SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR OF PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF LITERATURE FESTIVAL ABHIVYAKTI SEASON – 4 AT CHANDIMANDIR ON NOVEMBER 9, 2024.
- by Admin
- 2024-11-09 15:35
राज्यपाल का साहित्यिक महोत्सव में भाषण दिनः 9 नवंबर 2024 समयः 9:45 सुबह स्थानः वेस्टर्न कमांड चंडीमन्दिर
सभी को मेरा नमस्कार!
मेरे लिए आज यह गौरवशाली अवसर है कि मैं साहित्य, कहानी और कल्पना शक्ति के उत्सव ‘‘आवा साहित्यिक महोत्सव अभिव्यक्ति सत्र-4’’ मैं आप सभी के समक्ष उपस्तिथ हूँ। मैं विचारों, रचनात्मकता और बौद्धिक विमर्श के अद्भुत मिलन को देखकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ।
यह महोत्सव न केवल साहित्य की समृद्ध धरोहर को सम्मानित करता है, बल्कि साहित्यकारों, कवियों, लेखकों और पाठकों के बीच संवाद, विचारों के आदान-प्रदान और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करता है।
यह महोत्सव साहित्यिक संस्कृतियों को सहेजने और उन्हें आगे बढ़ाने का एक अद्भुत अवसर प्रदान करता है। विभिन्न भाषाओं के साहित्यकारों का एक मंच पर आकर अपनी कृतियों का वाचन, कवि सम्मेलनों और पुस्तक विमोचन कार्यक्रमों का आयोजन साहित्य के प्रति समाज की रुचि और प्यार को बढ़ावा देता है।
साहित्य महोत्सव का मुख्य उद्देश्य न केवल साहित्य के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देना है, बल्कि यह भी है कि हम समाज के विभिन्न पहलुओं को समझें और उनका निरंतर मूल्यांकन करें। लेखक अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज की समस्याओं को उजागर करते हैं, जिनका समाधान कभी विचारों के रूप में, कभी कविता के रूप में, तो कभी कहानी और निबंध के माध्यम से होता है।
यह महोत्सव साहित्यकारों को एक मंच प्रदान करता है, जहाँ वे अपने अनुभवों और विचारों को साझा कर सकते हैं, साथ ही साथ युवा लेखकों को भी प्रेरणा मिलती है। यह हमें अपने समाज, संस्कृति और इतिहास से जोड़ने का भी काम करता है।
आजकल युवाओं में साहित्य के प्रति रुचि बढ़ रही है, और साहित्य महोत्सव इस रूचि को प्रोत्साहित करने का एक प्रभावी माध्यम बन गया है। इस महोत्सव का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह नई पीढ़ी को अपने समाज और संस्कृति के प्रति जागरूक करता है और उन्हें लेखन के माध्यम से अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने का मौका देता है।
भारत में साहित्य का इतिहास अत्यंत समृद्ध और विविध है, जो हजारों वर्षों से विकसित हो रहा है। यह न केवल एक सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि भारतीय समाज के विकास और उसकी मानसिकता को भी उजागर करता है।
भारत में साहित्य की शुरुआत वैदिक काल से मानी जाती है, जब वेदों और उपनिषदों के रूप में ज्ञान और भक्ति की अभिव्यक्तियाँ शुरू हुईं। वेद और उपनिषद भारतीय साहित्य के पहले शास्त्र माने जाते हैं। वैदिक साहित्य न केवल धार्मिक साहित्य था, बल्कि उसमें सामाजिक और दार्शनिक विचारों की भी अभिव्यक्ति थी।
इसके बाद, महाकाव्य काल आता है, जिसमें दो प्रमुख महाकाव्य-रामायण और महाभारत-रचे गए। रामायण का लेखन वाल्मीकि द्वारा किया गया, जबकि महाभारत का लेखन वेदव्यास ने किया। ये दोनों महाकाव्य भारतीय संस्कृति, धर्म, राजनीति और मानवता के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं।
रामायण में जहां मर्यादा, आदर्श और सत्य की महिमा को चित्रित किया गया, वहीं महाभारत में युद्ध, नीति और धर्म के जटिल पहलुओं पर विचार किया गया।
इसके बाद संस्कृत में कई अन्य काव्य, नाटक और शास्त्र लिखे गए, जैसे कालिदास का अभिज्ञानशाकुंतलम और संस्कृत के पहले नाटककार भास का स्वप्नवसवदत्तम्, जो भारतीय साहित्य के मानक कृतियाँ मानी जाती हैं। संस्कृत साहित्य ने भारतीय साहित्य के ढांचे को गढ़ने में अहम भूमिका निभाई।
मध्यकाल में, भक्ति आंदोलन और सूफी संतों का प्रभाव भारतीय साहित्य पर पड़ा। तात्कालिक कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से ईश्वर के प्रति भक्ति और प्रेम का संदेश दिया। सूरदास, मीरा बाई, रामदास, कबीर, और संत तुकाराम जैसे कवियों ने अपनी रचनाओं से समाज को जागरूक किया और साहित्य को एक नया आयाम दिया।
आधुनिक साहित्य की शुरुआत उपनिवेशी काल में हुई, जब अंग्रेजी शासन ने भारतीय समाज और संस्कृति में बदलाव लाना शुरू किया। इस समय का साहित्य भारतीय समाज के बदलावों, संघर्षों और स्वतंत्रता संग्राम को केंद्रित था।
महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ ठाकुर ने साहित्य के माध्यम से समाज को जागरूक किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी।
बीसवीं सदी में हिंदी, बांग्ला, मराठी, गुजराती, पंजाबी, उर्दू और अन्य भाषाओं में साहित्य ने काफी प्रगति की। प्रेमचंद, माखनलाल चतुर्वेदी, रवींद्रनाथ ठाकुर, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, जयशंकर प्रसाद, रामवृक्ष बेदी, वारिस शाह, शिव कुमार बटालवी जैसे साहित्यकारों ने भारतीय साहित्य को समृद्ध किया।
मित्रों,
एक ऐसा संसार जिसमे निरंतर परिवर्तन हो रहा है, साहित्य एक स्थिर धारा की तरह है। यह हमें समय और स्थान की सीमाओं को पार करके जोड़ता है, यह विभिन्न संस्कृतियों, विविध इतिहासों और सबसे महत्वपूर्ण मानवता के साझा अनुभवों के द्वार खोलता है। चाहे वह कथा लेख हो, गहन तथ्यात्मक लेखन है या कविता की गहरी समझ हो - साहित्य में हमारे विचारों को आकार देने, पूर्वधाराओं को चुनौती देने और हमें बेहतर इंसान बनने हेतु प्रेरणा देने की अद्धितीय शक्ति है।
यह महोत्सव केवल प्रसिद्ध लेखकों और रचनाकारों के लिए अपनी कृतियों को दुनिया से साझा करने का मंच मात्र नहीं है बल्कि यह संवाद विचार-विमर्श और आत्म मंथन का स्थल भी है। यह हमें याद दिलाता है कि कहानी कहना केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह दुनिया को समझने और उसमे हमारे स्थान को पहचानने का तरीका है।
हमारे देश में, हमें अपने साहित्यिक समुदाय पर गर्व है, जिसे हमने तैयार किया है। हमें ध्यान रखना है कि हमारे लेखक न केवल हमारे देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बनाएं। यह महोत्सव विख्यात साहित्यकारों और उभरती प्रतिभाओं दोनों को एक साथ लाता है, यह सुनिश्चित करता है कि साहित्यिक अन्वेषण की भावना जीवत रहे ।
जैसा कि हम कल से ही इस महोत्सव की शुरुआत कर चुके हैं, मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि आप कथाओं, वाद विवाद और विचारों के आदान प्रदान में शामिल हों। यह बातचीत हमें नई सोच, नए सहयोग और सबसे महत्वपूर्ण दुनिया को एक नए नजरिए से देखने के लिए प्रेरित करती है।
सभी लेखकों, वक्ताओं और पैनलिस्टों का मैं धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने इस अद्भुत आयोजन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मैं आयोजकों का भी विशेष आभार व्यक्त करता हूं, जिनकी सोच और समपर्ण से इस महोत्सव का आयोजन संभव हो पाया है। और यहाँ उपस्तिथ सभी प्रतिभागिओं को मैं दिल से धन्यवाद देता हूँ। साहित्य के प्रति आपका उत्साह ही इस तरह के महोत्सव की सफलता को सुनिश्चित करता है और साहित्यक उत्कृष्टता की यात्रा में योगदान देता है।
अंत में, मैं आपको साहित्य के महान विद्वान विलियम सेक्सपियर के इन शब्दों के साथ अलविदा कहता हूँ, ‘‘दुनिया एक मंच है और हम सभी केवल अभिनेता हैं।’’
जीवन की इस विशाल यात्रा में, कहानियों के माध्यम से ही हमें हमारी भूमिका, हमारी जिम्मेदारी और हमारी योग्यताओं को सही ढंग से समझ पाने में मदद मिलती है। आइए, हम इन कहानियों को सच्चाई और समपर्ण के साथ जारी रखें।
मैं इस महोत्सव के अद्भूत, प्रेरणादायक और समृद्ध आयोजन की कामना करता हूँ।
धन्यवाद,
जय हिन्द!