे कर्म करने और अपने जीवन को सेवा और समर्पण का साधन बनाने की शिक्षा देने वाले श्री गुरू नानक देव जी के 555वें प्रकाश पर्व के पावन अवसर की भी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।

मित्रों,

आज जब हम झारखंड राज्य के स्थापना दिवस पर यहाँ एकत्रित हुए हैं, तो मुझे अत्यंत हर्ष और गर्व है कि मैं इस अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित हूँ।

आज का यह स्थापना दिवस पहला स्थापना दिवस नहीं है जिसे पंजाब राजभवन द्वारा मनाया जा रहा है। इससे पहले भी हम पंजाब राजभवन के प्रांगण में विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों का स्थापना दिवस बड़े ही हर्षोल्लपास से मना चुके हैं।

देश के विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के स्थापना दिवस मनाने की यह परंपरा देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली भारत सरकार के महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय कार्यक्रम ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के तहत मनाया जा रहा है।

यह पहल भारत की विविधता को सम्मान देते हुए, इसे एक साझा पहचान में एकजुट करने की दिशा में काम करती है। इस पहल का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 31अक्टूबर 2015 को किया था, जो भारतीय एकता के प्रतीक और लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर आधारित था।

भारत एक सांस्कृतिक और भाषाई विविधता से भरा हुआ देश है। इस पहल का उद्देश्य विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक धरोहरों और परंपराओं को एक दूसरे से परिचित कराना है। इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न राज्यों के बीच आपसी समझ और तालमेल को बढ़ावा देना है, ताकि भारतीय समाज की विविधता में एकता की भावना का विकास हो।

मित्रों,

आज के ही दिन हमारे श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेयी जी की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण झारखण्ड राज्य अस्तित्व में आया था। ये अटल बिहारी बाजपेयी जी ही थे जिन्होंने देश की सरकार में सबसे पहले अलग आदिवासी मंत्रालय का गठन कर आदिवासी हितों को देश की नीतियों से जोड़ा था। झारखण्ड स्थापना दिवस के इस अवसर पर मैं श्रद्धेय अटल जी के चरणों में नमन करते हुये उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देता हूँ।

झारखंड राज्य का गठन 15 नवम्बर 2000 को हुआ था, जब भारत सरकार ने झारखंड को बिहार से पृथक करके एक नए राज्य के रूप में स्थापित किया। यह राज्य वीरता, संस्कृति, और समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों का प्रतीक है।

झारखंड की स्थापना ने न केवल इसके नागरिकों के सपनों को आकार दिया, बल्कि इसे ऐतिहासिक संदर्भ में एक ऐतिहासिक संघर्ष और आंदोलन के बाद प्राप्त किया गया, जो हमारे आदिवासी समुदाय और स्थानीय लोगों की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ा गया।

झारखंड शब्द दो हिंदी शब्दों से मिलकर बना है झार और खंड। झार का अर्थ वन से जबकि खंड का आशय भाग अथवा क्षेत्र है। इस तरह इसका शाब्दिक अर्थ वन क्षेत्र होता है। इसलिए इसे ‘‘वनों की भूमि’’ भी कहा जाता है।

झारखंड ने अपनी स्थापना के बाद से अनेक चुनौतियों का सामना किया, लेकिन आज यह राज्य उन्नति की दिशा में निरंतर अग्रसर है। यह केवल खनिज संसाधनों के लिए प्रसिद्ध नहीं हैं, बल्कि इसने शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, जल संसाधन, और सड़क निर्माण जैसे क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय प्रगति की है।

झारखंड का सांस्कृतिक धरोहर भी अत्यंत समृद्ध है। यहाँ की लोक कला, संगीत, नृत्य, और पारंपरिक उत्सवों में राज्य की विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि झलकती है।

यहां के आदिवासी समुदायों के अनमोल रीति-रिवाज, उनके पारंपरिक जीवनशैली और संघर्ष की कहानियाँ हमारे इतिहास का अभिन्न हिस्सा हैं। हमें इन सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने का संकल्प लेना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इन्हें समझ सकें और गर्व से अपना सकें।

मित्रों,

चारों तरफ पहाड़ियों एवं वनों से भरा झारखंड प्रकृति का मनोरम स्थल है। यहाँ की स्वर्णिम भूमि वन-संपदा से परिपूर्ण है, इसकी प्रकृति छटा अनूठी है। झारखण्ड राज्य का वृक्षों से विशिष्ट संबंध रहा है। यहाँ हर्षोल्लास के साथ सरहुल पर्व मानाया जाता है जिसमें वृक्ष की पूजा की जाती है। यहाँ के प्रत्येक घर के आँगन में हरा पेड़ अवश्य नजर आएगा।

वन एवं वन्य जीवों से समृद्ध यह प्रदेश राष्ट्रीय पार्क, उद्यानों तथा विविधता के लिए जाना जाता है जहाँ हजारीबाग जैसा सुंदर अभयारण्य मौजूद है।

इसका राजधानी शहर रांची एक बड़ा पर्यटन स्थल बनकर उभरा है जहाँ रांची हिल तथा सूर्य मन्दिर मुख्य आकर्षण के केंद्र रहे हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ के चार बड़े शहर जमशेदपुर, धनबाद, पलामु और बोकारो भी पर्यटकों के लिए लोकप्रिय स्थल हैं।

दुमका जिले में 108 टेराकोटा मंदिरों का मलूटी गाँव, झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर है।

देवियों और सज्जनों,

आज झारखण्ड के महान क्रांतिकारी बिरसा मुण्डा का भी जन्मदिन है। झारखंड के लिए सामाजिक आंदोलन के करिश्माई नेता बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के विरुद्ध एक बड़े विद्रोह का नेतृत्व किया था। आज के इस अवसर पर मैं बिरसा मुण्डा को भी नमन करता हूं।

उनके बारें में कहानियाँ और गीत पूरे झारखंड में आज भी गाए जाते हैं। भगवान बिरसा मुंडा का केवल झारखंड में ही नहीं बल्कि सभी देशवासियों के हृदय में आदरणीय स्थान है।

15 नवंबर 2021 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने बिरसा मुंडा को उनके जन्मदिवस पर सम्मान देते हुए एक ऐतिहासिक फैसला लिया था कि हर वर्ष देश 15नवम्बर, यानी धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को ‘जन-जातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाएगा।

इसी दिन माननीय प्रधानमंत्री जी ने झारखंड में देश का पहला जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी म्यूज़ियम देशवासियों को समर्पित किया था। यह म्यूज़ियम आदिवासी समाज के गीत-संगीत, कला-कौशल, पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आ रहे हैंडीक्रफ्ट और शिल्प, इन सभी विरासतों का सांरक्षण भी करेगा और संवर्धन भी करेगा।

झारखंड का कोना-कोना महान विभूतियों की स्मृतियों से जुड़ा हुआ है। तिलका मांझी, नीलाम्बर-पीताम्बर भाईयों, सिद्धू-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो और परमवीर चक्र से सम्मानित अल्बर्ट एक्का जैसे अनेक वीरों की गाथाओं से यहां का गौरवशाली इतिहास परिपूर्ण है। इन विभूतियों ने समानता और न्याय पर आधारित समाज के सपने को साकार करने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था।

मित्रों,

अधिकांश परम्पराओं में मानव समुदाय को जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की अपेक्षा अधिक श्रेष्ठ माना गया है। ‘न हि मानुषात् श्रेष्ठतरम् हि किंचित्’ अर्थात मनुष्य से बढ़कर कुछ भी नहीं है, यही विचारधारा अधिकांश सभ्यताओं के विकास की प्रेरक रही है। लेकिन, झारखंड जैसे क्षेत्रों में मानव समुदाय को तथा जीव-जंतुओं और वनस्पतियों को एक समान महत्व दिया गया है।

इसीलिए, यहां के लोगों की मूल विचारधारा में समस्त प्रकृति एवं जीव जगत के लिए स्नेह, सम्मान एवं संरक्षण की भावना दिखाई देती है।

उदाहरण के लिए करमा का त्योहार प्रकृति के प्रति प्रेम का त्योहार है। इस पर्व के अवसर पर करमा वृक्ष को केंद्र में रखकर नृत्य किया जाता है।

झारखंड के समाज की एक अन्य मौलिक विशेषता यह है कि यहां व्यक्ति की जगह समूह को महत्व दिया जाता है। जब समाज की सोच सामूहिकता पर आधारित होती है तो समूह के सभी सदस्य एक-दूसरे का ध्यान रखते हैं। हमें सहकारिता और सामूहिकता की इस भावना को निरंतर और अधिक शक्तिशाली बनाना चाहिए।

झारखंड की धरती को रत्नगर्भा भी कहा जाता है क्योंकि इस राज्य की धरती के गर्भ में अमूल्य खनिज पदार्थ विद्यमान हैं। खनिज संपदा की दृष्टि से झारखंड देश के सबसे समृद्ध राज्यों में है। यहां के लोग परिश्रमी हैं, स्नेही हैं और सरल हैं।

मित्रों,

झारखंड ने न केवल अपनी सांस्कृतिक धरोहर, बल्कि अपने वीर और महान व्यक्तित्वों के माध्यम से देश को कई महान नेता और प्रेरणादायक व्यक्तित्व दिए हैं। इन महान लोगों के कार्यों और संघर्षों से हमें यह सिखने को मिलता है कि चाहे परिस्थितियाँ जैसी भी हों, यदि इरादा मजबूत हो तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। इन सभी महान व्यक्तित्वों ने अपने जीवन में कठिनाईयों का सामना किया और समाज के लिए अपार योगदान दिया।

झारखण्ड ने देश को श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी के रूप में पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति दी है। श्रीमती मुर्मू की सफलता हर महिला और आदिवासी समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका जीवन यह दर्शाता है कि समाज की कोई भी वर्ग चाहे वो आदिवासी हो, दलित हो या महिला हो, अगर उसे अवसर मिलें, तो वह किसी भी शिखर तक पहुँच सकता है।

इसके अलावा इस राज्य ने प्रसिद्ध क्रांतिकारी बुधु भगत, भारतीय क्रिकेट को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने वाले महेन्द्र सिंह धोनी, प्रसिद्ध मुक्केबाज़ अरूणा मिश्रा, झारखंड आंदोलन के पुरोधा बिनोद बिहारी महतो आदि जैसे कई व्यक्तित्वों को जन्म दिया है।

मेरी शुभकामना है कि निकट भविष्य में ही झारखंड विकास की दृष्टि से देश के अग्रणी राज्यों में अपना स्थान बनाए।

मुझे विश्वास है कि झारखंड के हमारे सभी भाई-बहन और बच्चे बहुत ही अच्छा जीवन-स्तर प्राप्त करेंगे तथा खुशहाली और समृद्धि से भरपूर जीवन बिताएंगे। इसी विश्वास के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं।

धन्यवाद,

जय हिन्द!