SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF STATEHOOD DAY OF 8 STATES (PUNJAB, HARYANA, MADHYA PRADESH, CHATTISGARH, ANDHRA PRADESH, KARNATAKA, KERALA, TAMIL NADU) AND 7 UT’S (CHANDIGARH, DELHI,

विभिन्न राज्यों के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चन्द कटारिया जी का सम्बोधन

 

दिनांकः 04.11.2024, सोमवार, समयः शाम 5.00 बजे, स्थान: पंजाब राजभवन

 

नमस्कार!

आज हम यहां “एक भारत श्रेष्ठ भारत” के अंतर्गत 8 राज्यों (पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु) एवं 7 केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, अंडमान और निकोबार, चंडीगढ़, दिल्ली, लक्षद्वीप, पुडुचेरी) का स्थापना दिवस मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। 

मित्रों, 

“विविधता में एकता” भारत की पहचान है, जिसका निर्माण विविध भाषा, संस्कृति, धर्म के तानो-बानो, अहिंसा और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित स्वतंत्रता संग्राम तथा सांस्कृतिक विकास के समृद्ध इतिहास द्वारा हुआ है। लोगों की आपसी समझ की भावना ने विविधता में एकता को सक्षम किया है, जो राष्ट्रवाद की एक लौ के रूप में सामने आती है। इसे भविष्य में पोषित करने की आवश्यकता है। 

इसी दृष्टिकोण से हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने राष्ट्रीय एकता दिवस के उपलक्ष्य में 31 अक्टूबर 2015 को “एक भारत श्रेष्ठ भारत” की महत्वकांक्षी योजना की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्य मौजूदा सांस्कृतिक संबंधों के माध्यम से देश के विभिन्न भागों में एकता को बढ़ावा देना है। 

इस पहल के तहत हर राज्य की विरासत और परंपराओं को प्रकट करने पर जोर दिया जा रहा है। इसने विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लोगों को एक-दूसरे से जोड़ा है और देश में एकता और अखंडता को मजबूती प्रदान की है।

मैं देख पा रहा हूं कि राज्य स्थापना दिवस अब राष्ट्रीय पर्व एवं त्योहार के समान ही विशेष दिवस का रूप धारण कर चुके हैं।

पिछले एक वर्ष से देश के विभिन्न राजभवनों द्वारा मनाए जा रहे  स्थापना दिवस हमारे सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का प्रतीक बन चुके हैं जो हमें एकजुटता, आत्मगौरव और प्रगति की राह पर चलने की प्रेरणा देते हैं। यह हमें हमारे सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक मूल्यों को याद करने का अवसर भी प्रदान करते हैं।

स्थापना दिवस का यह कार्यक्रम कला, संगीत, नृत्य, भोजन, खेल आदि जैसी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक-दूसरे के साथ जोड़ने का काम कर रहा है, उनके बीच सांस्कृतिक और भाषाई आदान-प्रदान को बढ़ावा दे रहा है। 

देश के सभी राज्यों को एक महान संस्कृति और मेहनती लोगों का आशीर्वाद प्राप्त है, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय प्रगति में योगदान दिया है। इन राज्यों ने देश के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ अपनी अनूठी संस्कृति की छाप छोड़ी है। 

भले ही हर प्रदेश के लोगों की भाषा अलग हो, पहनावा अलग हो, खानपान अलग हो, रहन-सहन अलग हो, परंतु सभी के बीच एक आत्मिक संबंध है। 

मित्रों,

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत की संस्कृति अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है। हम यह भी जानते हैं कि हमारे देश की सबसे बड़ी विशेषता है विविधता में एकता। इन विविधताओं के बावजूद, पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक, हम ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से एकता की डोर से बंधे हुए हैं। 

इसी एकता की डोर को मजबूत किया है हमारे संविधान ने। संविधान में भी हमारे अधिकारों में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति के साथ धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। उनको अवसर प्रदान करने में भी भेदभाव नहीं किया जाएगा।

हमारी शान, हमारा राष्ट्रगान की एक पंक्ति पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा में भी विभिन्न प्रांतों को एक एक सूत्र में बाँधा गया है।

हमारी संस्कृति का आधार हमारे पुरातन वेद ग्रंथ हैं जैसे गीता, रामायण, गुरू ग्रंथ साहिब आदि। इन्होंने मानवता की भलाई का संदेश दिया जो आज भी प्रासंगिक है।

कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरा भारत एक है जो उस गुलदस्ते की भांति है जो अलग-अलग रंग और सुगंध के फूलों को समेटे हुए है।

आमतौर पर देखा जाए तो अधिकतर देशों का मौसम एक तरह का होता है पर हमारे भारत की जलवायु की विशेषता देखिए यहाँ हर तरह का मौसम पाया जाता है जैसे सर्दी, गर्मी, बरसात, बंसत ऋतु आदि। ऐसा भारत में ही देखने को मिलता है जहाँ सियाचिन के माइनस तापमान से लेकर राजस्थान जैसे उच्च तापमान वाले राज्य हैं।

आज जब हम देश के विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों का स्थापना दिवस मना रहे हैं, तो इन प्रदेशों की कुछ विशेषताओं से मैं आपको परिचित करवाना चाहूंगा।

 

जम्मू कश्मीर और लद्दाख

कश्मीर का प्राचीन काल से एक समृद्ध और जीवंत सांस्कृतिक इतिहास रहा है। 

चाहे इस्लाम हो, हिंदू धर्म हो, सिख धर्म हो या बौद्ध धर्म, ये सभी धर्म सदियों से जम्मू और कश्मीर के आध्यात्मिक परिदृश्य का हिस्सा रहे हैं। माता वैष्णो देवी और हजरतबल की रहमत से महफूज तथा भक्त कवियित्री लल्लेश्वरी और नन्द ऋषि की दुआओं से भरी-पूरी जम्मू-कश्मीर की सरजमीन को मैं सलाम करता हूँ।

जम्मू और कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता, इसके विभिन्न मौसम और पानी की प्रचुरता इसे पृथ्वी का स्वर्ग और शांत रस का स्त्रोत बनाती है। 

मुग़ल बादशाह जहांगीर ने कश्मीर के बारे में कहा थाः

‘‘अगर फ़िरदौस बर-रू-ए-ज़मीं अस्त,

ओ हमीं अस्त, ओ हमीं अस्त, ओ हमीं अस्त’’

अर्थात, अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है, यहीं है।

लद्दाख की धरती के बारे में क्या कहूँ! लद्दाख वीरों की धरती है। 

चाहे 1947 हो या 1962 की जंग या फिर कारगिल की लड़ाई, वीर फौजियों ने तथा लेह और कारगिल के जांबाज लोगों ने देश की सुरक्षा निश्चित की है। 

लद्दाख भारत का सबसे बड़ा और दूसरा सबसे कम आबादी वाला केंद्र शासित प्रदेश है। यह ‘ऊंचे दर्रों की भूमि’ है, खुबसूरत पहाड़ियों से सुशोभित लद्दाख अनेक नदियों का स्त्रोत भी है। 

साथ ही, हेमीज, अल्की, थिकसे की मोनेस्ट्रियां लद्दाख को एक सांस्कृतिक और विरासत का केंद्र बनाती हैं।

 

आंध्र प्रदेश

भगवान श्रीवेंकटेश्वर बालाजी की पवित्र धरती है आंध्र प्रदेश। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री मल्लिकार्जुन जी यहां विराजमान हैं। यह महापुरुषों और महान उपलब्धिकर्ताओं की भूमि है।

आज से लगभग 550 वर्ष पहले जन्मी आंध्र प्रदेश की महान सुपुत्री और पूरे भारत का गौरव बढ़ाने वाली कवयित्री मोल्ला ने एक अद्भुत महाकाव्य की रचना की जिसे मोल्ला-रामायण के नाम से भारतीय साहित्य में उच्च स्थान प्राप्त है। 

यहां जन्म लेने वाली दुर्गाबाई देशमुख ने आज से लगभग 100 वर्ष पहले महिलाओं की उन्नति तथा स्वाधीनता संग्राम में उनकी भागीदारी के लिए अनेक प्रयास किए। 

आंध्र की बहू सरोजिनी नायडू ने महात्मा गांधीजी के ‘‘नमक सत्याग्रह’’ में अग्रणी भूमिका निभाई। स्वाधीन भारत में किसी भी राज्य की पहली महिला राज्यपाल के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश में कार्यभार संभाला था। 

छत्तीसगढ़

मराठा शासन के दौरान इसका नाम छत्तीसगढ़ रखा गया था, जिसका अर्थ है छत्तीस किलों की भूमि। 

छत्तीसगढ़ अपनी प्राकृतिक विविधता, सांस्कृतिक और पारंपरिक इतिहास के लिए प्रसिद्ध है।

भारत की सबसे पुरानी जनजातियाँ भी यहाँ रहती हैं, उनमें से कुछ तो लगभग 10 हजार साल से इस राज्य का हिस्सा बनी हुई हैं। 

 

हरियाणा

श्रीमद् भगवद्-गीता के उद्गम स्थल हरियाणा की पावन धरती को भी मेरा प्रणाम। हरियाणा को दूध और मक्खन की भूमि के रूप में जाना जाता है। दूध, घी और छाछ यहां बेहद खास हैं। 

हरियाणा खेल के क्षेत्र में देश के एक अग्रणी राज्यों में शामिल है। हरियाणा के बेटे-बेटियों ने खेल के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य का और भारत का मस्तक ऊंचा किया है। 

अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कल्पना चावला ने पूरे विश्व में हरियाणा का गौरव बढ़ाया। हरियाणा से अब तक तीन आर्मी चीफ जनरल दीपक कपूर, जनरल वी.के. सिंह और जनरल दलबीर सिंह सुहाग भारत की सेना को अपना उच्च स्तरीय योगदान दे चुके हैं। 

 

कर्नाटक

कर्नाटक अध्यात्म, दर्शन, साहित्य, संगीत, कला, भवन-निर्माण और सुंदर उद्यानों के प्रतिमान स्थापित करता रहा है।

जिस प्रकार यहां के चन्दन की सुगंध पूरे देश को तथा विश्व के अन्य देशों को सुवासित करती है वैसे ही कर्नाटक वासियों का मधुर स्वभाव भी पूरे देश और विश्व में सराहा जाता है। 

कर्नाटक हमारे देश के प्रमुख शिक्षण और अनुसंधान केन्द्र के रूप में अमूल्य योगदान दे रहा है।

 

केरल

केरल की बात करें तो भगवान विष्णु का घर है केरल, विशेषकर तिरूवनन्तपुरम।  

केरल के हरे-भरे जंगल, सुंदर समुद्र तट और इससे टकराती लहरें, आकर्षक पहाड़ियाँ, मनमोहक झीलें, बहती नदियाँ, लहराते नारियल के पेड़ और समृद्ध जैव विविधता इसे ‘ईश्वर का स्थान’ बनाते हैं। 

केरल के सामाजिक ताने-बाने के हर वर्ग के पास इतिहास के विभिन्न कालखंडों में महिला सशक्तिकरण के अनूठे आदर्श हैं। 

हमारी संविधान सभा में 15 महिला सदस्य थीं। उनमें से तीन अकेले केरल से थीं। अम्मू स्वामीनाथन, दाक्षायनी वेलायुधन और एनी मास्कारेन अपने समय से बहुत आगे थे। 

भारत में हाईकोर्ट जज बनने वाली पहली महिला जस्टिस अन्ना चांडी थीं। वह 1956 में केरल उच्च न्यायालय में न्यायाधीश बनीं (जबकि डेम एलिजाबेथ लेन ब्रिटेन में उच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश 1965 में बनी थी)। 

इसी तरह न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी ने सर्वोच्च न्यायालय में पहली महिला न्यायाधीश बनकर कानूनी इतिहास रचा। 

यहां की ‘पय्योली एक्सप्रेस’ के नाम से जानी जातीं पी.टी. उषा बाद की पीढ़ियों की लड़कियों के लिए खेल को करियर के रूप में अपनाने और भारत का गौरव बढ़ाने के लिए प्रेरणा रही हैं।

केरल में लिंगानुपात देश में अब तक सबसे अच्छा है। केरल में महिला साक्षरता सहित साक्षरता दर भी सबसे अधिक है।

 

मध्यप्रदेश

माँ नर्मदा के जल से सिंचित है मध्यप्रदेश की पावन धरती जिसने अनेक महान विभूतियों को जन्म दिया है। 

भारत रत्न बाबासाहेब डॉक्टर आम्बेडकर, भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा इसी धरती के सपूत थे। पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी भी इसी धरती के सपूत थे। 

मध्य प्रदेश में एक तरफ अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य है तो दूसरी तरफ यहां अत्यंत समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत विद्यमान है। 

भारतीय साहित्य के सर्वश्रेष्ठ महाकवि कालिदास तथा संगीत सम्राट तानसेन से लेकर सुर साम्राज्ञी भारत रत्न लता मंगेशकर तक, अनेक प्रतिभाओं ने यहां की धरती पर जन्म लिया है। 

मध्य प्रदेश में,  इंदौर की अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करके देश की आध्यात्मिक परंपरा में मध्य प्रदेश के योगदान की अमिट गाथा लिखी है।

पंजाब

पंजाब की बात करें तो इसकी बात ही निराली है। गुरूओं, पीरों व वीरों की धरती है ये। गुरू नानक देव जी से लेकर गुरू गोबिंद सिंह जी तक, निडरता, इंसाफ की तरफदारी व बलिदानों की एक महान परंपरा है। गुरू गोबिन्द सिंह जी को सरबंसदानी कहा जाता है। उन्होंने अपने सभी पुत्रों का बलिदान दिया। उनके पिता नौवें गुरू, श्री तेग बहादुर जी ने मानव अधिकारों की रक्षा के लिए अपने प्राण दिए। उन्हें ‘‘हिन्द की चादर’’ की उपधि दी गई है।

1960 के दशक में जब हमारा देश खाद्य संकट के दौर से गुजर रहा था तब पंजाब और हरियाणा के किसान भाई-बहनों ने आधुनिक पद्धतियों और कठिन परिश्रम से हरित क्रांति को सफल बनाया। पंजाब की धरती स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई महान सेनानियों की जन्मभूमि रही है, जिनमें शहीद भगत सिंह, लाला लाजपत राय, उधम सिंह, राजगुरू, सुखदेव, करतार सिंह सराभा, मदन लाल ढींगरा आदि के नाम शामिल हैं।

पंजाबियों ने देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा की है, फिर चाहे वह 1965 या 1971 का युद्ध हो या फिर 1999 का कारगिल युद्ध, पंजाबियों ने हमेशा आगे बढ़कर राष्ट्र की रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है।

चंडीगढ़

चंडीगढ़ को पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों की राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। चंडीगढ़ को भारत का एक आधुनिक और बेहद साफ-सुथरा शहर कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा। प्रसिद्ध फ्रांसीसी वास्तुकार ली कार्बूजियर के द्वारा डिजाइन किया गया है यह शहर।

चंडीगढ़ का अधिकारिक प्रतीक चिन्ह ‘खुला हाथ’ है जो शांति और सुलह का खुला संदेश भेजता है। मानव विकास सूचकांक में चंडीगढ़ भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सूची में शीर्ष स्थानों में है।

यहां के रोज़ गार्डन, रॉक गार्डन, कैपीटल कॉम्लेक्स पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। अपनी सुंदरता, सफाई और हरियाली के कारण चंडीगढ़ को ‘सिटी ब्यूटीफुल’ कहा जाता है।

हमें चंडीगढ़ में मिनी भारत के दर्शन होते हैं।

 

तमिलनाडु

तमिलनाडु भारत का सबसे दक्षिणतम राज्य है जो अपनी धार्मिक और विरासत के लिए प्रसिद्ध है। श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग भी तमिलनाडु की इसी पावन धरती पर स्थित है।

यहाँ के पर्यटन स्थल, खान-पान, वेशभूषा तथा संस्कृति इसे महान बनाते हैं। 

ज्ञान और वैज्ञानिक स्वभाव इस क्षेत्र के लोगों के आंतरिक लक्षण प्रतीत होते हैं। यही कारण है कि एस. रामानुजन, नोबेल पुरस्कार विजेता सी.वी. रमन और एस. चन्द्रशेखर जैसे महान गणितज्ञ और वैज्ञानिक इसी क्षेत्र से आए।

एकमात्र इंडियन गवर्नर जनरल, सी. राजगोपालाचारी और भारत के दो पूर्व राष्ट्रपति श्री आर. वेंकटरमन और डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम इसी धरती के महान सपूत हैं।

 

अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह

अंडमान और निकोबार की सेल्यूलर जेल में स्थित राष्ट्रीय स्मारक हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों की गवाही देता है। यह कई स्वतंत्रता सेनानियों की ज्वलंत देशभक्ति के प्रतीक के रूप में खड़ा है।

बरेन्द्र नाथ घोष, वीर सावरकर और त्रैलोक्य महाराज जैसे महान देशभक्त, जिन्होंने अंग्रेजी शासन की ताकत को चुनौती देने का साहस किया था, को यहां लाकर सेल्यूलर जेल में बंद कर दिया गया।

यह खूबसूरत क्षेत्र भारत के मुख्य भूभाग से 1200 किमी दूर हो सकता है, लेकिन यहां देश के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ हमारी मूल जनजातियों के निवासी भी रहते हैं। 

यह विविधता में एकता के सिद्धांत का उदाहरण है। इसका अनोखा और एकजुट बहु-सांस्कृतिक, बहुभाषी समाज देश के बाकी हिस्सों के लिए एक उदाहरण स्थापित करता है।

इन द्वीपों की अपार सुंदरता और वैभव, इसके समृद्ध वन और समुद्री संपदा, तटीय वनस्पति और जीव-जंतु, अनूठी सुंदरता वाले समुद्र तट एक प्राकृतिक चमत्कार हैं।

 

दिल्ली

भारत की राजधानी दिल्ली अपनी समृद्ध इतिहास, विविध संस्कृति, और आधुनिक विकास के संगम के लिए जानी जाती है। यह शहर न केवल राजनीतिक केंद्र है, बल्कि हमारी संस्कृति, इतिहास और आधुनिकता का भी प्रतीक है।

दिल्ली का इतिहास हज़ारों साल पुराना है। यहाँ पर कुतुब मीनार, लाल किला, इंडिया गेट, और हुमायूँ का मकबरा जैसी ऐतिहासिक इमारतें हैं, जो मुगल और ब्रिटिश काल की कहानियों को संजोए हुए हैं। 

ऐसा कोई भारतीय नहीं होगा जिसका सिर देश की नई संसद को देखकर ऊंचा नहीं हुआ होगा। आज, हमारे पास दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक, पुलिस स्मारक और बाबा साहेब अम्बेडकर स्मारक हैं। 

यह शहर हमें हमारे इतिहास से जोड़ता है, हमारी संस्कृति को जीवित रखता है, और आधुनिकता की ओर निरंतर अग्रसर है। दिल्ली की धड़कन में पूरे भारत की विविधता और एकता बसती है, और यही इसे एक अनोखा और महान शहर बनाती है।

 

लक्षद्वीप

लक्षद्वीप की बात करें तो इस स्थान का नाम संस्कृत शब्द से आया है जिसका अर्थ है एक लाख द्वीप। इसका मतलब यह भी है कि उस प्राचीन काल में इतने सारे द्वीप रहे होंगे। 

मुख्य भूमि से कटा होने के कारण यहाँ लम्बे समय तक कोई मानव आबादी नहीं थी। लेकिन रोमांच और उद्यम की भावना ने लोगों को इस द्वीपसमूह की ओर आकर्षित किया होगा। 

इस शांत वातावरण में रहते हुए, लक्षद्वीप के लोगों का मन भी शांत रहता है। 

 

पुडुचेरी

 

यह जानना बहुत दिलचस्प है कि पुडुचेरी ने इतिहास के विभिन्न चरणों में बहुत अलग कारणों से अलग-अलग लोगों को आकर्षित किया है।

लगभग 350 वर्ष पूर्व फ्रांसीसियों ने पुडुचेरी में अपने व्यापारिक केन्द्र स्थापित किए। फ्रांसीसियों की औपनिवेशिक आकांक्षाओं के बिल्कुल विपरीत, महर्षि अरबिंदो ने 20वीं सदी में आध्यात्मिक शांति के लिए सबसे अच्छे निवास स्थान के रूप में इस स्थान को चुना। 

पुडुचेरी के हर हिस्से में पूजा स्थल देखे जा सकते हैं। पुडुचेरी को आध्यात्मिक पर्यटन के रूप में वर्णित किया जा सकता है।

फ्रांसीसी एन्क्लेव में रहने के बावजूद, पुडुचेरी के निवासी स्वतंत्रता संग्राम में समान रूप से सक्रिय थे। पुडुचेरी महान लेखकों और स्वतंत्रता सेनानियों का घर रहा है। श्रद्धेय तमिल कवि भारतीदासन का जन्म भी यहीं हुआ था। 

यह पवित्र भूमि कभी महान कवि, राष्ट्रवादी और समाज सुधारक महाकवि सुब्रमण्य भारती का निवास स्थान थी। उन्होंने पुडुचेरी में अपनी राष्ट्रवादी गतिविधियों को अंजाम दिया और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 

बन्धुओं,

भारत की यह विविधता हमारे लिए गर्व की बात है। यह विविधता हमें सिखाती है कि हम चाहे कितने भी अलग हों, हमारे दिल एक-दूसरे के लिए धड़कते हैं। 

हमारी अनेकता ही हमारी ताकत है, और इस विविधता में निहित एकता ही भारत की असली पहचान है। आइए, इस विविधता को संजोकर रखें और इसे भारत की शक्ति बनाएं।

आज यह जरूरी है कि हमारा चंडीगढ़ शहर और पंजाब हर स्तर पर प्रगति करे, हमारा देश चहुँ दिशा में प्रगति करे। इसके लिए हमें मिलकर काम करते रहना होगा।

मैं सभी से एक साथ आने और एक मजबूत और नशामुक्त पंजाब बनाने का संकल्प लेने की अपील करता हूँ।

मुझे पूरा विश्वास है कि गुरूओं, पीरों और बलिदानियों की यह धरती हमें हमारे संकल्पों के लिए सतत ऊर्जा देती रहेगी। 

हमारा देश अपने लक्ष्यों को जल्द पूरा करते हुए श्रेष्ठ भारत बनेगा। 

इसी कामना के साथ एक बार फिर आज के इस अवसर की आप सभी को बहुत-बहुत बधाई। बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद, जय हिन्द!