SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR OF PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF STATEL LEVEL NATIONAL GROUP SONG COMPETITION AT RANI LAXMIBAI MAHILA BHAVAN, SECTOR 38, CHANDIGARH ON NOVEMBER 9, 2024.

भारत विकास परिषद द्वारा स्टेट लेवल ग्रुप साँग कम्पीटीशन के आयोजन के अवसर पर

माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चन्द कटारिया का अभिभाषण

दिनांकः 09 नवंबर 2024, शनिवारसमयः 10:45 सुबहस्थानः महिला भवन, सेक्टर-38चंडीगढ़

 

सभी को मेरा नमस्कार!

मैं स्वयं को सौभाग्यशाली समझता हूं कि मुझे आज भारत विकास परिषद द्वारा आयोजित इस राज्य स्तरीय राष्ट्रीय समूह गान प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित होने का अवसर प्राप्त हुआ। मैं अत्यंत हर्ष और गौरव का अनुभव कर रहा हूं क्योंकि यह प्रतियोगिता हिन्दी और संस्कृत भाषा के देशभक्ति गीतों पर आधारित है।

इस प्रतियोगिता में हर एक टीम ने अपने गीत के माध्यम से अपने देश के प्रति प्रेम, सम्मान, और गर्व को प्रकट किया। हर स्वर, हर सुर, और हर शब्द में देशप्रेम की भावना की गूंज सुनाई दी, जिसने हम सभी के दिलों को छू लिया।

हमारा देश विविधता से भरा हुआ है, लेकिन यह हमारे राष्ट्रप्रेम और एकता की भावना है जो हमें जोड़कर रखती है। इस प्रतियोगिता के दौरान सभी टीमों ने अपने गायन में इस एकता और देशप्रेम का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया।

इस प्रतियोगिता ने हमें यह महसूस करवाया है कि संगीत के माध्यम से हम अपने देश के प्रति जो प्रेम और सम्मान है, उसे और गहराई से महसूस कर सकते हैं। यह प्रतियोगिता सिर्फ एक आयोजन नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, हमारे देश और हमारे संस्कारों के प्रति सम्मान को प्रकट करने का एक मंच भी है।

मैं विजेता टीम को दिल से बधाई देता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि वे आगे भी इसी तरह से अपनी कला और देशप्रेम के माध्यम से हम सभी को प्रेरित करते रहेंगे। साथ ही, मैं उन सभी प्रतिभागियों को भी धन्यवाद देना चाहूँगा जिन्होंने अपने प्रदर्शन से इस प्रतियोगिता को इतना सफल और यादगार बनाया।

देवियों और सज्जनों,

मुझे बताया गया है कि परिषद द्वारा पूरे भारत में हर साल चार प्रमुख प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं जिनमें राष्ट्रीय समूह गान प्रतियोगिता, भारत को जानो, गुरु वंदन छात्र अभिनंदन और गुरु तेग बहादुर बलिदान दिवस शामिल हैं।

राष्ट्रीय समूह गान प्रतियोगिता की शुरूआत 1967 में हुई थी। इसमें 6-12 कक्षा के 6-8 छात्रों का एक समूह भारत विकास परिषद द्वारा रचित चेतना के स्वर नामक पुस्तक से एक गीत गाता है। इस पुस्तक में हिंदी और संस्कृत दोनों में लगभग 30-30 देशभक्ति गीत हैं। प्रत्येक टीम को इस पुस्तक से हिंदी और संस्कृत का कोई एक गीत गाना होता है। यह प्रतियोगिता चार स्तरों पर आयोजित की जाती है, अर्थात शाखा, राज्य, क्षेत्र और राष्ट्रीय स्तर पर।

भारत विकास परिषद के लिए यह गर्व की बात है कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन, ज्ञानी जैल सिंह, श्री नीलन संजीव रेड्डी और श्री राम नाथ कोविंद इस वार्षिक राष्ट्रीय समूह गान प्रतियोगिता की अध्यक्षता कर चुके हैं। हर साल शाखा स्तर पर लगभग 50,000 स्कूलों के 5 लाख से अधिक छात्र इस कार्यक्रम में भाग लेते हैं।

मित्रों,

देशभक्ति एक ऐसा महान और पवित्र भाव है जो हमें हमारे देश, उसकी मिट्टी, उसकी संस्कृति और उसकी स्वतंत्रता के प्रति प्रेम और सम्मान से भर देता है। यह वही भावना है जो हमें निःस्वार्थ होकर अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देती है।

हमारे देश का इतिहास बलिदानों से भरा हुआ है। स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी, जैसे महात्मा गांधी, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, और चंद्रशेखर आजाद, ये सभी महान देशभक्त थे जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें स्वतंत्रता दिलाई। उनकी देशभक्ति केवल एक भावना नहीं थी, बल्कि एक जिम्मेदारी थी, जिसे उन्होंने पूरी ईमानदारी से निभाया। उन्होंने हमें यह सिखाया कि सच्ची देशभक्ति केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कर्मों में होनी चाहिए।

देशभक्ति का अर्थ केवल युद्ध के मैदान में जाकर लड़ना नहीं है। एक सच्चा देशभक्त वही है जो देश के प्रति अपने कर्तव्यों का पूरी ईमानदारी से पालन करता है। यदि हम अपने देश को स्वच्छ रखें, नियमों का पालन करें, और समाज में एकता और सद्भाव बनाए रखें, तो यह भी हमारे देश के प्रति एक प्रकार की सेवा है। हमारे द्वारा किया गया हर छोटा कार्य देश को मजबूत बनाता है।

देवियों और सज्जनों

1963 में स्थापित, भारत विकास परिषद एक सेवा एवं संस्कार-उन्मुख अराजनैतिक, सामाजिक-सांस्कृतिक स्वयंसेवी संस्था है। यह देशभक्ति, राष्ट्रीय एकता और अखंडता की भावना को बढ़ावा देकर मानव प्रयास, सांस्कृतिक, सामाजिक, शैक्षणिक, नैतिक, राष्ट्रीय और आध्यात्मिक, सभी क्षेत्रों में हमारे देश के विकास और उन्नति के प्रति समर्पित है। यह सांस्कृतिक मूल्यों को युवा पीढ़ी तक पहुँचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

भारत विकास परिषद स्वामी विवेकानन्द के आदर्शों और शिक्षाओं से प्रेरित और निर्देशित है और इसीलिए इसकी स्थापना स्वामी विवेकानन्द की जन्म शताब्दी 12जनवरी, 1963 पर की गई थी। भारत विकास परिषद पाँच सूत्रों के अन्तर्गत कार्य करता है। ये हैं संपर्क, सहयोग, संस्कार, सेवा और समर्पण।

भारत विकास परिषद का दृष्टिकोण ‘‘स्वस्थ-समर्थ-संस्कारित’’ भारत का निर्माण है और भारत विकास का मिशन विशिष्ट बुद्धिजीवियों और अच्छे नागरिकों को संगठित करना और उन्हें हमारे वंचित, असमर्थ और अशिक्षित वर्ग की सेवा करने के लिए प्रेरित करना है। भारत विकास परिषद की पूरे भारत में लगभग 1600शाखाएँ हैं और लगभग एक लाख परिवार इससे जुड़े हुए हैं।

परिषद लाभार्थियों की भागीदारी के माध्यम से उनकी क्षमता विकसित करने पर जोर देती है ताकि वे दान पर निर्भर न रह कर एक सम्मानजनक जीवन जी सकें। भारत विकास परिषद की पूरे भारत में 1690 स्थायी परियोजनाएँ हैं।

भारत विकास परिषद स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करता है, जैसे निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर, चिकित्सा जागरूकता कार्यक्रम, रक्तदान शिविर, और रोग निवारण के लिए जरूरी परामर्श। इन शिविरों में अनुभवी डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मियों द्वारा जाँच और परामर्श दिया जाता है ताकि गरीब और जरूरतमंद लोग भी लाभान्वित हो सकें।

इसके अलावा, परिषद ने कई जगहों पर चिकित्सालय और डायग्नोस्टिक सेंटर भी स्थापित किए हैं, जहाँ सामान्य से लेकर गंभीर बीमारियों की जाँच और उपचार निःशुल्क या न्यूनतम शुल्क पर उपलब्ध है। इसके माध्यम से वे उन लोगों तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं जो आर्थिक कारणों से चिकित्सा सेवाएँ प्राप्त नहीं कर पाते।

भारत विकास परिषद देश में वंचित और ज़रूरतमंदों को चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने वाले विभिन्न चिकित्सा केन्द्रों का संचालन करता है जिनमें दिव्यांग लाभार्थियों को लगभग 3.35 लाख कृत्रिम अंग प्रदान करने वाले 13 विकलांग सहायता केंद्रों सहित 220बिस्तरों वाला और सालाना 2 लाख से अधिक मरीजों को सेवा प्रदान करने वाला भारत विकास परिषद अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र, कोटा (राजस्थान); सालाना 4 लाख से अधिक रोगियों को सेवा प्रदान करने वाला चंडीगढ़ स्थित चैरिटेबल डायग्नोस्टिक सेंटर और गुरुग्राम (हरियाणा) में स्थित विवेकानन्द आरोग्य केन्द्र प्रमुख चिकित्सा केन्द्र हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में काम करने के अलावा, भारत विकास परिषद वनवासी समुदाय के कल्याण और उत्थान के लिए सेवाएं प्रदान कर रही है जिसके तहत उसने आदिवासी क्षेत्र में अस्पताल, औषधालय, चिकित्सा और स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए हैं, बच्चों के लिए स्कूल और छात्रावास स्थापित किए हैं।

भारत विकास परिषद ने समग्र ग्राम विकास योजना के तहत गांवों में स्वच्छ सड़कें, स्वच्छ पेयजल, स्वास्थ्य और स्कूल स्थापित करके 65 गांवों का विकास किया है।

भारत विकास परिषद प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत प्रदान करने में हमेशा आगे रही है, चाहे वह असम में 2016 और 2019 की बाढ़ हो, 2015 में नेपाल का भूकंप हो, जम्मू और कश्मीर में 2014 में भूस्खलन और वर्षा हो, या फिर उत्तराखंड में 2013 की बाढ़ और भूस्खलन हो, भारत विकास परिषद ने इन आपदाओं के दौरान सराहनीय राहत कार्य किया है।

इसके अलावा भारत विकास परिषद विभिन्न अन्य परियोजनाएं भी चला रही है जैसे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, नशा मुक्ति, एनीमिया मुक्त भारत आदि।

मित्रों,

भारत विकास परिषद चंडीगढ़ की बात की जाए तो यह चंडीगढ़ में चैरिटेबल डायग्नोस्टिक सेंटर चलाने के अलावा, सरकारी स्कूलों के लगभग 650-700 आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन प्रतिभाशाली छात्रों को सालाना किताबें, स्टेशनरी वर्दी आदि मुफ्त प्रदान कर रही है।

इसने चंडीगढ़ में हर साल लगभग 30 जोड़ों के सामूहिक विवाह की व्यवस्था की है। इस तरह का अगला समारोह 23.11.2024 को सेक्टर 38 चंडीगढ़ में आयोजित किया जा रहा है।

भारत विकास परिषद चंडीगढ़ सेक्टर 40 में एक सिलाई केंद्र भी चला रहा है जिसमें लगभग 30 लड़कियां हर समय मुफ्त प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। भारत विकास परिषद द्वारा 3 बाल विकास केंद्र भी चलाए जा रहे हैं।

चंडीगढ़ में भारत विकास परिषद की 30 शाखाएं हैं जिनके लगभग 3000 सदस्य हैं। इनके द्वारा पूरे वर्ष नियमित रूप से रक्तदान और अन्य स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किए जाते हैं।

मित्रों,

सेवा जीवन का मंत्र है। यह जड़-चेतन में व्याप्त ईश्वर की उपासना का माध्यम है। यह किसी के उपकार के लिए नहीं होती। सेवा त्याग की अभिव्यक्ति होती है। सेवा स्वयं और दूसरों को नर से नारायण बनाने का उपाय है।

हमारे समाज में कई ऐसे लोग हैं जिन्हें सहायता की आवश्यकता है - चाहे वे आर्थिक रूप से कमजोर हों, या किसी बीमारी से जूझ रहे हों, या शिक्षा के लिए संसाधनों से वंचित हों। अगर हम अपने जीवन का कुछ अंश, समय, या धन उनकी भलाई के लिए समर्पित करते हैं, तो यह न केवल उन्हें एक बेहतर जीवन प्रदान करने में सहायक होता है, बल्कि हमें भी एक बेहतर इंसान बनाता है।

इतिहास में कई महापुरुषों ने परमार्थ का उदाहरण प्रस्तुत किया है। महात्मा गांधी, मदर टेरेसा, विवेकानंद - इन सभी ने अपना जीवन दूसरों की सेवा और भलाई में समर्पित कर दिया। इन्होंने हमें सिखाया कि असली खुशी केवल अपने लिए जीने में नहीं, बल्कि दूसरों के जीवन में कुछ सकारात्मक परिवर्तन लाने में है।

आज के समय में भी, जब हम सामाजिक और आर्थिक विभाजन को देख रहे हैं, परोपकार की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। हम सबके पास यह शक्ति है कि हम अपने स्तर पर कुछ योगदान करें - चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र में हो, स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो, या फिर पर्यावरण संरक्षण के लिए हो। अगर हम सब मिलकर थोड़ा-थोड़ा प्रयास करें, तो हम मिलकर समाज में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

देश के चहुमुखी विकास के लिए हर समाज, हर वर्ग के पिछड़े लोगों की आर्थिक दुर्बलता और कमियों को दूर करना होगा। इसके लिए हम सभी को मिलकर सकारात्मक सोच के साथ कार्य करना होगा। हम सभी को “सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामयः” के सिद्धांत का पालन करना होगा।

स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा है कि- “जिस प्रकार केवल एक ही बीज पूरे जंगल को पुनर्जीवित करने के लिए पर्याप्त है। उसी प्रकार एक ही मनुष्य विश्व में बदलाव लाने के लिए पर्याप्त है। ये मनुष्य आप हो सकते हैं।”

अतः मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि परोपकार को अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाएं। हम सब एक ऐसा समाज बनाएं जहाँ लोग निस्वार्थ भाव से एक-दूसरे की मदद करने के लिए तत्पर हों। यह हमारे समाज को एक सकारात्मक दिशा में ले जाएगा और हमारी मानवता को सच्चे अर्थों में परिभाषित करेगा।

अंत में मैं भारत विकास परिषद् चण्डीगढ़ को उसके द्वारा किए जा रहे सेवा और संस्कार के अद्भुत्त कार्यों के लिए बधाई देता हूं तथा बच्चों को शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद,

जय हिन्द!