SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR OF PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF FOUNDATION DAY OF UTTARAKHAND AT PUNJAB RAJ BHAVAN ON NOVEMBER 9, 2024.

उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चन्द कटारिया का अभिभाषण

दिनांक 9 नवंबर 2024,  शनिवार, समय: 4:00 PM, स्थान: पंजाब राजभवन

आप सभी को मेरा नमस्कार,

आज हम यहां “एक भारत श्रेष्ठ भारत” के अंतर्गत उत्तराखण्ड राज्य का स्थापना दिवस मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। हमारे लिए प्रसन्नता की बात है कि पंजाब का राजभवन अन्य राज्यों के स्थापना दिवस मनाने की स्वस्थ परम्परा का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रहा है।

सबसे पहले मैं उत्तराखंड के महान सपूतों पर्यावरण-चिन्तक एवं चिपको आन्दोलन के प्रमुख नेता श्री सुंदरलाल बहुगुणा, देश के पहले Chief of Defence Staff रहे जनरल बिपिन रावत और श्री देव सुमन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नौजवान स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करता हूँ।

 इस पहाड़ी राज्य ने मां भारती को कई और वीर सपूत भी दिए हैं जिनमें पहाड़ी संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले मोहन उप्रेती, स्वतंत्रता सेनानी व उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री श्री गोविन्द बल्लभ पंत और उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल है।

इसके इलावा राइफलमैन जसवंत सिंह रावत से लेकर रणबांकुरे दरबान सिंह नेगी जैसे वीर सपूतों ने जन्म लिया था जिनका नाम आज भी राज्य और देश को गर्व से भर देता है। तब भारत गुलाम था और पहाड़ी रणबांकुरे दरबान सिंह नेगी ने ब्रिटेन की ओर से जर्मनी के खिलाफ पहला विश्वयुद्ध लड़ा था। और उनके अदम्य साहस के लिए विक्टोरिया क्रॉस से भी सम्मानित किया गया था।

यहां की कुछ महिला शक्तियों की बात की जाए तो उनमें रानी कर्णावती जैसी वीरांगना, गौरा देवी जैसी वन संरक्षक और माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने वाली पहली महिला बछेंद्री पाल जैसी वीरांगना शामिल हैं जिनकी जीवनगाथाओं में गरिमा और शक्ति का अंश मिलता है।

अगर मैं हमारे देश की विरासत की बात करूं तो भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत की संस्कृति अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है। हम यह भी जानते हैं कि हमारे देश की सबसे बड़ी विशेषता है विविधता में एकता। हमारे प्रदेश सांस्कृतिक रूप से एक हैं, यही हमारी ताकत है, यही हमारी पहचान है।

इसका निर्माण विविध भाषा, संस्कृति, धर्म के तानो-बानो, अहिंसा और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित स्वतंत्रता संग्राम तथा सांस्कृतिक विकास के समृद्ध इतिहास द्वारा हुआ है। लोगों की आपसी समझ की भावना ने विविधता में एकता को सक्षम किया है, जो राष्ट्रवाद की एक लौ के रूप में सामने आती है। इसे भविष्य में पोषित करने की आवश्यकता है।

उत्तराखण्ड हिमालय की तलहटी पर बसा एक सुन्दर पहाड़ी राज्य है। यह राज्य पर्यटन के साथ-साथ अपनी संस्कृति परंपराओं व पारस्परिक सौहार्द के लिए भी विश्वभर में जाना जाता है। उत्तराखण्ड राज्य का वर्तमान जितना रोचक व आकर्षण से परिपूर्ण है, उतना ही रोचक व महान इस राज्य का इतिहास भी है।

2000 और 2006 के बीच यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था, 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड देश के 27वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। इस राज्य का निर्माण कई वर्ष के आन्दोलन के पश्चात् हुआ।

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून है जो केवल एक शहर नहीं, बल्कि एक अनुभव है। यहाँ की सादगी, शांति, और प्राकृतिक सौंदर्य किसी को भी अपनी ओर खींच लेता है। यह जगह न केवल घूमने के लिए, बल्कि आत्मिक शांति और मानसिक संतुलन के लिए भी उपयुक्त है। 

इसके अलावा यहां का मसूरी शहर जिसे “पहाड़ों की रानी” भी कहा जाता है, उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है।

इस प्रान्त में वैदिक संस्कृति के कुछ सबसे महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। उत्तराखण्ड जलवायु, नैसर्गिक, प्राकृतिक दृश्यों एवं संसाधनों की प्रचुरता के कारण देश में प्रमुख स्थान रखता है। यह तीर्थ यात्रा और पर्यटन की दृष्टि से विशेष महत्त्व रखता है। यहाँ हरिद्वार, ऋषिकेश सहित चारों धाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री हैं। इसके पवित्र तीर्थस्थलों के कारण ही इसे देवताओं की धरती ‘देवभूमि’ कहा जाता है।

उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था पर्यटन - प्रधान अर्थव्यवस्था है। इस राज्य की आय के प्रमुख स्रोत कृषि, पर्वतीय वन संसाधन, पर्यटन, तीर्थाटन, औद्यागिकी, फल एवं दुग्ध उत्पादन है। उत्तराखण्ड का देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान है।

उत्तराखंड संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ ‘‘उत्तरी क्षेत्र’’ है।

उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि कई प्राचीन धार्मिक स्थलों के साथ ही यह राज्य हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र मानी जाने वाली देश की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना का उद्गम स्थल भी है।

यहां चार सबसे पवित्र और श्रद्धेय हिंदू मंदिर भी हैं जिन्हें उत्तराखंड के चार धाम के रूप में भी जाना जाता है - बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री।

हज़ार वर्षों से भी अधिक समय से तीर्थयात्री मोक्ष और पाप से मुक्ति व शुद्धिकरण की खोज में यहाँ आते रहे हैं।

उत्तराखंड विशाल हिमालय, शिवालिक पर्वतमाला, गढ़वाल पहाड़ियों और कुमाऊं पहाड़ियों से घिरा हुआ है।

यह ग्लेशियर, नदियों, घने जंगल और बर्फ से ढके पर्वतों की   प्राकृतिक सुंदरता की भूमि है।

कहते हैं कि जब राजा भागीरथ गंगा जी को धरती पर लाए तो यह हरिद्वार के इसी रास्ते से गुजरी थी और इसी कारण हरिद्वार को गंगा का प्राचीन द्वार भी कहते हैं।

उत्तराखण्ड केवल हिन्दुओं के लिए ही तीर्थस्थल नहीं है। हिमालय की गोद में स्थित हेमकुण्ड साहिब, सिखों का तीर्थ स्थल है। मिंद्रोलिंग मठ और उसके बौद्ध स्तूप से यहाँ तिब्बती बौद्ध धर्म की भी उपस्थिति है।

कहा जाता है कि महान ऋषि वेद व्यास जी ने महाभारत की रचना इसी धरती पर की थी और गुरू द्रोणाचार्य जी का आश्रम भी यहीं पर था। ऐसा माना जाता है कि पांडव अपनी अंतिम यात्रा पर उत्तराखंड में रुके थे।

स्वामी विवेकानन्द द्वारा स्थापित प्रसिद्ध अद्वैत आश्रम राज्य के चम्पावत जिले के मायावती में स्थित है।

उत्तराखंड के लोग बहुत ही शांति प्रिय हैं। कोई भी त्योहार या पर्व हो, सभी धर्मों के लोग बहुत ही सद्भाव से मनाते हैं।

यहां की प्राकृतिक सुंदरता और यहां के लोगों के प्रेमपूर्ण व्यवहार ने स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी से लेकर प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत को मंत्रमुग्ध किया था।

उत्तराखंड आधुनिक चिकित्सा और आयुर्वेद के क्षेत्र में नए संस्थान स्थापित कर रहा है। उत्तराखंड में Naturopathy के अनेक प्रसिद्ध केंद्र हैं जहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग आकर स्वास्थ्य-लाभ लेते हैं।

यह लोक-मान्यता है कि लक्ष्मण जी के उपचार के लिए इसी क्षेत्र के द्रोण-पर्वत को ‘संजीवनी बूटी’ सहित हनुमान जी लेकर गए थे। इस तरह आध्यात्मिक शांति और शारीरिक उपचार दोनों ही दृष्टियों से उत्तराखंड कल्याण का स्रोत रहा है।

उत्तराखण्ड के शैक्षणिक संस्थान भारत और विश्वभर में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये एशिया के कुछ सबसे पुराने इंजीनियरिंग संस्थानों का गृहस्थान रहा है, जैसे IIT Roorkee और पन्तनगर का गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवँ प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय।

इनके अलावा विशेष महत्व के अन्य संस्थानों में, देहरादून स्थित Indian Military Academy, Wildlife Institute of India और द्वाराहाट स्थित कुमाऊँ इंजीनियरिंग कॉलेज भी हैं।

पर्वतों, तीर्थस्थलों, प्राकृतिक सुंदरता, विविध संस्कृतियों, प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों और सेना की धरती कहे जाने वाले उत्तराखण्ड के स्थापना दिवस की आप सभी को एक बार फिर से बहुत-बहुत बधाई।

अंत में, मैं उत्तराखण्ड के सुप्रसिद्ध कवि, श्री सुमित्रानंदन पंत की कुछ पंक्तियों के साथ अपनी बात समाप्त करना चाहूंगाः

कोटि-कोटि हम श्रमजीवी सुत

सर्व एक मत, एक घ्येय रत,

जय भारत हे, जाग्रत भारत हे।

अर्थातः

हम हजारों मेहनतकश सपूतों का एक ही मत और एक ही ध्येय है और वो है, जय भारत, जय जागृत भारत।

अंत में मैं उत्तराखण्ड स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई देता हूं और इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद, 

जय हिन्द।